मेरा लंड अभी भी ज्यों का त्यों सोता सा एकदम 90 डिग्री पर खड़ा उनकी मुट्ठी में क़ैद था.. उन्होने उसको थोड़ा खोल कर उसके मूतने वाले छेद को अपनी उंगली से सहला दिया.. और बोली – तो अब कैसा लग रहा है..?
सीईईईई…. आहह.. भाभी ये सब मत करो… वरना ये फट जाएगा….
वो – तो इसको शांत कैसे करोगे अब…?
मे – पता नही भाभी इसके पहले ये इतना कभी नही फूला था.. आज तो हद ही हो गयी है.. और अब आपका हाथ लगते ही तो और हालत खराब हो रही है…अह्ह्ह्ह…
प्लीज़ भाभी कुच्छ करो ना ! प्लीज़…… वरना में कुच्छ कर बैठूँगा…!
वो – अच्छा..अच्छा.. शांत रहो.. ! मे कुच्छ करती हूँ, और फिर उसे हिलाने लगी, धीरे-2 बड़े एहतियात से उसको आगे पीछे करने लगी ताकि उसकी स्किन ज़्यादा ना खिंच जाए..
मज़े में मेरे मुँह से आहह….उउउहह…और जल्दीीई.. ऐसी आवाज़ें निकलने लगी… और वो उनकी मुट्ठी में और ज़्यादा फूलने लगा… उसकी नसें उभर आईं.
भाभी की भी एग्ज़ाइट्मेंट बढ़ने लगी, और किसी सम्मोहन सी शक्ति उनके चेहरे को मेरे लंड के नज़दीक और नज़दीक खींचने लगी…..
अब भाभी की गरम साँसें मेरे लंड पर महसूस हो रही थी… उत्तेजना में मेरे कान तक लाल हो गये थे.
आख़िरकार उनके होठों ने मेरे अधखुले सुपाडे को छू ही लिया…
उफफफफफफफफफफफ्फ़………….. मे तो जैसे स्वर्ग में ही उड़ने लगा… उनके होठों के स्पर्श होते ही मुझे एक सुकून सा मिला, और उनके रसीले होठ उसको अपनी क़ैद में लेते चले गये….
देखते-2 उनके होठों ने मेरे पूरे 2″ लंबे सुपाडे को जो दहक कर लाल शिमला के सेब जैसा दिख रहा था गडप्प कर लिया….
एक थन्न्न्न्न्न्न्दक्क्क… सी पड़ गयी मेरे लंड में… जैसे किसी गरम चीज़ को एक साथ पानी में डाल दिया हो…
उनकी जीभ मेरे पी होल पर गोल-गोल घूम रही थी… आनंद के मारे मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और कमर थर-थराने लगी..
भाभी मेरे पप्पू को अंदर और अंदर अपने मुँह में लेती जेया रही थी, लेकिन खूब कोशिश करके वो उसे करीब आधा ही ले पाई और उतने पर ही अपने होठों से मालिश देने लगी.
भाभी मेरे बगल में ही उकड़ू बैठी थी, लॉड को अंदर-बाहर करते समय उनके मस्त मुलायम बूब्स मेरे पेट और कमर पर रगड़ खा रहे थे.
लंड का जड़ वाला हिस्सा अभी भी भाभी की मुट्ठी में ही था और वो मुँह के साथ-साथ अपने हाथ से भी उसे मसल्ति जा रही थी.
20-25 मिनिट की चुसाई के बाद भी मेरा कुच्छ नही हुआ तो भाभी ने अपना मुँह हटाया और मेरी ओर देख कर बोली – कुच्छ हुआ कि नही..?
मे – बहुत अच्छा लग रहा है भाभी… प्लीज़ रूको मत ऐसे ही करती रहो..!
वो – तुम्हें तो मज़ा आरहा है.. लेकिन मेरा तो मुँह दुखने लगा, और तुम्हारा माल अभी तक नही निकला…
फिर वो मेरी कमर के नीचे की साइड में आकर बैठ गयी और फिरसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, अब साथ-2 उनकी उंगलियाँ मेरे टट्टों से खेल रही थी..
मेरा तो मज़ा ही दुगना हो गया और मे अपनी कमर उचका-2 कर उनके मुँह में लंड पेलने की कोशिश करने लगा…
अब भाभी जल्दी से जल्दी मेरा पानी निकालना चाहती थी, क्योंकि उनका मुँह दर्द करने लगा था, बीच बीच में वो अपना एक हाथ अपनी चूत के पास ले जाती.. और उपर से उसकी सहला देती…
अब वो मेरे टट्टों और गांद के होल के बीच की जगह पर नाख़ून से खुरचने लगी…
ऐसा करने से मेरे उस जगह पर करेंट जैसा लगा और मुझे उस जगह से कुच्छ उठता सा महसूस होने लगा.
मेने भाभी के सर पर हाथ रखा और ज़ोर्से अपनी कमर उचका कर अपना ज़्यादा से ज़्यादा लंड उनके मुँह में ठूंस दिया… उनका गला चोक हो गया, में दनादन धक्के मारकर उनके सर को दबाए हुए था.
वो मेरे हाथों को हटाने की जी तोड़ कोशिश कर रही थी, लेकिन अब में अपने होशो-हवास खो चुका था…,
फिर कुच्छ ऐसा हुआ मानो मेरे टट्टों से कोई बिजली सी दौड़ती हुई मेरे लंड में प्रवेश कर रही हो और मे उनका सर अपने लंड पर कसकर पिचकारी छोड़ने लगा.
