देवर भाभी का रोमांस – 7 | Devar Bhabhi Sex Story

अपनी तारीफ सुनकर भाभी मन ही मन गद-गद हो उठी और मेरे गालों से अपने गालों को सहलाते हुए बोली –
मे हमेशा ही तुम्हारी रहूंगी लल्लाजी… अपनी मर्यादाओं को निभाते हुए भी मेरा प्रेम तुम्हारे लिए हमेशा बना रहेगा…

अब देखना ये होगा कि तुम मुझे कब तक इसी तरह प्रेम करते रहोगो..?

मे झट से बोल पड़ा – मरते दम तक…! मे आपको ता-उम्र यूँही चाहता रहूँगा..

मेरी बात सुन वो पलट गयी, और किसी दीवानी की तरह मेरे पूरे चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी…

मे भी उनका भरपूर साथ देने लगा, उन्होने मेरे हाथ पकड़कर अपने स्तनों पर रख दिए जिन्हें मेने हौले से सहला दिया..
अहह…. देवर्जी….. इन्हें मूह में लेकर चूसो मेरे रजाअजीीीइ…. इनका दूध आज तुम्हारे लिए है…

भाभी की बात सुन मेने अपना मूह उनके एक निपल से अड़ा दिया और चुकुर-2 करके उनका दूध चूसने लगा… बड़ा ही टेस्टी दूध था भाभी का, मीठा… वो मेरे सर को अपने हाथ से सहला रही थी अपनी आँखें बंद किए हुए…

एक हाथ से मे उनके दूसरे स्तन को सहला रहा था, कभी-2 उनके कड़क हो चुके निपल को दबा देता.. जिसके कारण उनके मूह से सिसकी… ईीीइसस्स्स्शह…. निकल जाती..

कुच्छ देर बाद मे दूसरे स्तन को चूसने लगा, और पहले वाले को हाथ से सहलाता रहा…. मेने चूस-चूस कर, मसल-मसल कर उनके दोनो स्तनों को लाल कर दिया..

भाभी के हाथ का दबाब अपने सर पर पाकर मे नीचे की ओर बढ़ा और उनके पेट और नाभि को चाटता हुआ, उनके रस कलश पर पहुँचा…

मे अपने घुटनों पर बैठकर उनके यौनी प्रदेश को निहारने लगा.. और अपने दोनो हाथों से उनकी मोटी-मोटी जांघों को सहलाते हुए अंदर की ओर लाया,

मेरे हाथों का स्पर्श अपनी जांघों के अंदुरूनी भाग पर पाकर उनकी जांघे अपने आप चौड़ी हो गयी..

अब उनका यौनी प्रदेश और अच्छे से दिख रहा था… उनकी मुनिया से बूँद-2 करके रस टपक रहा था, जिसे मेने अपनी उंगली पर रख कर चखा,

एक खट्टा-मीठा सा स्वाद मेरी जीभ को अच्छा लगा, और मेने एक बार अपने हाथ से उसको सहला कर अपने होठ उनकी यौनी पर रख दिए…

मेरे होठों का स्पर्श अपनी यौनी पर पाकर भाभी के मूह से एक मीठी सी सिसकी निकल गयी…..ईीीइसस्स्स्शह……उफफफफफ्फ़………आअहह….. द.द.ए.व.ए.रजीीइईई….चातूओ…ईससीईई…..प्लेआस्ीई….

मेने पहले भी कभी उनकी बात नही टाली थी… तो अब तो रस का खजाना मेरे सामने था… सो मेने उनकी यौनी की दोनो पुट्टियों समेत पूरी यौनी को अपने मूह में भर लिया और चूसने लगा…

भाभी के दोनो हाथ मेरे बालों को सहला रहे थे, उनके मूह से लगातार कुच्छ ना कुच्छ निकल रहा था.. कुच्छ देर पूरी यौनी को चुसवाने के बाद भाभी बोली-

ल्लाल्लाजीीइई…..इसको खोल के देखो… और अपनी जीभ अंदर डालके चाटो…प्लेआस्ीई…
आअहह….हान्न्न…ऐसी..हिी…हइईए…माआ…उफफफ्फ़…. और जोर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर….स.ईईईईई…..हाइईईईईईईईईईईईई…….उसस्सुउुउऊहह….खा जाऊ…हरंजड़ीइइ..कूऊ…

हाए… देखो…उपर एक नाक जैसी उठी हुई होगी उसको चूसूऊ…. हान्न्न.. यहीयिइ….एसस्स….बहुत अच्छे….अब अपनी उंगली डाल दो अंदर… हइईए…पूरी घुसाऊओ….डरो मत….आहह…. डालडो….हाआंन्न…..अब ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करूऊ…..तेज़ी सीई…. हइई…राम्म्म्मम….ऑश….उूउउ….मीई…तूओ…गाइिईई…ल्ल्ल्लाअल्ल्लाअज्जजििइईई……..

भाभी ने पूरी ताक़त से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा दिया, और फलफालकर झड़ने लगी… ढेर सारा… गाढ़ा-गाढ़ा.. मट्ठा सा.. उनकी चूत से निकलने लगा…

मेने अपना मूह हटाना चाहा… तो वो बोली… नही पी जाओ इसे… तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा..

मे उनका सारा चूतरस पी गया… भाभी की टाँगें काँप रही थी, अब उनसे खड़े रहना मुश्किल होता जा रहा था…

लल्ला जी मुझे पलंग पर ले चलो…प्लेआसीए…

मेने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया, उन्होने अपनी बाहें मेरे गले में लपेट दी.. और मेरे मूह पर लगे अपने कामरस को चाटते हुए बोली – कैसा था स्वाद मेरे रस का..?

