घर की मुर्गियाँ 18

नेहा बाहर खड़ी मन में सोच रही थी- “भइया सोच रहे हैं, टीना की सील तोडूंगा। पर भइया को क्या मालूम ये शुभ काम तो पापा पहले ही कर चुके हैं। लेकिन भइया मेरी सील पर सिर्फ आपका ही हक होगा, आप मुझे बना देना फूल..”

समीर ने अपने लरजते होंठों को टीना की चूत में घुसा दिया। टीना की चूत से पानी बह निकला, जो समीर बड़े चाव से चूस रहा था। टीना आनंद के सागर में डूबती जा रही थी, और समीर के सिर को अपने दोनों हाथों में जकड़कर अपनी चूत पर दबा रही थी।

टीना- “हाय समीर भइया आss सस्सी… उईईई.. आईईई… उम्म्म्म
… आह्ह… आह्ह…” करती रही।

समीर ऐसे ही चूत चूसता रहा। थोड़ी देर बाद समीर बोला- “मेरी जान कैसा लगा?”

टीना- ऐसा जी कर रहा है बस चूसते रहो।

समीर- अब इस चुसाई को होंठों से नहीं करूंगा।

टीना- फिर कैसे करोगे भइया?

समीर- अब ये चुसाई मेरा मुन्ना करेगा। फिर इसका कमाल भी देखना तुम।

टीना- कैसा कमाल?

समीर- “ये तो अंदर जाकर पता चलेगा तुम्हें..” कहकरर समीर ने टीना के दोनों पैर फैला दिए।

नेहा को टीना की चूत क्लियर दिख रही थी। समीर ने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ा, और चूत की फांकों पर टिका दिया।

समीर- “देख टीना, थोड़ा दर्द होगा बर्दाश्त कर लियो चिल्लइयो नहीं। अगर नीचे आवाज चली गई तो मसीबत
आ जायेगी…”

टीना- “अरे… भइया आप पुश तो करो..”

समीर ने लण्ड पर दबाव दिया। लण्ड अंदर जाने की कोशिश कर रहा था। मगर समीर एकदम अंदर नहीं करना चाहता था की कहीं टीना चिल्ला ना पड़े। अभी लण्ड ने चूत में जरा सी एंट्री करी की टीना ने धीरे-धीरे चिल्लाना शुरू कर दिया। दर्द हो रहा था, या समीर को दिखा रही थी टीन? ये तो नेहा भी जानती थी।

नेहा मन ही मन- “चिल्ला तो ऐसे रही है जैसे आज ही सील टूट रही है तेरी..”

समीर- “बस बस हो गया.. थोड़ा सा बर्दाश्त कर ले…” और समीर ने एक धक्का मार दिया।

टीना- आहह… भइया निकाल लो मुझसे नहीं होगा।

समीर- देख आधा जा चुका है, बस थोड़ा सा और दर्द बर्दाश्त कर ले।

टीना- भइया अभी यूँ ही रुक जाओ, मुझे सांस लेने दो।

अब समीर को भी लग रहा था की अबकी धक्के में टीना की सील टूट जायेगी।

टीना ने दो मिनट यू ही रुकने के बाद समीर से बोला- “भइया थोड़ा सा और अंदर डाल लो…”

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समीर- इस बार ज्यादा दर्द होगा।

टीना- मैं सह लूँगी।

समीर ने फिर भी टीना के होंठों से अपने होंठ जोड़े और एक आखिरी जबरदस्त धक्का मार दिया। इस बार वास्तव में टीना दर्द से बिलबिला गई, और टीना की दर्द भरी चीख समीर के गले में उतरती चली गई। टीना छटपटाने लगी। मगर समीर ने अभी होंठों को आजाद नहीं किया, बल्कि टीना की चूचियों को सहलाने लगा। टीना को बड़ा आराम सा मिला। थोड़ी देर बाद समीर को लगा अब टीना नार्मल है तब टीना के होंठ आजाद किए।

टीना- “आअहह… भइया तुमने तो मेरी जान निकाल दी..”

समीर- अब कैसा दर्द हो रहा है? कहो तो अंदर-बाहर कर लूं?

