देवर भाभी का रोमांस – 6 | Devar Bhabhi Sex Story

रामा दीदी को ये ज़्यादा अच्छा नही लगा या वो ये सब नही करना चाहती होगी सबके सामने तो वो उठकर सोने चली गयी…

सोनू आशा दीदी के साथ चिपका हुआ था, और अपने हाथ इधर-उधर डाल देता, जिसे वो कभी-2 रोक देती जिससे वो अपनी सीमा में ही रहे..

इधर रेखा दीदी ने मेरे उपर हल्ला ही बोल दिया था…! वो मेरे उपर एक तरह से पसर ही गयी थी.. उसके बड़े-2 भारी भरकम चुचे मेरे साइड से दबे हुए थे..

उत्तेजना से मेरा लंड अकड़ गया, जिसे उन्होने अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया, और मेरा हाथ पकड़ कर अपने मम्मे पर रख लिया..

मेरी सहन शक्ति जबाब देती जा रही थी, धीरे-2 वो वाइल्ड होती जा रही थी, यहाँ तक की उन्होने मेरा एक हाथ अपनी चूत के उपर रख दिया और उसे दबाने सहलाने लगी.. उनकी पाजामी गीली होती जा रही थी..

जब मुझसे और सहन नही हुआ तो मे ये कहकर कि मुझे तो अब नींद आरहि है मे उठ खड़ा हुआ..

दीदी प्यासी सी मेरी ओर देखने लगी और उन्होने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली – अरे छोटू बैठ ना.. दिन में नींद पूरी कर लेना..

मे – नही दीदी, अब मेरा सर भारी होने लगा है.. अब मेरे से नही बैठा जाएगा..

वो तीनों तो मूवी में ही खोए हुए थे.. इधर जब मेने उनकी बात नही मानी तो उन्होने मुझे ज़ोर का झटका देकर अपने उपर खींच लिया, जिससे मे उनके उपर गिर पड़ा..

झटका अचानक इतना ज़ोर का था कि वो खुद भी गद्दे पर गिर पड़ी और मे उनके उपर..

उन्होने मुझे अपनी बाहों में कस लिया जिसके कारण उनके दोनो गद्दे जैसे चुचे मेरे सीने में दब गये,

मेरा खड़ा लंड उनकी मोटी-मोटी जांघों के बीच फँस गया, जिसे उन्होने अपनी जांघों को और जोरेसे भींच कर दबा दिया.

वो मुझे किस करने ही वाली थी कि मे उनके उपर से उठ खड़ा हुआ, और तेज़ी से वहाँ से निकल गया और सीधा बाथरूम में घुस गया….

मेने बाथरूम में अपनी टंकी रिलीस की और जाकर अपने बिस्तर पर सो गया, जो छत पर पड़ा हुआ था, मेरे बाजू में ही रामा दीदी का बिस्तर था.

रामा दीदी इस समय अपने घुटने मोड़ कर करवट से गहरी नींद में थी, मे भी जाकर उनकी बगल मे लेट गया और जल्दी ही गहरी नींद में चला गया

मे उँचे और घने पेड़ों के बीच स्थित एक साफ पानी से भरे तलब के किनारे खड़ा हुआ था, अचानक मेरी नज़र तालाब में नहाती हुई एक कमसिन लड़की पर पड़ती है..

उसके बदन पर इस समय मात्र एक पतले कड़े की चुनरी जैसी थी, जो वो अपने शरीर पर लपेटे हुए थी, पानी से गीली होने बाद उसके शरीर का वो कपड़ा उसके बदन को ढकने की वजाय और उसके शरीर के उभारों को प्रदर्शित कर रहा था..

अचानक मुझे देख कर वो लड़की पानी में खड़ी हो जाती है, जिससे उसके कमर से उपर का भाग दिखाई पड़ने लगता है…

पतले गीले कपड़े से उसके गोल –गोल ठोस उरोज साफ-साफ दिखाई दे रहे थे, ब्राउन कलर के अंगूर के दाने जैसे उसके निपल पानी के ठंडे पानी से भीगने के बाद एकदम कड़े होकर उस कपड़े से बाहर निकलने के लिए जैसे व्याकुल हो उठे हों..

मे एकटक उसकी सुंदरता में खोगया, गोरी चिट्टी वो लड़की मेरी तरफ देख कर मंद-मंद मुस्करा रही थी..

अचानक धीरे-2 वो पानी से बाहर आने लगी, मे जड़वत किसी पत्थर की मूरत की तरह वहीं खड़ा उसका इंतेज़ार कर रहा था…

वो बाहर निकल कर ठीक मेरे सामने आकर खड़ी होगयि और उसने अपने गीले कड़क उरोज मेरे सीने में गढ़ा दिए.. और फिर अपने शरीर को उपर-नीचे करके अपने निप्प्लो को मेरे सीने से रगड़ने लगी..