मे – अह्ह्ह्ह… भाभी.. पुछो मत… ऐसा टेस्ट आज तक किसी चीज़ का नही मिला मुझे.. वो मेरे से और चिपक गयी और मेरे गाल पर ज़ोर से काट लिया..

मेरी चीख निकल गयी और उनके दाँतों के निशान मेरे गाल पर छप गये, जिसे वो अपनी जीभ से चाटने लगी…

मेने भाभी को पलग पर लिटा दिया और खुद भी उनकी बगल में लेटकर उनके बदन पर अपना हाथ फिराने लगा.

भाभी – तुम सीधे लेट जाओ लल्ला… अब मेरी बारी है, तुम्हें वो सुख देने की जिसका तुमने इतने दिन इंतजार किया है, जिसे देने का मेने तुमसे वादा किया था… देखना आज तुम्हारी वर्जिनिटी कितने प्यार से लेती हूँ..

जब मे सीधा लेट गया, तो भाभी अपनी गोल-मटोल 36 इंची गांद लेकर, पैरों को मेरे दोनो तरफ करके, मेरे लंड के पास जांघों पर बैठ गयी..

मेरा लंड अपनी सहेली को अपने सामने इतने नज़दीक पाकर खुशी से ठुमके लगाने लगा..

उसके झटके देखकर भाभी को हँसी आ गयी और बोली – देखा देवर जी.. तुम्हारा ये सिपाही अपनी सहेली को देखकर कैसे ठुमके लगा रहा है…

मे – क्यों ना लगाए, बेचारे को अब तक तो वो घूँघट में ही मिली थी, आज पहली बार मुखड़ा देखने को जो मिला है, खुश तो होगा ही.. हहहे… और हम दोनो ही हँसने लगे…!

फिर भाभी ने अपने हाथ मेरी छाती पर टिका दिए, और उसे सहलाते हुए वो मेरे उपर झुकती चली गयी… मेरे होठों को अपने मूह में लेकर चूसने लगी…

उनके निपल मेरे सीने से रब कर रहे थे, जिसके कारण मेरे पूरे शरीर में सुर-सुराहट सी होने लगी…..

भाभी आगे-पीछे होकर अपनी चुचियों को मेरे सीने से घिस रही थी, जिस के कारण उनकी रसभरी भी अपने प्रियतम को गले मिलने लगी,

और अपने गीले होठों की मसाज देते हुए मानो कह रही ही.. आजा मेरे प्यारे समा जा मुझमें…

हम दोनो फिर एक बार भट्टी की तरह तपने लगे.. अब मुझसे रहा नही जा रहा था, सो बोल पड़ा – आहह… भाभी… कुच्छ करो अब… जल्दी से…

उन्होने भी अब देर करना उचित नही समझा, मेरे उपर झुके हुए ही उन्होने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लिया और अपनी रस से भरी गागर के छोटे से मूह पर रख कर अपनी कमर को हल्के से दबा दिया…

गीली चूत में मेरा चौथाई लंड समा गया..

लेकिन चूत की दीवारों की रगड़ से मेरे सुपाडे से चिपकी हुई स्किन टूटने लगी..

जिसकी वजह से मेरे अंदर एक तेज दर्द की लहर दौड़ गयी.. और मेरे मूह से चीख निकल गयी…

आईईईई……माआ….! भाभी…रूको… मेरा लंड फट गया लगता है… उठो ज़रा देखने दो… आहह…

लेकिन भाभी को पता था कि ऐसा कुच्छ देर के लिए होगा.. सो वो अपनी चूत मेरे लंड पर दबाए हुए बैठी रही और अपनी एक चुचि पकड़ कर मेरे मूह में ठुंसदी…

अरे लल्लाजी.. कुच्छ नही हुआ… लो इसको चूसो.. हान्ं.. शब्बाश… ऐसे ही..

मुझे अपनी चुचि से लगा कर उन्होने अपनी गांद को एक बार और दबा दिया…

अब आधे से ज़्यादा लंड उनकी चूत में सरक चुका था… लेकिन फिर से दर्द हुआ मुझे और उनकी चुचि को मूह से बाहर निकल कर कराहने लगा..

भाभी मुझे दुलारती हुई दूसरी चुचि मूह में देकर चुसवाने लगी..

कुच्छ देर बाद मुझे राहत सी हुई.. तो भाभी पूरी तरह मेरे उपर बैठ गयी और मेरा पूरा साडे सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड अपने अंदर घोंट लिया..

मेरा दर्द अब पहले से कम था, शायद उनकी रामप्यारी ने अंदर ही अंदर अपने रस रूपी क्रीम से उसे चिकना दिया था..

अब भाभी ने मेरी छाती पर अपनी हथेलिया जमाई और अपने घुटने मोड़ कर उन्होने उठना बैठना शुरू कर दिया…

शुरू-2 में वो धीरे-2 आराम से उपर-नीचे होती रही.. फिर अपनी गति को बढ़ा दिया..

मुझे अब दर्द की जगह मज़ा आने लगा था.. और मेने भाभी के दोनो चुचे अपनी मुत्ठियों में कस लिए और ज़ोर-ज़ोर से मीँजने लगा…

भाभी कमर चलते-2 हाँफने लगी थी और उनकी स्पीड कम पड़ने लगी,

लेकिन मेरा मज़े से बुरा हाल हो रहा था, एक पल की भी देरी एक सदी के समान लग रही थी….,

सो उनकी गति कम होते देख, मेरी गांद ऑटोमॅटिकली मूव करने लगी और मे नीचे से अपनी गांद उचका-2 कर धक्के लगाने लगा.

भाभी ने अपने धक्के बंद कर दिए, अब वो अपने घुटनो पर हो गयी,

मेने नीचे से धक्कों की कमान अपने हाथ में ले ली और इतनी तेज़ी से धक्के मारने लगा, कि भाभी के मूह से हइई…..हइई…आआहह…मार्ररिइ…ऊओह…उउफफफ्फ़… जैसी आवाज़ें कमरे में गूंजने लगी….

