देवर भाभी का रोमांस – 13 | Devar Bhabhi Sex Story

वो शर्मीली स्माइल करती हुई वहाँ से भाग गयी.. और कमरे के दरवाजे से निकल कर साइड में दीवार से पीठ टिका कर लंबी-2 साँसें लेने लगी…

उसके पीछे-2 में भी बाहर आया… और उसको वहाँ खड़ा देख कर मेने अपने दोनो हाथ उसके सर के आजू-बाजू से निकालकर दीवार पर टिका कर बोला…

निशा जी आप बहुत सुंदर हो… ! मे आपको पसंद करने लगा हूँ…!

उसने कोई जबाब नही दिया.. बस एक बार उसके होंठ लरजे…और फिर मेरे बाजू के नीचे से सर निकल कर किसी चाचल हिरनी की तरह झीने से भागती हुई नीचे चली गयी…

मे मन ही मन मुस्करा उठा, और धीरे-2 नीचे की तरफ बढ़ गया…

आँगन में खड़े सब लोग उसका हल्दी से पुता चेहरा देख कर हँसने लगे..

भैया ने कहा – शाबास मेरे शेर.. ये हुई ना कुच्छ बात.. फिर बोले – खाली हल्दी ही लगाई या कुच्छ और… भी…. हाहहहाहा….

मेरी मुस्कराहट देख कर भाभी भाँप गयी.. कि बात अब हल्दी लगाने तक ही नही रही.. वो मन ही मन खुश हो रही थीं…

घर में रिश्तेदारो की भीड़-भाड़ बढ़ती जा रही थी, सो अब सिर्फ़ आँखों -2 में ही प्यार पल रहा था.. जो दिलों में और ज़्यादा हलचल बढ़ती जा रही थी…

भैया की शादी बड़ी धूम-धाम से संपन्न हो गयी… घर में एक सदस्या की बढ़ोत्तरी हो गयी थी… और आज नयी भाभी कामिनी अपने प्रियतम की बाहों में थी…

उनको तो फर्स्ट फ्लोर पर एक सेपरेट कमरा सज़ा सजाया मिल गया था सुहागरात मनाने के लिए… लेकिन वाकी लोगों को अड्जस्ट करने के लिए… काफ़ी मुश्किलें थी…

सभी चाचाओं के घर भी फुल थे… हमारे घर में तो और ही बुरा हाल था, बारात से लौटे, हारे थके सभी लोग जिसको जहाँ जगह मिली घुस गये रज़ाई लेकर…

काम निपटाते-2, और सभी रिश्तेदारों के इंतेज़ाम करते -2 मे अकेला रह गया..

घर में सब जगह एक चक्कर लगा के देखा कि शायद कहीं जगह मिल जाए..

आख़िरकार हॉल में दीवार की तरफ एक आदमी के लायक जगह मुझे मिल ही गयी…

नींद से आखें मुन्दने लगी थी.. रज़ाई ढूँढने की कोशिश की, तो कहीं नही दिखी…

तो में वहीं लास्ट में अपने घुटने जोड़कर दीवार की तरफ मूह करके सो गया…
मेने ये भी जानने की कोशिश नही कि बगल में रज़ाई ओढ़े कौन सो रहा है..

इधर आँखों में नींद और उपर से ठंड, मेने आधी नींद में ही बगल में सोने वाले की रज़ाई थोड़ी सी अपनी तरफ खींची और उसकी तरफ करवट लेकर रज़ाई अपने उपर कर ली…

शांति बुआ ने, अपनी रज़ाई खींचती देख उन्होने पीच्चे पलट कर देखा तो मुझे गहरी नींद में सोता देख कर वो थोड़ा और पीछे हो गयी जिससे एक सिंगल टेंट की रज़ाई में हम दोनो का गुज़ारा चल सके…

इस चक्कर में उनके मांसल कूल्हे मेरी जांघों से सट गये… एक रज़ाई में दो शरीर सटने से गर्मी आ ही जाती है… तो हम दोनो की ठंड भी गायब हो गयी…

लेकिन बुआ की नींद उड़ चुकी थी.. और वो धीरे-2 अपने कूल्हे मेरी जांघों के उपर रगड़ने लगी,

मांसल कुल्हों के दबाब से मेरी टाँगें जो कुच्छ मूडी हुई थी वो भी सीधी हो गयी…

अब शांति बुआ की चौड़ी चकली गान्ड का दबाब मेरे लंड पर भी होने लगा था….कुच्छ तो गान्ड की गर्मी,

