घर की मुर्गियाँ 20

समीर ने नेहा को नहीं रोका, और खुद भी साथ देने लगा। थोड़ी देर यूँ ही किस करते रहे। तभी समीर हट गया।

समीर- नेहा अब मुझे देर हो रही है, मैं चलता हूँ।

नेहा समीर को जाते हुए देखती रही।

समीर कंपनी पहँच गया। आज समीर स्टोर में माल की डिटेल चेक कर रहा था। समीर स्टोर कीपर से बोला “कच्चे माल की लिस्ट बनाकर मेरे केबिन में ले आओ..”

तभी संजना का फोन आता है।

समीर- हेलो मेम।

संजना- समीर कहां हो? मेरे केबिन में आ जाओ।

समीर- जी मेम… मैं स्टोर में हूँ बस दो मिनट में आया मेडम।

संजना- एक एक्सपोर्ट आर्डर मिल रहा है आस्ट्रेलिया से। अगर ये आर्डर हमें मिल गया तो हमारी कंपनी कहां से कहां पहुँच जायेगी।

समीर- मेम ये तो बड़ी खुशी की बात है।

संजना- हमें आर्डर लेने आस्ट्रेलिया जाना है, तुम्हें भी मेरे साथ चलना है।

समीर- मगर मेडम मेरा पासपोर्ट?

संजना- वो मैंने बोल दिया है। कल शाम तक मिल जायेगा।

समीर- वैसे हमें जाना कब है?

संजना- कल शाम 7:00 बजे की फ्लाइट है। अपना सामान वगैरह पैकिंग कर लो। 10-12 दिन भी लग सकते है

समीर- जी मेडम।

संजना- तुम अभी घर चले जाओ, और अपनी तैयारी करो।

समीर घर के लिए निकाल पड़ता है। रास्ते में समीर सोचता है- “अब तो 10-12 दिन इंडिया से बाहर गुजरेंगे। नेहा फिर नाराज हो जायेगी। उसे कैसे समझाऊँ? जाने से पहले भी प्यार नहीं कर सकता। बेचारी पीरियड हो गई है। अब क्या करूं जो नेहा नाराज ना हो?” यही सोचते हुए समीर घर की तरफ जा रहा था।

तभी समीर को खयाल आता है टीना का- “अरे… टीना भी तो घर में अकेली होगी। चलो आज उसमें ही डुबकी लगा लें। पता नहीं फिर कब मोका मिले?”

समीर टीना के घर की तरफ निकल पड़ा। थोड़ी देर में टीना के घर पहुँचा। मगर यहां तो ताला लटका हुआ था। मन ही मन समीर- “ये टीना कहां चली गई? कहीं नेहा के पास तो नहीं पहुँच गई? नेहा के पास या कहीं और? फोन करूं टीना को? नेहा के पास हुई और नेहा ने मेरा नंबर देख लिया तो? फिर नेहा को मनाना मुश्किल हो जायेगा। क्या करूं अब?”

तभी एक आईडिया आया की क्यों ना नेहा को ही काल कर लूँ। पता चल जायेगा टीना का भी। और समीर ने नेहा को फोन मिलाया।

समीर- हेलो नेहा।

नेहा- जी भइया।

समीर- मैं आज कंपनी से जल्दी घर आ रहा हूँ। बोल तेरे लिए कुछ लाऊँ?

नेहा- जी भइया आइसक्रीम ले आना।

समीर- तू अकेली है घर पर जब से।

नेहा- जी भइया।

समीर- क्या टीना है तेरे पास? उसके लिए भी ले आऊँ आइसक्रीम?

नेहा- नहीं भइया आज नहीं आई वो।

समीर- “चल ठीक है मैं एक घंटे हँ…” समीर सोचता है- “टीना और कहां जा सकती है? उसका नंबर ट्राई करता हूँ.” फिर टीना का नंबर मिलाया- “हेलो टीना कहां हो?”

टीना- हाय समीर भइया, क्या हुआ?