वो मेरे धक्कों की स्पीड ज़्यादा देर तक नही झेल पाई और झड़ने लगी… पूरी तरह झड़ने के बाद वो मेरे उपर पसर गयी…

लेकिन मेरा अभी होना वाकी था, सो मे अपनी ही धुन में लगा रहा..

भाभी थोड़ी देर में फिरसे गरम हो गयी.. और फिरसे उनके मूह से ऐसे ही मादक किलकरियाँ निकलने लगी…

आखिकार मेने जिंदगी की पहली चुदाई का आनंद पा ही लिया… मेरे अण्डों से बहता हुआ लावा लंड के रास्ते आने लगा…

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और मे बुरी तरह हुनकाआररर… भरते हुए भाभी की चूत में झड़ने लगा…

मेरी पिचकारी इतनी तेज़ी से निकली कि उसकी धार की तेज़ी उन्होने अपनी बच्चेदानी के अंदर तक महसूस की और उसके एहसास से वो फिर बुरी तरह से झड गयी…

मेरी कमर हवा में उठ गयी, भाभी के वजन के बावजूद मेने उन्हें दो मिनट तक उठाए रखा….

फिर भाभी और मे, हम दोनो ही एक दूसरे से चिपक गये किसी जोंक की तरह… मानो कोई हमें अलग ना कर्दे..

स्खलन की खुमारी इतनी तगड़ी थी कि आधे-पोने घंटे तक वो मेरे उपर पड़ी रही, और मेने भी उन्हें उठने के लिए नही कहा…

एक तरह से झपकी ही लग गयी थी हम दोनो को…

फिर एक साथ भाभी हड़बड़ा कर उठी,… हाए डाइयाअ.. मेरी तो आँख ही लग गयी थी..तुमने मुझे उठाया क्यों नही…

अभीतक मेरा लंड उनकी चूत में ही था… जो फिरसे गर्मी पाकर अंदर ही अंदर अकड़ने लगा था,

जैसे ही भाभी एक साथ मेरे उपर से उठी, पच की आवाज़ के साथ लंड चूत से बाहर हो गया.

ढेर सारा मसाला जो मेरे लंड और उनकी चूत से दो बार निकला था मेरे उपर गिरा और मेरा सारा पेट, कमर जंघें सब के सब सन गये…

भाभी ने मुझे बाथरूम जाने को कहा – लल्लाजी जाके ये सब साफ कर लो.. देखो तो क्या हॉल हो रहा है..?

मे – आपको अपनी सफाई नही करनी..?

वो – हां ! लेकिन पहले तुम अपना शरीर साफ कर लो फिर में चली जाउन्गी..

मे – फिर साथ में ही चलते हैं ना..! इसमें अब मेरा तेरा क्या है..!

तो वो हंस कर बोली – चलो ठीक है, और उठकर बाथरूम की तरफ चल दी, पीछे -2 मे भी उनकी मटकती गांद को सहलाते हुए चल दिया…

बाथरूम में पहुँचकर भाभी ने पहले मेरा शरीर पानी से धोया, और उसके बाद अपनी यौनी साफ करने लगी…

तौलिए से पोन्छ्ते हुए भाभी बोली – देवेर्जी कैसा लगा मेरे साथ सेक्स करके..

मेने सीधे से कोई जबाब नही दिया, और उन्हें बाहों में भरके उनके होठों पर एक किस करके बोला –

सच कहूँ… तो आपने मुझे बिन-मोल खरीद लिया भाभी.. मरते दम तक आज के दिन को, चाह कर भी भूल नही पाउन्गा…!

वो – बस मेरी साधना सफल हो गयी ये सुनकर… ! मेरा सपना था कि मे तुम्हें तुम्हारे जीवन की हर वो खुशी दे पाऊ जो तुम्हे चाहिए..!

मेने खुशी के मारे भाभी को किसी बच्ची की तरह गोद में उठा लिया… वो भी अपनी दोनो टाँगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर मेरे गले से लिपट गयी…..

मेरा लंड उनकी गांद की खुश्बू लेते ही तन टॅनाने लगा.. और उनके गांद के नीचे ठोकर मारने लगा….

अपने घोड़े को कंट्रोल में करो देवर्जी… बहुत उच्छल-कूद कर रहा है नीचे.. भाभी हँसते हुए बोली..

मे – वो बेचारा भी क्या करे, जब इतना आरामदायक अस्तबल दिख रहा हो तो वो उसमें जाने की ज़िद करेगा ही ना…

ऐसी ही हसी मज़ाक करते हुए.. में उन्हें गोद में उठाए बाथरूम से बाहर लाया और आकर पलग पर बैठ गया, वो अभी भी मेरी गोद में ही थी…..

भाभी – अब उतारो भी मुझे.. या कुच्छ और इरादा है..?

मे – मन ही नही कर रहा है आपको छोड़ने का….

वो – इतना प्यार करते हो अपनी भाभी से…!

मे – जान हाज़िर है.. आपके एक इशारे पर… अब आप सिर्फ़ मेरी भाभी नही रहीं, जान बन गयी हो मेरी, मेने फिरसे उन्हें अपने से चिपका लिया….

भाभी भी मेरे गले में अपनी मांसल गोरी-गोरी बाहों का हार डाले मेरे होठों को चूसने लगी.. .

मेने उन्हें अपने हाथों से उनकी पीठ पर सहारा देकर लिटा लिया और उनका दूध पीने लगा,

भाभी का सर पीछे को लटक गया, और एक बार फिर उनका मांसल गदराया बदन मस्ती से भरने लगा…

उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को उपर की तरफ किया और वो उसके उपर अपनी चूत से मालिश करने लगी….

