किरण के चेहरे पर स्माइल दौड़ गई। किरण बोली- “जी भाई साहब, आपका लण्ड मेरी चूत में धीरे-धीरे डालिये…”
अजय- “वाह भाभी… आज आपको पाकर में धन्य हो गया.. और लण्ड चूत की गहराई नापने लगा।
किरण की सिसकारी निकलने लग गई- “आहह… उहह… औचह…”
अजय- कैसा लग रहा है किरण भाभी?
किरण- “आहह… बस्स अब कुछ मत कहो… ओर जोर-जोरर से करो… सस्स्सी मजा बहुत मज्जा आ रहा है.”
अजय भी आज अपनी पूरी मर्दानगी दिखना चाहता था, और फिर शाट पर शाट। क्या जबरदस्त क्या जबरदस्त चुदाई चल रही थी। बस दोनों चरम पर पहुँचने वाले थे की तभी किरण का मोबाइल बज उठा। मगर इस वक्त आखिरी स्टेज चल रही थी। दोनों में से कोई भी हटना नहीं चाहता था, और मोबाइल की रिंग बाजती रही। अजय को इस कदर जकड़ लिया किरण ने की पीठ पर नाखून तक चुभने लगे, और अब अजय का भी सैलाब बह निकला। अजय ने किरण की चूत में सारा माल छोड़ दिया। क्या ओर्गेज्म हुआ किरण को। किरण की अपनी पूरी लाइफ में ऐसी चुदाई नहीं हुई थी।
मोबाइल अभी तक बज रहा था। किरण ने उठकर मोबाइल उठाया तो विजय का फोन था, बोली- “हेलो..”
विजय- “कहां हो? इतनी देर से मिला रहा हूँ। और इतना क्यों हाँफ रही हो?”
किरण- बाथरूम में थी, जल्दी भागकर आई हूँ इसलिए।
विजय- शाम को अजय के यहां पार्टी है। जल्दी तैयार हो जाना। बस मैं भी निकल रहा हूँ।
किरण- हाँ, मेरे पास नेहा का फोन आया था और टीना भी नेहा के यहां चली गई है।
विजय- चलो ठीक है रखता हूँ।
किरण ने घड़ी की तरफ देखा तो शाम के 4:00 बज चुके थे।
अजय ने किरण को पीछे से बाँहो में भरकर गर्दन पर किस करने लगा।
किरण- भाई साहब, लगता है अभी आपका मन नहीं भरा है।
अजय- “तुम चीज ही ऐसे हो। जी करता है आपके साथ सुबह से लेकर शाम तक, शाम से लेकर रात तक, और रात से लेकर सुबह तक तुझे प्यार करूं..”
किरण- ओहह… आपकी तारीफ करने की अदा पर ही तो अपना दिल आप पर आया है।
अजय के लण्ड में फिर से तनाच आने लगा, और किरण की गाण्ड की दरार में घुसने की कोशिश करने लगा।
किरण- ये आपके छोटे मियां गलत रूम में एंट्री कर रहे हैं।
अजय- “ये समझा की आपने पूरे घर में घूमने की इजाजत दे दी है…”।
किरण- “हाँ जी… अब तो पूरा घर आपका है जहां चाहे घुस जाओ। मगर इस रूम को देखने के लिए आपको फिर आना पड़ेगा…”
अजय अपने घर के लिए निकल गया। घर पर अंजली किचेन में खाना बना रही थी। अजय किचेन के दरवाजे पर खड़ा अंजली की गाण्ड निहारने लगा। उसे पास से अंजली की गाण्ड ही नजर आ रही थी। आज जाने क्यों अजय को गाण्ड की तलब सी उठ गई, और अजय के लण्ड की आग फिर भड़क गई।
अंजली अपनी मस्ती में कम कर रही थी। अजय के आने तक की आहट नहीं हई। अजय को घर में कोई दिखाई नहीं दिया, तो धीरे से अजय ने अंजली को पीछे से बाहों में भर लिया। लण्ड भी सीधा गाण्ड की दरार में। अंजली एकदम घबरा गई। अंजली ने पलटकर देखा तो अजय उससे छिप रहा था।
अंजली- “ये सब क्या है? बच्चे घर ो शर्म किया करो…”
अजय फिर भी लिपटा हुआ लण्ड का दबाव गाण्ड पर डालता रहा। अंजली पलट गई और अजय को धकेलते हुए किचेन से बाहर कर दिया।
अंजली- “कहीं भी लग जाते हो। ये काम रात को रूम में भी कर सकते हो…”
तभी नेहा और टीना भी किचेन में आ गई। क्या ड्रेस पहनती है टीना। अजय का लण्ड तो पहले से ही खड़ा था।
अजय फिर भी लिपटा हुआ लण्ड का दबाव गाण्ड पर डालता रहा। अंजली पलट गई और अजय को धकेलते हुए किचेन से बाहर कर दिया।
अंजली- “कहीं भी लग जाते हो। ये काम रात को रूम में भी कर सकते हो…”
तभी नेहा और टीना भी किचेन में आ गई। क्या ड्रेस पहनती है टीना। अजय का लण्ड तो पहले से ही खड़ा था।
टीना- हेलो अंकल।
अजय- हेलो बेटा कैसी हो?