मुझे लगा जैसे कोई गरम लावा जैसा मेरे लंड से निकल कर भाभी के मुँह में भर रहा हो.
दो मिनिट तक देदनादन पिचकारी मारने के बाद मेने अपना हाथ उनके सर से हटाया और अपनी कमर को फर्श पर लॅंड करा दिया…..!!
झट से उन्होने अपना सर उपर किया… फल्फला कर ढेर सारी मलाई जैसी उनके मुँह से निकल कर मेरे पेट पर गिरी… उनका मुँह लाल सुर्ख हो रहा था… वो खों-खों करके खांसने लगी, फिर भागते हुए छत पर लगे नल से पानी लेकर मुँह साफ किया..
मे बैठ कर उन्हें ही देख रहा था, मुँह साफ करके वो वापस लौटी और एक प्यार भरी धौल मेरी पीठ पर जमाई और बोली –
जंगली कहीं के… मेरी दम निकालना चाहते थे..? हां ! पता है ! मेरी साँसें बंद होने लगी थी..
मे – सॉरी भाभी वो मे … मुझे… होश ही नही रहा…
भाभी मुस्करा के बोली… मे समझ सकती हूँ.. अच्छा ये बताओ अब कैसा लग रहा है.. कुच्छ हल्का फील हुआ या नही..
मे – हां भाभी ! थॅंक्स.. ! अब मेरी उत्तेजना कुच्छ कम हो गयी है..
भाभी – लेकिन तुम्हारा ये हथियार तो ज्यों का त्यों खड़ा है.. जाओ बाथरूम में जाकर कुच्छ देर इसपर ठंडा पानी डाल लो..
आज पहली बार मुझे पता चला कि लंड से पेसाब के अलावा और भी कुच्छ निकलता है, जो इतना आनंद देता है….
अब तो मे अपने हाथ से भी उस मज़े को लेने की कोशिश करने लगा, लेकिन वो मज़ा नही मिला जो भाभी के चूसने से मिला था.
फिर एक दिन बाथरूम में खड़ा मे अपने लंड को सहला रहा था कि भाभी ने देख लिया और वो डाँट पिलाई कि पुछो मत..
जब मेने कारण पुछा तो वो समझाने लगी – लल्ला देखो ये रोज़-रोज़ की आदत मत लगाओ… ठीक नही है, इससे तुम्हारा शरीर कमजोर होने लगेगा, हो सकता है कोई बीमारी भी लग जाए..
कभी-2 कर लेने में कोई बुराई नही है, पर हाथ से नही… हाथ से करने को मूठ मारना बोलते हैं.. और लिमिट से ज़्यादा मूठ मारने से इसकी (लिंग) नसें कमजोर पड़ जाती हैं..,
यहाँ तक कि आदमी ना मर्द भी हो जाते हैं, और सदी के बाद वो किसी काम के नही रह पाते..
मेने पुछा कि भाभी तो और कॉन कॉन से तरीके हैं उस आनंद को लेने के.. तो वो मुस्काराई… और बोली – लल्ला तुम तो आज ही सब कुच्छ जानना चाहते हो..!
फिर कुच्छ सोच कर वो बोली – उस दिन मेने जिस तरह से तुम्हें रिलीस किया था उसको मुख मैथुन (ब्लोव्जोब) कहते हैं.. असल में तो वो भी सही तरीका नही है..
मे – तो सही क्या है भाभी…?
भाभी – स्त्री-पुरुष के बीच संभोग ही सही तरीका होता है, जो प्राकृतिक माना जाता है.. लेकिन उसके लिए अभी तुम्हारी उमर नही हुई है,
तुम्हारे लिंग की स्किन जो जुड़ी हुई है ना वो भी तभी अलग होगी जब तुम किसी के साथ ये सब करोगे..
लेकिन ग़लती से भी किसी के साथ ऐसे वैसे संबंध बनाने की कोशिश भी मत करना..वरना… ! मुझसे बुरा कोई नही होगा..! जब भी वो समय आएगा, मे खुद तुम्हारी मदद करूँगी…
मेरे उन मेच्यूर दिमाग़ में कुच्छ पल्ले पड़ा कुच्छ नही, पर मे इतना ज़रूर समझ गया, कि भाभी मेरी सब जायज़, नाजायज़ ज़रूरतों का ख्याल रखती हैं, और जब जिस काम की ज़रूरत होगी वो ज़रूर करेंगी..
मेरे उन मेच्यूर दिमाग़ में कुच्छ पल्ले पड़ा कुच्छ नही, पर मे इतना ज़रूर समझ गया, कि भाभी मेरी सब जायज़, नाजायज़ ज़रूरतों का ख्याल रखती हैं, और जब जिस काम की ज़रूरत होगी वो ज़रूर करेंगी..
मे अपनी पढ़ाई में जुट गया.. समय निकलता रहा, भाभी की प्रेग्नेन्सी का समय नज़दीक आता जा रहा था, अब उनका पेट काफ़ी बड़ा हो गया था.
मे उनके पेट पर हाथ फेर्कर उनको चिड़ाया करता, कभी उनके पेट पर कान लगाकर बच्चे से बात करता.. छोटी चाची, समय समय पर भाभी की देख भाल कर देती.
आख़िरकार वो समय आ गया और भाभी ने एक प्यारी सी गुड़िया को जन्म दिया.
सभी बहुत खुश थे उस नन्ही परी के आने से जिसका नाम मेने रूचि रखा.