उपर से वो धीरे- 2 मेरे लंड के उपर नीचे हो रही थी…सो मेरा लंड नींद में भी अपनी औकात में आने लगा…

जब सपने में किसी के स्पर्श के एहसास से लॉडा खड़ा होकर पानी फेंक देता है… तो यहाँ तो ये सब साक्षात डबल धमाल चल रहा था…

जैसे-2 मेरा लंड पाजामे में उठता जा रहा था, बुआ उतनी ही अपनी गान्ड को और पीछे करके मेरे लंड पर रगड़ने लगी…

उसने ठीक अपनी गान्ड की दरार मेरे लंड की सीध में सेट करके अपनी गान्ड को मूव करने लगी…..

कई रातों से ठीक से ना सोने की वजह से मेरी नींद बहुत गहरी थी, मुझे दीन दुनिया की कोई खबर नही थी.. जिसका पूरा फ़ायदा बुआ उठा रही थी..

हॉल में शायद ही कोई होगा जो नींद में ना हो…

अब बुआ ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक चुचे पर रख लिया और उसे मेरे हाथ के साथ मसल्ने लगी..

उन्होने अपनी साड़ी को भी कमर तक चढ़ा लिया..और मेरे लंड की कडकनेस्स का अपनी पैंटी के उपर से ही भरपूर मज़ा लेने लगी…

बुआ की पैंटी गीली होने लगी थी, और वो बेहद गरम हो चुकी थी… उसे पक्का यकीन हो गया था कि अब मे नींद से उठ नही सकता..

बुआ ने पलट कर मेरी तरफ अपना मूह कर लिया… और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे पाजामे को घुटनो तक सरका दिया…

फ्रेंची में फनफनाता मेरा लंड उसको और उत्तेजित करने लगा, तो उन्होने उसे अपनी मुट्ठी में कस लिया…

मेरे लंड के आकार और उसकी अकड़ देख कर बुआ के मूह से सिसकी निकल गयी.. और मन ही मन फुसफुसाई… हइई…दैयाअ… कितना मस्त लंड है छोटू का… इसको चूत में लेने में कितना मज़ा आएगा…

उफफफफफ्फ़…. सोचकर ही मेरी चूत गीली हो गयी.., अगर ये मेरी चूत में जाए तो क्या होगा….? अहह…

इस सोच के साथ ही उसने हिम्मत भी कर डाली, और मेरे फ्रेंची को खिसका नीचे कर दिया…अब मेरा नंगा सुडौल 8″ का गरमा-गरम किसी रोड जैसा कड़क लंड, बुआ की मुट्ठी में क़ैद था, जिसे वो धीरे – 2 उपर नीचे करके मुठियाने लगी…

वो नीचे को खिसकी, और उसने मेरे लंड का चुम्मा ले लिया, फिर धीरे से चाट कर अपनी चूत को रगड़ने लगी….

वासना बुआ के सर पर सवार हो चुकी थी, सो उसने अपनी पैंटी को निकाल फेंका,

मुझे कंधे से धक्का देकर सीधा किया और रज़ाई ओढ़े ही ओढ़े, अपनी चौड़ी गान्ड लेकर मेरे उपर सवार हो गयी…

मेरे दोनो ओर अपने घुटने टिकाए उसने अपनी गीली रस से सराबोर गरम चूत को मेरे लंड पर सेट किया और उसके ऊपर बैठती चली गयी…

मेरा लंड शायद बुआ की चूत के हिसाब से ज़्यादा मोटा था.., क्योंकि उसे अंदर करते हुए उसे दर्द का अहसास हुआ और उसने अपने होंठ कस कर भींच लिए…!

धीरे-2 कर के उसने मेरे पूरे लंड को उसकी चूत ने निगल लिया, और फिर मेरे ऊपर पसर कर हांपने लगी….!