टीना- एकदम मस्त… आप सुनाइए?
अजय भी टीना के उभारों को घूरता हुआ- “हम भी बढ़िया हैं…”
तभी टीना की नजर अजय की पैंट की जिप पर चली गई। इस वक्त अजय के लण्ड ने पैंट में तंबू बनाया हुआ था।
अंजली अजय से- “अब आप जल्दी से फ्रेश हो जाओ, मेहमान भी आने वाले हैं, और नेहा तू समीर को बुला वो अपने रूम में क्या कर रहा है?”
नेहा फल काट रही थी तो नेहा टीना से- “टीना तुम बुला लाओ..”
टीना समीर के रूम में पहुँच गई। समीर कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा था। टीना बोली- “भइया आपको आँटी बुला रही हैं.”
समीर टीना को देखता है, अफफ्फ… क्या ड्रेस पहनती है टीना।
समीर- तु कभी तो ढंग के कपड़े पहना कर?
टीना- क्यों मैं अच्छी नहीं लगती इन कपड़ों में?
समीर- लगती हो, मगर कोई तुम्हें ऐसी हालत में सही नजर से नहीं देखेगा।
टीना- आप किस नजर से देखते हो?
समीर- मेरी नजर तो ठीक है फिलहाल। ऐसे ही रही तो एक दिन जरूर मेरी नजर भी बदल जायेगी।
टीना- मुझे तो ऐसे ही पसंद है।
समीर रूम से निकलता हुआ बड़बड़ाता है- “मेरी तरफ से तुम नंगी घूमो, बस नेहा से दूर रहो…”
शाम को विजय-किरण और अजय-अंजली और कुछ मेहमानों ने मिलकर पार्टी एंजाय की। आज जब भी किरण और अजय की नजरें मिलती, दोनों के चेहरे पर मुश्कान दौड़ जाती। और ये मुश्कान समीर ने भी नोट की। रात 11:00 बज चुके थे।
विजय- भाई अब हमें चलना चाहिए।
नेहा- अंकल टीना सुबह चली जायेगी।
विजय- ठीक है…” और दोनों चले गये।
समीर भी उठकर अपने रूम में चला गया, और बेड पर लेटा सोचने लगा- “ये नेहा कभी टीना को रोक लेती है और कभी कहती है। इन दोनों के बीच क्या चल रहा है? कही ये दोनों लेस्बियन तो नहीं? हो भी सकता है। आज मुझे इस बात का पता लगाना है। यू ही लेटे-लेटे 12:00 बज गये।
समीर अपने बेड से उठकर नेहा के रूम की तरफ चल दिया। मगर तभी मम्मी के रूम से एक दर्द भरी मगर बहुत धीमी आवाज आई, जो समीर को मजबूर कर गई की देखू यहां क्या हो रहा है? इतना तो समीर जानता था की ये सब आवाजें सेक्स के टाइम निकलती हैं। और समीर के पैर अपने आप मम्मी के रूम की तरफ चल दिए। दरवाजा अंदर से बंद था। समीर झिरी से अंदर झाँकता है।
अजय ने अंजली की गाण्ड में लण्ड डाला हआ था। मम्मी को बड़ा दर्द हो रहा था। ये सब देखकर समीर की हालत खराब हो गई। अफफ्फ ऐसा भी होता है?
मम्मी दर्द में बुदबुदा रही थी- “तुम पर आज ये गाण्ड का भूत कहां से सावर हो गया? मेरी तो जान निकल रही है। मुझसे नहीं होगा, निकालो यहां से…”
अजय- बस थोड़ा सा और।
अंजली- “नहीं बस आगे से कर लो…” और अंजली ने लण्ड अपनी गाण्ड से निकाल दिया।
अजय को बहुत गुस्सा आया, और उठकर नखरे में लेट गया।
अंजली- क्या बात है, चूत में डाल लो अपना लण्ड?
अजय- तुमने आज तक गाण्ड में नहीं डलवाया। आज तो मुझे तुम्हारी गाण्ड मारनी है।
अंजली- सच में आज बहुत दर्द हो रहा है, यहां फिर कभी कर लेना। अगर मेरी चीख निकल गई तो?