कुच्छ दिनो बाद मेरे एग्ज़ॅम भी हो गये, और अब में एक बार फिर बोर्ड की क्लास में पहुँच गया था.
उधर कृष्णा कांत भैया ने ग्रॅजुयेशन के फाइनल के साथ प्फ्र के एग्ज़ॅम भी दे दिए थे, और उनका सेलेक्षन होना लगभग तय था.
रामा दीदी ने 1स्ट एअर प्राइवेट से क्लियर कर लिया था, लेकिन प्रेग्नेन्सी की वजह से भाभी एग्ज़ॅम नही दे पाई, जिसका उनको मलाल था.
लेकिन वो जिंदगी के आहें एग्ज़ॅम में तो पास हो ही चुकी थी.
कुच्छ दिनो के बाद मनझले भैया का पीसीएस का रिज़ल्ट आ गया, रॅंक के हिसाब से उनको डीएसपी की पोस्ट के लिए सेलेक्ट किया गया था, अब उन्हें कुच्छ महीनो के लिए ट्रैनिंग पर जाना था.
मेरा इस साल बोर्ड था, सभी को मेरे भविश्य की चिंता थी, सो स्कूल के पहले दिन से ही सबका अटेन्षन मेरे उपर ही था.
उस दिन सनडे था, दोनो बड़े भाई भी घर आए हुए थे, कल मंझले भैया को ट्रैनिंग के लिए निकलना था, घर में थोड़ा मिल बैठ कर खाने का प्रोग्राम रखा था.
हमारे परिवार में मेरे यहाँ ही मिक्सर था, जो बड़े भैया की शादी में आया था, और इस समय वो छोटी चाची के यहाँ था, वो किसी काम के लिए ले गयी थी उसे.
वैसे तो चाची को भी हमारे घर ही आना था, लेकिन थोड़ा काम जल्दी हो जाए तो भाभी ने मुझे कहा – लल्लाजी ! छोटी चाची के यहाँ से अपना मिक्सर तो ला दो ज़रा, कुच्छ नारियल वग़ैरह की चटनी भी बना लेंगे..
छोटे चाचा का घर भी बगल में ही था, उन्होने अपने हिस्से में अपनी ज़रूरत के ही हिसाब से दो कमरे और एक छोटा सा किचेन मेन गेट के साथ ही बना रखे थे, वाकई की ज़मीन में उँची सी बाउंड्री से कवर कर रखा था.
बाउंड्री की पीछे की दीवार पर छप्पर डाल कर गाय-भैंस के लिए जगह कर रखी थी उसीके साथ में चारा काटने की मशीन लगा रखी थी जो एक सिंगल फेज़ की मोटर से चल जाती थी.
मे चाची के घर पहुँचा तो उनका मैं गेट अंदर से बंद था, मेने गेट खटखटाया, तो अंदर से चाची की आवाज़ आई… कॉन है…?
मे हूँ चाची… मेने जबाब दिया तो वो बोली – रूको लल्ला .. अभी गेट खोलती हूँ..
थोड़ी देर बाद जैसे ही गेट खुला, सामने चाची को देख कर मेरी आँखें फटी रह गयी… मुँह खुला का खुला रह गया… और मे फटी आँखों से उन्हें देखता ही रह गया………….
थोड़ी देर बाद जैसे ही गेट खुला, सामने चाची को देख कर मेरी आँखें फटी रह गयी… मुँह खुला का खुला रह गया… और मे फटी आँखों से उन्हें देखता ही रह गया………….
सामने चाची मात्र एक पेटिकोट में जो उनकी पहाड़ की चोटियों जैसी चुचियों पर सिर्फ़ लपेटा हुआ था और वो उसे एक हाथ से पकड़े हुए थी,
वही पेटिकोट नीचे उनके घुटनों से भी 2-3″ उपर तक ही आ रहा था और उनकी गोल-गोल खंबे जैसी मांसल जांघे दिखाई दे रही थी.
गेट खोलते ही वो मुझे देख कर मुस्काराई और बोली – आओ छोटू लल्ला..! और इतना कह कर पलट गयी.. अब उनकी हाहकारी गांद मेरी आँखों के सामने थी.
उनकी गांद पीछे को इतनी उभरी हुई थी कि, कमर के कटाव पर अगर कोई तौलिया रख दिया जाए तो गॅरेंटीड वो गिर नही सकता.
उपर से आगे को खिंचा हुआ पेटिकोट.. लगता था गांद के प्रेशर से कहीं फट ना जाए…
कसे हुए पेटिकोट में उनकी गांद ऐसी लग रही थी मानो दो बड़ेवाले तरबूज फिट हो रहे हों…. दोनो के बीच की दरार तरबूजों की कसावट की वजह से बहुत ही कम दिखाई दी मुझे…
वो अपनी तरबूजों को मटकाते हुए अपने बाथरूम की ओर चल दी जो किचेन के साइड से मात्र 3 फीट की तीन तरफ से ऑट सी लगाकर नहाने-धोने के लिए बना रखा था.
उनके मटकते हुए कूल्हे ऐसे लग रहे थे, मानो एक दूसरे से शर्त लगा रहे हों.. कि मे बड़ा कि तू….
अब रहने वाले दो ही तो प्राणी थे.., शादी के 10 साल बाद भी इतनी उपजाऊ ज़मीन से भी चाचा कोई फसल नही काट पाए थे.