उसकी खरबूजे जैसी चुचियाँ मेरे चौड़े चक्ले सीने से दब कर ब्लाउज को फाडे डाल रही थी…

नीम बेहोशी जैसी नींद की हालत में, मुझे ये सब सपने में होता प्रतीत हो रहा था…

लेकिन जब लंड पर चूत की गर्मी और गीलापन महसूस होते ही मेरी नींद खुल गयी.. और मेने अपनी आँखे खोल कर देखा…

शांति बुआ मेरे सीने में अपने बड़े-2 मुलायम चुचों को दबाए अपना मुँह मेरे कंधे से सटाये पड़ी हाँफ रही थी…

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पहले तो मे उसको पहचान ही नही पाया…, इसलिए मेने उसके दोनो कंधे पकड़ कर जैसे ही उठाया वो सकपका गयी.. और उसने फिर से अपना मुँह मेरे कंधे में छुपा लिया…

मेने चोंक कर बुआ से कहा – शांति बुआ आप ! और आप ये क्या कर रही हो..? हटो मेरे ऊपर से.. कोई देख लेगा तो क्या कहेगा…?

बुआ – प्लीज़ छोटू ! मुझे माफ़ कर्दे…, यार ! तेरे इस लंड की गर्मी मेरे से सहन नही हुई… अब थोड़ी देर और रुक जा.. मेरा राजा बेटा…!

मे – पर बुआ ! क्या ये सही है..? आप मेरी माँ समान हो….!

बुआ – अब सही ग़लत सोचने का समय निकल चुका है.. बेटा.. अब अपनी बुआ को ठंडी हो लेने दे, वरना ये कम्बख़्त मेरी चूत मुझे सोने नही देगी…

मे चुप रह गया.., कुछ देर बाद बुआ ने अपना काम शुरू कर दिया और वो अपनी मस्त गद्देदार गान्ड को मेरे लंड पर आगे पीछे करने लगी..

वो अपनी गान्ड को ज़्यादा नही उछाल पा रही थी क्योंकि अगर ग़लती से भी कोई जाग गया, और रज़ाई के अंदर भूकंप आता देख लिया तो बुआ के साथ-2 मेरी भी पूरी तरह भॅड पिट जानी थी..!

बाबूजी अपनी बेहन की चुदाई कैसे बर्दास्त करते वो भी अपने बेटे से…., तो पता लगते ही, वो गान्ड कुटाई होनी थी… कि भगवान ही जाने….!

इसी डर के चलते, बुआ की लय थोड़ी मध्यम ही रही, मे तो कोई कोशिश कर ही नही सकता था…!

तो जैसे तैसे कर के बुआ ने अपना पानी निकाल ही लिया.. और चूत में मेरा लंड घुसाए हुए वो मेरे ऊपर लेट कर हाँफने लगी…

मे – अब क्या हुआ बुआ ? रुक क्यों गयी..?

अरे छोटू ! मेरा तो हो गया…वो फुसफुसा कर बोली…

ये सुनते ही मेरी झान्टे सुलग गयीं… इसकी माँ की चूत मारु…, भेन्चोद इसका हो गया तो ये खुश और मेरा क्या…?

भेन्चोद यहाँ लंड फटने की कगार पर है, और ये भोसड़ी की अपनी चूत झाड के फारिग हो गयी….!

सारा डर रखा ताक पर, लपक कर मेने उसे बाजू में लिटाया और उसको अपनी तरफ गान्ड घुमाने को कहा…

वो ना नुकुर करने लगी… मुझे गुस्सा आने लगा.. मेने कहा – बुआ अब ये ठीक नही होगा, चुप चाप उधर करवट ले लो वरना में सबको जगा के बताता हूँ..

उसकी गान्ड फट गयी, और झट से अपनी मोटी गुद गुदि गान्ड मेरी ओर करदी.. मेने थोड़ा सा अपना सर पीछे को किया, टाँगों को उसकी तरफ कर के उसकी ऊपर की टाँग को उसके पेट से लगाया..

मेरे और बुआ के सर के बीच अब 45 डिग्री का आंगल था, उसकी चूत मेरे लंड के ठीक सामने खुली पड़ी थी…

मेने घचक से पूरा लंड एक ही झटके में पेल दिया… उसके मुँह से एक दबी दबी सी कराह… निकल गयी..

बुआ की चुचियों को ब्लाउज के उपर से मसल्ते हुए मे ढका-धक धक्के मारने लगा…

मेरे धक्कों की स्पीड इतनी ज़्यादा थी कि उसकी हाल ही झड़ी चूत सूखने लग गयी.. और घर्षण से उसमें जलन होने लगी…

बुआ गिडगिडाते हुए बोली – छोटू धीरे कर बेटा… मेरी चूत में जलन हो रही है..