मेरी आँखों में झाँकते हुए उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड पर रख दिया और उसे सहलाने लगी…

उत्तेजना मेरे सर चढ़ कर बोलने लगी थी, मेने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके होठों को चूस्ते हुए उसके उरोजो को मसल्ने लगा…

वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड को मसले जा रही थी… अब उसने मेरा लिंग अपनी यौनी के उपर रगड़ना शुरू कर दिया…

मात्र एक झीने से कपड़े और वो भी पूरी तरह पानी से गीला होने के कारण मेरा लंड उसकी यौनी को अच्छे से फील कर रहा था…

मेने उसके गोल-मटोल कलश जैसे कुल्हों को अपने हाथों में कस लिया और अपनी कमर को एक झटका दिया…

उस झीने कपड़े समेत मेरा लिंग उसकी यौनी में प्रवेश करने लगा…मे अपनी कमर को और ज़्यादा उसकी तरफ पुश करने लगा… उसके चेहरे पर दर्द के भाव बढ़ते जा रहे थे…

मुझे लगा जैसे मेरा लंड पानी छोड़ देगा, मेने उसकी पीड़ा की परवाह ना करते हुए अपना लिंग और अंदर करना चाहा कि किसी ने मुझे झकझोर दिया…

हड़बड़ा कर मेने अपनी आँखें खोली तो देखा दीदी मेरे उपर झुकी हुई मुझे ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी…

छोटू उठ जा अब देख कितनी धूप तेज हो गयी है, पसीने से तर हो गया है.. फिर भी सो रहा है…

मे उठकर बैठ गया… मुझे अभी भी ऐसा फील होरहा था, जैसे ये सब सपना नही हक़ीकत में मेरे साथ हो रहा था….

मेरा लंड पूरी तरह अकड़ कर शॉर्ट को फाडे दे रहा था, एक सेकेंड और मेरी आँख नही खुली होती तो वो पिचकारी छोड़ चुका होता…

दीदी की नज़र मेरे शॉर्ट पर ही थी, जब मेने उसकी निगाहों का पीछा किया तब मुझे एहसास हुआ, और मेने अपनी जांघे भींच कर उसे छुपाने की कोशिश की..

दीदी झेंप गयी और नज़र नीची करके मुस्कराते हुए वहाँ से भाग गयी.. और सीधी के पास जाकर पलट कर बोली- अब सपने से बाहर आ गया हो तो नीचे आजा.. भाभी बुला रही हैं…!

मुझे बड़ी शर्म सी महसूस हुई, फिर कुच्छ देर बैठ कर अपने मन को इधर-उधर करने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ..

फिर उठकर फर्स्ट फ्लोर पर बने बाथरूम में घुस गया और पेसाब की धार मारी तब जाकर कुच्छ शांति मिली……..

चाय नाश्ता करने के बाद मेने अपनी गुड़िया रानी को गोद में लिया और भाभी को बोलकर बड़ी चाची के घर की तरफ निकल गया…

मेने उनके घर के अंदर जैसे ही पैर रखा, सामने ही वरान्डे में रेखा दीदी चारपाई पर बैठी अपने बेटे को दूध पिला रही थी,

उनका पपीते जैसा एक बोबा, कुर्ते के बाहर निकला हुआ था और उसका कागज़ी बादाम जैसा निपल उनके बेटे के मुँह में लगा हुआ था, और वो चुकुर-2 करके उसे चूस रहा था..

मेरे कदमों की आहट सुन कर उन्होने उसे ढकना चाहा, लेकिन जैसे ही उनकी नज़र मेरे उपर पड़ी.. तो उन्होने अपनी कमीज़ और उपर कर ली जिससे उनका पूरा पपीता मेरे सामने आगया….

मे – दीदी क्या हो रहा है…? और उनके पास बैठ कर उनके बेटे के सर पर हाथ फिराया और उनके बेटे से बोला – अले-अले..मम्मा.. का दुद्दु पी रहा है मेरा भांजा…

दीदी ने जलती नज़रों से मुझे देखा लेकिन मेरी बात का कोई जबाब नही दिया..

मेने उनके पास बैठ के रूचि के गाल पर किस किया और उसे खिलाने लगा…वो बार-2 मेरा ध्यान अपनी ओर करने के लिए सस्सिईइ….आअहह…काट मत… जैसी आवाज़ें करने लगी.. लेकिन मे अपनी गुड़िया से ही खेलता रहा…

फिर जब उनकी एक तरफ की टंकी खाली हो गयी, तो उसे पलट कर दूसरे बोबे की तरफ किया और अपनी कमीज़ उठा कर उसको भी नंगा करके निपल उसके मुँह में दे दिया.. लेकिन पहले वाले को ढकने की कोशिश भी नही की..

अब उनकी कमीज़ उनके दोनो चुचियों के उपर टिकी हुई थी…मे कनखियों से उनको देख रहा था, और अपनी भतीजी से खेलता रहा…

वो मन ही मन भुन-भूना रही थी.. फिर मे बिना उनकी तरफ देखे ही बोला – दीदी घर में और कोई नही है…? उन्होने फिर भी सीधे -2 मेरी बात का कोई जबाब नही दिया और मुझे सुनकर अपने बेटे से बातें करने लगी.

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ले बेटा ठूंस ले पेट भरके… यहाँ और कोई नही है, जो तेरी भूख शांत करे..

