घर की मुर्गियाँ 17

सुबह 6:00 बजे सब संजना के साथ जयपुर के लिए निकल गये। टीना और किरण भी साथ जा रही थी।

अजय संजना से- “आपकी परिवार में कौन-कौन है?”

संजना- “मेरे पापा राजेश, मेरी मम्मी सुमित्रा देवी, और अंकल की परिवार भी साथ रहती है। अंकल सुरेश, आँटी बबिता, और उनके दोनों बच्चे। बेटा राहुल, लड़की काजल। यही छोटा सा परिवार है हमारा..”

और यूँ ही बातें करते हुए सब लोग जयपुर पहुँच गये। घर पर अजय और समीर का फूलों से स्वागत किया गया। अजय बहुत खुश हुआ।

बड़ा आलीशान मकान था संजना का। अजय तो खुशी से फूला नहीं समा रहा था। क्या किश्मत पाई है समीर ने जो ऐसी ससुराल मिली उसको।

समीर संजना से कहता है- “मेम, मुझे टायलेट जाना है…”

संजना- “लाहुल, अपने जीजू को ऊपर बाथरूम दिखा आओ…”

समीर राहुल के साथ सेकेंड फ्लोर पर पहुँच गया।

राहल- “ये रहा बाथरूम, आप फ्रेश हो जाओ

समीर बाथरूम में T, मगर उफफ्फ… क्या देख लिया समीर ने? शायद ये काजल थी। समीर के पैर वहीं जम गये। क्या हम न की परी समान जिश्म था काजल का। काजल की नजर समीर पर गई तो जल्दी से अपने हाथों से अपने आपको छुपाने की नाकाम कोशिश करती है।

काजल- “ऐ मिस्टर, कौन हो तुम? बाहर निकलो, शर्म नहीं आती?”

समीर को जैसे होश आया। हकलाता हुआ बोलता है- “जी… जी मैं समीररर हुउ, टायलेट करने आया था..”

काजल- “ओहह… अच्छा तो आप समीर जीजू हो? मैं दिव्या नहीं काजल हूँ, जो ऐसे घुरे जा रहे हो मुझे? आप बाहर निकलो, मैं बस कपड़े पहनकर निकलती हूँ…”

समीर चेयर पर काजल के निकलने का इंतेजार करता है।

काजल ने जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और बाहर निकली- “जीजू ज्यादा इंतेजार तो नहीं करना पड़ा?”

समीर- “नहीं…” और समीर बाथरूम में चला गया, फ्रेश होकर नीचे आया।

दिव्या थोड़ी देर बाद ब्लू शूट में सबको नमस्ते करके सामने सोफे पर आकर बेठ जाथ है।

सभी दिव्या की खूबसूरती देखकर दंग रह गये। क्या हसीन मलिका मिली समीर को। नेहा भी खशी में जाकर दिव्या की बगल में बैठ गई, और एक मिठाई का टुकड़ा दिव्या के मुँह में रखा- “भाभी मुँह मीठा कीजिए मेरे हाथों से…”

टीना भी कहां पीछे रहने वाली थी, मिठाई का एक टुकड़ा उठाया और कहा- “भाभी एक मेरे हाथ से भी…”

अंजली- “बेटा थोड़ा-थोड़ा खिलाओ, अभी हमें भी खिलाना है…” और अंजली भी दिव्या को एक छोटा सा बरफी का टुकड़ा खिलाती है, और कहती है- “क्या चाँद का टुकड़ा है मेरी बहू… किसी की नजर ना लगे…”

संजना- “सब दिव्या को ही मिठाई खिलायेगे, समीर को मैं खिलाती हूँ..” और समीर के मुँह में बड़ा सा बरफी का पीस टूंस देती है।

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सबकी हँसी निकाल जाती है।

काजल- जीजू एक टुकड़ा मेरे हाथ से भी।

फिर अंजली ने दिव्या और समीर को पास बुलाया, और समीर को अंगूठी दी की दिव्या को पहना दे, और सगाई की रश्म अदा करके सबने खाना खाया। बड़ा ही खुशी का समा था। संजना की खुशी का कोई ठिकाना ना था। मारे खुशी के संजना ने म्यूजिक लगाया और डान्स करने लगी।

तेरे घर आया मैं आया तुझको लेने, दिल के बदले दिल का नजराना देने, मेरी ये धड़कन क्या बोले है सुन सुन, साजन जी घर आए, साजन जी घर आए, दुल्हन क्यों शर्माये।

आज है सगाई, सुन लड़की के भाई जरा नाच के हमको दिखा, कड़ी की तरह ना शर्मा तू, मेरी गल मान जा।

सभी को बड़ा मजा आया और यूँ ही वक्त का पता नहीं चला की कब शाम हो गई।

अजय- “अच्छा संजना जी, अब चलते हैं.” और सभी एक दूजे के गले मिलकर विदा हो गये। रात के 10:00 बजे नोयेडा पहुँचे।

किरण- भाई साहब हमें छोड़ आइए।

अजय- “मैं विजय को फोन करता हूँ..”