समीर- इस वक्त कहां हो तुम?

टीना- अपने पापा की दुकान पर हूँ।

समीर- ओ तेरी की… अंकल तो नहीं पास में?

टीना- नहीं, मैं अकेली बैठी हूँ। तुम बताओ?

समीर- मैं तुम्हारे घर पर खड़ा हूँ। तुमसे मिलने आया था। कल मैं 10-12 दिन के लिए आस्ट्रेलिया जा रहा हूँ।

टीना- ओहह… तो आज जाने से पहले प्यार करना चाहते हो?

समीर- कितनी देर में आ सकती है?

टीना- मुश्किल है भइया। मैं अकेली हूँ, नहीं आ पाऊँगी। पापा साथ में आयेंगे। अगर मोका मिल गया तो रात में नेहा के पास सोने आ जाऊँगी।

समीर- जरूर आना मैं बेसब्री से तेरा इंतजार करूँगा।

टीना- “रखती हूँ भइया…” और फोन डिसकनेक्ट हो गया।

समीर बुझे मन से टीना के घर से वापिस मार्केट चला गया और आइसक्रीम ब्रिक लेकर अपने घर की तरफ मुड़ गया, और घर पहुँचकर समीर डोरबेल बजाता है।

नेहा जानती थी समीर आया है, तो भागकर दरवाजा खोलती है। समीर के सामने नेहा खड़ी थी जो समीर को बड़ी प्यारी नजरों से देख रही थी।

समीर- “ऐसे क्या देख रही है? अंदर तो आने दे मुझे। देख मैं तेरे लिए आइसक्रीम भी लाया

समीर अंदर आकर दरवाजे बंद करता है। मगर नेहा को जाने क्यों समीर पर इतना प्यार आ रहा था की समीर को बाँहो में भर लिया

समीर- नेहा, इतना प्यार ना कर की एक पल तुझसे दूर ना जा पाऊँ?

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नेहा- भइया ऐसी बात ना करो, कभी मुझसे दूर मत जाना।

समीर- “मेरी प्यारी गड़िया काम के लिए दूर भी जाना पड़ता है। चल आराम से बैठकर बातें करते है और हाँ ये आइसक्रीम दो प्याली में करके ला…”

नेहा आइसक्रीम लेकर किचेन में चली गई। मगर सिर्फ नेहा के हाथ में एक ही प्याली थी- “लीजिए भइया…”

समीर- अरे… नेहा अपने लिए नहीं लाई?

नेहा- भइया अपने हाथों से खिला दो ना?

समीर- कितनी भोली है चल आ, मैं अपनी गुड़िया रानी को अपने हाथों से खिलता हूँ… अरे… इसमें तो चम्मच
भी नहीं है। तू बैठ मैं लेकर आता है।

नेहा- नहीं मुझे चम्मच से नहीं खानी, अपनी उंगली से खिलाओ।

समीर- “उफफ्फ… उफफ्फ… मुझसे क्या-क्या करायगी तू?” और समीर ने अपने उंगली से आइसक्रीम निकाली
और नेहा के मुँह में डाली।

नेहा ने समीर की उंगली को अपने होंठों में भींच लिया।

समीर- बहुत नटखट गो गई है तू।

नेहा- “भइया आपके प्यार ने सिखा दिया…” फिर नेहा ने अपनी उंगली में आइसक्रीम ली और समीर से कहा “भइया मुँह खोलिए…”

समीर ने मुँह खोल दिया, तो नेहा ने अपनी उंगली समीर के मुँह में डाल दी। समीर ने आइसक्रीम खा ली और नेहा ने उंगली बाहर निकालकर अपने मुँह में डाली। कितना सेक्सी स्टाइल बनाया था नेहा ने। समीर से रहा नहीं गया, और उसने नेहा को अपनी बाँहो में जकड़ लिया।

नेहा- “आहह… भइया पहले आइसक्रीम तो खा लो…”

समीर ने अपने होंठ नेहा के होंठों से लगा लिया और नीचे का होंठ दांतों से काटने लगा।

नेहा- “उईई… क्या करते हो भइया दर्द होता है…”

समीर- “क्यों मजा नहीं आता?”

