घर की मुर्गियाँ 11
समीर होंडा सिटी कार में दिव्या को लेकर निकल चला। दिव्या पिछली सीट पर बैठी शीशे से बाहर झाँक रही थी। समीर शीशे से दिव्या को बार-बार देखता। यूँ ही कार में खामोशी थी। तभी समीर को राजा हिन्दुस्तानी का वो सीन याद आया, और समीर ने भी अपनी आवाज में गाना गुनगुनाया। समीर- “आई हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बनके, मेरे साथ यूँ ही रहना तुम प्यार प्यार बनके…” और फिर चुप। दिव्या- बहुत अच्छा गाते हो, और सुनाओ कुछ। समीर- क्या सुनाऊँ? दिव्या- जो भी तुम्हें अच्छा लगे। समीर- आपको भी साथ देना होगा। दिव्या- कोशिश करूँगी। तुम सूनाओ पहले। समीर- मैंने सोच लिया कुछ भी हो …