घर की मुर्गियाँ 4

अजय को लगने लगा की ये चिड़िया मेरे जाल में फंस चुकी है। कोई मोका हाथ लग जाय तो टीना की कुंवारी चूत मिल सकती है। मगर ये काम बहुत खतरनाक है।

टीना ने फल काटकर एक प्लेट में रखे- “लीजिए अंकल..” और पलट गई। अजय का लण्ड टीना की गाण्ड की दरार से बाहर निकल गया। उफफ्फ… क्या हाल था इस वक्त अजय का। टीना के हाथों में फल की प्लेट थी। अजय फट से फल खाने लगा।

अजय- टीना तुम भी खाओ।

टीना- “अंकल, आप प्लेट पकड़ोगे। तभी तो मैं खऊँगी…”

अजय- “आहह.. लाओ मैं भी कैसा पागल हो गया हूँ..”

टीना ने फल की प्लेट अजय को पकड़ दी, और बास्केट से एक केला निकालकर खाने लगी- “अंकल मझे तो फल ऐसे ही खाने में मजा आता है…” और केला छीलकर अजय की तरफ स्माइल डाल लिया।

अजय को क्या सीन लग रहा था उफफ्फ… जैसे टीना ने अजय का लण्ड मुँह में डाला हो। अजय बोला- “तुमको केला इतना पसंद है?”

टीना- “जी अंकल, मुझे केला बहुत पसंद है। आई लव बनाना..”

अंजली भी तभी उठकर किचेन में आ गई, और कहा- “क्या हो रहा है यहां पर?”

अजय- “टीना बिना नाश्ता किए जा रही थी, तो मैंने कहा नाश्ता करके जाना…”

अंजली- हाँ बेटा, बिना नाश्ता किए नहीं जाओगी। चलो में नाश्ता तैयार करती
नेहा और समीर को उठा दो…”

टीना नेहा के रूम में चली गई।

अंजली- “सुनो, कम से कम अपना लोवर तो चेंज कर लेते। नीचे अंडरवेर भी नहीं पहना है। घर में जवान बेटियां हैं, कुछ तो शर्म किया करो। जाओ जाकर जल्दी से चेंज कर लो, तब तक मैं नाश्ता तैयार करती हूँ…”

अजय कुछ बोल नहीं पाया और सीधा अपने रूम में जाकर कपड़े चेंज किए, और नाश्ता करके दुकान पर पहुँच गया। टीना- अच्छा नेहा, अब मैं चलती हूँ। तू समीर से बात कर लेना और मुझे बताना।

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नेहा- ओह बड़ी जल्दी में है समीर के साथ सोने में? थोड़ा सबर रख गरम-गरम खायेगी तो मुँह जल जायेगा।

टीना- यार रात में तूने बड़ा बेचैन कर दिया। मुझे तो लण्ड की चाहत सी हो गई है।

नेहा- चल, मैं कोशिश करती हैं।

अजय अपनी दुकान पर पहुँच चुका था मगर आज अजय का दिल नहीं लग रहा था। बार-बार टीना का चेहरा नजर आ जाता। अजय की दुकान पर दो लड़के काम करते थे- रोहित और अमित। अजय ने मोबाइल उठाया
और विजय के घर का नंबर मिला दिया। फोन किरण ने उठाया।

किरण- हेलो।

अजय- भाभीजी प्रणाम, मैं अजय बोल रहा हूँ।

किरण- अरे.. भाई साहब आप… नमस्ते।

अजय- और भाभी कैसी हैं आप?

किरण- बढ़िया है।

अजय- और रात तो आपने बैगन खाये होंगे?

किरण- जी भाई साहब बड़े स्वादिष्ट बने थे।

अजय- अकेले-अकेले खाते हो। हमें भी याद कर लिया करो। अभी क्या कर रही हो?

किरण- गजर पकड़ रखी है, सोच रही हूँ आज इसी की सब्जी बना लूँ।

अजय- क्या बात है, कल बैगन, और आज गजर?

किरण- “हाँ भाई साहब, रोज-रोज एक ही टेस्ट में मजा नहीं आता, मन ऊब जाता है। आप रोज एक ही सब्जी
खाते हो क्या?”

अजय- भाभी क्या करूं अंजली रोज वही सब्जी परोस देती है। कभी आप ही खिला देना। मेरा भी स्वाद बदल जायेगा…”
.
किरण- “आप आते ही नहीं, मैं तो आज भी खिला दूं। बस आप मार्केट से ताजी और लंबी मूली लेते आना, खाने
में टेस्ट आ जायेगा…”

अजय-आज तो नहीं आ सकता, कल का प्रोग्राम रखते हैं।

किरण- बोलो किसी टाइम आओगे? मुझे तैयारी भी करनी पड़ेगी।

अजय- लंच टाइम में आ जाऊँगा।

अंजली- नेहा समीर कहां है?