अजय- “हेलो भाई विजय कहां हो?”

विजय- रास्ते में हूँ, आ गये तुम लोग?

अजय- हाँ बस अभी-अभी पहुंचे हैं।

विजय- “बस दो मिनट में पहुँचता हूँ..” और फोन डिसकनेक्ट हो गया।

अजय- भाभी विजय रास्ते में है बस दो मिनट में पहुँचने वाले हैं।

और तभी विजय की बाइक की आवाज आती है।

अजय- भाभी लगता है विजय आ गया।

विजय- हाय अजय, कैसा रहा प्रोग्राम?

अजय- अंजली मिठाई खिलाओ विजय को। रिश्ता पक्का कर आये हैं समीर का।

विजय- अरें… वाह फिर तो जरूर खायेंगे। लाइए भाभीजी।

विजय- चलें किरण?

किरण- चलिए। टीना बेटी कहां हो चलना नहीं है?

अंजली- रहने दो सुबह आ जायेगी सफर में थक गई होगी। यहीं नेहा के पास सो जायेगी।

किरण- “अच्छा ठीक है सुबह जल्दी भेज देना..” और विजय और किरण निकाल गये।

अजय- “समीर बेटा तुम भी आराम कर लो। मुझे तो नींद आने लगी..” और अजय और अंजली भी अपने बेडरूम में चले गये

टीना और नेहा बेड पर बैठी थी।

नेहा- अब क्या हाल है तेरी चूत का?

टीना- अब तो बड़ी मीठी-मीठी खुजली सी हो रही है।

नेहा- और दर्द?

टीना- नहीं यार दर्द भी नहीं है।

नेहा- कितना दर्द हुआ था तुझे उस वक्त?

टीना- मत पूछ यार मेरी तो जान ही निकाल गई। बड़ा ही भयंकर दर्द हुआ, तेरे पापा का लण्ड भी बहुत बड़ा है।

नेहा- अब तेरा आगे क्या प्रोग्राम है?

टीना- यार अब तो मुझसे रुका नहीं जायेगा। मेरी तो चूत में अभी भी खुजली हो रही है।

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नेहा- फिर अब तू क्या करेगी?

टीना- अगर लण्ड नहीं मिला तो या तो बैगन से काम चालाऊँगी, या फिर उंगली तो है ही।

नेहा- क्या बात कर रही है बैगन से कैसे क्या करेगी तू?

टीना- “तुझे कुछ नहीं मालूम कभी पाःो मूवी देखी है तूने? उसमें कैसे दिखाते हैं? कोई बैगन चूत में डालती है, कोई केला। और तुझे पता है प्लास्टिक का भी लण्ड होता है, बिल्कुल असली जैसा लगता है.”

नेहा- क्या सच में?

टीना- हाँ तेरी कसम, कल तू दिन में आना मेरे घर। मेरे पास एक डीवीडी है, उसमें देखना।

नेहा- चल जरूर आऊँगी।

टीना- तेरे भाई को मेसेज करूं, क्या कर रहा है?

नेहा- भइया को क्यों परेशान करती है? आज सफर में थक गये होंगे।

टीना- एक बार ट्राई करती हूँ..” और टीना ने समीर के फोन पे मेसेज भेजा- “सो गये समीर भइया?”

समीर- “हाथ में फोन लिए तेरे मेसेज का इंतजार कर रहा था। तू मेरे घर पे है तो नींद कैसे आयेगी? नेहा सो गई क्या?”

टीना-देख तेरे भाई का मेसेज, कैसे तड़प रहा है?

नेहा- ऐसा क्या है तुझमे? जो मेरे पापा और अब समीर तेरे इतने दीवाने हैं?

टीना- पता नहीं… जो तुझमें है, वही मुझमें है।

नेहा- मगर जो मजे तू लेती है, वो मेरे नसीब में कहां?

टीना- बोल जाऊँ, तेरे भाई के पास?

नेहा- मेरी इजाजत से जायेगी तू?