चाची की इस जान मारु गांद को देख कर मेरा पप्पू फड़कने लगा… अब कुच्छ दिन पहले ऐसा कुच्छ हुआ होता तो शायद मेरे लिए ये नॉर्मल बात होती,
लेकिन अब भाभी ने मेरे नाग से जहर निकाल कर ये जता दिया था, कि नारी का बदन क्या, क्यों और किसलिए होता है..?
वो अपनी लंड फादू गांद को मटकाते हुए बाथरूम की ओर बढ़ते हुए बोली – और बतो लल्ला.. कैसे आना हुआ..?
मे हड़बड़ा कर बोला – वो चाची… वो..वो.. भाभी ने.. वो मिक्सर लाने के लिए बोला है…
चाची – अच्छा हां ! तुम थोड़ी देर बैठो.. उसके जार को साफ करना है अभी.. मे थोड़ा नहा लेती हूँ.. उसके बाद साफ करके दूँगी..
मे वहीं आँगन में पड़ी चारपाई पर पैर लटका कर बैठ गया, और कनखियों से उनके बाथरूम की तरफ देखने लगा..चाची बैठ कर नहा रही थी, उनके सर के बाल मुझे दिख रहे थे.. वो मुझसे बातें भी करती जा रही थी नहाने के साथ-2.
करीब 10 मिनिट में ही उनका नहाना हो गया और उसी अटॅल पर रखे उनके दूसरे पेटिकोट को उन्होने बैठे-बैठे ही उठाया…
और अपने सर के उपर से अपने शरीर पर डाल लिया, फिर वहीं रखी ब्रा उठाई और उसे पहनने लगी.
में अभी भी चोर नज़रों से उधर ही देख रहा था.. अचानक वो उठ खड़ी हुई, उनका पेटिकोट ठीक वैसे ही था जो नहाने से पहले वाला था.. उनकी कमर से उपर का हिस्सा मुझे दिख रहा था.
उन्होने मुझे आवाज़ दी – अरे छोटू लल्ला ! ज़रा इधर तो आना..,
मे उठकर उनके पास पहुँचा, इस समय उनके गीले बदन से वो पेटिकोट भी जगह-2 गीला होकर उनके बदन से चिपका हुआ था,
गीले कपड़े से उनके शरीर का रंग तक झलक रहा था.
उन्होने पेटिकोट के उपर से ही वो ब्रा जिसकी स्ट्रिप्स अपने कंधों पर चढ़ा कर आगे अपने स्तनों पर पकड़ रखी थी, और उसकी पट्टियाँ जिनको पीछे लेजाकर हुक करते हैं, वो साइड्स से झूल रही थीं.
मे उनके ठीक पीछे जा खड़ा हुआ और बोला – जी चाची .. बताइए क्या काम है..?
वो – अरे लल्ला ! देखो ना ये मेरी अंगिया थोड़ी टाइट हो गयी है, बहुत कोशिश की लेकिन मे अपने हाथ से इसके हुक नही लगा पा रही, थोड़ा तुम लगा दो ना !
मेने उनके दोनो ओर झूल रही पट्टियों को पकड़ा.. तो मेरे हाथ उनके गीले नंगे बगलों से टच हो गये.. मेरे पप्पू ने एक फिर ठुमका मारा…!
फिर उन्होने पेटिकोट को ब्रा के नीचे से निकाल कर हाथों में पकड़ लिया और उसको कमर में बाँधने के लिए अपनी नाभि जो किसी बोरिंग के गड्ढे की तरह दिख रही थी… तक ले गयी,
अब एक हाथ उनका आगे दोनो चोटियों के उपर से ब्रा को थामे था, और दूसरे में पेटिकोट पकड़ा हुआ था….
मेने दोनो तरफ की स्ट्रीप को खींच कर पीछे उनकी पीठ पर लाया.. मेरी दोनो हथेलिया चाची की नंगी पीठ पर धीरे-2 फिसल रही थीं…
ना जाने ये कैसी उत्तेजना थी मेरे शरीर में की मेरे हाथ काँपने लगे….
ब्रा वाकई में कुच्छ ज़्यादा ही टाइट थी, उनके हुक के होल जो धागे के बने हुए थे, उनमें हुक डालने में मुझे बड़ी दिक्कत आ रही थी…
अरे ! खड़े-2 क्या कर रहे हो लल्ला, जल्दी डालो ना.. चाची की आवाज़ सुन कर मेरे हाथ और ज़्यादा काँपने लगे…,
मेने स्ट्रीप को और थोड़ा खींच कर उनके होल के मुँह तक हुक लाकर छोड़ दिए.
चाची को लगा कि अब तो हुक लग ही जाएगा, सो उनका वो हाथ जो ब्रा को आगे से संभाले हुए था, वो भी अब पेटिकोट के नाडे को बाँधने के लिए नीचे कर लिया था…!
जैसे ही मेने हुक को उसके होल में छोड़ा, वो साला होल में जाने की वजाय बाहर से ही स्लिप हो गया… नतीजा… चाची की अंगिया किसी स्प्रिंग लगे गुड्डे की तरह उच्छल कर उनके सामने ज़मीन पर टपक गयी…..
फ़ौरन चाची ने अपना एक हाथ अपनी बड़ी बड़ी चुचियों पर रख लिया…और वो उन्हें ढकने की नाकाम कोशिश करती हुई बोली –
क्या लल्ला… औन्ट हो रहे हो और एक छोटा सा काम नही होता तुमसे…
मेने मरी सी आवाज़ में कहा – मेने पहले कभी डाला नही हैं ना चाची.. तो..