उनके रस सागर से नमी चख कर वो मस्ती में झूम उठा, और फन-फ़ना कर फिरसे उनकी सुरंग में जाने की ज़िद करने लगा…

हम दोनो फिर एक बार वासना की आग में जलने लगे,

उसे शांत करने के प्रयास में भाभी ने एक कदम बढ़ाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गुफा के मूह पर सटा लिया… और धीरे से अपनी कमर में एक हल्की सी जुम्बिश दी…

सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर… से वो रसभरी सुरंग में आधे रास्ते तक पहुँच गया..

एक साथ हम दोनो के मूह से मस्ती भारी आहह…. फुट पड़ी…

उफफफफफफफफफफफ्फ़…. इतना मज़ा…. ! भाभी आधे लंड को लेकर अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी मानो वो उसे मथकर उसमें से रस निकालना चाहती हो…..

मेरे सब्र का बाँध टूट गया , और मेने उन्हें पलग पर लिटा दिया, टाँगे हवा में उठाकर एक भरपूर ताक़तवर धक्का जड़ दिया… अरे लल्लाजी.. कुच्छ नही हुआ… लो इसको चूसो.. हान्ं.. शब्बाश… ऐसे ही..

मुझे अपनी चुचि से लगा कर उन्होने अपनी गांद को एक बार और दबा दिया…

अब आधे से ज़्यादा लंड उनकी चूत में सरक चुका था… लेकिन फिर से दर्द हुआ मुझे और उनकी चुचि को मूह से बाहर निकल कर कराहने लगा..

भाभी मुझे दुलारती हुई दूसरी चुचि मूह में देकर चुसवाने लगी..

कुच्छ देर बाद मुझे राहत सी हुई.. तो भाभी पूरी तरह मेरे उपर बैठ गयी और मेरा पूरा साडे सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड अपने अंदर घोंट लिया..

मेरा दर्द अब पहले से कम था, शायद उनकी रामप्यारी ने अंदर ही अंदर अपने रस रूपी क्रीम से उसे चिकना दिया था..

अब भाभी ने मेरी छाती पर अपनी हथेलिया जमाई और अपने घुटने मोड़ कर उन्होने उठना बैठना शुरू कर दिया…

शुरू-2 में वो धीरे-2 आराम से उपर-नीचे होती रही.. फिर अपनी गति को बढ़ा दिया..

मुझे अब दर्द की जगह मज़ा आने लगा था.. और मेने भाभी के दोनो चुचे अपनी मुत्ठियों में कस लिए और ज़ोर-ज़ोर से मीँजने लगा…

भाभी कमर चलते-2 हाँफने लगी थी और उनकी स्पीड कम पड़ने लगी,

लेकिन मेरा मज़े से बुरा हाल हो रहा था, एक पल की भी देरी एक सदी के समान लग रही थी….,

सो उनकी गति कम होते देख, मेरी गांद ऑटोमॅटिकली मूव करने लगी और मे नीचे से अपनी गांद उचका-2 कर धक्के लगाने लगा.

भाभी ने अपने धक्के बंद कर दिए, अब वो अपने घुटनो पर हो गयी,

मेने नीचे से धक्कों की कमान अपने हाथ में ले ली और इतनी तेज़ी से धक्के मारने लगा, कि भाभी के मूह से हइई…..हइई…आआहह…मार्ररिइ…ऊओह…उउफफफ्फ़… जैसी आवाज़ें कमरे में गूंजने लगी….

वो मेरे धक्कों की स्पीड ज़्यादा देर तक नही झेल पाई और झड़ने लगी… पूरी तरह झड़ने के बाद वो मेरे उपर पसर गयी…

लेकिन मेरा अभी होना वाकी था, सो मे अपनी ही धुन में लगा रहा..

भाभी थोड़ी देर में फिरसे गरम हो गयी.. और फिरसे उनके मूह से ऐसे ही मादक किलकरियाँ निकलने लगी…

आखिकार मेने जिंदगी की पहली चुदाई का आनंद पा ही लिया… मेरे अण्डों से बहता हुआ लावा लंड के रास्ते आने लगा…

और मे बुरी तरह हुनकाआररर… भरते हुए भाभी की चूत में झड़ने लगा…

मेरी पिचकारी इतनी तेज़ी से निकली कि उसकी धार की तेज़ी उन्होने अपनी बच्चेदानी के अंदर तक महसूस की और उसके एहसास से वो फिर बुरी तरह से झड गयी…

मेरी कमर हवा में उठ गयी, भाभी के वजन के बावजूद मेने उन्हें दो मिनट तक उठाए रखा….

फिर भाभी और मे, हम दोनो ही एक दूसरे से चिपक गये किसी जोंक की तरह… मानो कोई हमें अलग ना कर्दे..

स्खलन की खुमारी इतनी तगड़ी थी कि आधे-पोने घंटे तक वो मेरे उपर पड़ी रही, और मेने भी उन्हें उठने के लिए नही कहा…

एक तरह से झपकी ही लग गयी थी हम दोनो को…

फिर एक साथ भाभी हड़बड़ा कर उठी,… हाए डाइयाअ.. मेरी तो आँख ही लग गयी थी..तुमने मुझे उठाया क्यों नही…

अभीतक मेरा लंड उनकी चूत में ही था… जो फिरसे गर्मी पाकर अंदर ही अंदर अकड़ने लगा था,

जैसे ही भाभी एक साथ मेरे उपर से उठी, पच की आवाज़ के साथ लंड चूत से बाहर हो गया.