लेकिन बेटा तो दूध पीना बंद करके कब का सो चुका था.. तो उसको उन्होने साइड में सुला दिया और झटके से अपनी कमीज़ नीचे करके अपने पपीतों को ढक लिया.

मे – चल रूचि.. अपना चलते हैं.. यहाँ तो कोई दिख नही रहा.. तो फिर अपन भी यहाँ बैठ के क्या करेंगे…

वो मेरी बात सुनकर और ज़्यादा खीज गयी और पीछे से मेरे गले को अपने एक बाजू से लपेट लिया… और बोली – कमीने तुझे मे इतनी बड़ी यहाँ बैठी दिखाई नही दी.. जो कह रहा है कि यहाँ कोई नही है..मे – चल रूचि.. अपना चलते हैं.. यहाँ तो कोई दिख नही रहा.. तो फिर अपन भी यहाँ बैठ के क्या करेंगे…

वो मेरी बात सुनकर और ज़्यादा खीज गयी और पीछे से मेरे गले को अपने एक बाजू से लपेट लिया… और बोली – कमीने तुझे मे इतनी बड़ी यहाँ बैठी दिखाई नही दी.. जो कह रहा है कि यहाँ कोई नही है..

मे – आप तो कोई जबाब ही नही दे रही तीन मेरी बात का.. तो मे और किसके साथ बात करूँ?

वो – तू तो अब बड़ा आदमी हो गया है.. हम जैसे छोटे लोगों के साथ तो बैठना भी अपनी बेइज़्ज़ती समझता है… और ये कह कर उन्होने अपने स्तनों को मेरी पीठ पर रगड़ दिया…

मे – आपको ऐसा क्यों लगा कि मे आपके साथ बैठ कर बात नही करना चाहता..?

वो – तो फिर रात उठकर क्यों चला गया था, मेने तुझे रुकने के लिया कितना बोला.

मे – रात मुझे सच में बहुत नींद आ रही थी…

फिर उन्होने पीछे से ही मेरी गोद में बैठी रूचि को खिलाने लगी जिससे उनकी दोनो चुचियाँ मेरे शरीर में गढ़ रही थी..

रूचि के साथ खेलने के बहाने उनका हाथ मेरे लंड की तरफ बढ़ने लगा…

मेने मन ही मन सोचा… ये साली कितनी गरम है.. अपने छोटे भाई का ही लॉडा लेने के चक्कर में है.. अगर मेने भाभी से प्रॉमिस नही किया होता तो इसे यहीं पटक कर चोद डालता.. लेकिन क्या करूँ..

कुच्छ देर जब मेरी सहन शक्ति जबाब देने लगी तो मेने बहाना बनाया… दीदी अब मे चलता हूँ.. रूचि को भूख लग रही होगी.. और मे चारपाई से खड़ा हो गया..

वो मुँह लटका के बैठी रह गयी, एक बार फिरसे मे उसको केएलपीडी करके वहाँ से चला आया…..

शाम को मेरा मन किया कि आज खेतों की तरफ चला जाए, वैसे भी गर्मी बहुत थी, तो शायद खेतों में या बगीचे घूम-घूम कर कुच्छ राहत मिले…

शाम के 5 बज चुके थे, लेकिन गर्मी और धूप ऐसी थी मानो अभी भी दोपहर ही हो…

मे थोड़ी देर आम के पेड़ों के नीचे इधर उधर घूमता रहा… कुच्छ पके आम दिखे तो उन्हें तोड़ने की कोशिश की, और उन्हें पत्थर मार कर तोड़ने लगा..

एक-दो आम हाथ भी आए… अभी में और आम तोड़ता कि तभी वहाँ आशा दीदी आगयि… और मुझे देखते ही चहकते हुए बोली – और हीरो… आज इधर कैसे..?

मे – बस ऐसे ही चला आया… आज कुच्छ गर्मी ज़्यादा है ना दीदी…!

वो – हां यार मेरा तो पसीना ही नही सूख रहा आज… मेने उसके उपर नज़र डाली.. वाकाई में उसका कुर्ता पसीने से तर हो रहा था.. और वो उसके बदन से चिपका पड़ा था…

उसकी ब्रा का इंप्रेशन साफ-साफ दिखाई दे रहा था.. हम दोनो एक पेड़ के नीचे बैठ कर तोड़े हुए आम खाने लगे.. फिर कुच्छ देर बैठने के बाद वो बोली..

चल छोटू.. ट्यूबिवेल की तरफ चलते हैं… मेने कहा हां ! चलो चलते हैं..

हम दोनो ट्यूबिवेल पर आगाय… वहाँ कोई नही था.. और ट्यूबिवेल चल रहा था.

मेने कहा – दीदी ! यहाँ तो कोई नही है… और ट्यूबिवेल चल रहा है… पानी कहाँ जा रहा है..?

वो – हमारे खेतों में मूँग लगा रखी है ना उसमें… वही देखने मे आई थी.. फिर वो मुझसे बोली… छोटू चल नहले.. यार बड़ी गर्मी है.. थोड़ा ठंडे-2 पानी में नहा कर राहत मिल जाएगी…

मे – मन तो है, पर दूसरे कपड़े नही लाया..

