“आप कितने अच्छे है.. बापू!! देखिए ना.. मेरी छाती दूध से फटी जा रही है.. और लल्ला भी थोड़ा सा ही पीकर सो गया.. अब पता नहीं ये कब जागेगा और दूध पिएगा.. “
“अरे बेटा.. क्यों चिंता कर रही हो!! मैं हूँ ना.. ला मैं तेरा दूध चूसकर तेरी छातियाँ हल्की कर देता हूँ”
“पर बापू.. मुझे बड़ी लाज आती है.. ” शरमाते हुए रूखी ने कहा
“अब शर्म करोगी तो फिर दर्द भुगतना पड़ेगा.. और तो मैं कुछ नहीं कर सकता!!”
“नहीं नहीं बापू.. ये लीजिए.. चूस लीजिए.. बहोत दर्द हो रहा है.. ” रूखी ने तोप के नाले जैसे दोनों स्तन खोलकर अपने ससुर के सामने पेश कर दिए
रूखी के मदमस्त स्तनों को देखकर उसका ससुर पानी पानी हो गया.. यौवन के कलश जैसे बेहद सुंदर चरबीदार बोब्बे.. बड़े सुंदर लग रहे थे
बूढ़े ससुर ने दोनों स्तनों को पकड़कर दबाया
“आह्ह.. दुख रहा है बापू.. ” कामातुर रूखी ने कहा
“अपनी भेस के थन जैसे है तेरे चुचे.. ” ससुर लार टपकाते हुए बोला.. रूखी ने अपने चेहरे को घूँघट से ढँक लिया.. देखिए इस नारी का चरित्र.. स्तन खुले हुए है और चेहरा ढँक रही है..!! संस्कारी होने का दिखावा करती रूखी का अगर घाघरा उठाया जाएँ.. तो उसकी बिना पेन्टी वाली चुत से.. कल रात जीवा और रघु के साथ हुई चुदाई के अवशेष मिल जाते..
जरा सा ही दबाने पर.. रूखी की निप्पलों से दूध की धार बरसने लगी.. रूखी का दूध उसकी गोद में ही गिरने लगा..
“बेटा.. एक काम करो.. लल्ला को पालने में सुला दो.. नहीं तो हलचल से वो जाग जाएगा.. ” ससुर ने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा
अपने ब्लाउस से लटक रही दो खुली चूचियों के साथ रूखी खटिया से खड़ी हुई.. और बच्चे को उठाकर बगल के कमरे में पालने के अंदर सुला दिया.. वापिस लौटते वक्त उसकी नजर पिलर के पीछे खड़ी शीला पर गई.. दोनों की नजरे मिली और चेहरे पर शैतानी मुस्कान आ गई..
चलकर आ रही रूखी का अर्धनग्न सौन्दर्य देखकर बूढ़े ससुर का जबड़ा लटक गया.. क्या अद्भुत सौन्दर्य था रूखी का!! पूनम के चाँद जैसे गोरे गोरे दो स्तन देखकर शीला के भोसड़े में भी आग लग गई.. रूखी चलते चलते खटिया तक आई और ससुर के सामने जाकर खड़ी हो गई।
रूखी को देखकर उस बूढ़े की जवानी फूटने लगी.. बिना अपना घूँघट हटाए रूखी ने अपना दाया स्तन ऊपर किया.. उसका ससुर उस स्तन को देखता ही रह गया..
“जल्दी कीजिए बापू.. अम्मा कभी भी वापिस आ जाएगी.. ” कहते हुए रूखी ने अपने ससुर का सिर पकड़कर उनके मुंह में अपनी निप्पल दे दी
“ओह बहुरानी.. अमम.. ” ६० साल के बूढ़े का लंड धोती के अंदर फुँकारने लगा.. अपने बेटे की जवान बीवी के स्तनों से दूध चूसने की समाजसेवा शुरू कर दी बूढ़े ने….
“आह्ह.. बापू.. आप तो कैसे चूस रहे है.. ऊईई.. ओह्ह” रूखी ने अपनी निप्पल को ससुर के मुंह में दबा दिया.. वो बूढ़ा भी ऐसे चूस रहा था जैसे दुनिया का सबसे बढ़िया हेल्थ ड्रिंक पी रहा हो.. थोड़ी देर तक चूसने के बाद वह बोला
“बेटा.. गाय के थन जैसी छाती है तेरी.. थोड़ा सा ही चूसने पर पूरा मुंह दूध से भर गया मेरा.. बेचारा लल्ला इतना सारा दूध कहाँ से पी पाएगा!! इतना दूध है की पूरे घर के लिए काफी है.. काश हमारे खेत भी तेरी इन छातियों जीतने उपजाऊ होते”
“ओह्ह बापू.. क्या कर दिया आपने!! मुझे तो कुछ कुछ हो रहा है.. आह्ह.. ” रूखी का पूरा जिस्म हवस की आग में झुलसने लगा था। उसका एक हाथ ससुर के सिर पर था और दूसरे हाथ से उसने अपनी भोस सहलाना शुरू कर दिया..