ढेर सारा मसाला जो मेरे लंड और उनकी चूत से दो बार निकला था मेरे उपर गिरा और मेरा सारा पेट, कमर जंघें सब के सब सन गये…

Devar Bhabhi Sex Story | Hindi Sex Story | Antravasna Sex Story | XXX Story

भाभी ने मुझे बाथरूम जाने को कहा – लल्लाजी जाके ये सब साफ कर लो.. देखो तो क्या हॉल हो रहा है..?

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मे – आपको अपनी सफाई नही करनी..?

वो – हां ! लेकिन पहले तुम अपना शरीर साफ कर लो फिर में चली जाउन्गी..

मे – फिर साथ में ही चलते हैं ना..! इसमें अब मेरा तेरा क्या है..!

तो वो हंस कर बोली – चलो ठीक है, और उठकर बाथरूम की तरफ चल दी, पीछे -2 मे भी उनकी मटकती गांद को सहलाते हुए चल दिया…

बाथरूम में पहुँचकर भाभी ने पहले मेरा शरीर पानी से धोया, और उसके बाद अपनी यौनी साफ करने लगी…

तौलिए से पोन्छ्ते हुए भाभी बोली – देवेर्जी कैसा लगा मेरे साथ सेक्स करके..

मेने सीधे से कोई जबाब नही दिया, और उन्हें बाहों में भरके उनके होठों पर एक किस करके बोला –

सच कहूँ… तो आपने मुझे बिन-मोल खरीद लिया भाभी.. मरते दम तक आज के दिन को, चाह कर भी भूल नही पाउन्गा…!

वो – बस मेरी साधना सफल हो गयी ये सुनकर… ! मेरा सपना था कि मे तुम्हें तुम्हारे जीवन की हर वो खुशी दे पाऊ जो तुम्हे चाहिए..!

मेने खुशी के मारे भाभी को किसी बच्ची की तरह गोद में उठा लिया… वो भी अपनी दोनो टाँगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर मेरे गले से लिपट गयी…..

मेरा लंड उनकी गांद की खुश्बू लेते ही तन टॅनाने लगा.. और उनके गांद के नीचे ठोकर मारने लगा….

अपने घोड़े को कंट्रोल में करो देवर्जी… बहुत उच्छल-कूद कर रहा है नीचे.. भाभी हँसते हुए बोली..

मे – वो बेचारा भी क्या करे, जब इतना आरामदायक अस्तबल दिख रहा हो तो वो उसमें जाने की ज़िद करेगा ही ना…

ऐसी ही हसी मज़ाक करते हुए.. में उन्हें गोद में उठाए बाथरूम से बाहर लाया और आकर पलग पर बैठ गया, वो अभी भी मेरी गोद में ही थी…..

भाभी – अब उतारो भी मुझे.. या कुच्छ और इरादा है..?

मे – मन ही नही कर रहा है आपको छोड़ने का….

वो – इतना प्यार करते हो अपनी भाभी से…!

मे – जान हाज़िर है.. आपके एक इशारे पर… अब आप सिर्फ़ मेरी भाभी नही रहीं, जान बन गयी हो मेरी, मेने फिरसे उन्हें अपने से चिपका लिया….

भाभी भी मेरे गले में अपनी मांसल गोरी-गोरी बाहों का हार डाले मेरे होठों को चूसने लगी.. .

मेने उन्हें अपने हाथों से उनकी पीठ पर सहारा देकर लिटा लिया और उनका दूध पीने लगा,

भाभी का सर पीछे को लटक गया, और एक बार फिर उनका मांसल गदराया बदन मस्ती से भरने लगा…

उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को उपर की तरफ किया और वो उसके उपर अपनी चूत से मालिश करने लगी….

उनके रस सागर से नमी चख कर वो मस्ती में झूम उठा, और फन-फ़ना कर फिरसे उनकी सुरंग में जाने की ज़िद करने लगा…

हम दोनो फिर एक बार वासना की आग में जलने लगे,

उसे शांत करने के प्रयास में भाभी ने एक कदम बढ़ाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गुफा के मूह पर सटा लिया… और धीरे से अपनी कमर में एक हल्की सी जुम्बिश दी…

सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर… से वो रसभरी सुरंग में आधे रास्ते तक पहुँच गया..

एक साथ हम दोनो के मूह से मस्ती भारी आहह…. फुट पड़ी…

उफफफफफफफफफफफ्फ़…. इतना मज़ा…. ! भाभी आधे लंड को लेकर अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी मानो वो उसे मथकर उसमें से रस निकालना चाहती हो…..

मेरे सब्र का बाँध टूट गया , और मेने उन्हें पलग पर लिटा दिया, टाँगे हवा में उठाकर एक भरपूर ताक़तवर धक्का जड़ दिया…एक साथ हम दोनो के मूह से मस्ती भारी आहह…. फुट पड़ी…

उफफफफफफफफफफफ्फ़…. इतना मज़ा…. ! भाभी आधे लंड को लेकर अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी मानो वो उसे मथकर उसमें से रस निकालना चाहती हो…..

मेरे सब्र का बाँध टूट गया , और मेने उन्हें पलग पर लिटा दिया, टाँगे हवा में उठाकर एक भरपूर ताक़तवर धक्का जड़ दिया…

एक बार फिर एक दर्द की लहर सी मेरे लंड से उठी, जो मज़े के आलम में कन्हि खो गयी, उधर भाभी भी अपने होठों को कसकर दवाए अपने दर्द को पी गयी..

हम दोनो ही मस्ती के ऊडन खटोले में बैठ कर दूर आसमानों में उड़ चले…

कमरे में हमारी जांघों की थप सुनाई दे रही थी… मेरे ताक़तवर धक्कों के बावजूद भी भाभी कुच्छ ना कुच्छ बोलकर मुझे और उत्साहित कर रही थी..

