समीर सीधा घर पहुँच गया। पापा मम्मी आ चुके थे।
नेहा- “अरे… भइया आओ देखो, मेरी होने वाली भाभी कैसी है?” नेहा के हाथ में एक फोटो था।
समीर- “मम्मी मुझसे तो पूछ लेती पहले?”
अंजली- क्यों बेटा, क्या कोई और लड़की पसंद कर रखी है तूने?
तभी समीर को संजना की बहन दिव्या का चेहरा याद आ गया। समीर बोला- “मम्मी पहले नेहा के लिए लड़का ढूँढ़ लो, उसके बाद मेरी सोचना…”
नेहा- “भइया मुझे नहीं करनी शादी वादी…” और दोनों भाई बहन में नोक झोंक चलती रही।
पापा फोटो समीर को दिखाते बोले- “समीर बेटा, पहले इस फोटो को तो देख ले। उसके बाद लड़ना तुम दोनों…”
समीर ने फोटो पर नजर डाली। लड़की तो खूबसूरत थी। मगर दिव्या की बात ही कुछ अलग थी। फिर भी समीर की जिंदगी का सवाल था, सोचने के लिये कुछ वक्त चाहिए था।
समीर- पापा मुझे एक महीने का टाइम चाहिए। इतने हम नेहा के लिए भी लड़का ढूँढ लेंगे।
पापा- बेटा सिर्फ एक महीना… एक भी दिन ऊपर हुआ तो मैं लड़की वालों से हाँ कर दूंगा।
समीर- “जी ठीक है पापा…” और फिर सबने मिलकर डिनर किया।
रात को समीर अपने बेड पर लेटा सोच रहा था- “कैसे दिव्या से अपने प्यार का इजहार करूं? क्या दिव्या मेरा प्यार कबूल करेगी? और कहीं दिव्या ने संजना मेडम को बोल दिया तो क्या होगा? संजना मेडम नाराज हो गई तो मेरी नौकरी भी जा सकती है। क्या करूं मेरे पास तो टाइम भी नहीं है। अगर मेरे प्यार में सच्चाई है तो दिव्या सिर्फ मेरी होगी…” और यही सब सोचते-सोचते कब समीर की आँख लग गई, पता नहीं चला।
सुबह 8:00 बजे नेहा ने आकर समीर को उठाया- “भइया कब तक सोते रहोगे? कंपनी नहीं जाना आपको?”
समीर ने आँखें मलते हए नेहा को देखा- उफफ्फ… शार्ट टी-शर्ट और हाफ निक्कर में नेहा को देखकर समीर का लण्ड सुबह-सुबह झटके मार रहा था। समीर ने टाइम देखा- “ओह गोड… आज तो मैं लेट हो जाऊँगा…” और जल्दी से बाथरूम में घुस गया।
समीर- “नेहा प्लीज्ज… मेरे कपड़े पकड़ा दे…”
नेहा ने अलमारी से भाई के कपड़े निकाले, और पूछा- “भइया अंडरवेर भी चाहिए?”
समीर- हाँ और बनियान भी ले आ।
नेहा- “जी अभी लाई…” और नेहा ने आवाज लगाई- “भइया दरवाजे पर टांग दूं?”
समीर- अंदर ले आ।
नेहा- भइया आपने अंडरवेर पहना हुआ है?
समीर- हाँ हाँ पहन रखा है।
नेहा बाथरूम में आ जाती है।
समीर- “तू तो बड़ी-बड़ी बातें किया करती थी। अब ऐसे डरती है जैसे मैंने कोई साँप पाल रखा है, जो तुझे देखते ही इस लेगा..”
नेहा- मुझे तो ऐसे ही लगता है। ये रहे आपके कपड़े, मैं चलती हूँ।
समीर ने नेहा का हाथ पकड़ लिया।
नेहा- “भइया ये क्या कर रहे हो? जाने दो मुझे..”
समीर- “आ जा तुझे साँप से खेलना सिखा दूं.” और समीर ने नेहा को बाँहो में भर लिया
नेहा कसमसा कर अपने आपको छड़ाने लगी- “भइया आज आपको ये क्या हो गया? पहले तो आपने कभी ऐसा नहीं किया…”
समीर- पहले मुझे मालूम नहीं था की इसमें इतना मजा आता है।
नेहा- भइया, अब कैसे पता चला आपको?
समीर- तुझे देखकर कितनी हाट है तू। साँप को बाहर निकाल लूँ?
नेहा- “भइया प्लीज्ज… जाने दो। मम्मी किचेन में हैं। आ गई तो मुसीबत हो जायेगी…”
समीर- “तू तो बहुत डरपोक है..” और समीर ने नेहा को छोड़ दिया, फिर जल्दी से फ्रेश होकर बाहर नाश्ते की टेबल पर आ गया।
नेहा तिरछी नजरों से समीर को घूर रही थी। समीर भी हल्के से मुश्कुरा दिया।
नेहा- भइया मुझे आज शापिंग कराने ले चलो।
समीर- नेहा मुझे तो कंपनी में बहुत अर्जेंट काम है। तू पापा के साथ चली जा।
पापा- नहीं बेटा, मैं कल भी दुकान पर नहीं जा पाया। तू एक काम कर टीना के साथ चली जा।
समीर ने जल्दी-जल्दी नाश्ता किया और कंपनी चला गया।
नेहा टीना का फोन मिला रही थी। मगर टीना का फोन आफ जा रहा था। अजय भी दुकान के लिए निकल रहा था। नेहा बोली- “पापा टीना का फोन नहीं मिल रहा, आप टीना से बोलते हुए निकाल जाना..”
पापा- ठीक है बेटा, मैं बोल दूंगा।
अजय ने टीना के घर पर डोरबेल बजाई। दरवाजा किरण ने खोला।
किरण- अरे… भाई साहब आप सुबह-सुबह?