मे क्या करूँ तो.. आपने मेरे लॉड को क्यों जगाया.. अब झेलो…

थोड़ी देर बाद उसकी चूत फिर से पनियाने लग गयी और वो भी मज़े ले लेकर मेरे धक्कों पर अपनी गान्ड पीछे धकेल – धकेल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी…

आधे घंटे में बुआ दो बार पानी छोड़ गयी, तब जाकर मेने उसकी पोखर को अपने गाढ़े पानी से भरा…

मेने अपना लंड बुआ की चूत से निकाला, पच की आवाज़ के साथ वो बाहर आ गया, उसके पेटिकोट से अपने लंड को पोंच्छ कर करवट लेकर मे सो गया………………

अगली सुबह तोड़ा देर से उठा, आज नयी दुल्हन को अपने देवर को गोद में बिठाने की रसम थी… रामा दीदी ने ही मुझे झकझोर कर उठाया…

अलसाया सा मे अपनी आँखों को मिचमिचाते हुए उठा और झल्लाकर बोला – क्या है..? क्यों मुझे सोने नही देती…

वो- अरे सब तेरा इंतेजार कर रहे हैं… आज नयी भाभी तुझे अपनी गोद में बिठा कर लाड करने वाली हैं…

मेरी उठने की कतयि इच्छा नही थी, लेकिन नयी भाभी की गोद में बैठने के नाम से ही मेरे अंदर गुद गुदि सी पैदा हो गयी…,

मेरा सारा आलस्य भाग खड़ा हुआ, और झटपट उठके बाथरूम की तरफ भागा…

रामा दीदी खिल खिलाकर हँसते हुए बड़बड़ाई… देखो नयी भाभी की गोद में बैठने के नाम से ही कैसी नींद भाग गयी….हहेहहे…

मे 1 घंटे में नहा धोकर फ्रेश होकर एक लाल सुर्ख रंग की टाइट टीशर्ट और ब्लू जीन्स पहन कर आँगन में पहुँचा…

वहाँ सब रसम के लिए मेरा इंतेज़ार कर रहे थे… सबकी नज़र जैसे ही मुझ पर पड़ी, तो टिकी ही रह गयी…

निशा तो मानो किसी सम्मोहन से बँधी.. मुझे बड़ी ही प्यारी नज़रों से देखे जारही थी…

टाइट कसी हुई टीशर्ट में मेरी कसरती बॉडी के सारे कट्स दिखाई दे रहे थे.. सीना एकदम बाहर.. उसके नीचे के पॅक्स… बाजुओं की मछलिया…

मेने आज एक स्पेशल इंपोर्टेड पर्फ्यूम भी लगाया हुआ था… वैसे इन सब की मुझे कभी आदत नही थी…

आँगन में घर के बड़े लोगों को छोड़, वाकई सभी लोग मौजूद थे..
पूरे आँगन में एक कालीन का बिच्छवान डाला हुआ था.. सेंटर में दो मोटे-2 गद्दे जिन पर एक साफ-सुथरी चादर,

जिसके ऊपर कामिनी भाभी.. पालती मारे सुर्ख लाल जोड़े में अपनी नज़रें झुकाए बैठी थी…मुझे देखते ही सब खुश हो गये, मोहिनी भाभी मेरी टाँग खींचते हुए बोली…

लो जी.. आ गये देवर राजा.. बड़े आटिट्यूड वाले हैं.. भाभी बेचारी कब से इंतेज़ार में हैं.. कि उनके प्यारे, दुलारे, जगत से न्यारे देवर जी आएँ तो वो उन्हें लाड करें..

मेने हँसते हुए.. पीछे से उनके गले में बाहें डाल दी और बोला – क्या
भाभी.. मुझे आपसे ये उम्मीद नही थी… आप मेरी ही टाँग खींचने लगी..

वो हँसते हुए बोली – अरे मेरे प्यारे देवर्जी.. यहाँ सब कब्से तुम्हारा इंतेज़ार कर रहे हैं… और तुम हो कि अभी तक सोए पड़े थे…

खैर चलो… आज आपकी छोटी भाभी का नंबर है लाड करने का.. बड़ी से तो बहुत लाड ले लिया.. जाओ जाकर उनकी गोद में बैठो..