जब एक ही मुद्रा में हमें काफ़ी देर हो गयी.. तो भाभी ने हाथ के इशारे से रुकने को कहा…

फिर मुझे अपने उपर से उठा कर वो पलट गयी और अपने घुटने जोड़ कर पलंग पर घोड़ी की तरह निहुर गयी…

अब उनकी मस्त 38″ की गद्देदार कसी हुई गांद मेरे सामने थी, जिसे देखकर मे अपना आपा खो बैठा और उनके एक चूतड़ को काट लिया…

आअहह…..काटो मत…जानुउऊ…, वो दर्द से तडपी..तो मेने उस जगह को चूमा और फिर उनके दोनो चुतड़ों को बारी-बारी से चाटने लगा…

अपना मूह उनकी मोटी गांद में डाल दिया और उनकी चूत और गांद के छेद को चाटने लगा…….

आह्ह्ह्ह… अब अपना मूसल डालो मेरे रजाआा… क्यों तड़पाते हूओ…

भाभी की हालत मुझसे देखी नही गयी और मेने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया…

ईईीीइसस्स्स्स्शह……हइईईईई….रामम्म्मममम….अब छोड़ूऊ…लल्लाआ….. आराम सीईए….उफफफफफफफफफफफ्फ़….. कितना मज़ाअ देतीई हूऊ…तुम… मुझे अपना गुलामम्म्म.. बनाआ.. लियाअ…

जी करता है, इसे हर समय अपनी मुनिया में ही डाले रहूं….डालोगे नाआ….!

ये अब आपका ही है….भाभिईीईई….जब चाहो…पकड़ के डाल लएनाअ….हुउन्न्ह…

मेरी जांघे तपाक से उनके भारी चुतड़ों पर पड़ने लगी… कभी-2 मे उनकी गांद मसल देता, तो कभी उनके चुतड़ों पर थप्पड़ जड़ देता…

भाभी और ज़ोर्से चोदने को बोलती…मेरे शरीर से पसीना निकलने लगा… लेकिन चुदाई…चरम…पर पहुँचती जा रही थी…

आधे घंटे की धुँआधार चुदाई के बाद हम दोनो एक साथ ही झड़ने लगे…भाभी की यौनी से लगातार कामरस बरस रहा था…

झड़ने के बाद वो पलंग पर औंधी पसर गयी और में उनकी पीठ पर लड़ गया..

10-15 मिनिट हम ऐसे ही बेसूध पड़े रहे और अपनी उखड़ी हुई साँसों को इकट्ठा करते रहे…

हमारा मस्ती भरा ये खेल सुबह के 4 बजे तक यूँही चलता रहा, फिर थक कर चूर हम एक-दूसरे की बाहों में लिपट कर सो गये…

सुबह 7 बजे रामा दीदी ने दवाजा खटखटाया… तब जाकर भाभी की नींद खुली..उन्होने अंदर से ही आवाज़ देकर कहा…

अभी थोड़ी देर में आती हूँ, रूचि को दूध पिलाकर….!

फिर भाभी ने अपने कपड़े पहने, मुझे झकज़ोर कर जगाया.. जब में जाग गया तो वो बोली –

लल्ला.. तुम कपड़े पहनो, में बाहर निकल कर देखती हूँ, रास्ता साफ देख कर बाहर निकल जाना …

रामा पुच्छे तो कह देना कि जल्दी जाग कर वॉक पर गया था.. ओके..

इस तरह से भाभी ने मेरे जन्म दिन का ये अनौखा तोहफा देकर मुझे जिंदगी भर के लिए अपना बना लिया…

वैसे तो वो मेरा हर तरह का ख्याल रखती ही थी, बस यही काम वाकी था, सो वो भी पूरा हो गया था..

अब वो मेरे लिए मेरी मा से भी बढ़कर मेरी ज़रूरत बन चुकी थी..

मेने अपने नये खुले डिग्री कॉलेज में ही अड्मिशन ले लिया था, जिससे अब मे हमेशा भाभी के पास ही रह सकता था…

एक दिन छुट्टी का दिन दोनो भाई आए हुए थे मेने भाभी को अपनी एक डिमॅंड पहले ही बता दी थी…

सो जब रात को सभी एक साथ बैठ कर खाना खा रहे थे कि भाभी ने भूमिका बनाते हुए बात शुरू की..,

भाभी, भैया से बोली – सुनो जी..! मे क्या कह रही थी.. कि यहाँ घर पर एक बाइक और होनी चाहिए…,

स्कूटी तो रामा के लायक ही है.. छोटू लल्ला अब बड़े हो गये है.. कॉलेज भी जाते हैं.. तो मे चाहती हूँ उनके लिए एक मोटर बाइक ले देते तो…

भाभी की बात से सभी खाना रोक कर उनकी ओर देखने लगे…! सबको यूँ अपनी ओर देखते पा, भाभी कुच्छ हड़बड़ा गयी…

फिर कुच्छ संभाल कर बोली – क्या मेने कुच्छ ग़लत कह दिया..?

बड़े भैया – तुम्हें लगता है कि ये बाइक चला लेगा.. स्कूटी तो ढंग से आती नही अभी तक…..

तभी तपाक से रामा दीदी बोल पड़ी – क्या फ़र्राटे से स्कूटी चलाता है छोटू… और आपको पता है भैया, एक दिन तो अपने दोस्त की बुलेट लेके घर आया था..

दोनो भैया जो शायद अभी तक मुझे बच्चा ही समझ रहे थे… चोंक पड़े…और दोनो के मूह से एक साथ निकला… क्या बुलेट..चला लेता है ये..?

मे – हां भैया.. उसमें क्या है.. वो तो और आसान है चलाने में..

बड़े भैया – तो मोहिनी तुमने बाबूजी से पुछ लिया है..?