नेहा- मजा भी आता है।

समीर- “नेहा यहां बैठ, और मेरी बात ध्यान से सुन… और नाराज नहीं होना..”

नेहा- क्या बात है भइया?

समीर- “नेहा, मैं कल आस्ट्रेलिया जा रहा हूँ 10-12 दिन के लिए। कंपनी को बहुत बड़ा आर्डर मिलने वाला है..”

नेहा एकदम चकित रह गई और बस समीर को घूर रही थी।

समीर- “प्लीज्ज… नेहा ऐसे मत देखो… अगर तू कहेगी तो मैं नहीं जाऊँगा, चाहे मेरी नौकरी भी चली जाय..”

नेहा की आँखों में पानी आ गया। समीर को नेहा से इतने प्यार की उम्मीद नहीं थी।

नेहा भीगी-भीगी पलकों से- “नहीं भइया तुम चले जाओ, 10-12 दिन की ही तो बात है…”

समीर भी बहुत भावुक हो गया और नेहा को गले से लगा लिया- “ओहह… मेरी प्यारी गुड़िया वहां से आकर तुझे इतना प्यार करूँगा तेरे सारे गम भुला दूंगा..” और समीर के होंठ नेहा के होंठों से चिपक गये, जैसे कोई गेम खेल रहे हों। कभी नेहा होंठों को पकड़ती कभी समीर। यूँ ही मस्ती में दोनों एक दूजे के होंठों का जाम पी रहे थे। तभी दरवाजे पर दस्तक होती है।

समीर- “मम्मी आई होगी मैं दरवाजा खोलता हूँ। तू जाकर अपना मुँह साफ कर ले, आइसक्रीम लगी है…” और समीर दरवाजा खोलता है। सामने मम्मी खड़ी थी।

अंजली- बेटा, तू आज कंपनी नहीं गया?

समीर- जी मम्मी गया था। कंपनी को आस्ट्रेलिया से बहुत बड़ा आर्डर मिल रहा है। कल संजना मेडम के साथ 10-12 दिन के लिए आस्ट्रेलिया जा रहा हूँ।

अंजली चकित हो जाती है- “क्या? आस्ट्रेलिया..’

समीर- जी मम्मी, बस तैयारी कर लूँ पैकिंग भी करनी है।

तभी नेहा भी आ जाती है।

अंजली- नेहा अपने भाई की पैकिंग में हेल्प करवा दे। तेरे भाई का कोई सामान रह ना जाये।

नेहा- जी मम्मी।

अंजली- बेटा तेरे लिए खाने में क्या बनाऊँ?

समीर- “मम्मी तेरे हाथ की खीर बहुत याद आयेगी वहां। तू खीर बना दे तब तक मैं मार्केट से लवर और बनियान ले आऊँ..”

अंजली- बेटा जल्दी आना।

समीर- जी मम्मी ।

नेहा- “भइया मुझे भी मार्केट जाना है कुछ सामान लेना है। मैं भी आपके साथ चलती हूँ..” और दोनों मार्केट निकल गये। नेहा बाइक पर दोनों तरफ पैर करके बैठी थी।

समीर- तुझे क्या लेना है मार्केट से?

नेहा- मेरी भी पर्सनल चीजें हैं।

समीर- क्या वो बताने वाली नहीं है?

नेहा- जब आपके साथ आई हैं तो छुप भी नहीं पायेगी।

समीर- तो फिर बता ना क्यों घुमा फिरा के बात कर रही है?

नेहा- मुझे पैड खरीदना है।

समीर- कैसे पैड?

नेहा- भइया तुम्हें मालूम है मुझे पीरियड हो रहे हैं, उसे के लिए पै होते हैं।

समीर- आह्ह… मैं तो समझ रहा था तू वो लेने आई है।

नेहा- वो क्या?

