घर की मुर्गियाँ 22

कुछ देर में किरण फिर नार्मल हो चुकी थी। अजय अब धक्के लगा रहा था। मगर अब किरण का विरोध समाप्त हो गया था, और किरण भी कूल्हे पीछे करते हुए साथ देने लगी

किरण की सिसकारी पूरे घर में गूंज रही थी- “आईई.. आss आह्ह… ओहह… बस्स मार डाल्ला आज्ज तो आपने…
सस्स्सी … आआहह… ऊहह…” और अब तो किरण भी मजे में आवाजें निकाल रही थी।

अजय- क्यों भाभी कैसा लग रहा है?

किरण- तुम तो बड़े जालिम हो।

अजय- तभी तो आपको ये मजा मिला आज।

किरण- “सही कह रहो हो भाई साहब… मैं तो अभी तक इससे महरूम थी, कभी सोचा भी नहीं इस तरफ…” और दोनों आनंद में धक्के पर धक्के लगा रहे थे।

अजय- भाभी बस होने वाला है मेरा।

किरण- अंदर ही निकाल दो… देखो कैसा लगता है यहां पर।

अजय ने ढेर सारा वीर्य किरण गाण्ड में भर दिया। आज अजय और किरण ने ये रूप भी देख लिया।

यूँ ही मस्ती में दिन गुजर रहे थे। मगर जिसके दिन नहीं कट रहे थे वो थी बेचारी नेहा। एक-एक पल समीर की यादों में करवट बदलती रहती। आज समीर को गये 8 दिन गजर गये थे। नेहा समीर को काल करती है।

नेहा- हेलो।

समीर- हेलो नेहा।

नेहा- जी भइया कैसे हो आप?

समीर- मैं ठीक हँ तू बता?

नेहा- आप अकेले हो इस वक्त?

समीर- हाँ बोल क्या बात है? मेडम बाथरूम गई हैं।

नेहा- भइया मेरा दिल नहीं लग रहा है, तुम कब आओगे?

समीर- बस हमें आर्डर तो मिल गया है। शायद कल शाम तक आ जाऊँगा।

नेहा- भइया मैंने ब्यूटी पार्लर जायन कर लिया। टीना के साथ जाती हूँ।

समीर- चलो अच्छा है, तुम्हारा दिल तो बहल जायेगा।

नेहा- नहीं भइया, अब ये दिल तो बस आपका ही इंतेजार करता है।

समीर- तू तो बिल्कुल दीवानी हो गई। मजे से रहा कर।

नेहा- भइया दिन तो कट जाता है, पर रात नहीं गुजरती।

समीर- चल आज रात की बात है, कल की रात तो मैं आ ही जाऊँगा।

तभी संजना की आने आहत होती है। समीर बोलता है- “चल मम्मी पापा को मेरा हेलो बोलना, और खुश रहा कर। अब मैं रखता हूँ…”

संजना- “किसका फोन था?” संजना बाथरूम से तौलिया लपेटे हुए आती है।

उफफ्फ… क्या हाट सीन था समीर के मुँह से आवाज नहीं निकली- “नीईईई.. आआ काअ…’

संजना- क्यों हकला रहे हो?

समीर- जब ऐसा हाट सीन सामने होगा, तो आवाज कहां से निकलेगी?

संजना- समीर आज थोड़ी शापिंग कर लें? कल तो हमें इंडिया के लिए निकलना है।

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समीर- हाँ, मुझे भी नेहा के लिए कुछ गिफ्ट लेना है।

संजना- बस नेहा के लिए… अपनी होने वाली के लिए कुछ नहीं?

समीर- वो ऐसी कोई बात नहीं।

संजना- चलो इंडिया चलकर तुम्हारी शादी की डेट फिक्स करते हैं।

समीर- नहीं मेडम, पहले नेहा के लिए लड़का तलाश कर लें। मैं चाहत

संजना- हाँ क्यों नहीं। वैसे एक लड़का है मेरी नजर में।

समीर- कहां पर है मेडम?

संजना- हमारे अंकल का बेटा राहुल और शायद नेहा ने भी देखा होगा तुम्हारी सगाई में।

समीर- अगर ये रिश्ता हो जाय तो बड़ी अच्छी बात है।

संजना- “ये तुम मुझ पर छोड़ दो। मगर समीर तुम्हारी शादी के बाद मेरा क्या होगा?”