फिर मेरे कान में फुसफुसा कर बोली – लल्ला नयी भाभी पर कोई रहम मत करना… पूरा वजन रख कर बैठना आराम से…

मे मुस्कराते हुए कामिनी भाभी के आगे अपने घुटने टेक कर बैठ गया… और उनके चिन को उठा कर फेस अपनी तरफ कर के बोला –

भाभी बिना देवर की ओर देखे ही लाड करोगी…?

उन्होने मुझे एक बार भरपूर नज़र डालकर देखा… एक सुर्ख लाल जोड़े में वो इस समय बहुत सुंदर लगा रही थी…कुछ – 2 इस तरह की छवि…..
एक दम चाँद का टुकड़ा… होंठों पर सुर्ख लिपीसटिक.. गोरे-2 गाल, हल्की सी लाली लिए..

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लेकिन मेकप के बाद भी उनके एक गाल पर कुछ निशान सा था…

उन्होने अपनी प्यारी सी मीठी सी आवाज़ में कहा – देवर जी आइए ना मेरी गोद में बैठिए…

मे – आप मुझे झेल पाएँगी…….?

मेरी बात पर सभी हँसने लगे…और कामिनी भाभी ने शर्म से नज़र झुका ली…

मेने बुआ से पूछा – मेरी बात पर आप सभी लोग हंस क्यों रहे हो…?

बुआ – वो तेरे बड़े भाई को झेल चुकी है, तुझे झेलने में क्या तकलीफ़ होगी…इस बात पर बुआ समेत सभी ज़ोर-2 से हँसने लगे….!

मेने झेन्प्ते हुए कहा – अरे मे तो अपने वजन की बात कर रहा था….!

कामिनी भाभी – कोशिश करूँगी…, आप बैठिए..!

मे अपनी तशरीफ़ लेकर उनकी गोद में बैठने लगा.. मेने धीरे-2 कर के अपना सारा वजन उनकी जांघों पर डाल दिया….

उनकी मांसल जांघों का स्पर्श अपने कुल्हों पर फील होते ही मेरा पप्पू जीन्स में कुलबुलाने लगा..

उन्होने मेरे गालों पर हाथ फेर्कर प्यार से सहलाया और फिर अपने लिपीसटिक से पतले होंठ रख कर दोनो तरफ चूम लिया… लिपीसटिक के निशान मेरे दोनो गालों पर छप गये…

मेने उनके कान में फुसफुसा कर कहा… भाभी में भी आपके गालों पर किस करना चाहता हूँ…

वो मेरी बात सुनकर शरमा गयी.. मेने कहा.. बोलिए ना भाभी.. प्लीज़ एक बार बस…

वो – अपने भैया से पुच्छ लीजिए… ना..

मेने भैया से कहा – भैया.. मे भाभी को किस करना चाहता हूँ.. अगर आप इज़ाज़त दें तो..

वो बोले – अरे यार ! आज तुम भाभी देवर के बीच कोई कुछ नही बोलेगा… तुम दोनो आपस में ही डिसाइड करो भाई…

मेने भाभी की तरफ देखा.. उन्होने मौन स्वीकृति देदि… फिर मेने भाभी के दोनो गालों का चुंबन लिया और फुसफुसाया..

भाभी लगता है भैया ने आपको रात बहुत ज़ोर से काटा है.. निशान अभी तक है..

शर्म से उनकी गर्दन झुक गयी… मे अभी उनकी गोद से उठने की सोच ही रहा था कि चाची बोली पड़ी…

लल्ला ! भाभी की गोद से बिना नेग लिए मत उठना…

वाउ ! ये तो डबल धमाका हो गया… ! हां तो भाभी क्या देंगी.. अपने देवर को..?

वो – जो भी चाहिए माँग लो..!

मे – तो ठीक है… मुझे एक सॅमसंग का स्मार्ट फोन चाहिए… (जो उस समय नया लॉंच हुआ था मार्केट में)…

वो – ठीक है… जब आप गौने के लिए आओगे… आपका फोन आपको मिल जाएगा…

मेने एग्ज़ाइट्मेंट में भाभी के गालों को फिर से चूम लिया और उन्हें थॅंक्स बोलकर गोद से उठ गया……………!

दूसरे दिन शांति बुआ को अपने घर वापस जाना था, सुबह ही सुबह वो तैयार होने में लगी थी.. मे जब जाग के आया तब तक वो जाने के लिए तैयार खड़ी थी…

मेने बुआ को स्माइल किया… और उनके पैर छूते हुए कहा… क्यों बुआ ! कल रात मज़ा आया..