समीर- ब्रा पैंटी।

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थोड़ी देर दोनों चुप हो गये।

समीर- नेहा एक बात पूछू?

नेहा- हाँ भइया पूछो।

समीर- तेरा साइज कितना है?

नेहा- क्या? साइज… कैसा साइज?

समीर- “तू समझ तो गई बता ना प्लीज़्ज..”

नेहा- क्यों पूछ रहे हो भइया?

समीर- बस ऐसे ही।

नेहा- “32″ इंच..”

दोनों बातों-बातों में
समीर ने अपने अंडरगामेंट खरीदे, और नेहा के लिए विश्पर पैड।

समीर- और कुछ चाहिए नेहा तुझे?

नेहा- एक वीट-क्रीम और दिला दो।

समीर ने वीट हियर रिमूवर क्रीम लेकर नेहा को दी।

नेहा- बस भइया चलो घर।

समीर- चल कोल्ड ड्रिंक पीते हैं।

तभी नेहा का मोबाइल बजता है। ये टीना का फोन था।

टीना- हेलो नेहा कहां है?

नेहा- मैं मार्केट में भइया के साथ शापिंग करने आई हूँ। क्या हुआ?

टीना- यार घर में अकेली बोर हो रही हूँ तेरे पास आ जाओ सोने के लिए।

नेहा- यार हमें तो अभी बहुत देर हो जायेगी आने में। तू सुबह आ जाना..” और नेहा फोन डिसकनेक्ट करती है।

समीर नेहा का चेहरा देखता रह गया। नेहा ने कोल्ड ड्रिंक फिनिश की, और दोनों घर के लिए निकल पड़े।

नेहा- भइया आपने बताया नहीं?

समीर- क्या?

नेहा- आपने साइज क्यों पूछा?

समीर- वक्त आने पर बताऊँगा।

नेहा समीर से चिपकी बैठी थी। नेहा की चूचियां समीर की कमर में धंसी हुई थीं, जो समीर की बेचैनी पल-पल बढ़ा रही थीं। ये नेहा भी जानती थी। और यूँ ही दोनों घर आ गये। समीर ने बाइक खड़ी करके अपनी पैंट में लण्ड अड्जस्ट किया, और ऐसा करते हुए नेहा की नजर पहुँच गई। समीर एकदम झेंप गया। मगर नेहा के चेहरे पर बड़ी सेक्सी स्माइल थी।

समीर भी बिना मुश्कुराये नहीं रह सका, कहा- “बहुत शरारती है तू नेहा.”

अजय भी आ चुका था। सबने मिलकर खाना खाया। अजय ने भी समीर से आस्ट्रेलिया के बारे में पूछा, और बातें कर त के 10:00 बज गये। समीर ऊपर अपने रूम में चला गया, और बेड पर लेटा टीना के बारे में सोच रहा था। नेहा ने टीना को मना क्यों किया आज?

तभी नेहा रूम में आ गई, एक छोटी सी पारदर्शी नाइटी पहने हुए। नेहा बोली- “लाओ भइया, अपना बैग दो मुझे, आपकी पैकिंग करा दूं..”

समीर ने नेहा का हाथ पकड़कर बेड पर खींच लिया, और कहा- “पहले थोड़ा प्यार तो कर लूँ…”

नेहा- “भइया पहले पैकिंग तो कर लो..” और नेहा हाथ छुड़ाने लगी।

समीर के हाथ में नेहा की चूचियां आ गई।

नेहा- “उफफ्फ… भइया छोड़ो ना… क्या करते हो?”

समीर- तूने आज टीना को मना क्यों किया?

नेहा- आपकी पैकिंग जो करनी थी मुझे। क्यों भइया आपको कुछ काम था टीना से?

समीर- नहीं तो… भला मुझे क्या काम होगा?

नेहा- “किसी को तो होगा टीना से काम?” नेहा ने समीर की पैंट की तरफ इशारा कर

समीर- तू तो बहुत चुलबुली हो गई है। ये सब तुझे टीना ने सिखाया है?