वो – अरे यार ! कपड़े उतार और कूद जा हौदी में.. अंडरवेर तो पहना होगा ना..

मे – हां वो तो पहना है.. फिर मेने अपने शर्ट और पाजामा को उतार कर पास में पड़ी चारपाई पर रखा और कूद गया पानी में….

ट्यूबिवेल का ताज़ा ठंडा पानी शरीर पर पड़ते ही राहत मिली… खड़े होने पर हौदी का पानी मेरे पेट तक ही आरहा था….

उपर से पीपे की धार.. पड़ रही थी जिसमें मे बीच-2 में उसके नीचे अपना सर लगा देता…तो और ज़्यादा मज़ा आ जाता….

अभी मे धार के नीचे से अपना सर हटा कर सीधा खड़ा ही हुआ था… कि मेरे पीछे छपाक की आवाज़ हुई……!

मेने जैसे ही अपने पीछे मुड़कर देखा… तो आशा दीदी भी हौदी में कूद पड़ी थी…

पानी में कूदते ही उसने अंदर डुबकी लगा दी… जब वो बाहर आई और खड़ी हुई… मेरी आँखें उसके शरीर पर चिपक गयीं…

उसका पतले से कपड़े का कुर्ता उसके बदन से चिपक गया था और उसकी ब्रा साफ-साफ दिखाई दे रही थी… शरीर के सारे कटाव एकदम उजागर हो गये थे…

आज मुझे पता चला कि उसका बदन भी कम मादक नही था, 33-26-34 का एक मस्त कर देने वाला गोरा बदन..

मुझे अपनी ओर देखते पाकर वो हँसने लगी और अपने हाथों में पानी भर भरके मेरे उपर उच्छलने लगी.. जो सीधा मेरी आँखों पर भी पड़ने लगा…

मेने भी उसके उपर पानी उच्छालना शुरू कर दिया….मेरी पानी उच्छालने की गति ज़्यादा तेज थी.. सो वो मेरी ओर देख भी नही पा रही थी…

वो चिल्लाने लगी – मान जा.. छोटू… मेरी आँखों मे पानी जा रहा है…
मे बोला – शुरू तो आपने ही किया था ना… अब भुग्तो…और पानी उच्छालना जारी रखा..

वो – अच्छा तो ऐसे नही मानेगा तू.. ,और इतना कह कर उसने मेरे उपर छलान्ग लगा दी.. छपाक से मे पानी के अंदर डूब गया और वो मेरे उपर आ पड़ी…

उसके अमरूद मेरे सीने से टकराए… पानी के अंदर ही उसने मेरे गले में अपनी एक बाजू लपेट दी…

मेने पलटी लेकर पानी से बाहर अपना सर निकाला, तो वो भी मेरे साथ ही बाहर आगयि…

वो मेरे गले से अपनी बाजू कसते हुए बोली – अब बोल… मानेगा… बोल…! मे हँसते हुए.. उनसे छूटने की कोशिस कर रहा था.. लेकिन वो मेरे से और ज़्यादा चिपकती जा रही थी..

मेरा पप्पू छोटी सी फ्रेंची अंडरवेर को फाडे दे रहा था…

मेने उसकी बगलों में एकदम उसकी चुचियों के साइड में गुदगुदी करने लगा…. वो खिल खिलाकर हँसते हुए मुझसे और ज़ोर्से चिपक गयी…

उसकी चुचियाँ मेरे सीने से दबी हुई थी.. , उसकी मुनिया और मेरे पप्पू में मात्र कुच्छ ही सेंटिमेटेर का फासला था…

अपनी सखी की खुसबु लगते ही पप्पू और फन-फ़ना उठा… मेने उसके कठोर किंतु रूई जैसे गोल – गोल चुतड़ों को अपनी मुत्ठियों में कस कर भींच दिया…तो वो फासला भी ख़तम हो गया और मेरा बबुआ ने…ठीक उसके भग्नासा के उपर अटॅक कर दिया….!

Devar Bhabhi Sex Story | Hindi Sex Story | Antravasna Sex Story | XXX Story

उसने मेरे कंधे में दाँत गढ़ा दिए और ज़ोर्से काट लिया… मेरी चीख निकल पड़ी..

मेने कहा दीदी… छोड़ो ना.. काट क्यों रही हो….

वो बोली – क्यों निकल गयी सारी हेकड़ी… कह कर उसने अपनी एक टाँग मेरी जाँघ पर लपेट दी और पप्पू की सीधी ठोकर उसकी मुनिया के ठीक होठों पर पड़ी….

सीईईईईईईई….अह्ह्ह्ह… छोटू … कह कर उसने मेरे होठों पर किस कर लिया…और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को ज़ोर्से मसल डाला….

ना चाहते हुए भी मेरे हाथ उसके गोल-मटोल चुतड़ों पर फिरसे चले गये और मेने उन्हें अपनी मुट्ठी में कस कर मसल दिया….

उसने अपनी कमर को ज़ोर का झटका देकर अपनी मुनिया को मेरे पप्पू पर रगड़ दिया.. और मेरे होठ चूसने लगी…!