वो – क्या नही डाला अभी तक..?
मे – व.व.उूओ.. हुक कभी होल में नही…. डॅलाया.. सॉरी चाची..
चाची सामने पड़ी ब्रा उठाने के लिए आगे को झुकी, नाडे पर उनके हाथ की पकड़ कम हो गयी और जिस हाथ से उन्होने अपनी चुचियाँ ढक रखी थी उसी हाथ से ब्रा उठाने लगी…
तीन काम एक साथ हुए… गांद पर से उनका पेटिकोट थोड़ा नीचे को सरक गया और उनकी गांद की दरार का उपरी हिस्सा मेरी आँखों के सामने उजागर हो गया,
दूसरा झुकने की वजह से उनकी गांद की दरार ठीक मेरे अकडे हुए लंड पर टिक गयी, और उसकी लंबाई दरार के समानांतर होकर वो एक तरह दरार में सेट हो गया….
तीसरा उनकी नंगी गोल-मटोल बड़ी-2 चुचिया, नीचे को झूल गयी जो मुझे साइड से दिखाई दे रही थी..
मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी…, शरीर जुड़ी के मरीज की तरह काँपने लगा….
लेकिन ना तो मेने पीछे हटने की कोई कोशिश की और ना चाची ने मुझे हटने को कहा.
ब्रा को उठा कर उन्होने अपनी गांद को और थोड़ा पीछे को झटका देकर एक फुल लंबाई का रगड़ा मेरे लंड पर मारा और खड़ी हो गयी…
फिर उन्होने अपनी ब्रा को वैसे ही अपनी चुचियों के उपर रख कर उसी पोज़िशन में रह कर बोली – लल्ला तुम जाओ यहाँ से.. तुम्हारे बस का कुच्छ नही है..वैसे ही पहाड़ हो रहे हो, एक हुक तक नही लगा सकते…
मे – पर चाची वो मिक्सर..
वो – मे अपने साथ लेकर आती हूँ, तुम जाओ.. और हां ! ये बातें किसी से कहना मत.. समझ गये…
मे हां में अपना सर हिलाकर, अपनी गादेन झुकाए वहाँ से लौट आया… लेकिन आँखों में अभी भी वही सीन घूम रहे थे…,
सोच सोच कर मेरा पप्पू अंडरवेर में उच्छल-कूद मचाए हुए था, मे जितना उसको दबाने की कोशिश करता वो उतना ही उच्छलने लगता…
ऐसी हालत में घर जाना मेने उचित नही समझा, और मे खेतों की ओर बढ़ गया…
एक झाड़ी के पीछे जाकर पेसाब की धार मारी, मामला कुच्छ हल्का हुआ.. तो मे घर लौट लिया……!
उस घटना के बाद मेरी हिम्मत नही होती चाची से नज़रें मिलाने की, लेकिन इसके ठीक उलट वो हर संभव प्रयास करती रहती मेरे पास आने का,
मुझे लाड करने के बहाने अपने से चिपका लेती, कभी-2 तो मेरे मुँह को अपने बड़े-2 स्तनों के बीच में डाल कर दबाए रखती…
मे उनकी हरकतों से उत्तेजित होने लगता लेकिन उन्हें अपनी तरफ से टच करने की भी हिम्मत नही जुटा पाता…
कुच्छ दिनो से चाची के मेरे प्रति आए बदलाव को भाभी ने नोटीस किया, लेकिन ये बात उन्होने अपने तक ही रखी…एक दिन सुबह-सुबह की मखमली धूप में छत पर वो अपनी बेटी की मालिश कर रही थी, मे भी उनके पास ही बैठा था,
रूचि के सो जाने के बाद उन्होने मेरे से कहा, चलो लल्लाजी तुम भी अपनी शर्ट उतार दो, लगे हाथ तुम्हारी भी मालिश कर देती हूँ.
अपनी शर्ट उतार कर मे भी वहीं लेट गया, नीचे पाजामा पहना हुआ था, तो भाभी बोली – ये पाजामा पहन कर मालिश कराओगे इसे भी उतारो..
मे – लेकिन भाभी नीचे में खाली फ्रेंची ही पहने हूँ..
भाभी – तो अब मेरे से भी शर्म आ रही है, मे तो तुम्हारा सब कुच्छ देख चुकी हूँ..
मेने हिचकते हुए अपना पाजामा भी निकाल दिया और मात्र फ्रेंची में लेट गया,
भाभी ने कहा – पलट जाओ, पहले पीठ की मालिश करती हूँ, फिर आगे करा लेना.
मे पेट के बल लेट गया, भाभी मेरी पीठ की मालिश अच्छे से रगड़ा लगा कर करने लगी,
जब उन्होने मेरी कमर पर दबाब डालकर मालिश की तो पप्पू भाई को तकलीफ़ होने लगी, और वो घुड़कने लगा.
दरअसल, अकड़ तो वो भाभी के टच करते ही गया था, पर जब कमर पर दबाब पड़ा तो हालत और खराब होने लगी…
जब पीछे की मालिश हो गयी, तो उन्होने मुझे सीधे लेटने को कहा….
वो मेरे सीने की मालिश करने लगी, लेकिन उनकी नज़र मेरे पप्पू पर ही थी, जिसने बेचारी छोटी सी फ्रेंची को ऐसे उठा रखा था, जैसे डब्ल्यूडब्ल्यूई के कोर्ट में बिग शो सामने वाले फाइटर को अपने हाथों पर टाँग लेता है..