“आह्ह बापू.. धीरे धीरे.. काटिए मत.. ऊईई माँ.. बस बस बहुत हो गया.. थोड़ा सा लल्ला के लिए भी छोड़ दीजिए.. अभी वो जाग गया तो उसे क्या पिलाऊँगी.. ” रूखी और उसके ससुर का यह कामुक मिलन देखते हुए.. शीला ने अपने दोनों स्तन ब्लाउस से बाहर निकाल लिए थे और पागलों की तरह अपनी निप्पलों को मसल रही थी। शीला ने पास पड़े हँसिये को उठाकर उसके लकड़े से बने हेंडल को अपनी चुत पर रगड़ना शुरू कर दिया था। उन दोनों का खेल देखकर शीला का मन कर रहा था की वो भी उस खटिया में जाकर उस बूढ़े से लिपट पड़े.. पर फिलहाल ऐसा करना मुमकिन नहीं था
“तेरी छातियाँ तो रसिक की अम्मा से भी बड़ी बड़ी है.. ” आखिर ससुर ने रूखी की निप्पलों को छोड़ दिया
“आपने तो सारा दूध खतम कर दिया बापू” उस बूढ़े के पीठ पर हाथ पसारते हुए रूखी ने कहा.. वह अपने ससुर को ऐसे सहला रही थी जैसे कसाई हलाल करने से पहले बकरे को सहलाता है..
ससुर ने रूखी की लचकदार चर्बी वाली कमर पर अपना खुरदरा हाथ फेरा.. रूखी के भोसड़े से कामरस की धारा बह रही थी.. बूढ़े ने रूखी के घाघरे में हाथ डालकर उसके गोल मटके जैसे दोनों कूल्हों को पकड़ लिया..
रूखी को बहोत गुस्सा आ रहा था.. ये बहनचोद हर जगह हाथ फेर रहा है पर मेरी चुत को क्यों नहीं छु रहा!! कैसे कहूँ.. शर्म आ रही है.. और अभी वो बुढ़िया भी आ टपकेगी..
रूखी ने बूढ़े को अपनी छातियों से दूर कर दिया..
“क्या हुआ बहु?” ससुर आश्चर्य से रूखी को देखने लगा
“अब दूसरे वाले की बारी.. दोनों तरफ एक सा वजन होना चाहिए ना.. ” कहते हुए रूखी ने अनुभवी रंडी की अदा से अपना दूसरा भारी स्तन ससुर के हाथों में थमा दिया
“बहु.. इतनी भारी छातियों का वज़न नहीं लगता तुझे.. ?? कम से कम ३-४ किलो का होगा एक.. “
बिना जवाब दिए रूखी खटिया पर लेट गई.. और अपने ससुर को बगल में लिटा दिया.. अपना बाँया उरोज मुंह में देते हुए बोली
“बातें बाद में करेंगे.. पहले जो काम करने बैठे है उसे तो खतम कर लो.. कब से बस बोलें ही जा रहे हो..!!” रूखी ने अपने पैर को घुटने से मोड़ा और ऐसी स्थिति में लेकर आई की उसका घुटना सीधा बूढ़े के लंड से जा टकराए..
ससुर की लंगोट.. मधुमक्खी के छत्ते की तरह उभर गई थी.. रूखी के भोसड़े में आग लग गई थी.. उसने ससुर के लंड को अपने घुटने से छूते हुए उसे अपने पास खींचा
“ये क्या कर रही हो बेटा.. नहीं नहीं.. ये ठीक नहीं है”
रूखी ने अपने घुटनों से एक जोरदार धक्का लगा दिया ससुर के लंड पर.. बूढ़े की चीख निकल गई..
