समीर- मैं बाहर निकालकर नहीं दिखा सकता।
नेहा- क्यों नहीं दिखा सकते?
समीर- मुझे तू सिर्फ एक महीने का टाइम दे दे, मैं तेरे लिए कोई लड़का ढूँढ लूँगा और तेरी शादी करा दूंगा। फिर तू रोज देखना। तू समझा कर मैं तेरा सगा भाई हूँ, ये शर्म की दीवार नहीं तोड़ सकता।
नेहा- इतनी जल्दी मेरी शादी करवा दोगे? मुझे नहीं करनी अभी शादी।
समीर- “क्या बिना शादी के तू सेक्स करेगी? तेरी वर्जिनिटी टूट गई तो तेरी जिंदगी कितनी मुश्किल होगी, तुझे मालूम है?”
नेहा- “मैंने कब बोला सेक्स करने को? मैंने तो सिर्फ देखने को बोला है…”
समीर- “अगर तूने आगे और कुछ करने को बोला तो?” पहले मेरी कसम खा तू और कुछ करने नहीं बोलेगी…”
नेहा- “ओके भइया, आपकी कसम आज मैं सिर्फ ये ही देवूगी, और कुछ नहीं कहूँगी..”
समीर ने एक झटके में अपना अंडरवेर भी उतार फेंका। उसका लण्ड किसी साँप की तरह फूफकारने के साथ बिल से बाहर निकल गया।
नेहा तो लण्ड को देखकर बेहोश होते-होते बची- “बाप रे… भइया इतना बड़ा है आपका?” और नेहा का गला सूख गया। नेहा लण्ड को देखकर खुद ही डर गई- “ओह माई गोड… शुकर है… मैं तो आगे बढ़ने की सोच रही थी, ये तो मेरी जान ही ले लेता। बस भइया देख लिया मैंने… आप कपड़े पहन लो, मैं अपने रूम में ही सो जाऊँगी…”
नेहा मन में सोचने लगी- “इतना डर तो भूत देखकर भी नहीं लगेगा…” नेहा बुदबुदते हुए अपने रूम में चली गई
समीर- इससे क्या हआ? बड़ी बहादुर बन रही थी एक झलक ने ही सीधा कर दिया।
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सुबह नेहा ने जल्दी उठकर नाश्ता बनाया, और समीर को आवाज लगाई- “भइया नाश्ता तैयार है, आ जाओ…” दोनों नाश्ते की टेबल पर थे, नाश्ते में नेहा ने आलू के परांठे और चाय बनाई थी।
समीर- “वाह नेहा… तू तो सचमुच बड़ी हो गई है..” समीर ने मुश्कुरा कर कहा- “फिर भी एक चूहे से डर गई..”
नेहा- “भइया अब मैं इतनी भी बड़ी नहीं हो गई की कोई चूहा सामने आ जाय, और मैं अपनी बहादुरी दिखाऊँ” कही काट लिया तो मैं तो मर ही जाऊँग…”
समीर- भला कोई चूहे के काटने से मरता है?
नेहा- भइया एक बहुत बड़ा चूहा है घर में।
समीर- तू फिकर ना कर, मैंने पिंजरे में बंद किया किया हुआ है।
नेहा- भइया कभी चूहे को पिंजरे से बाहर मत निकलना।
समीर हँसने लगा, और कहा- “हाँ मेरी प्यारी बहना मैं कभी चूहे को पिंजरे से बाहर नहीं निकालूंगा। वैसे मम्मी पापा किस टाइम आयेंगे? तू उन्हें फोन कर लेना मैं कंपनी के लिए निकल रहा हूँ..”
समीर कंपनी जा चुका था। नेहा ने पापा के पास फोन लगाया- “हेलो पापा किस टाइम तक आओगे?”
पापा- बेटा हमें आने में शाम हो जायेगी।
नेहा- “ठीक है पापा..” और नेहा ने काल डिसकनेक्ट कर दिया। फिर टीना का नंबर मिलाया और उससे घर बुला लिया।
टीना- क्या बात है आज अकेली हो?
नेहा- हाँ। कल मम्मी पापा समीर के लिए लड़की देखने गये थे।
टीना- वाओ… समीर की शादी होने वाली है।
नेहा- अगर लड़की पसंद आई तो जल्दी शादी कर देंगे।
टीना- तेरी समीर से कहा तक बात पहुँची? शर्त का क्या रहा?
नेहा- “शर्त वर्त को गोली मार। रात मैंने जो देखा है, अगर तू देख लेती तो शायद तू भी। मैं तो सोच रही हूँ की जिस लड़की से समीर की शादी होगी, उसका क्या हाल होगा?”
टीना- ऐसा क्या देख लिया तूने?
नेहा- भइया का लण्ड देखा मैंने। बाप रे बाप… कितना लंबा… उईईई सोचकर ही फुरेरी सी चढ़ती है।
टीना- तू तो बिल्कुल पागल है। पता है जितना बड़ा लण्ड होता है, उतना ज्यादा मजा आता है। जो भी समीर से
शादी करेगी वो तो धन्य हो जायेगी। मेरा भी दिल कर रहा है, अब तो समीर का लण्ड देखने को…”
नेहा- क्या बोल रही है तू? तुझे कैसे पता बड़े लण्ड से ज्यादा मजा आता है?