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लल्लाजी ! रश्मि चाची के बारे में तुम्हारा क्या ख़याल है..? भाभी ने अचानक ये सवाल दागा…नज़रें उनकी अभी भी मेरे अंडरवेर पर ही लगी थी.
मे समझा नही भाभी… किस बारे में ..? मेने उल्टा सवाल किया..
वो – आजकल वो तुम्हें कुच्छ ज़्यादा ही लाड़ करने लगी हैं..
मे – हां ! मेने भी फील किया है… लेकिन इसमें मेरा ख़याल क्यों पुछा आपने..?
भाभी – नही ! मेरा मतलब है… जब वो तुम्हें इस तरह से लिपटा चिपटा कर प्यार जताती हैं, तो तुम्हें क्या फील होता है..? आइ मीन कैसा फील करते हो..?
मे तुरंत ही कोई जबाब नही दे पाया, और चाची के साथ हुई उस दिन वाली घटना मेरे दिमाग़ में घूमने लगी…
जिसका इनस्टिट असर मेरे लंड पर पड़ा और वो भेन्चोद फ्रेंची में फड़-फडाने लगा…
उसकी कुदक्की देख कर भाभी के चेहरे पर एक गहरी स्माइल तैर गयी जिसे मेरे जैसे छोटे दिमाग़ वाले को समझना बस की बात नही थी.
भाभी ने अपना सवाल फिरसे दोहराया… तो मे कुच्छ हड़बड़ा गया और बोला –
म.म.मी..क्या फील करूँगा.. क.क.कुकछ नही … बस यही कि वो मेरी चाची हैं और मुझे प्यार करती हैं..बस… मेने बात संभालने की कोशिश की…
भाभी – लेकिन तुम्हारा… ये पप्पू तो कुच्छ और ही कह रहा है.. ये कहकर भाभी ने मेरे लंड को सहला दिया…!
मे – य.यईी..क्या कह रहा है… मतलब.. आप कहना क्या चाहती हो भाभी..?
भाभी – मेरे प्यारे देवर जी अब तुम इतने भी भोले नही हो कि, जो मे कहना चाहती हूँ, वो तुम नही समझ रहे…
अब सीधी तरह बताते हो या… इसको मे उखाड़ लूँ… और भाभी ने शरारती हसी हँसते हुए मेरे लौडे को ज़ोर से मरोड़ दिया..
आईईईईई…..भाभिईीईई…… क्या करती हो…. दर्द करता है…
तो बताओ… फिर क्या बात है…?
तो मेने उस दिन वाली घटना भाभी को बता दी और कहा- कि उस दिन से ही चाची का बिहेवियर चेंज सा हो गया है…
और सच कहूँ तो भाभी उनकी वो हरकतें मुझे भी अच्छी लगती हैं, लेकिन चाह कर भी अपनी तरफ से कुच्छ करने की हिम्मत नही कर पाता…!
भाभी – वैसे क्या करने का मन करता है तुम्हारा…?
मे इतना एक्शिटेड हो चुका था कि आज किसी तरह अपने नाग का जहर निकालना चाहता था.. जल्दी-2 घर पहुँचा और सीधा बाथरूम की तरफ जा रहा था, कि तभी भाभी सामने आ गई…
वो मेरे चेहरे और लंड की भयंकरता को देखते ही समझ गयी और मुस्कराते हुए बोली… चाची के घर गये थे…?
मे उनको हां बोलकर सीधा बाथरूम में घुस गया.. अभी मेने अपने नाग को पिटारे से बाहर निकालकर हाथ में लेकर हिलाना शुरू किया ही था कि पीछे से भाभी की आवाज़ सुनाई दी…
लल्लाजी ! मेने कितनी बार मना किया है, कि ये हाथ से ज़्यादा मत किया करो.. लेकिन तुम्हारी अकल में ही नही आता है..
मेने फटाफट उसे अंदर किया, और घूम कर बोला – तो मे क्या करूँ भाभी… कैसे शांत करूँ इसे.. आप ही बताइए..?
बभी – अब हुआ क्या है जो इतने उत्तेजित हो रहे हो.. मेने उन्हें अभी-अभी चाची के साथ हुई घटना के बारे में बताया… !
वो मुस्कराते हुए बोली- हूंम्म… तो जैसा मेने सोचा था, वही हुआ..
मे झुँझलाकर बोला – अरे क्या हुआ, और आपने क्या सोचा था ? मेरी तो कुच्छ समझ में नही आ रहा.. ?
भाभी – अभी तुम्हें कुच्छ समझने की ज़रूरत नही है, लाओ इसे मुझे दो मे कुच्छ करती हूँ इसका…!
और उन्होने मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर सहलाया, उसके पी होल को अपने नाख़ून से कुरेदने लगी…
मेरी तो सिसकी ही निकल गयी और अपनी आँखे बंद करके आनंद सागर में तैरने लगा… फिर भाभी ने उसे अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया…
भाभी ने अपने अंदाज से मेरे लंड को चुस्कर उसका जहर निकाल दिया जिसे उन्होने बड़े चाव से पी लिया… उसके बाद वो बोली ..
अब जाओ और जाकर अपनी पढ़ाई करो.. पता हैं ना इस बार बोर्ड का एग्ज़ॅम है..!मे खाना खाकर पढ़ने बैठ गया… सारा काम निपटाकर भाभी मेरे लिए बादाम का दूध लेकर आई और मुझे दूध देते हुए बोली – लो पहले इसे ख़तम करो, फिर पढ़ लेना..