समीर- मेम, आपके इतने अहसान है मुझपर। मैं तो सारी जिंदगी आपको थॅंक यू बोलता रहूँगा।

संजना- “चलो पहले मार्केट चलते हैं, आकर थॅंक यू बोल देना..” फिर समीर और संजना मार्केट पहुँच गई।

तभी संजना को सेक्स टाय की दुकान नजर आती है।

संजना- “समीर ये कैसी दुकान है, चलो देखते हैं?” संजना और समीर दुकान में घुस जाते हैं। अफफ्फ अंदर का नजारा चारों तरफ सेक्सी टाय सजे थे। रबर के लण्ड कोई लम्बा, कोई मोटा, कोई दानेदार।

समीर- अरे… मेम ये सब क्या है? चलो यहां से।

संजना- समीर देखने तो दो, ये सब इंडिया में थोड़े मिलेगा तुम्हें?

समीर- तो क्या ये आपको चाहिए?

संजना- “हाँ, दो-चार तो खरीद ही लो। पता नहीं तुम्हें अपनी वाइफ से टाइम ना मिला तो?” और संजना सेल्सगर्ल से टाय कैसे इश्तेमाल किया जाता है पूछती है।

समीर बस संजना को देखता रहता है। फिर कहा- “मेम मैं बस 5 मिनट में आया…”

समीर संजना को छोड़कर बराबर में लेडीस अंडरगार्मेट की दुकान में पहुँच जाता है। वहां से 32” इंच साइज की ब्रा पैंटी के दो सेट खरीदता है और एक पिंक कलर की नाइटी और गिफ्ट पैक कराकर संजना के पास आ जाता है।

संजना- कहां चले गये थे समीर?

समीर- नेहा के लिये गिफ्ट लिया हूँ।

संजना- क्या लिया?

समीर- शूट। आपकी शापिंग हो गई?

संजना- “हाँ चलो चलते हैं..” फिर बाहर निकालते हुए संजना कहती है- “अपनी होने वाली दुल्हन के लिए कुछ नहीं लिया?”

समीर- “आपके साथ लूँगा…” और समीर ने दिव्या के लिए गले का सेट लिया। मम्मी पापा और टीना के लिए भी एक-एक गिफ्ट लिया और थोड़ी शापिंग करके वापस हो

संजना- “समीर हमारी फ्लाइट सुबह 9:00 बजे की है, और हम इंडिया में भी सुबह के 10:00 बजे तक पहुँच जायेंगे। अपना सामान अभी पैक कर लो..”

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समीर- “आपका थॅंक यूँ तो कर लूँ। उसके बाद पैकिंग करेंगे…” और समीर ने संजना को बाँहो में जकड़कर- “अब तो आपको मेरी जरूरत नहीं रहेगी…”

संजना- वो क्यों?

समीर- आप बड़े लंबे-लंबे लण्ड लाई हो मार्केट से। मेरा तो इनके सा है।

संजना- “बस रहने दो, लंबा तो तुम्हारा भी बहुत है। आज भी दर्द हो जाता है..” और संजना ने समीर की पैंट से लण्ड बाहर निकाल लिया।

समीर- “ओहह… मेरी मेडम आपका थॅंक यूँ तो सारी जिंदगी नहीं उतार सकता…’
संजना लोली पोप की तरह लण्ड चूसने लगी।

समीर- “आहह सस्स्सी … उम्म्म … मेरी मेडम ऐसे ही चूसो मजा आ रहा है अहह… आहह..”

समीर- आप बड़े लंबे-लंबे लण्ड लाई हो मार्केट से। मेरा तो इनके सा है।

संजना- “बस रहने दो, लंबा तो तुम्हारा भी बहुत है। आज भी दर्द हो जाता है..” और संजना ने समीर की पैंट से लण्ड बाहर निकाल लिया।

समीर- “ओहह… मेरी मेडम आपका थॅंक यूँ तो सारी जिंदगी नहीं उतार सकता…’
संजना लोली पोप की तरह लण्ड चूसने लगी।

समीर- “आहह सस्स्सी … उम्म्म … मेरी मेडम ऐसे ही चूसो मजा आ रहा है अहह… आहह..”