ना चाहते हुए भी मेरे हाथ उसके गोल-मटोल चुतड़ों पर फिरसे चले गये और मेने उन्हें अपनी मुट्ठी में कस कर मसल दिया….

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उसने अपनी कमर को ज़ोर का झटका देकर अपनी मुनिया को मेरे पप्पू पर रगड़ दिया.. और मेरे होठ चूसने लगी…!

मेरी हालत खराब होने लगी, …मामला कंट्रोल से बाहर होता जा रहा था….

मुझे लगने लगा कि मे कहीं भाभी से किया हुआ वादा ना तोड़ दूं…, तो मेने उसके कंधे पकड़ कर अपने से अलग कर दिया और हौदी से बाहर निकालने लगा…

वो मेरा हाथ पकड़ कर रोकने लगी… अरे भाई रुक… ना… थोड़ी देर और नहाते हैं.. कितना अच्छा लग रहा है…

मे- नही दीदी अब बहुत हो गया… अब और नही… बस इतना ही बहुत है.. इतना कह कर मे बाहर आगया.. ,

वो अपनी लाल-लाल शराबी जैसी आँखों से मुझे देखती रह गयी… ,

मेने मन ही मन कहा – उफ़फ्फ़.. ये दोनो बहने तो भेन्चोद हाथ धोके पीछे ही पड़ गयीं हैं यार…जल्दी निकल लो पतली गली से…कहीं भेन्चोद उल्टा बलात्कार ही ना कर्दे मेरा…..

आज मेरा रिज़ल्ट निकलने वाला था, वैसे तो हमारे यहाँ रोज़ ही न्यूसपेपर आता था, लेकिन मुझसे इंतेज़ार नही हुआ और में सुबह-2 ही अपनी स्कूटी लेकर टाउन की तरफ दौड़ गया और न्यूसपेपर ले आया.

मेरा रिज़ल्ट जैसा भाभी ने प्रॉमिस लिया था, मेरे 85% मार्क्स आए थे, जो अपने स्कूल में हाइयेस्ट थे…भाभी खुशी से झूम उठी और उन्होने मेरे चेहरे पर चुंम्बानों की बौछार कर दी.

बाबूजी ने मुझे अपने कलेजे से लगा लिया, मेने इसका श्रेय अपनी भाभी को ही दिया, तो बाबूजी ने उन्हें अपनी बेटी की तरह उनका सर अपने सीने से टिका कर आशीर्वाद दिया.

दो सालों की कोशिश के बाद हमारे स्कूल को डिग्री कॉलेज तक की पर्मिशन मिल गयी थी, तो कॉलेज वालों ने उन सभी बच्चों के गार्जियन से कॉंटॅक्ट किया जो स्कूल से पास आउट हुए थे.. ताकि उन्हें अड्मिशन मिल सके नये सेमिस्टर के लिए…

मेरी भी इच्छा थी की मे अपने घर ही रहूं.. सो मेने बाबूजी को इस बात के लिए राज़ी कर लिया, हालाँकि बड़े भैया का विचार था कि मे इंजिनियरिंग करूँ.

मे इस बात से खुश था कि चलो अब मुझे अपना घर छोड़ कर नही जाना पड़ेगा.
लेकिन मेरी खुशी अभी अधूरी थी.. जिसका अभी मुझे और कुच्छ दिन इंतजार करना था…और आख़िरकार वो दिन भी आ ही गया………!!!!

आज मेरा जन्म दिन था, चूँकि ये ईवन डे था, तो मेरे भाई तो नही आ सके लेकिन भाभी चाहती थी, मेरे जन्मदिन की खुशी पूरे परिवार के साथ मनाई जाए.. सो उन्होने एक दिन पहले से ही सबको बोल दिया…

पिताजी ने भी पंडितजी को बुलवाके हवन पूजन कराया, और हम सब लोगों ने मिलकर खाना पीना किया… सारा दिन हसी-खुशी में ही निकल गया…

शाम को एक केक मँगवाकर काटा और सबने मुझे जन्मदिन की बधाई और आशीर्वाद के साथ-2 क्षमता अनुसार तोहफे भी दिए…

रात को जब सब अपने-2 घर चले गये, और सारा काम निपटाकर दीदी और भाभी जिसमें चाचियों ने भी सहयोग दिया फारिग हुई..

दीदी चाची के साथ उनके घर चली गयी.. कुच्छ देर बाद आने का बोल कर तब भाभी ने मुझे अकेले में बधाई दी और बोली – देवर जी ! 11 बजे मेरे कमरे में आ जाना आपको स्पेशल गिफ्ट देना है…!!

उनके शब्दों ने मेरे कानों में जैसे शहद ही घोल दिया हो… मेरा मन मयूर की तरह नाच उठा और मेने आवेश में आकर भाभी को गोद में उठा लिया और सारे आँगन में लेकर नाचने लगा….