वो भी मुस्कराते हुए बोली – बहुत मस्त चोदता है तू… कभी आना मेरे घर.. तब देखूँगी.. तुझ में कितना दम खम है…

और हँसते हुए उन्होने मुझे अपने गले से लगा लिया…, बुआ के खरबूजों ने मेरे सोए हुए शेर पर फिर अटॅक कर दिया…

मेने उनके कान में कहा.. ज़रूर आउन्गा बुआ… आपका चॅलेंज मुझे मंजूर है… मेरी हॉट डार्लिंग बुआ…..

बीते एक हफ्ते में निशा ने मेरे दिल पर इस कदर कब्जा कर लिया था कि मुझे उठते-बैठते, सोते-जागते बस उसी के ख्याल आते रहते…

बुआ के जाते ही मे फिर उसके ख़यालों में खोने लगा…

भाभी मेरी हालत से अन्भिग्य नही थी, लेकिन घर की भीड़-भाड़ के चलते वो भी कुछ नही कर सकती थी…

धीरे-2 एक-एक कर के रिस्तेदार विदा होने लगे.. भाभी ने निशा को और कुछ दिनो के लिए रोक लिया था… उनका भाई राजेश अपने घर लौट गया था…

बड़ी बुआ भी जा चुकी थी.., एक हफ्ते बाद कामिनी भाभी भी पहली बार विदा होकर अपने घर चली गयी.. और दोनो भाई अपनी ड्यूटी पर लौट गये…

एक दिन मे छोटी चाची के यहाँ उनके आँगन में पड़ी चारपाई पर लेटा था, चाची सिरहने की तरफ पलटी लगाए बैठी थी, मेरा सर उनकी गोद में रखा हुआ था…

मेने चाची के खर्बूजों को दबा कर कहा – आअहह.. चाची ये तो और ज़्यादा फूल कर गुदगूदे होते जा रहे हैं…

वो – हां लल्ला.. अब इनमें दूध भी तो बनेगा ना… बच्चे के लिए.. जैसे-2 दिन नज़दीक आते जाएँगे वैसे-2 इनमें दूध आता जाएगा…

मेने एक चुचि को मसल्ते हुए कहा – तो अभी चूस कर देखूं क्या.. दूध निकलेगा इनमें से..?

वो – नही लल्ला, अभी नही, वो तो बच्चे के जन्म के बाद ही आएगा…! लेकिन लल्ला.. अब मेरा मान बहुत करता है वो करने का… प्लीज़ कुछ करो ना.. !

मे – मुझे कोई प्राब्लम नही है चाची.. आप कहो तो अभी अंदर चलते हैं…?

वो- नही अभी नही.. एक काम करना, कल कॉलेज से जल्दी सीधे यहीं आ जाना..

मेने हां बोलके एक बार और उनके चुचे मसल दिए… उनके मुँह से आहह..
निकल गयी… जबाब में उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर मरोड़ दिया….!

आययईीीई…क्या करती हो चाची… उखाड़ोगी क्या..? मेने सिसकते हुए कहा…

वो हँसते हुए बोली – जब तुमने मेरी चुचि मसली थी, तो कुछ नही, अब अपनी बारी आई तो चिल्लाने लगे…

अभी हम आगे कुछ और करते, कि दरवाजे पर किसी के आने की आहट सुनाई दी…

मे उनकी गोद से उठ कर बैठ गया.. सामने देखा तो निशा, रूचि को गोद में लिए खड़ी थी.मे उनकी गोद से उठ कर बैठ गया.. सामने देखा तो निशा, रूचि को गोद में लिए खड़ी थी..

चाची – आओ निशा ! अंदर आओ, वहाँ क्यों खड़ी रह गयी… ?

वो हमारे पास तक आई.. मे भी चारपाई से खड़ा हो गया और रूचि के गाल पर किस करने के लिए अपने होंठ आगे किए…

मे जैसे ही उसको किस करने वाला था कि रूचि ने अपना सर पीछे हटा लिया.. और मेरे होंठ निशा के गाल पर जा टिके…
रूचि ताली बजाते हुए हँसने लगी और चिल्ला कर बोली … दादी देखो ! चाचू ने मौसी को क़िस्सी कर दी…ओहोहो… ! चाचू ने मौसी को क़िस्सी करदी…!