टीना- हाँ कर लो मगर धीरे-धीरे करना।

समीर- “हाँ मेरी प्यारी बहना धीरे-धीरे ही करूँगा…” और समीर धीरे-धीरे लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा।

टीना- “आss आss आह्ह… आईईई आह्ह… ओहह… उम्म्म्म
… स्स्स्सी … अहह…”

बाहरर नेहा का पूरा हाथ चूत को जोर-जोर सहलाने लगा। एक उंगली आधी घुसाती और बाहर निकालती। नेहा जल्दी से जल्दी झड़ना चाहती थी, और नेहा सीई आईई इस्सस… करते हुए झड़ गई।

उधर टीना की चुदाई जोरों से चल रही थी। समीर बेड से उतरकर टीना के दोनों पैर अपने कंधे पर रखकर धक्के लगाने लगा।

टीना की बस आह ही निकल रही थी- “आअहह… समीर धीरे से करो आss आहह…”

मगर समीर पर जनून सा सवार था। ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था। टीना झड़ने की कगार पर पहुँच चुकी थी,
और अपने चूतड़ हवा में उछालने लगी। समीर समझ गया और टीना झड़ गई।

…” और टीना के पानी ने समीर का बाँध भी तोड़ दिया,

टीना- “आहह… हान झड़ी इसस्स्स… उम्म्म्म टीना पर लुढ़कता चला गया।

समीर- “हाँ मेरी जान…”

टीना- “आई लव यूँ समीर भइया… मजा आ गया..” और दोनों एक दूजे के ऊपर यूँ ही पड़े रहे।

नेहा ने सलवार पहनी और फर्श पर पड़ा अपना चूतरस दुपट्टे से साफ किया और अपने रूम में आ गई। नेहा
अपने रूम में आकर लेटते ही सो गई।

थोड़ी देर बाद टीना भी आ गई। टीना की खुजली मिट चुकी थी और नेहा को सोता देखकर उसके बगल में सो गई। दोनों सुबह 7:00 बजे तक सोते रहे। टीना के फोन की रिंग ने दोनों को जगाया।

टीना ने देखा फोन मम्मी का था- “हेलो जी मम्मी…”

किरण- टीना तेरे मामा का आक्सिडेंट हो गया है। तेरे पापा और मैं हास्पिटल जा रहे हैं।

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टीना- कैसे, कब? ज्यादा तो चोट नहीं आई?

किरण- “बाइक स्लिप हो गई शुकर है ज्यादा चोट नहीं आई। तू वहीं रुक जाना हम हम ताला लगाकर जा रहे हैं।

टीना- ओके मम्मी।

नेहा- क्या हुआ?

टीना ने नेहा को पूरी बात बताई। फिर सब फ्रेश होकर एक साथ नाश्ता कर रहे थे।

नेहा- पापा आज टीना और मैं मूवी देखने चले जायें?

अजय- चले जाओ कौन सी मूवी देखोगे?

नेहा- “वो… वो…”

अजय- ऐसा करना एक बजे दोनों दुकान पर आ जाना। मैं टिकेट मँगा कर रखूगा हाउसफुल चल रही है।

नेहा खुश होते हुए- “थॅंक यूँ पापा..”

अजय और समीर के जाने के बाद, नेहा बोली- “रात तो ऐसे चुदवा रही थी जैसे कुँवारी हो?”

टीना- “और क्या… तेरे भाई को बता देती की तेरा बाप सील तोड़ चुका मेरी?”

नेहा- मैं अब ऐसा भी नहीं कह रही।

टीना- “चल छोड़ तू ये बता तुझे मेरी चुदाई कैसी लगी? मजा आया?”

नेहा- हाँ यार, बहुत मजा आया। मैंने भी आधी उंगली चूत में घुसा ली थी, और मेरा पानी भी फर्श पर ही निकल गया.” और बेड पर पड़ा दुपट्टा टीना को दिखाया, फिर कहा- “ये देख इसी से साफ किया। मुझे तो मजा
आ गया…”

टीना- एक बार लण्ड डलवाकर देख… उंगली करना भूल जायेगी।

तभी अंजली रूम में आती है- “क्या बातें हो रही हैं?”

टीना- कुछ नहीं आँटी, बस ऐसे ही।

अंजली- किस टाइम जाओगी?