टीना- मेरी जान, अभी तू इस खेल में मुझसे दो कदम पीछे है।
इनकी यूँ ही सारा दिन सेक्स टापिक पर बातें चलती रही।
समीर अपनी बाइक से कंपनी जा रहा था, सामने से आती हुई कार ने बाइक के सामने ब्रेक लगा दिया। समीर जब तक संभलता बाइक टकरा गई। कार से दो आदमी बाहर निकले, और समीर को पीटने लगे। वो आदमी वही थे, जिनको समीर ने पकड़वाया था। मगर समीर ने भी किसी हीरो की तरह उन्हें उठा-उठाकर पटका, और दोनों को उठाकर कार की डिग्गी में डाल दिया, और संजना में को फोन मिलाया।
संजना मेडम पोलिस को लेकर पहुँच गई।
संजना- समीर तुम्हें तो कहीं चोट नहीं आई?
समीर- नहीं,
तभी संजना की नजर समीर की कोहनी से बहते खून पर चली गई- “तुम्हें तो खून बह रहा है। चलो मेरे साथ हास्पिटल..” और संजना समीर को हास्पिटल ले गई।
डाक्टर ने शर्ट उतारकर देखा तो हल्की सी खरोंच आई थी। एक छोटी सी पट्टी करवा कर संजना समीर को अपने आफिस में ले आई।
संजना- तुम तो बहुत बहादुर हो।
समीर- थैक्स मेडम।
संजना- आज से तुम इस कंपनी के चीफ मैनेजर हो।
समीर की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। मारे खुशी के समीर ने संजना का हाथ चूम लिया।
संजना को बड़ा ही अच्छा लगा। संजना की बरसों की प्यास जाग उठी। संजना ने कहा- “समीर क्या थैक्स बोलना चाहते हो?”
समीर- जी मेडम थॅंक यू। आपका बहुत बहुत शुक्रिया कि मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया।
संजना- “समीर, तुम्हें थॅंक यू और तरीके सेअदा करना है। बोलो करोगे?”
समीर- जी मेडम, मैं आपके लिए कुछ भी कर सकता हूँ।
संजना- “मेरे साथ सेक्स करोगे? मैं बहुत प्यासी हूँ, मेरी ये प्यास बुझा दो..” और संजना समीर से लिपट गई।
समीर कुछ ना बोल सका, और संजना ने अपने होंठ समीर के होंठों से लगा दिए। आज पहली बार समीर को ये अनुभव मिल रहा था। वो भी इतनी बड़ी कंपनी की मालेकिन के साथ।
संजना बरसों की प्यास बुझाना चाहती थी। भूखी शेरनी की तरह समीर के होंठों को चूम रही थी। अब समीर भी अपने होंठ चलाने लगा और अपनी जीभ डाल दी। संजना ने जीभ को होंठों में दबा लिया और चूसने लगी। दोनों सिर्फ और सिर्फ एक दूजे में लिपटेचिपटे चूसते रहे।
संजना- समीर चलो।
समीर- कहां मेडम?
संजना- मेरा थॅंक यू करने। करोगे मेरा थॅंक यू?”
समीर- जी मेडम, जैसा आप कहें।
संजना समीर को लेकर एक फाइव-स्टार होटल पहुँच गई। बरसों की प्यासी संजना को आज जैसे समुंदर मिल गया था। आज वो इस समंदर में डूबना चाहती थी। दोनों होटेल के रूम में पहुँच गये। संजना ने दरवाजा बंद किया और समीर को बाँहो में भर लिया।
संजना- समीर आज मुझे ऐसा थॅंक यू बोलना की मेरी बरसों की प्यास बुझ जाय।
समीर ने बिना कुछ कहे अपने होंठों को संजना के होंठों से जोड़ लिया, समीर ने आज पहली बार सेक्स की दुनियां में खदम रखा था, और संजना के उभारों को देखकर समीर ने कहा- “मेडम आपकी चूचियां पकड़ लूँ?”
संजना- ये भी कोई पूछने की बात है? जो भी करना है बिना पूछे करो। मैं आज बस तुम्हारी सेक्रेटरी हूँ, और तुम मेरे बास..”
समीर संजना के उभारों पर हाथ फेरने लगा क्या मस्त चुचियां थी संजना की? समीर का तो लौड़ा टाइट होने लगा। समीर ने संजना की चूचियां खोल दी।
संजना भी लण्ड देखना चाहती थी, कहा- “समीर कपड़े पहने हुए थेंक यू बोलोगे क्या?”
समीर- “पहले मैं आपका थॅंक यू कर दूं। देखो कैसे करता हूँ?” और समीर ने संजना को उठाकर बेड पर पटक दिया और उसकी सलवार उतार फेंकी। सामने गुलाबी बरसों की प्यासी चूत थी, ऐसा लग रहा था बंद कली हो, और समीर झुकता चला गया। अपने होंठ चूत की दरार में लगा दिया।
संजना- “अहह… हाँ समीर्रर ऐसे ही बोलते हैं थैक्क यू..”