उसके साथ चाची भी हँसने लगी… और हम दोनो झेंप गये.. मेने उसे सॉरी बोला…
वो रूचि को झूठा गुस्सा दिखा कर बोली – रूचि ! तू बहुत शैतानी करती है..

ठहर अभी तेरी पिटाई करती हूँ….

रूचि उसकी गोद से उतार कर मेरी गोद में आ गयी.. और मेरे गले से लिपट गयी…!

रूचि के गाल पर एक पप्पी कर के मेने उसे चाची के पास चारपाई पर बिठा दिया………

चाची बोली – तुम दोनो बैठो, मे ज़रा गाय-भैंस को चारा डाल कर आती हूँ..

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और वो बहाना कर के वहाँ से चली गयी.. मेने कहा, निशा जी बैठिए ना.. !

वो – नही मे ऐसे ही ठीक हूँ.. आप बैठिए..

फिर बोली – आप मुझे निशा जी क्यों बुलाते हैं..? खाली निशा बोला कीजिए ना प्लीज़…!

मे – आपको अच्छा लगेगा..?.. तो उसने कहा – हां ! और हो सके तो ये आप की वजाय तुम कहो तो मुझे और ज़्यादा अच्छा लगेगा..

मे – ठीक है, जैसा तुम कहो… वैसे निशा ! तुमने मेरी बात का अभी तक कोई जबाब नही दिया…?

वो – कॉन सी बात का..?

मे – मेने उस दिन कहा था.. ना ! कि मे तुम्हें पसंद करने लगा हूँ.. क्या तुम भी मुझे पसंद करती हो..?

वो बिना कोई जबाब दिए मेरी तरफ देखने लगी.. पता नही कैसा जादू था उसकी आँखों में की मे उसकी आँखों डूबने लगता था……!

कुछ देर बाद उसने अपनी पलकें झुका ली.. लेकिन कोई जबाब नही दिया.. मेने उसके हाथ अपने हाथों में ले लिए और फिरसे अपना सवाल दोहराया, बताओ ना प्लीज़…!

वो – अगर मे ना कहूँ तो आप मान लेंगे कि मे आपको पसंद नही करती…..?

मे – फिर भी मे तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ…!

वो – सच कहूँ… तो मे आपको पहली नज़र से ही चाहने लगी थी, तब मुझे आपके बारे में ये भी पता नही था.. कि आप कॉन हो…?

मे – सच..! तुम सच कह रही हो..? ओह निशा… आइ लव यू… ये कहकर मेने उसे अपनी बाहों में भर लिया…

वो – आइ लव यू टू अंकुश जी… मे भी आपसे प्यार करने लगी हूँ.. लेकिन अभी छोड़िए प्लीज़ … चाची आ गयी तो क्या सोचेंगी..

मेने उसे अपने सीने से लगाकर कहा – तुम चाची की चिंता मत करो जान… वो कुछ भी नही कहेंगी…

तुम नही जानती तुमने मुझे कितनी बड़ी खुशी दे दी है… ये कहकर मेने उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके पतले-2 रसीले होंठों को चूम लिया…

वो बुरी तरह से शरमा गयी, उसका शरीर थर-थर काँपने लगा, साँसें भारी होने लगी…

रूचि फिर ताली बजकर चिल्लाई… ओहो ! चाचू ने फिर मौसी की क़िस्सी कर दी…!

रूचि की आवाज़ सुनकर हम दोनो अलग हो गये…निशा रूचि को थप्पड़ दिखाते हुए बोली – ठहर शैतान.. अभी बताती हूँ तुझे…

और फिर मुस्कराते हुए प्यार से उसने रूचि को अपनी बाहों में समेट लिया,
उसके गाल पर एक प्यार भरा किस कर के मेरी ओर देखकर वो मुस्काराई, और उसे गोद में लेकर खिल-खिलाती हुई घर की तरफ भाग गयी…

मे मन ही मन मुस्करता हुआ, उसे जाते हुए देखता रहा………!