भाभी – बाबूजी मेरी बात कभी नही टालते.. उनकी गॅरेंटी मे लेती हूँ.. पर देखो ना…,

जिसका एक भाई असिस्टेंट प्रोफेसर, और दूसरा डीएसपी, उनका छोटा भाई लड़कियों वाली स्कूटी से कॉलेज जाए.. अच्छा नही लगता ना…!

Read New Story...  भतीजी की कुँवारी चूत का खजाना निकाला

छोटे भैया ताव में आकर बोले – तो ठीक है भाभी.. मेरी तरफ से छोटू के लिए बाइक तय… बोल भाई कोन्सि चाहिए…?

भाभी तपाक से बोली – बुलेट… !

बड़े भैया – क्या..? मोहिनी तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है.. जानती हो बुलेट की कितनी कीमत है..!

भाभी – अब डीएसपी साब दिलवा रहे हैं… तो इससे कम क्या होनी चाहिए.. क्यों बड़े देवर जी… मे सही कह रही हूँ ना..!

छोटे भैया – अब भाभी का हुकुम सर आँखों पर…

ठीक है छोटू, कल मेरे साथ चलना, अपने शहर से तुझे एक नयी बुलेट डेलक्स दिलवा देता हूँ… अब खुश..?

मे भैया के गले लग गया और उन्हें थॅंक्स बोला..

जब मे उनके गले लगा तब उन्हें पता चला कि मे उनसे भी 2″ लंबा हो गया हूँ.. तो भैया हँस कर बोले.. सच में तू बुलेट चलाने लायक हो गया है..!

तभी रामा दीदी बोल पड़ी… भैया मे भी चलूं आपके साथ.. ? मुझे भी कुच्छ शॉपिंग करवा दीजिए ना .. प्लीज़..!

भाभी – हां देवेर्जी.. बेचारी का मन भी बहाल जाएगा.. एक-दो दिन दोनो बेहन भाई शहर घूम लेंगे.. और उसे भी कुच्छ दिलवा देना..

भैया ने हामी भर दी.. और भाभी ने शाम को बाबूजी से भी पर्मिशन ले ली.

अकेले में मेने भाभी को गोद में उठाकर पूरे घर का चक्कर लगा डाला…

दूसरे दिन चाय नाश्ता करके हम तीनो बेहन भाई, भैया के ऑफीस की गाड़ी से उनके शहर की तरफ निकल लिए…एक साथ हम दोनो के मूह से मस्ती भारी आहह…. फुट पड़ी…

उफफफफफफफफफफफ्फ़…. इतना मज़ा…. ! भाभी आधे लंड को लेकर अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी मानो वो उसे मथकर उसमें से रस निकालना चाहती हो…..

मेरे सब्र का बाँध टूट गया , और मेने उन्हें पलग पर लिटा दिया, टाँगे हवा में उठाकर एक भरपूर ताक़तवर धक्का जड़ दिया…

एक बार फिर एक दर्द की लहर सी मेरे लंड से उठी, जो मज़े के आलम में कन्हि खो गयी, उधर भाभी भी अपने होठों को कसकर दवाए अपने दर्द को पी गयी..

हम दोनो ही मस्ती के ऊडन खटोले में बैठ कर दूर आसमानों में उड़ चले…

कमरे में हमारी जांघों की थप सुनाई दे रही थी… मेरे ताक़तवर धक्कों के बावजूद भी भाभी कुच्छ ना कुच्छ बोलकर मुझे और उत्साहित कर रही थी..

जब एक ही मुद्रा में हमें काफ़ी देर हो गयी.. तो भाभी ने हाथ के इशारे से रुकने को कहा…

फिर मुझे अपने उपर से उठा कर वो पलट गयी और अपने घुटने जोड़ कर पलंग पर घोड़ी की तरह निहुर गयी…

अब उनकी मस्त 38″ की गद्देदार कसी हुई गांद मेरे सामने थी, जिसे देखकर मे अपना आपा खो बैठा और उनके एक चूतड़ को काट लिया…

आअहह…..काटो मत…जानुउऊ…, वो दर्द से तडपी..तो मेने उस जगह को चूमा और फिर उनके दोनो चुतड़ों को बारी-बारी से चाटने लगा…

अपना मूह उनकी मोटी गांद में डाल दिया और उनकी चूत और गांद के छेद को चाटने लगा…….

आह्ह्ह्ह… अब अपना मूसल डालो मेरे रजाआा… क्यों तड़पाते हूओ…

भाभी की हालत मुझसे देखी नही गयी और मेने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया…

ईईीीइसस्स्स्स्शह……हइईईईई….रामम्म्मममम….अब छोड़ूऊ…लल्लाआ….. आराम सीईए….उफफफफफफफफफफफ्फ़….. कितना मज़ाअ देतीई हूऊ…तुम… मुझे अपना गुलामम्म्म.. बनाआ.. लियाअ…

जी करता है, इसे हर समय अपनी मुनिया में ही डाले रहूं….डालोगे नाआ….!

ये अब आपका ही है….भाभिईीईई….जब चाहो…पकड़ के डाल लएनाअ….हुउन्न्ह…

मेरी जांघे तपाक से उनके भारी चुतड़ों पर पड़ने लगी… कभी-2 मे उनकी गांद मसल देता, तो कभी उनके चुतड़ों पर थप्पड़ जड़ देता…

भाभी और ज़ोर्से चोदने को बोलती…मेरे शरीर से पसीना निकलने लगा… लेकिन चुदाई…चरम…पर पहुँचती जा रही थी…

आधे घंटे की धुँआधार चुदाई के बाद हम दोनो एक साथ ही झड़ने लगे…भाभी की यौनी से लगातार कामरस बरस रहा था…

झड़ने के बाद वो पलंग पर औंधी पसर गयी और में उनकी पीठ पर लड़ गया..

