घर की मुर्गियाँ 16
समीर चुपचाप सुनता रहा। नेहा- भइया कभी हम पर भी अहसान कर दो, गैरों पे करम अपनों पे शतम… ऐसा हम पे जुल्म ना करो। समीर- “देख नेहा, जैसा तू सोच रही है ऐसा कुछ भी नहीं है। इस बारे में फिर कभी बात करेंगे। अभी घर में मम्मी पापा हैं। चल मुझे फ्रेश होने दे…” और समीर बेड से उतर जाता है। नेहा- “एक बार इसको छूकर देख लूँ?” और नेहा ने समीर के अंडरवेर में हाथ डाल दिया। समीर- पागल मत बन, मम्मी ने देख लिया तो मुसीबत बन जायेगी। जा अपने रूम में। नेहा- नहीं पहले वादा करो की अपने पास सुलाओगे आज रात? समीर- “अच्छा मेरी …