अजय- हर बार बहाना कर देती हो, जब डालता हूँ।
अंजली- जिस दिन घर पर कोई नहीं होगा, उस दिन तुम मेरी गाण्ड मार लेना। प्रामिस अब प्लीज़्ज… अपना लण्ड चूत में डालो…”
अजय मान गया, अंजली के ऊपर आकर अपना लण्ड पकड़ा और चूत पर टिका दिया।
अंजली- जिस दिन घर पर कोई नहीं होगा, उस दिन तुम मेरी गाण्ड मार लेना। प्रामिस अब प्लीज़्ज… अपना लण्ड चूत में डालो…”
अजय मान गया, अंजली के ऊपर आकर अपना लण्ड पकड़ा और चूत पर टिका दिया।
समीर ये सब देख रहा था। समीर का लण्ड टाइट हो चुका था। अंदर अजय ताबड़तोड़ शाट मार रहा था। समीर बड़ी गौर से ई का सीन देख रहा था। 5 मिनट बाद पापा धम्म से मम्मी के ऊपर गिर गये। समीर पैंट में लण्ड रगड़ता हुआ हट गया, और नेहा के रूम की तरफ चल दिया।
आज समीर को एक और तगड़ा झटका लगना बाकी था।
समीर दरवाजे से नेहा के रूम में देखने की कोशिश करने लगा। मगर यहां से कुछ दिखाई नहीं दिया। फिर उसे ध्यान आया की स्टोर से नेहा के रूम में भी दरवाजा है, और समीर स्टोर में पहुँच गया। यहां से पूरा रूम दिखाई देता है। अभी रूम की लाइट ओन थी, दोनों अपने कपड़े चेंज कर रही थीं।
टीना- यार तेरा भाई किस मिट्टी का बना है, जब देखो टोकता रहता है?
नेहा- पता नहीं कौन सी सदी में जी रहे हैं?
टीना- यही तो मजा करने की उमर है, और हमें अभी बच्ची ही समझते हैं।
नेहा- उन्हें क्या पता की ये कली फूल बनने के लिये कितना तड़प रही है?
टीना- कहीं ऐसा तो नहीं तेरे भाई के पास लण्ड हो ही नहीं। हम बेकार में उनपर ट्राई कर रहे हैं।
समीर को इनकी बातों से अपनी इतनी जिल्लत बेइज्जती महसूस हुई। मगर मैं चुपचाप सुनता रहा, और सोच रहा था इस की टीना की ऐसी हालत बनाऊँगा की ये तोबा ना कर ले तो मेरा नाम नहीं, और मैं उनकी रासलीला छोड़कर अपने रूम में आ गया।
समीर बेड पर लेटा सोचने लगा- “मझे आज मेरी ही बहनें नामर्द बोल रही हैं। मेरे लिए कितनी डूब मरने की बात है। क्या मैं उनको अपना लण्ड दिखा दूं? जब ये दोनों इतनी आगे निकल चुकी है तो अब इन्हें रोकना नामुमकिन है…”
समीर का हाथ अपने लण्ड पर जा पहुँचा- “उफफ्फ… इसे क्या हुआ?” लण्ड एकदम पूरा टाइट खड़ा था। आज समीर अपने लण्ड की हालत देखकर खद हैरान था इतना लंबा मोटा लण्ड वो भी खुद का, और समीर ने अपना लोवर उतार फेंका तो लण्ड एक झटके में कुतुब मीनार की तरह खड़ा हो गया, और समीर के हाथ अपने लण्ड पर पहुँच गये।
उफफ्फ… क्या मजा आया समीर को लण्ड पकड़ने में। ये सब आज पहली बार हो रहा था, और समीर अपने लण्ड से खेलने लगा, सहलाने लगा। और ऐसा करना समीर को किसी दूसरी दुनियां में ले गया। समीर के हाथ अपने आप लण्ड को आगे-पीछे करने लगे। ये वाला कदम ऐसा था, जैसे लण्ड हाथ में ना होकर किसी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। समीर की आँखें बंद मुँह से सिसकारी- “सस्स्सी … अहह… अहह… आअहह इसस्स… उम्म्म्म …” निकलने लगी
हाथ तो रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, जैसे उन्हें मालूम था की ऐसा करने से मंजिल मिल जायेगी, और फिर समीर के लण्ड ने वीर्य की धार छोड़ दी। समीर के हाथों में वीर्य भर गया- “ओहह… आहह… मज्ज… आ गया…’
और समीर ने अपने अंडरवेर से वीर्य साफ किया, और फिर समीर नींद की आगोश में पहुँच गया।