मेने उनके हाथ से दूध का ग्लास लिया और पीने लगा.. तभी भाभी बोली – देखो लल्लाजी .. चाची के साथ आज जो हुआ है, उसे इसके आगे मत होने देना.. !
मेने दूध ख़तम करके खाली ग्लास टेबल पर रखा और उनकी तरफ देखते हुए कहा..
भाभी अब मे बड़ा हो गया हूँ.. , अब मुझसे ये सब और ज़्यादा कंट्रोल नही हो पाता…
उपर से आप ना जाने मेरे साथ क्या खेल खेल रही हो… ऐसा ना हो कि किसी दिन मेरे ना चाहते हुए वो सब हो जाए जो आप नही चाहती.. !
मेने खुले शब्दों में एक तरह से अपने मन की बात कह दी थी..!
वो कुच्छ देर तक मेरे चेहरे की तरफ देखती रही, अनायास ही उनके चेहरे पर गुस्से जैसे भाव आगये.. और वो ठंडे लहजे में बोली –
जान ले लूँगी तुम्हारी अगर ऐसा वैसा कुच्छ किया भी तुमने तो…!
मे भी बिफर पड़ा और झुझलाकर बोला – आख़िर आप चाहती क्या हैं..?
वो भभक्ते हुए एक झटके में बोल पड़ी – अपना हक़..!
मे – मतलव… कॉन्सा हक़..? और कैसा हक़..?
गुस्से में बोले हुए अपने शब्दों का जब उन्हें एहसास हुआ तो उनकी नज़र स्वतः ही झुक गयी… और वो आगे कुच्छ बोल नही पाई…!
जब अपने सवाल का कोई जबाब मुझे ना मिला तो मेने उनके कंधे पकड़ कर झकझोरते हुए पुछा..
बताइए ना भाभी… आप कोन्से हक़ की बात कर रही थी…?
उन्होने नज़र नीची किए हुए अपने नीचे के होठ को चवाते हुए कहा – तुम्हारे कुंवारेपन को पाने का हक़ सबसे पहले मेरा है..
कुच्छ देर तक तो उनकी बात मेरी समझ में ही नही आई, लेकिन जैसे ही मुझे समझ पड़ी… मे उनके गले से लग गया और बोला –
सच भाभी … आप मेरे साथ…वो…वो..सब… करेंगी….बोलिए…!
भाभी मुझसे बिना नज़र मिलाए ही बोली – हां लल्लाजी… पर समय आने पर..,
याद है मेने पहले भी कहा था… कि समय पर तुम्हें हर वो चीज़ मिलेगी जिसकी तुम इच्छा रखते हो..
ओह्ह्ह्ह… थॅंक यू भाभी ! आइ लव यू.. ! आप सच में बहुत अच्छी हैं……. पर वो समय कब आएगा भाभी..?
भाभी – तुम्हारे बोर्ड एग्ज़ॅम के रिज़ल्ट के बाद, तुम्हारे बर्तडे पर…तब तक तुम इस बारे में कोई बात नही करोगे…!
और हां ! रिज़ल्ट मुझे फर्स्ट डिविषन में चाहिए…!
इतना कह कर वो उठकर अपने रूम में चली गयी.. मे बस उन्हें जाते हुए देखता रहा.. और फिर अपनी पढ़ाई में जुट गया….!
अब मेरे दिमाग़ से सारे फितूर निकल चुके थे… उस दिन के बाद भाभी कुच्छ सीरीयस हो गयी और में भी.. उनकी भावना को समझ चुका था,
वो जो भी कर रही थी, मेरी खातिर ही कर रही थी…..
मे दिन-रात एक करके पढ़ाई में जुट गया था… पिताजी मुझे सीरियस्ली पढ़ते हुए देखकर अति-प्रसन्न थे, और उन्हें आशा थी कि मे अच्छे नंबरों से ये बोर्ड की परीक्षा पास कर लूँगा.
आख़िरकार मेरे एग्ज़ॅम भी आगये, और मेने पूरे कॉन्सेंट्रेशन के साथ सारे पेपर दिए.
जब सारे पेपर ख़तम हो गये और मे लास्ट पेपर देकर आया, तो भाभी ने मुझे अपनी छाती से किसी बच्चे की तरह लगा लिया और सुबक्ते हुए बोली…
मुझे माफ़ करदेना मेरे बच्चे.. मेने ये सब तुम्हारी भलाई के लिए ही किया है..!
अब तुम अपने रिज़ल्ट तक आज़ाद हो, जैसे चाहे मज़े ले सकते हो, लेकिन एक लिमिट में…!
मे – लेकिन अपना वादा तो याद है ना आपको..?
भाभी – वो मे कैसे भूल सकती हूँ…! जिसका मेने इतने वर्ष इंतेज़ार किया है..
मे – आप सच कह रही हैं.. ! क्या आप पहले से ये सब डिसाइड कर चुकी थी..?
भाभी – हां.. ! जब मेने पहली बार तुम्हें उस तकलीफ़ से निकालने के लिए वो सब किया था, तभी मेने ये डिसाइड कर लिया था, कि तुम्हारी वर्जिनिटी में ही
तुडवाउन्गी…!
मेरे रिज़ल्ट के ठीक एक हफ्ते बाद ही मेरा बर्त डे था, अब हम दोनो ही बड़ी बेसब्री से उस दिन का इंतेज़ार कर रहे थे….!