भाभी खिल-खिला रही थी और बार-2 मुझे उतारने के लिए बोल रही थी.. फिर मेने उनको एक चारपाई पर बड़े प्यार से बिठा दिया.. और उनके गालों के डिंपल को चूमकर बोला –

थॅंक यू भाभी आपको अपना प्रॉमिस पूरा करने के लिए.. मे बता नही सकता कि आज मे कितना खुश हूँ…?

भाभी – अपनी थोड़ी बहुत खुशी आनेवाले समय के लिए भी बचा कर रखो मेरे प्यारे देवर राजा…

आज बहुत कुच्छ सीखना और करना है तुम्हें… और मुस्करा कर वो अपने कमरे में चली गयी….!

रात 11 बजे मे भाभी के कमरे में पहुँचा… वो एक फ्रंट ओपन वन पीस गाउन में अपनी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी थी.. मेरी आहट सुन कर वो खड़ी हो गयी और जैसे ही वो मेरी ओर पलटी…..

मे उन्हें देखता ही रह गया… हल्के से मेक-अप से ही उनका चेहरा कुंदन की तरह दमक रहा था.. पतले -2 होठों पर हल्के लाल रंग की लिपीसटिक,

माथे पर छोटी सी बिंदी, आँखों में हल्का- 2 काजल कमर तक के खुले बालों के बीच मानो घने काले बादलों के बीच अचानक चाँद निकल आया हो.

सुराइदार गर्दन में मात्र एक मन्गल्सुत्र जो उनकी घाटी के बीचो-बीच, उसके काले मोतियो के दाने उनके गोरे बदन को और चार चाँद लगा रहे थे.

झीने कपड़े का गाउन जो सामने उनकी नाभि के उपर मात्र एक डोरी से बँधा था.

उभारों की वजह से गाउन के दोनो छोरो के बीच उनकी चोटियों की ढलान कमरे में फैली हल्की दूधिया बल्ब की लाइट से साफ चमक रही थी.

वो इस समय साक्षात रति का स्वरूप लग रही थी जो किसी भी महायोगी के अंदर सोए कामदेव को जगाने में सक्षम थी. मे उनके इस रूप में जैसे खो सा गया…

भाभी ने मेरी नाक पकड़ कर हिलाई.. और बोली – ओ मेरे अनाड़ी आशिक़ ! कहाँ खो गये..?

मे जैसे नींद से जागा… ! और मेरे मुँह से अपने आप निकल गया… ब्यूटिफुल..! मुझे तो पता ही नही था कि मेरी भाभी इतनी सुंदर हैं…

क्यों मस्का लगा रहे हो..! हँसते हुए कहा उन्होने तो उनके गोरे-गोरे गालों के डिंपल इतने मादक लगे कि मुझसे रहा नही गया, और मेने उनके डिम्पलो को चूम लिया…

सॉरी भाभी ! मेने आपकी बिना पर्मिशन लिए आपके डिंपल चूम लिए…लेकिन ये सच है, कि आप बहुत सुंदर लग रही हो…

भाभी – आज तुम्हें खुली छूट है… आज तुम मेरे साथ अबतक तुमने जो भी सोचा हो मेरे लिए वो सब कर सकते हो…

मे – सच भाभी ! कुच्छ भी.. !

वो मुस्कराते हुए बोली – हां कुच्छ भी…. ये सुनते ही मेने उन्हें अपनी बाहों में कस लिया… आइ लव यू भाभी….

जबाब में उन्होने भी मेरी पीठ पर अपने हाथों को कसते हुए कहा – आइ लव यू माइ स्वीट देवर… मेरे सोना… तुम नही जानते, इस पल का में वर्षों से इंतेज़ार कर रही थी…

हम दोनो के बीच की सारी दूरियाँ आज ख़तम होती जा रही थी, दोनो एकदुसरे से इस कदर चिपके हुए थे कि हवा भी पास नही हो सकती थी…

उनके उरोज मेरे चौड़े सीने में धँस रहे थे.. उनका सर मेरे कंधे पर था और वो अपनी आँखें बंद किए मेरे सीने में अपना चेहरा छुपाये इस अद्वितीय मिलन का आनंद ले रही थी.

ना जाने आज मेरी वासना कहीं कोने में पड़ी सिसक रही थी, उनके अर्धनग्न शरीर के आलिंगन के बाद भी मेरा पप्पू आराम से पड़ा सो रहा था.. शायद उसे आज किसी बात की चिंता नही थी..

वो तो आज पूरी तरह अस्वस्त था की उसका नंबर आना ही आना है…और आज उसके और उसकी सखी के बीच कोई दीवार नही आनेवाली…..!

जब बहुत देर तक मे ऐसे ही उनको अपने से चिपकाए खड़ा रहा तो, भाभी को लगा, कि ये तो इस काम में अनाड़ी है, मुझे ही पहल करनी होगी..

सो उन्होने अपना चेहरा मेरे सीने से हटाया और मेरे सर को अपने हाथों के बीच लेकर उन्होने मेरे माथे से चूमना शुरू किया, फिर गाल, चिन, उसके बाद वो अपने गालों को मेरी दाढ़ी जिस पर हल्के-2 रोएँ जैसे आते जा रहे थे सहलाने लगी..