नेहा- “नहीं भइया, ये सब मुझे आपके प्यार ने सिखाया है..” और नेहा समीर से लिपट गई, अपने होंठों से समीर के होंठ चूसने लगी।

समीर- नेहा।

नेहा- जी भइया।

समीर- तू बहुत प्यारी है।

नेहा- भइया आप भी तो बहुत अच्छे हो।

समीर- बोल तुझे क्या चाहिए अपने भइया से? मैं तेरे लिए लेकर आऊँगा।

नेहा- “बस आपका प्यार चाहिए…” और नेहा बेड से उतर गई। फिर समीर के सामान की पैकिंग कराई। फिर दोनों एक दूजे की बाँहो में लिपटकर सो गये।

सुबह 6:00 बजे समीर की आँख खुली। नेहा लिपटे हुए सो रही थी। समीर ने झुक कर नेहा को किस किया। कितनी मासूम है नेहा? कैसे कर पाऊँगा इसके साथ सेक्स? इसकी एक आड भी निकलते देख नहीं सकता, और समीर नेहा को उठाता है।

नेहा उठते हुए- “गुड मार्निंग भइया..

समीर- गुड मार्निंग। चल अपने कपड़े ठीक कर। कहीं इस हालत में किसी ने हमें देख लिया तो जाने क्या समझेगा?

दोपहर एक बजे समीर को एयरपोर्ट छोड़ने, अजय अंजली नेहा भी साथ गई, और फिर चलते टाइम सबकी आँखें भीगी थी।

नेहा समीर के गले लगते हए- “भइया जल्दी घर आना..”

समीर और संजना सबसे गले मिलकर चले गये

नेहा बुझे मन से मम्मी पापा के साथ वापस घर आ गई

समीर और संजना दूसरे मुल्क में अकेले जाने क्या-क्या गुल खिलाते हैं।
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संजना- कैसा लग रहा है समीर इंडिया से बाहर जाकर

समीर- मुझे बड़ी अजीब सी फीलिंग हो रही है।

संजना- पहली बार ऐसा ही होता है। अगली बार नहीं होगा।

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समीर- मेडम आप पहले भी जा चुकी हो?

संजना- आस्ट्रेलिया तो पहली बार जा रही हूँ। वैसे चाइना और दुबई तो कई बार जा चुकी हूँ।

समीर- मेम, एयरपोर्ट आयेगा कोई हमें लेने?

संजना- हाँ मेरी बात हो चुकी है। कंपनी से मैनेजर हमें लेने आयेगा।

हम आस्ट्रेलिया पहुँच गये। मैनेजर हमें एयरपोर्ट से लेकर सीधा होटल पहुँचा।

मैनेजर- “मेडम, आज आप यहां आराम कीजिए। सुबह मैं आपको कंपनी ले जाऊँगा…”

कितना शानदार होटल बना था। रिसिप्शन पर दो लड़किया.. उफफ्फ… इतने शार्ट कपड़े पहने थी की बस लण्ड और चूत ही कवर हो पा रही थी। संजना और समीर देखते रह गये।

संजना- पहले कुछ खाने का आर्डर कर दें।

लड़की- मेम आप रूम में चलिये। हम खाना आपके रूम में भिजवा देंगे।

संजना- “ओके..” और दोनों रूम में पहुँच गये।

खाना खाकर संजना ने समीर के सामने ही अपने कपड़े उतारे, और एक नाइटी पहन ली। ऐसा हाट सीन देखकर समीर का लौड़ा टाइट हो गया, और समीर ने भी अपने कपड़े संजना के सामने ही बदल लिए, और दोनों आकर बेड पर लेट गये।

संजना- समीर कुछ चाहिए?

समीर- जी मेडम।

संजना- क्या?

समीर भी एकदम खुला बोलता है- “आपकी चूत…”

संजना- बड़े बेशर्म हो, कितना गंदा बोलते हो।

समीर- “और क्या कहूँ, जब आपने बोला क्या चाहिए?”