टीना- हाँ मेरी जान… अगर तू मना करेगी तो नहीं जाऊँगी।

नेहा- भला मैं क्यों मना करूं? जब तुम दोनों राजी तो क्या करेगी नेहा?

देखनी है?

नेहा- हाँ देखनी है।

टीना- चल मैं समीर के रूम में जाती हूँ, और लाइट ओन करवा दूंगी। तू दरवाजे से देख लेना।

नेहा टीना से लिपट गई- “ओहह… मेरी प्यारी टीना…”

टीना- चल अब जल्दी से जाने दे, कहीं समीर सो ना जाये? और हाँ ध्यान से देखना कोई आवाज ना हो जाय।

नेहा- मैं ध्यान रखूगी।

टीना दबे पांव समीर के रूम में पहुँचती है। समीर बेड पर लेटा मोबाइल में कुछ देख रहा था- “हाय समीर क्या देख रहे हो मोबाइल में?”

समीर- कुछ नहीं।

टीना ने समीर के हाथों से मोबाइल छीन लिया- “ओह माई गोड..” उसमें पार्न वीडियो चल रही थी एक लड़का
और एक लड़की दोनों एकदम नंगे चूत में लण्ड अंदर-बाहर हो रहा था। टीना बोली- “ये सब क्या चल रहा है?”

समीर- “अभी बताता हूँ क्या चल रहा है?” और समीर ने टीना का हाथ पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया- “मेरी जान अब ये सब रियल में चलने वाला है डार्लिंग..”

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समीर ने टीना को अपनी बाँहो में जकड़ लिया। टीना भी तो यही चाह रही थी। समीर ने टीना के होंठों से अपने होंठ मिला दिए। टीना को भी पूरा मजा आ रहा था और टीना भी समीर का पूरा साथ दे रही थी। और ये सब लाइव प्रोग्राम नेहा की दो आँखें बड़े गौर से देख रही थीं।

नेहा सोच रही थी- “भइया कितना अच्छा प्यार करते हैं। काश मुझसे भी ऐसा प्यार करें। किस्सिंग भी क्या मस्त है भइया की…” नेहा बड़ी ललचाई नजरों से देख रही थी।

उधर समीर ने टीना की चूचियां अपने हाथों में भींच ली।

टीना- “हाय भइया, धीरे करो दर्द होता है…”

समीर कहां सुनने वाला था. एक हाथ चूचियों पर और एक हाथ अब तक पैंटी में घुस चुका था। समीर ने अपनी पैंट शर्ट उतार फेंकी सिर्फ अंडरवेर में टीना से लिपट गया।

नेहा के कानों तक टीना की सिसकारी र | थी। नेहा ने अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर हाथ से चूत की फांकों को सहलाने लगी। अफफ्फ… नेहा के सामने क्या मस्त सीन चल रहा था।

टीना- “सस्सीई… समीर भइया अच्छा लग रहा है इसस्स्स … उम्म्म्म … अहह..”

समीर- मेरी जान, आज की रात बहुत मजा आने वाला है तुझे। बस थोड़ा दर्द बर्दाश्त कर लियो।

टीना- “तुम्हारे लिए हर दर्द सहने को तैयार हूं। कहां है तुम्हारा मुन्ना, जरा बाहर तो निकालो.” कहकर टीना ने समीर का अंडरवेर उतार फेंका और लण्ड अपने हाथों में पकड़ लिया, और कहा- “हाँ तो मुन्ना, तू मुझे आज दर्द देगा या प्यार देगा? उससे पहले मैं तुझे अपने होंठों से प्यार कर लूं…’

नेहा की सलवार ये सब देखकर नीचे गिर गई, और एक उंगली चूत की दरार में जा घुसी। नेहा की हल्की सी आहह… निकल गई। नेहा की चूत पूरी गीली हो चुकी थी। नेहा उंगली अंदर डालना चाहती थी।

अंदर टीना लण्ड की चुसाई बड़े ही मस्ती में कर रही थी।

… अहह… उफफ्फ… मज्ज… आ रहा है… क्या मस्त चीज है तू.. हाँ ऐसे

समीर- “मेरी जान्न टीना आहह… इस्स्स्स ही चूस लण्ड आज्ज…”

टीना ने लण्ड को चाटना शुरू कर दिया। रूम में से सिसकारियां सीss सीss की आवाज निकल रही थी। 5 मिनट की चुसाई के बाद समीर ने टीना की पैंटी निकालकर टीना को पूरा नंगी कर दिया, और चूत को निहारने लगा।

समीर- “हाय मेरी जान… एकदम बंद कली है, आज अपने लण्ड से फूल बना दूं तुझे…”

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