10-15 मिनिट हम ऐसे ही बेसूध पड़े रहे और अपनी उखड़ी हुई साँसों को इकट्ठा करते रहे…

हमारा मस्ती भरा ये खेल सुबह के 4 बजे तक यूँही चलता रहा, फिर थक कर चूर हम एक-दूसरे की बाहों में लिपट कर सो गये…

सुबह 7 बजे रामा दीदी ने दवाजा खटखटाया… तब जाकर भाभी की नींद खुली..उन्होने अंदर से ही आवाज़ देकर कहा…

अभी थोड़ी देर में आती हूँ, रूचि को दूध पिलाकर….!

फिर भाभी ने अपने कपड़े पहने, मुझे झकज़ोर कर जगाया.. जब में जाग गया तो वो बोली –

लल्ला.. तुम कपड़े पहनो, में बाहर निकल कर देखती हूँ, रास्ता साफ देख कर बाहर निकल जाना …

रामा पुच्छे तो कह देना कि जल्दी जाग कर वॉक पर गया था.. ओके..

इस तरह से भाभी ने मेरे जन्म दिन का ये अनौखा तोहफा देकर मुझे जिंदगी भर के लिए अपना बना लिया…

वैसे तो वो मेरा हर तरह का ख्याल रखती ही थी, बस यही काम वाकी था, सो वो भी पूरा हो गया था..

अब वो मेरे लिए मेरी मा से भी बढ़कर मेरी ज़रूरत बन चुकी थी..

मेने अपने नये खुले डिग्री कॉलेज में ही अड्मिशन ले लिया था, जिससे अब मे हमेशा भाभी के पास ही रह सकता था…

एक दिन छुट्टी का दिन दोनो भाई आए हुए थे मेने भाभी को अपनी एक डिमॅंड पहले ही बता दी थी…

सो जब रात को सभी एक साथ बैठ कर खाना खा रहे थे कि भाभी ने भूमिका बनाते हुए बात शुरू की..,

भाभी, भैया से बोली – सुनो जी..! मे क्या कह रही थी.. कि यहाँ घर पर एक बाइक और होनी चाहिए…,

स्कूटी तो रामा के लायक ही है.. छोटू लल्ला अब बड़े हो गये है.. कॉलेज भी जाते हैं.. तो मे चाहती हूँ उनके लिए एक मोटर बाइक ले देते तो…

भाभी की बात से सभी खाना रोक कर उनकी ओर देखने लगे…! सबको यूँ अपनी ओर देखते पा, भाभी कुच्छ हड़बड़ा गयी…

फिर कुच्छ संभाल कर बोली – क्या मेने कुच्छ ग़लत कह दिया..?

बड़े भैया – तुम्हें लगता है कि ये बाइक चला लेगा.. स्कूटी तो ढंग से आती नही अभी तक…..

तभी तपाक से रामा दीदी बोल पड़ी – क्या फ़र्राटे से स्कूटी चलाता है छोटू… और आपको पता है भैया, एक दिन तो अपने दोस्त की बुलेट लेके घर आया था..

दोनो भैया जो शायद अभी तक मुझे बच्चा ही समझ रहे थे… चोंक पड़े…और दोनो के मूह से एक साथ निकला… क्या बुलेट..चला लेता है ये..?

मे – हां भैया.. उसमें क्या है.. वो तो और आसान है चलाने में..

बड़े भैया – तो मोहिनी तुमने बाबूजी से पुछ लिया है..?

भाभी – बाबूजी मेरी बात कभी नही टालते.. उनकी गॅरेंटी मे लेती हूँ.. पर देखो ना…,

जिसका एक भाई असिस्टेंट प्रोफेसर, और दूसरा डीएसपी, उनका छोटा भाई लड़कियों वाली स्कूटी से कॉलेज जाए.. अच्छा नही लगता ना…!

छोटे भैया ताव में आकर बोले – तो ठीक है भाभी.. मेरी तरफ से छोटू के लिए बाइक तय… बोल भाई कोन्सि चाहिए…?

भाभी तपाक से बोली – बुलेट… !

बड़े भैया – क्या..? मोहिनी तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है.. जानती हो बुलेट की कितनी कीमत है..!

भाभी – अब डीएसपी साब दिलवा रहे हैं… तो इससे कम क्या होनी चाहिए.. क्यों बड़े देवर जी… मे सही कह रही हूँ ना..!

छोटे भैया – अब भाभी का हुकुम सर आँखों पर…

ठीक है छोटू, कल मेरे साथ चलना, अपने शहर से तुझे एक नयी बुलेट डेलक्स दिलवा देता हूँ… अब खुश..?

मे भैया के गले लग गया और उन्हें थॅंक्स बोला..

जब मे उनके गले लगा तब उन्हें पता चला कि मे उनसे भी 2″ लंबा हो गया हूँ.. तो भैया हँस कर बोले.. सच में तू बुलेट चलाने लायक हो गया है..!

तभी रामा दीदी बोल पड़ी… भैया मे भी चलूं आपके साथ.. ? मुझे भी कुच्छ शॉपिंग करवा दीजिए ना .. प्लीज़..!

भाभी – हां देवेर्जी.. बेचारी का मन भी बहाल जाएगा.. एक-दो दिन दोनो बेहन भाई शहर घूम लेंगे.. और उसे भी कुच्छ दिलवा देना..

भैया ने हामी भर दी.. और भाभी ने शाम को बाबूजी से भी पर्मिशन ले ली.

अकेले में मेने भाभी को गोद में उठाकर पूरे घर का चक्कर लगा डाला…

दूसरे दिन चाय नाश्ता करके हम तीनो बेहन भाई, भैया के ऑफीस की गाड़ी से उनके शहर की तरफ निकल लिए…

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