घर की मुर्गियाँ 22
कुछ देर में किरण फिर नार्मल हो चुकी थी। अजय अब धक्के लगा रहा था। मगर अब किरण का विरोध समाप्त हो गया था, और किरण भी कूल्हे पीछे करते हुए साथ देने लगी किरण की सिसकारी पूरे घर में गूंज रही थी- “आईई.. आss आह्ह… ओहह… बस्स मार डाल्ला आज्ज तो आपने…सस्स्सी … आआहह… ऊहह…” और अब तो किरण भी मजे में आवाजें निकाल रही थी। अजय- क्यों भाभी कैसा लग रहा है? किरण- तुम तो बड़े जालिम हो। अजय- तभी तो आपको ये मजा मिला आज। किरण- “सही कह रहो हो भाई साहब… मैं तो अभी तक इससे महरूम थी, कभी सोचा भी नहीं इस तरफ…” और दोनों …