नेहा- अपने रूम में फाइल बना रहे हैं।

अंजली- मैं मार्केट से सब्जियां लेने जा रही हूँ, तू तब तक सफाई कर ले।

नेहा- जी मम्मी।

अंजली मार्केट चली गई, तो नेहा के चेहरे पर एक सेक्सी स्माइल आ गई। जैसे एकदम से दिमाग में प्लान ने जन्म लिया हो। नेहा ने मुख्य दरवाजा बंद किया और अपने रूम में जाकर शार्ट कमीज पहन ली, और समीर के रूम में पहुंच गई।

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नेहा- क्या कर रहे हो भइया?

समीर बिना नेहा की तरफ नजर उठाए- “फाइल बना रहा हूँ..”

नेहा- कैसी फाइल बना रहे हो? क्या हल्प करूं?

समीर- नहीं, ये एक प्राजेक्ट फाइल है। कंप्यूटर से कापी कर रहा हूँ।

नेहा- इससे क्या होगा।

समीर- मुझे जाब मिलेगी।

नेहा- भइया कितना काम बाकी है?

समीर- बस 5 मिनट में तैयार हो जायेगी।

नेहा- चाय पियोगे?

समीर- “क्या बात है आज…” और इस बार समीर की नजरें नेहा की तरफ चली गईं। समीर नेहा की हालत देखकर चौंक गया, और कहा- “ये सब क्या पहन रखा है तूने? शर्म नहीं आई इस हालत में मेरे सामने आते हए? जा अभी चेंज कर ये सब…”

नेहा- “क्या भइया… टीना भी तो ऐसे ही कपड़े पहनती है। उसे तो कभी टोका नहीं। आज मैंने पहन लिए तो कितना डाँट रहे हो? और मेरी आँखों से आँसू निकल जायेंगे…”

समीर- “देख मेरी प्यारी बहना, लड़की जितनी ठकी-छुपी होती है उतना ही अच्छा है। जिश्म की नुमाइश करने से कुछ नहीं होता। बाहर वाले सब गंदी-गंदी नजरों से देखेंगे तो तुझे ये सब अच्छा लगेगा? कोई तेरा हाथ पकड़ ले और गंदे कामेंट मारे।

नेहा- “मैं कोई बाहर थोड़ी ही ऐसे कपड़े पहनकर जा रही हूँ। घर में मेरे और आपके अलावा कौन है? क्या घर में भी ऐसे कपड़े नहीं पहन सकती? अपने दिल की खावहिश पूरी नहीं कर सकती?” और नेहा सुबकने लगी, आँसू की बूंदें गालों पर बहने लगीं।

समीर- “अच्छा बाबा सारी… अब रो क्यों रही है? मगर सिर्फ घर पर ही पहनना ऐसे कपड़े…”

नेहा के चेहरे पर खुशी झलक आई, और समीर के हाथ पकड़कर- “थॅंक यू भइया…’ कहा।

समीर- चल जा चाय बना ला। तब तक मेरी फाइल भी कम्प्लीट हो जायेगी।

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फिर नेहा किचेन से चाय बना लाई।

नेहा के चेहरे पर खुशी झलक आई, और समीर के हाथ पकड़कर- “थॅंक यू भइया…’ कहा।

समीर- चल जा चाय बना ला। तब तक मेरी फाइल भी कम्प्लीट हो जायेगी।

फिर नेहा किचेन से चाय बना लाई।

समीर- मम्मी ने तुझे कुछ नहीं कहा इन कपड़ों में देखकर?

नेहा- वो तो मार्केट गई हैं।

समीर- तभी तुझे ये सब करने की सूझी।

नेहा- भइया आप कल शर्त भी तो हार गये थे?

समीर- हाँ बोल, क्या करना है मुझे?

नेहा- आपको गुस्सा तो बहुत जल्दी आ जाता है।

समीर- ऐसा क्या करना चाहती है मुझसे?

नेहा- पहले प्रामिस करो मुझे डाँटोगे नहीं।

समीर- “अच्छा बाबा प्रामिस… अब बोल…”

नेहा- टीना एक रात आपके रूम में सोयेगी।

समीर- “ये क्या बकवास है? तेरा कोई दिमाग तो नहीं चल गया? डाक्टर के पास चली जा…”

नेहा- “मुझे पागल बना दिया। क्या मैं तुम्हें पागल दिखती हैं? ऐसे ही शर्त लगाते हो जब पूरी नहीं कर सकते..”

समीर- नेहा ये सब गलत है। तू समझती क्यों नहीं?

नेहा- “सिर्फ सोने के लिए ही तो बोल रही हूँ, उल्टा सीधा कुछ करने को तो नहीं बोला मैंने। एक रात की ही तो बात है। आगे से शर्त पूरी ना कर सको तो लगाना भी मत..”

समीर को अब जैसे चेलेंज सा मिल रहा था। अब मना करने का सवाल ही नहीं उठता। समीर बोला- “अच्छा अगर मैं कहूँ की टीना मेरे साथ सो सकती है, तो टीना इस बात के लिए तैयार होगी?”

नेहा- वो सब मुझ पर छोड़ दो।

समीर- तू जरूर किसी दिन मुझे मरवायेगी।

नेहा- “मरें आपके दुश्मन..” और नेहा ने समीर को हग कर लिया।

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