रात को खाना खाते समय भाभी ने कहा – लल्ला जी… कल निशा को छोड़ आना.. अब बहुत दिन हो गये उसको यहाँ… घरवाले खम्खा परेशान हो रहे होंगे…

मेरी तो ये सुन कर साँस ही अटक गयी.., खाना गले में अटक गया.., मुझे खाँसी का ठन्स्का सा लग गया…

भाभी – क्या हुआ… अच्छे से खाना खाओ.. इतनी भी क्या जल्दी है…ये कहकर मुझे पानी का ग्लास पकड़ा दिया…

मेने चोर नज़रों से निशा की तरफ देखा, वो भी भाभी की बात सुन कुछ दुखी सी लग रही थी…

मे – ऐसी भी क्या ज़रूरत आन पड़ी एकदम से भाभी.. मुझे कल कॉलेज भी जाना ज़रूरी है.. कोर्स बहुत पिछड़ गया है भैया की शादी के चक्कर में….!

भाभी – तो कोई बात नही कॉलेज से लौट कर छोड़ आना.. अब सारी जिंदगी ये यहाँ तो नही रह सकती ना.., वैसे भी तुम्हारी बुलेट रानी के लिए है ही कितना दूर..

मे – ठीक है.. फिर दोपहर के बाद ही निकल पाएँगे…

अब साला चाची से भी कल का वादा किया है, तो वो भी निभाना तो पड़ेगा वरना वो बुरा मान जाएँगी…..,

मेने अकेले में भाभी को ये बात बताई.. तो वो बोली – कोई बात नही, मॅनेज कर लेना…

शाम को थोड़ा लेट चले जाना और रात वहीं रुक जाना.. मेने कहा – वैसे भाभी इतना भी अर्जेंट नही है.. निशा का जाना.. और कुछ दिन रहने दो ना.. !

वो मेरी तरफ गहरी नज़रों से देखते हुए बोली – तुम उसको रोकने के लिए इतना प्रेशर क्यों डाल रहे हो…? बात क्या है..? कुछ लफडा लगता है..क्यों..?

मे नज़र नीची कर के बोला – नही भाभी ऐसा वैसा कुछ नही, बस मे तो यूँही कह रहा था… !

वो – अच्छा वो सब छोड़ो.. अब मुझे सच..सच जबाब देना.. जो मे पुच्छू उसका..

मे – हां ! पुछिये…

वो – तुम्हें निशा कैसी लगती है..?

मे – अच्छी है, सुन्दर है.. इसमें छिपाने जैसा क्या है.. जो सच है सो है..

वो – तुम उसे पसंद भी करते हो…

उनके इस सवाल पर में गड़बड़ा गया… जल्दी से कोई जबाब नही दे सका.. तो नज़र अपने आप झुक गयी…

मेरी ओर से कोई जबाब ना पाकर वो फिर बोली – वो भी तुम्हें पसंद करती है..?

मेने अपनी नज़र ऊपर की और उनकी ओर देखने लगा… मुझे अपनी ओर देखते हुए पाकर वो बोली –

लल्ला ! मे तुम दोनो के बारे में सब जानती हूँ, और इसलिए उसे यहाँ से भेज रही हूँ…. जिससे तुम दोनो कहीं बहक ना जाओ, और समय से पहले कुछ ऐसा हो जो नही होना चाहिए…

मे तुम दोनो से नाराज़ नही हूँ.. बल्कि मे तो खुद चाहती हूँ.. कि आगे चल कर तुम दोनो एक हो जाओ..

निशा के लिए तुमसे अच्छा जीवन साथी और कोई हो ही नही सकता.. लेकिन रिश्तों की कुछ मर्यादाएँ होती हैं, जिन्हें हमें निभाना पड़ता है..!

मे मुँह बाए, बस उनके चेहरे को ही देखता रहा.. उनके चेहरे पर किसी भी तरह के कोई भाव नही थे… जस्ट चिल…

मे भाभी के गले से लग गया… मेरी आँखों से दो बूँद आँसुओं की निकल पड़ी और मेने रुँधे गले से कहा-

सच में आप मेरे लिए भगवान का रूप हो भाभी… हम दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करने लगे हैं.. और अब एक दूसरे के बिना रहने की कल्पना भी नही कर सकते…

वो – लेकिन कुछ साल तो तुम दोनो को इंतेज़ार करना पड़ेगा… लेकिन ये मेरा वादा है तुमसे.. कि चाहे जो भी हो, मे तुम दोनो को मिलाकर ही रहूंगी…

अब तुम जाओ.. और बिना किसी शक-सुवह के सो जाओ… कल बहुत मेहनत करनी है.. ये खाकर मेरे गाल पकड़ कर हँसने लगी…

मेने एक बार भाभी के गालों पर किस किया और सोने चला गया..

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