अजय- हाँ, वो टीना को नेहा ने बुलाया है शापिंग पर जाना है।
किरण- आइए भाई साहब अंदर तो आ जाइये। कुछ चाय वाय पीकर जाना।
अजय- भाभी दूसरी सब्जी कब खिलाओगी?
किरण- “हमने कभी मना किया है? आप आराम से बैठो, मैं चाय बनाती हैं..” और टीना को आवाज देती हई किचेन में चली गई- “टीना ओ टीना…”
टीना- “जी मम्मी T?” और टीना जैसे ही बाहर आई तो नजर अजय पर गई। टीना के हाथ में केला था।
अजय को देखकर मुंह में रख लिया।
उफफ्फ… अजय की हालत खराब हो गई। टीना तो किरण से दो हाथ आगे थी। अजय बोला- “टीना केला अकेले थोड़े खाया जाता है…”
टीना- अंकल कहो तो आज आपके साथ खा लूँ?
अजय- क्यों नहीं।
तभी किरण दो कप चाय ले आई, और बोली- “टीना बेटा, तुझे नेहा ने शापिंग के लिए बुलाया है। जा तू नेहा के साथ चली जा…”
टीना- “जी मम्मी…” और टीना नेहा के पास चली गई।
अजय- क्यों भाभी क्या इरादा है?
किरण- सब्जी तैयार है, अगर भूख लगी है तो परोस दूं?
अजय- “आपकी सब्जी में टेस्ट ही इतना है की मना करने का तो सवाल ही नहीं…” और अजय ने किरण को अपने ऊपर खींच लिया, और कहा- “पहले थोड़ा जलपान तो कर लूँ…”
अजय ने किरण को अपनी गिरफ्त में ले लिया, और होंठों को अपने होंठों से जोड़कर जलपान का आनंद उठाने लगा, और कहा- “क्या मस्त है किरण भाभीजी… मन तो करता है रोज ही मजे करूं…” और धीरे-धीरे अजय के हाथ किरण के साफ्ट उभारों पर पहुँच गये- “क्या मस्त माल है?”
अजय- भाभी दूध नहीं पिलाओगी? शुद्ध ताजा दूध..”
किरण- भाई साहब आपको लत लग जायेगी।
अजय के हाथ किरण के साफ्ट साफ्ट दूध को सहलाने लगे।
किरण- “हाय उम्म्म्म … सीईई…”
अजय ने अपने होंठ निप्पल से लगा दिए और चूसने लगा, ताजा शुद्ध दूध, और कहा- “भाभी कितनी सेक्सी हो तुम… तुम्हें देखकर मेरा मुन्ना तो एकदम तैयार हो गया…”
किरण- “मुझे भी दिखाओ बाहर निकालकर अपने मुन्ना को। मैं भी तो देखू मुन्ना कितना तैयार हुआ है?” कहकर किरण अजय को बेड पर ले गई। अजय के कपड़े उतार फेंके और मन्ना को देखकर किरण की आँखें चमक उठी-
“कितना प्यारा मुन्ना है? लाओ मैं इससे प्यार कर लूँ…”
अजय- “सस्स्सी … भाभीss अहह… ओहह… सस्स्स्स्सी … हाँ हाँ इस्स्स … बस्स भाभी बस करो…”
किरण ने मुन्ना को और प्यार से अंदर तक कर लिया। अजय किरण को रोकता रह गया। मगर किरण भी आज पूरे मूड में लग रही थी। मुँह से ऐसी चुदाई शुरू की कि अजय को दोनों रूम भुला दिए, और अजय का फौवारा छूट गया। जिसे किरण ने बड़े ही जायके के साथ गटक लिया।
अजय- उफफ्फ… भाभी मजा आ गया… आपके तो तीनों कमरे शानदार हैं।
किरण- भाई साहब, अभी तो आपने दो ही कमरे देखे हैं, तीसरा तो देखना बाकी है।
अजय- आज तो वहां के दर्शन भी करके जायेंगे।
तभी अजय का मोबाइल बज उठा। फोन अजय की दुकान से था। नेहा और टीना दुकान पर पहुंच चुकी थी।
नेहा- पापा आप कहां हो? मुझे आपसे पैसे चाहिए।
अजय- बेटा रास्ते में हैं बस दो मिनट बैठ, अभी आया…” और मोबाइल डिसकनेक्ट कर दिया। फिर अजय ने किरण से कहा- “भाभी, आपके इस रूम को फिर कभी देखेंगे। नेहा और टीना दुकान पर हैं..”
किरण- ठीक है भाई साहब।
शाप पर बैठे हुए टीना और नेहा को 15 मिनट हो गये थे।
टीना- यार तेरे पापा कहां रह गये?
नेहा- मुझे क्या मालूम? हो सकता है आंटी ने रोक लिया हो?
टीना- भला मेरी मम्मी इतनी देर अंकल को क्यों रोकने लगी?
नेहा- क्या पता, जैसे तुझे केला पसंद हैं तेरी को मम्मी भी हो?
टीना- आगे बोली तो तू जरूर मार खायेगी मुझसे।
नेहा- चल तेरे पापा की दुकान पर चलते हैं। कुछ कपड़े वहीं से पसंद कर लेंगे।
टीना- “चलते हैं। इतने में तेरे पापा भी आ जायेंगे..” और दोनों दुकान से निकलने लगे।
तभी रोहित, जो अजय की दुकान पर काम करता था, कोल्ड ड्रिंक ले आया और कहा- “अरे… मेडम आप कहां चल दी? पहले कोल्ड ड्रिंक पी लीजिए..” रोहित ने बड़े ही नरम दिली से आग्रह किया।