लेकिन अब में किसी के साथ भी कैसे भी मज़ा कर सकता था, सिवाय सेक्स के……………………………………क्षकशकशकशकशकश!
मेरे चचेरे भाई सोनू और मोनू भी छुट्टियों में घर आए हुए थे, सोनू मेरे से दो साल बड़ा था, और मोनू मेरे बराबर का ही था…
हम तीनों मिलकर सारे दिन धमाल करते रहते, और एक दूसरे से हर तरह की बातें भी कर लेते थे.. वो दोनो भाई तो आपस में बिल्कुल खुले हुए थे..
बातों-2 में उन्होने बताया कि वो अपने मामी और उसकी एक बेटी जो सोनू के बराबर की थी, उनके साथ मज़े भी कर चुके हैं..
मे ये सुनकर बड़ा सर्प्राइज़ हुआ कि वो दोनो साले अपनी मामी के साथ भी जो उसकी माँ से भी बड़ी थी मज़े ले चुके थे.
पता नही क्यों, छोटी चाची इन दोनो भाइयों को बिल्कुल पसंद नही करती थी, तो ये दोनो भी उनके घर कभी नही जाते थे…!
एक दिन हम तीनों ने मिलकर घर पर वीसीआर ला कर फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया … ये बात सुन कर घर के सभी लोग बड़े खुश हुए…
टाउन से हमने पूरी रात के लिए वीसीआर किराए से लिया और 3-4 मूवी ले आए, जिनमें 2 फॅमिली ड्रामा, एक पूर्ली आक्षन मूवी और 1 एक्सएक्स देशी मूवी की सीडी थी, जो सोनू ने ही सेलेक्ट की, मुझे तो इन सब का कोई नालेज नही था.
हमारा आँगन काफ़ी लंबा चौड़ा था, सो एक साइड में टीवी और वीसीर लगा कर हमने ज़मीन पर ही गद्दे डाल लिए, चारों परिवार के सभी सद्स्य आज काफ़ी दिनो के बाद एक साथ बैठ कर रात एंजाय करने वाले थे.
रेखा दीदी भी आजकल आई हुई थी, जो अब एक बच्चे की माँ थी, उनका बेटा भी लगभग मेरी भतीजी रूचि के साथ ही पैदा हुआ था…
रेखा दीदी का बदन अब काफ़ी भर चुका था, हाइट कम होने की वजह से वो कुच्छ ज़्यादा ही चौड़ी सी दिखती थी, उनके स्तन तो छोटी चाची से भी बड़े हो गये थे..
घर के काम-काज निपटाते 9 बज गये, सब लोग आकर ज़मीन पर पड़े गद्दों पर अपनी सुविधनुसार आकर बैठ गये….
शुरुआत में सोनू ने फॅमिली ड्रामा ही लगाई, सब मूवी एंजाय कर रहे थे, दोनो बड़ी चाचियाँ और चाचा आगे बैठे थे… !
चाचा और बड़ी चाचियाँ तो दूसरी मूवी के शुरू होते ही ऊंघने लगे और एक-एक करके वो उठकर जाने लगे.. दूसरी मूवी के ख़तम होते-होते भाभी समेत सभी बड़े लोग सोने चले गये…
अब हम बस तीन भाई और तीनों बहनें ही बैठे रह गये…
तीसरी सोनू ने आक्षन वाली फिल्म लगा दी… मे सबसे लास्ट मे बैठा था, और मेरे बगल में रेखा दीदी थी, जो बीच-2 में मुझे छेड़ देती थी, लेकिन मे उनके लिए कोई ऐसी वैसी बात मन में अभी तक नही लाया था..
हमारे आगे रामा और आशा दीदी थी, और उन दोनो के आजू बाजू सोनू और मोनू बैठे थे, मोनू रामा दीदी की तरफ और सोनू आशा दीदी की तरफ.
जब बैठे-2 बोर हो जाते तो कोई किसी की जाँघ पर सर रख कर लेट जाता, तो कभी कोई..
तीसरी मूवी के शुरू होने के कुच्छ देर बाद ही रेखा दीदी बोली – सोनू ये तूने क्या बकवास मूवी लगा दी है, कोई और नही है..?
सोनू – है तो सही दीदी लेकिन… वो आप लोगों के लायक नही है..
वो – क्यों ? ऐसा क्या है उसमें…?
सोनू – अरे दीदी ! समझा करो यार ! क्षकश मूवी है आप क्या करोगी देख कर..
वो – अच्छा तो तेरे देखने लायक है, हमारे नही.. लगा तू.. देखें तो सही कैसी एक्सएक्स है..?
मजबूर होकर उसने वो सीडी लगाड़ी… ये एक भोजपुरी भाषा की बी ग्रेड मूवी थी, जिसमें एक लड़का और लड़की आधे अधूरे कपड़ों में जंगल में भटक रहे होते हैं..
अपना मन बहलाने के लिए कभी-2 वो एकदुसरे के साथ छेड़-छाड़ करने लगते हैं, एकदुसरे को किस करने लगते है,
कपड़ों के उपर से जो केवल नाम मात्र के लिए थे उनके शरीरों पर एक दूसरे के नाज़ुक अंगों को सहलाने-पकड़ने लगते हैं..
जैसे-2 मूवी में सेक्स बढ़ता जाराहा था, वहाँ पर बैठे सभी लोग एक्शिटेड होते जा रहे थे, और ना चाहते हुए ही एक दूसरे के साथ खेलने लगते हैं..