टीना- अंकल ने एक बजे के लिए बोला है। यहां से 12:00 बजे निकाल जायेंगे।

अंजली- “नेहा, वापसी में मेरे लिए आइसक्रीम लेती आना…”

नेहा- “जी मम्मी ले आऊँगी…” और दोनों घर से 11:00 बजे निकल गये।

टीना- नेहा एक शरारत करने को मन कर रहा है।

नेहा- अब क्या नया सोच लिया तूने?..

टीना- “बस तू देख मैं क्या करती हूँ?” और दोनों अजय की दुकान पर पहुँच गये

अजय- आ गये मेरे बच्चों, तुम बैठो। ‘टिकेट दो बजे की शो की मिली है। मैं अभी 10 मिनट में आता हूँ।

टीना- ओके अंकल।

अजय चला गया। दुकान में अब केवल रोहित था।

टीना- हेलो मिस्टर।

रोहित- जी मेडम।

टीना- आज पानी को भी नहीं पूछा तुमने?

रोहित- “सारी मेडम, अभी लाया..” कहकर रोहित पानी लेने चला गया।

टीना चेर पर बैठी अपनी चूत के ऊपर खुजलने लगी।

नेहा- तू ये क्या कर रही है?

टीना- “स्स्सी… चुपचाप देख क्या होता है?”

तभी रोहित पानी ले आया। मगर टीना अपना हाथ यूँ ही चूत पर रखे हुए खुजलाती रही। रोहित की नजर पड़ गई उफफ्फ.. क्या मस्त नजारा था। नेहा ने देखा की रोहित की पैंट फूलने लगी थी।

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नेहा मन में- “ओहह… तो ये सब सोचा टीना ने? एक नंबर की चालू माल है…”

टीना- “लाओ रहित…” और अपना हाथ चूत से हटाकर ग्लास पकड़ लिया, और कहा- “तुम्हारा नाम रोहित है?”

रोहित- जी मेडम।

टीना- मेरे लैपटाप में साफ्टवेर डाउनलोड होना है। तुम कर दोगे क्या?

रोहित- हाँ क्यों नहीं? मेरे पेन ड्राइव में बहुत सारे साफ्टवेर हैं।

टीना- आता है तुम्हें डाउनलोड करना?

रोहित- “खूब अच्छे से आता है। मैं नये माडल में भी डाउनलोड कर चुका हूँ, और पुराने माडल में भी। मुझे पूरा अनुभव है आप बेफिकर रहो। बताओ कब करवाना है साफ्टवेर डाउनलोड?”

टीना- मुझे अपना मोबाइल नंबर दे दो। जब मैं फोन करूं तब।

रोहित-जी मेडम, ये लीजिए मेरा नंबर। आप बस एक बार फोन करना। मैं घर भी आकर डाउनलोड कर दूंगा..”

तभी अजय भी आ जाता है। अजय तीन टिकेट लेकर आया था।

नेहा- पापा ये तीन टिकेट कैसे?

अजय- क्या मैं नहीं देख सकता तुम्हारे साथ?

नेहा- “ओहह… पापा क्यों नहीं?”
टिकटें बिल्कुल पिछली सीट की थीं। अजय कार्नर वाली सीट पर बैठा था बीच में टीना फिर नेहा। मूवी स्टार्ट हो
गई।

नेहा बड़े गौर से मूवी देख रही थी। थोड़ी देर बाद नेहा को टीना की हल्की सी सिसकने की आवाज आई, तो नेहा ने टीना की तरफ देखा। नेहा चकित हो गई। पापा का हाथ टीना की सलवार में था। नेहा मन ही मन- “बड़ी ही कुतिया है ये टीना, जरा भी शर्म नहीं यहां भी… कम से कम मेरी तो शर्म करती…” और फिर नेहा मूवी देखने लगी, मगर बार-बार नजरें टीना की तरफ चली जाती।

तभी नेहा को एक झटका और लगा। इस बार जो देखा, टीना का एक हाथ पापा की पैंट के उभार पर था।

नेहा मन ही मन- “ओह माई गोड… ये लड़की पूरी पागल है। ये जरूर मुझे भी फँसवा देगी..” और नेहा ना चाहते हए भी बार-बार ये नजारा देखती रही। नेहा को ये सब अच्छा नहीं लग रहा था। टीना को आज ऐसा नहीं करना
चाहिये था। थोड़ी देर बाद इंटर्वल हो जाता है।

लाइट जलने से पहले ही पापा और टीना एकदम से अलग हो जाते हैं।

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