मे बस बुत बना उनकी पीठ पर अपने हाथ रखे खड़ा था, अपने गालों को मेरी शुरू हो रही दाढ़ी के दोनो तरफ से रगड़ने के बाद वो मेरे होठों पर आ गयी और अपने होठों को मेरे होठों से बस दो इंच दूर रखकर मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली –

सुनो मेरे अनाड़ी देवर, अब मे जैसे- 2 तुम्हारे साथ करूँ ठीक तुम भी वैसे ही करना.. और ये बोल कर उन्होने मेरे होठों का चुंबन लेकर अपने होठ अलग कर लिए.. और मेरी तरफ देखने लगी…मे बस बुत बना उनकी पीठ पर अपने हाथ रखे खड़ा था, अपने गालों को मेरी शुरू हो रही दाढ़ी के दोनो तरफ से रगड़ने के बाद वो मेरे होठों पर आ गयी और अपने होठों को मेरे होठों से बस दो इंच दूर रखकर मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली –

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सुनो मेरे अनाड़ी देवर, अब मे जैसे- 2 तुम्हारे साथ करूँ ठीक तुम भी वैसे ही करना.. और ये बोल कर उन्होने मेरे होठों का चुंबन लेकर अपने होठ अलग कर लिए.. और मेरी तरफ देखने लगी…

उनकी कही बात याद आते ही, मेने भी उनके होठों का चुंबन कर दिया, फिर तो भाभी मेरे होठों पर टूट पड़ी, और मेरे होठों को चूसने लगी, मे भी उनकी तरह ही कोशिश करने लगा और मेरे हिस्से उनका निचला होठ आया, और मे उसे पूरी लगन के साथ चूसने लगा.

भाभी मेरे उपर के होठ को चूस रही थी.. फिर कुच्छ देर बाद वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डालने लगी, तो मेने भी अपना मुँह खोल दिया और हम दोनो की जीभ आपस में टकरा गयी और अब वो दोनो एक-दूसरे के साथ खिलवाड़ करने लगी.

5-6 मिनिट यही चलता रहा, एकदुसरे की जीभ का स्पर्श मुझे अंदर तक गुदगुदा रहा था, और एक स्वीट सी मादकता छाती जा रही थी…

उसके बाद भाभी ने किस तोड़ दिया और मेरी टीशर्ट निकाल दी, और अपने होठों से मेरे गले को चूमती हुई मेरे सीने तक आ गयी…

मेरी छाती पर भी हल्के-2 रोँये आते जा रहे थे, उनकी जीभ जब मेरे नये आरहे बालों पर फिराने लगी तो मेरी आँखें अपने आप बंद होती चली गयी, और मेरी उत्तेजना में इज़ाफा होने लगा, मेरा शरीर एक अजीब सी उत्तेजना से काँपने लगा.

फिर जैसे ही उनकी जीभ ने मेरे मक्खी साइज़ निपल से टच किया.. मेरे मुँह से स्वतः ही एक सिसकी निकल गयी.. जिसे सुनकर भाभी ने मेरे चेहरे की तरफ देखा,

मेरे लाल हो चुके चेहरे और अधखुली आँखों को देखकर उनके चेहरे पर मुस्कान आ गयी…

इसी तरह उन्होने मेरी दोनो निपल को देर तक चाटा, फिर जब वो कुच्छ बाहर को निकल आए, तो अपने दाँतों से हल्के-2 उनको खरोंछने लगी… मेरा शरीर गुदगुदाहट और रोमांच से भर गया, और मे अपने पंजों पर खड़ा हो गया…

मेरा पप्पू लगाम तोड़ते बैल्ल की तरह खड़ा होकर फूँकारने लगा…

भाभी ने यहीं बस नही की और वो मेरे पेट को चूमती चाटती हुई नीचे की ओर बढ़ गई और मेरी नाभि को जीभ से सहला दिया…

मेरे पास शब्द नही थे कि मे इस आनंद को किस तरह बयान करूँ…अब मेरे सामने अपने पंजों पर बैठ गयी, और मेरा लोवर अंडरवेर के साथ खींच कर पैरों पर कर दिया…

भाभी ने जैसे ही मेरा अंडरवेर नीचे किया, पप्पू ने उच्छल कर उनकी ठोडी पर अटॅक कर दिया,

भाभी ने मुस्करा कर उसको प्यार से एक चपत लगाई और बोली – कमीने, अपनी सहेली की मालकिन पर ही अटॅक करता है… ठहर.. मे बताती हूँ तुझे…

उन्होने उसे अपनी मुट्ठी में क़ैद कर लिया और धीरे से मसल्ने लगी.. फिर हल्का सा उसका टोपा खोलकर बोली – चल तेरी पहली ग़लती माफ़, आ तुझे प्यार दूं.. और उन्होने उसे चूम लिया…

मज़े में मेरी आहह… निकल गयी, दूसरे हाथ से वो मेरे टट्टों को सहला रही थी, फिर उन्होने लंड को उपर करके उन्दोनो को अपने मुँह में भर लिया और पपोर्ने लगी…

कुच्छ देर मेरे आंडों को चूसने के बाद उन्होने मेरे अधखुले सुपाडे को अपने होठों में क़ैद कर लिया और धीरे-2 उसको अंदर और अंदर लेने लगी, लेकिन उस्दिन वाली ग़लती इस बार नही की और एक हाथ से उसकी जड़ में पकड़े रखा..