संजना समीर की तरफ मुँह करके लेटी थी। समीर खिसक कर संजना के ऊपर आ गया, और अपने होंठ संजना के होंठों से मिला दिए। समीर भी कई दिन से चूत का प्यासा था। समीर ने संजना को बाँहो में भर लिया और उसका जिश्म चूमने लगा।

संजना तड़प सी गई, और समीर का भी लवर उतार फेंका। अंडरवेर में लण्ड का उभार संजना को साफ दिख रहा था। संजना बोली- “क्या बात है समीर, आज तो लण्ड का साइज डबल लग रहा है?” कहकर संजना से लण्ड अंडरवेर से बाहर निकाल लिया और सहलाने लगी।

समीर- “आहह… इस्स्स्स … है ओहह… आराम से..” और गप्प से लण्ड मुँह में उतार लिया। बड़े ही प्यार से लण्ड
को अपने अंदर समा रही थी।

समीर- क्यों मेडम, कैसा लग है?

संजना ने लण्ड मुँह से बाहर निकाला, और कहा- “बड़ा ही टेस्टी लग रहा है..”

समीर ने मेडम के सारे कपड़े निकाल दिए और दोनों टाँगें फैलाकर चूत को निहारने लगा। चूत इस वक्त पूरी गीली हो चुकी थी। समीर बोला- “हाय मेडम… क्या मस्त चूत है आपकी… जी चाहता है सारा रस निचोड़ लूँ…”

संजना- “निचोड़ लो समीर…”

समीर के होंठ चूत के बहते रस को चाटने लगी।

संजना के सिसकारियां रूम में गूंजने लगीं। क्या मस्त सिसकियां ले रही थी संजना- “आहह… सस्स्सी … उम्म्म …

आss आss आहह… ऐसे ही समीर आहह… उफफ्फ मजा आ रह है उफफ्फ… उईईई…”

अब समीर से रहा नहीं जा रहा था। संजना को डोगी स्टाइल बनाया और लण्ड चूत के छेद से टिकाकर एक हल्का सा धक्का मारा, तो गीली चूत में घुसता चला गया।

संजना- आह्ह… मजा आ गया… क्या मस्त लण्ड है… समीर पूरा घुसा दो जड़ तक..”

समीर भी पूरे जोश में आ चुका था, मगर धक्के धीरे-धीरे मार रहा था।

संजना- “आहह… समीर आहह… समीर हाँ… ऐसे ही जोर से मारो… और जोर से… आहह… उईई आss ओहह… हाँ हान आहह…”

समीर ने संजना को अपने नीचे कर लिया और निप्पल मुँह में भर लिए और चूचियों को चूसने लगा। नीचे से लण्ड भी चूत में घुसा था, धक्कों की स्पीड बढ़ती जा रही थी।

संजना से अब बर्दाश्त करना मुश्किल था, और ढेर सारे पानी ने समीर का लण्ड भिगो दिया। जिससे लण्ड भी ना टिक सका और झटके मारते हए चूत की गहराई में तीन धार छोड़ी, जिसने संजना को तृप्त कर दिया। और दोनों यूँ ही नंगे लेटे सो गये।

सुबह समीर जल्दी उठ गया। संजना समीर से लिपटी हुई सो रही थी। समीर ने संजना के हाथ हटाये और बेड से उठकर बाथरूम में पहुँचकर फ्रेश हुआ, और अपने रूम से निकलकर रिसेप्षन पर पहँचा।

रिसेप्शनिस्ट लड़की- “गुड मार्निंग सर..”

समीर- “गुड मार्निंग.” उफफ्फ… क्या हसीन लड़कियां थीं, वो भी सिर्फ ब्रा पैंटी में दूध जैसी सफेद, आधे से ज्यादा बाहर झाँकती चूचियां। समीर सोचता है- “यहां कितने मजे हैं, ऐसे हसीन नजारे देखने को मिलेंगे.”

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