संजना की चूत में रस बह निकला, जो समीर बड़े मजे में चूस रहा था।
संजना- “आहह… समीर आज सीई तुम मेरे मालक्क हूँ ओर मैं तुम्हारी गुलाम्म..” कितना मजा आ रहा था संजना को।
समीर भी मेडम को खुश करना चाहता था। मेडम ने समीर को कहां से कहा पहुँचा दिया था। इतना तो समीर का भी फर्ज बनता है, आज मेडम को तृप्त करना है। क्या चुसाई कर रहा था समीर। जैसे इस खेल का माहिर खिलाड़ी हो। संजना भी समीर के बालों में हाथ फेरने लगी। समीर की जीभ अपना कमाल कर रही थी। जीभ अंदर तक घुस जाती।
संजना की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। अपनी चूत को ऊपर उठा-उठाकर चुसवा रही थी- “ओह्ह… समीर आई आम कमिंग…” और संजना का फौवारा छूट गया।
समीर का पूरा मुँह चिपचिपे चूत-रस में सन गया।
संजना- मजा आ गया समीर, ऐसा थेंक यू बोला तुमने।
समीर के पैंट में ऐसा टेंट बन चुका था की बस बाहर आने के लिये फाड़ ना दे।
संजना की आँखें चमक गई टेंट देखकर, और कहा- “इसे क्यों सजा दे रहे हो? बाहर निकालो…” कहकर संजना ने लण्ड बाहर निकाल लिया। और इतना लंबा लण्ड देखकर संजना की खुशी का ठिकाना ना रहा और गप्प से मुँह में भर लिया।
समीर की सिसकी निकाल गई- “ओहह… इस्स्स्स
.”
संजना जितना अंदर ले सकती थी लण्ड को ले लिया, बड़ी ही मस्ती में ब्लो-जाब कर रही थी। संजना की चूत में एक बार फिर उबाल आने लगा। अब संजना की चूत लण्ड लेना चाहती थी।
संजना ने लण्ड बाहर निकाल लिया, और पैर फैलाकर लेट गई। चूत एकदम समीर की नजरों के सामने आ गई, जैसे कह रही हो यहां डाल दो। समीर का लण्ड भी अब सबर नहीं कर पा रहा था। आगे बढ़कर चूत पे टिका दिया। संजना की चूत में इतना गीलापन आ चुका था, ऊपर से समीर भी जोश में था। समीर ने लण्ड पर इतनी जोर से दबाओ दिया की चूत को चीरता हुआ आधा घुस गया
संजना की दर्द भरी चीख निकल गई- उईई मर गई… आहह… इसे डाल्लो… बहुत बड़ा है तुम्हारा समीर, अभी इतना ही रहने दो। रुक जाओ दो मिनट, मुझे सांस लेने दो…”
समीर भी आधा लण्ड डाले रुका रहा। दो मिनट बाद समीर ने लण्ड को हल्का सा बाहर खींचा। संजना फिर दर्द से छटपटाई। ऐसा लग रहा था जैसे संजना कुँवारी हो।
समीर- मेडम आपने कभी पहले चुदाई नहीं की?
समीर भी आधा लण्ड डाले रुका रहा। दो मिनट बाद समीर ने लण्ड को हल्का सा बाहर खींचा। संजना फिर दर्द से छटपटाई। ऐसा लग रहा था जैसे संजना कुँवारी हो।
समीर- मेडम आपने कभी पहले चुदाई नहीं की?
संजना- “समीर, उनके लण्ड में इतनी भी ताकत नहीं थी की एक इंच भी अंदर चला जाता। बस उंगली से ही करती आई हूँ आज तक। लण्ड तो आज पहली बार गया है..”
समीर- “फिर तो आज आपकी सुहागरात है..” और समीर ने बातों-बातों में एक झटका और मार दिया।
इस बार संजना को इतना दर्द नहीं हुआ। समीर ने लण्ड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। समीर का स्टेमिना जवाब देने वाला था। मगर समीर चाहता था की पहले संजना झड़ जाय। समीर ने संजना को चूमना चाटना शुरू कर दिया, गर्दन को चूमने लगा। फिर एक निप्पल को मुँह में भरकर चूसने लगा। संजना इस चुसाई और चुदाई में ऐसी बही की एक बार और झड़ गई।
समीर का भी बाँध टूट गया, और ढेर सारा लावा चूत की गहराई में उड़ेल दिया। दोनों ऐसे तृप्त हुए की संजना की जन्मों जन्मों की प्यास बुझ गई।
संजना- “तुम मुझे थॅंक यू करने आए थे, मगर तुमने मुझे आज ऐसा तृप्त किया है.. थॅंक यू समीर, मैं क्या कर सकती हूँ तुम्हारे लिए..”
समीर- “आपने मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया मेडम। आपके लिए तो मेरी जान भी हाजिर है…”
फिर दोनों ने साथ में फ्रेश होकर खाने का आर्डर किया। शाम के 7:00 बज चके थे, और फिर दोनों होटल से निकल गये।