भाभी अपने मुँह को आगे-पीछे करके उसको चूसने लगी.. मेरा हाल बहाल होने लगा, और अपने-आप मेरी कमर भी आगे पीछे होने लगी, एक तरह से में उनके मुँह को चोद रहा था……

मेरे हाथ उनके सर पर थे, वो मेरी आँखों में देख रही थी और चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी…

मे अपने चरम पर पहुँचने ही वाला था कि उन्होने लंड चूसना बंद कर दिया… मेरे चेहरे पर असीम आश्चर्य के भाव आ गये..

तो मेने पुच्छ ही लिया…

रुक क्यों गयी भाभी… और करो ना… ! मेरा निकलने वाला था…!

वो शरारत के साथ इठलाती हुई बोली – क्यों करूँ ? मे तुम्हारी नौकर हूँ..?

मेरा तो कलपद हो गया था यार !, उनकी बातें सुन कर और झांट सुलग गयी.. लेकिन फिर भी मे उनसे और चूसने के लिए मिन्नतें करने लगा… तो वो बोली…

लल्लाजी ! आज इसकी पहली धार मुझे अपने अंदर लेनी है, ये कह कर वो पलट गयी, और अपनी पीठ और मदमस्त गांद मेरे से सटा दी…

मेने उनके कान के नीचे गले पर चूमकर कहा – आप बहुत शरारती हो भाभी..

वो – यही शरारातें एक-दूसरे को और नज़दीक लाती हैं… मेरे भोले देवर्जी..

मे – तो अब में क्या करूँ…?

मेरी बात सुनकर वो झट से अलग हो गयी और मेरी तरफ मूह करके मेरा हाथ पकड़ लिया और अपने गाउन की डोरी पर रख दिया…

मेने उनके गाउन की डोरी खींच दी, और मेरी आँखों के सामने वो नज़ारा आ गया, जिसकी मेने अभी तक कल्पना भी नही की थी..

सामने से वो बिल्कुल नंगी थी.. मेने झपट कर उनका गाउन निकाल कर दूर फेंक दिया और दो कदम पीछे होकर उनके शरीर की सुंदरता को देखने लगा…

दूधिया बल्ब की रोशनी में नाहया उनका गोरा बदन किसी संगेमरमर की मूरत की तरह मेरे सामने था, मानो अजंता की कोई मूरत सजीव हो उठी हो…

सुराइदार गर्दन के नीचे उनके गोल-सुडौल गोरे-2 स्तन मानो कलई के दो मुरादाबादी लोटे चिपके हों उनकी छाती पर, जिनके सिरे पर दो कागज़ी बादाम लगा दिए हों जैसे… ऐसे दो उठे हुए निपल , हल्के भूरे रंग के..

नीचे एकदम सपाट पेट जिसमें एक गहरी सी नाभि.. हल्का सा उठा हुआ उनका पेडू, जो शायद प्रेग्नेन्सी के बाद हो गया था…

कूर्वी कमर के नीचे दो केले जैसी चिकनी गोल-गोल, मांसल जांघें, जिनके बीच दुनिया की सबसे अनमोल चीज़, परमात्मा की सफल कारीगरी,

जिसपर एक बाल नही, एकदम चिकनी चूत जो कामरस से भीगकार और ज़्यादा चमक रही थी…

जो योनि पहली दफ़ा अपने पति के सामने किसी जंगली झाड़ियों से घिरी हुई थी, वही आज आपने नये, अनाड़ी प्रेमी, उसके देवर के लिए एकदम चम चमा रही थी…जैसे कुच्छ घंटों पहले ही साफ की गयी हो…

भाभी मेरी नज़रों का स्पर्श अपने शरीर पर फील करके उनकी नज़रें शर्म से झुक गयी और वो अपने निचले होठ को दाँतों से काटती हुई फर्श की ओर देखने लगी…भाभी मेरी नज़रों का स्पर्श अपने शरीर पर फील करके उनकी नज़रें शर्म से झुक गयी और वो अपने निचले होठ को दाँतों से काटती हुई फर्श की ओर देखने लगी…

मे हौले से उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया, और उनकी कमर में अपने बाहें लपेट कर अपने से सटा लिया, मेरा लंड उनकी कमर पर ठोकर मारने लगा.

उनके कंधे को चूमते हुए माने कहा – मुझे आज अपने बड़े भैया से जलन हो रही है.. मेरी बात सुन उन्होने मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखा, इससे पहले की वो कुच्छ कहती.. मेने आगे कहा.-. काश आप मेरी होती.. !

वो – तो अभी में किसकी बाहों में हूँ…?

मे – मेरा मतलब था, कि आप हमेशा के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी होती.. सच कहता हूँ भाभी…
आपके इस रूप लावण्य से मे चाह कर भी नही निकल सकता…मानो कोई अजंता की मूरत सजीव होकर मेरी बाहों में है..

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