संजना लण्ड मुँह में से निकालकर सारे कपड़े उतार देती है। समीर भी जल्दी-जल्दी कपड़े उतार देता है। लण्ड तो पूरे शबाब पर था और चूत भी गीली हो चुकी थी। लण्ड चूत से छूते ही अंदर सरकता चला गया। संजना सिसक पड़ती है- “हाय आहह… सस्स्सी …”

समीर भी तेजी से धक्के लगाता गया, जब तक संजना झड़ ना गई। संजना की झड़ते ही समीर भी संजना पर गिर गया।

समीर- “ओहह… मेडम मजा आ गया..” और यूँ ही दोनों जाने कब तक पड़े रहे।

सुबह 5:00 बजे समीर की आँख खुलती है। समीर ने नेहा को फोन मिलाया- “हेलो नेहा..”

नेहा- जी भइया।

समीर- नेहा मैं सुबह 10:00 बजे तक इंडिया आ रहा हूँ।

नेहा- “सच भइया?” और नेहा की मारे खुशी के नींद उड़ गई।

समीर ने फोन काट दिया। नेहा मन ही मन- “ओह्ह… भइया तुम नहीं जानते ये दिन कैसे गुजरे? और अब ये चाँद घंटे भी कैसे गुजरने वाले हैं?”

समीर मेडम को उठाता है- “मेडम उठिए… अभी तो हमें सामान भी पैक करना है…”

दोनों उठकर साथ में बाथरूम में फ्रेश हुए, और अपना सामान लेकर एयरपोर्ट पहुँच गये।

सुबह 7:00 बजे अंजली और अजय एयरपोर्ट जाने की तैयारी कर रहे थे।

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अंजली- नेहा तू भी जल्दी से तैयार हो जा भइया को लेने एयरपोर्ट नहीं चलना क्या?

नेहा- मम्मी आप चले जाओ मेरे सिर में दर्द सा हो रहा है।

अजय- बेटा तो सिरदर्द की गोली खा लो।

नेहा- जी पापा मैंने खा ली, थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा।

अंजली- चल त आराम कर ले, हम जाते हैं।

तभी अंजली का मोबाइल बज उठता है। ये फोन अंजली के घर से था।

अंजली- क्या, कब, अब कैसी तबीयत है? बस हम आ रहे हैं।

अजय- क्या हुआ अंजली?

अंजली- मम्मी की तबीयत अचानक बिगड़ गई। हमें घर चलना होगा।

अजय- मगर समीर?

अंजली- हम पहले एयरपोर्ट चलते हैं, समीर से मिलते हुए निकल जायेंगे।

अजय- हाँ ये ठीक रहेगा।

अंजली- “नेहा बेटी, तुम्हारी नानी की तबीयत अचानक खराब हो गई है। हम समीर से मिलते हुए निकल जायेंगे। तुम खाना होटल से मँगा कर खा लेना…”

नेहा- “जी ठीक है मम्मी…” और नेहा मन में सोचती है- “शायद ऊपर वाला भी चाहता है की आज हमारा मिलन हो…” और नेहा, अजय और अंजली के जाने के बाद टीना को काल करती है- “हेलो टीना, में आज ब्यूटी पार्लर नहीं जाऊँगी तू चली जा…”

टीना- क्यों क्या हुआ?

नेहा सोचती है- “अगर इसे समीर के बारे में बताया तो ये भी यहीं आ टपकेगी…”

नेहा बोली- “बस ऐसे ही यार, आज दिल नहीं कर रहा..”

टीना- ठीक है, चल रखती हूँ बाइ।

नेहा- बाइ टीना।

नेहा सोचती है- “आज भइया आ जायेंगे। नेहा को अंजाने प्यार का अहसास होने लगा, और मन ही मन खुश हुए जा रही थी आज भइया के सामने कौन सी ड्रेस पहनूँ भइया आज मुझे कितना प्यार करेंगे? मुझे भी भइया के लिए सजना सवंरना होगा..” और ये सोचते हुए बाथरूम में पहुँच गई

नेहा ने एक-एक करके कपड़े उतार दिए, और अपने आपको शीशे में निहारने लगी- “ओहह… कितने अनचाहे बाल हो गये हैं, बगल में भी, चूत पर भी, पैरों पर भी नेहा के रोएं रोएं भरे थे। आज जाने क्यों नेहा अपने को दुल्हन की तरह सजाना चाहती थी। फिर वीत-क्रीम लेकर आराम से बैठ गई। पहले अपने हाथों की बगल पर लगाती है और हल्के-हल्के गाना भी गुनगुनाती है।

सजना है मुझे सजना के लिए, हर अंग का रंग निखार लूँ की सजना है मुझे सजना के लिए।

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