“अब चुपचाप जो कहती हूँ वो करो.. दूध तो पी लिया है मेरा.. अब वसूल भी तो करने दो मुझे.. खबरदार जो किसी को एक शब्द भी बताया है तो” अपने ससुर को बाहों में दबाते हुए रूखी ने कहा.. गुस्साई शेरनी जैसी रूखी उस बूढ़े पर टूट पड़ी.. ससुर को नीचे लिटाकर वह उसके ऊपर चढ़ गई.. दोनों के वज़न से खटिया का एक पैर टूट गया.. खटिया के टूटते ही दोनों फर्श पर आ गिरे.. ऐसे गिरे जैसे बुमराह के बाउन्सर के सामने झिम्बाब्वे का बेट्समेन गिर जाता है.. दोनों को मुंह से एक साथ चीख निकल गई.. ससुर इसलिए चीखा की उसकी पीठ नीचे फर्श पर टकराई और रूखी का पूरा वज़न उस पर गया.. रूखी इसलिए चिल्लाई क्योंकी नीचे गिरने के कारण उसकी निप्पलें बूढ़े के मुंह के साथ बड़े जोर से दब गई।
रूखी के वज़न तले लाचार ससुर ऐसे दबा था जैसे महंगाई के बोज तले प्रजा दबी हुई है.. दोनों के जिस्म एक दूसरे में उलझे हुए थे तभी.. बाहर दरवाजा खुलने की आवाज आई.. मर गए.. जिसका डर था वही हुआ.. बुढ़िया आ गई!!
“अरे.. इतनी देर में रसिक की अम्मा वापिस भी आ गई.. !! उसे तो मंदिर में भी चैन नहीं है” कहते हुए ससुर रूखी को अपने शरीर के ऊपर से हटाते हुए खड़ा हुआ और भागकर अपने कमरे में चला गया
रूखी उठकर शीला के पास आई.. शीला हँसिये के हेंडल को अपनी चुत में घुसेड़कर खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी।
“कमिनी.. तूने तो अपने ससुर को ही सेट कर लिया” रूखी की कमर पर चिमटी काटते हुए शीला ने कहा
“भाभी.. मुझे शक है की मेरे ससुर ने मुझे जीवा के साथ देख लिया है.. जिस रात रघु और जीवा मुझे चोद कर गए थे.. तब से इस बूढ़े ने मुझे सताना शुरू कर दिया था.. मेरे साथ रोज अश्लील बातें करता है और छातियों को घूरता रहता है”
“अच्छा.. तो ये बात है!!” शीला ने कहा
रूखी: “हाँ भाभी.. पर बूढ़ा है बड़े काम की चीज.. छाती तो ऐसे चूस रहा था.. मेरे छेद में से नलके की तरह पानी बहने लगा था.. सब गीला गीला हो गया”
शीला: “साली, एक नंबर की हरामी है तू …”
रूखी ने शीला के ब्लाउस के बटन बंद करते हुए कहा “इसीलिए तो मुझे हँसिये को अंदर डालने की जरूरत नहीं पड़ती है भाभी” कहते हुए उसने शीला की चुत से हँसिये को खींचकर बाहर निकाला..
तभी शीला के मोबाइल पर कविता का फोन आया.. शीला ने उसके साथ कुछ बात की और फोन रख दिया
रूखी की सास.. कमरे में अंदर आई.. और बोली “अरे रूखी.. शीला बहन को ताज़ा मक्खन जरूर देना”
“हाँ अम्मा.. बस निकालने ही जा रही थी.. “
“और बताइए शीला बहन.. हालचाल ठीक है सब? भैया कैसे है?” शीला के ब्लाउस के दो खुले बटनों को देखते हुए रूखी के सास ने बड़े विचित्र ढंग से पूछा
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शीला: “सब ठीक ही है माजी.. विदेश में भला क्या तकलीफ़ होगी उन्हे!! सारी तकलीफ तो हमे यहाँ ही उठानी पड़ती है”
रूखी की सास भी आखिर एक स्त्री थी.. शीला की आवाज का दर्द और छुपा अर्थ वह समझ सकती थी.. इतने सालों का अनुभव जो था.. रूखी को भी वह बड़े अच्छे से रखती थी.. सास-बहु वाली कोई कड़वाहट नहीं थी। वैसे भी हर सास अपनी बहु का थोड़ा बहुत ऊपर नीचे चला ही लेती है। क्योंकी सास भी कभी बहु थी..
शीला और रूखी के सामने रहस्यमयी मुस्कान के साथ वह कमरे में चली गई। ‘
शीला: “तेरी सास भी बड़ी खिलाड़ी लगती है मुझे”
रूखी ने हँसकर कहा “सबकुछ आराम से बताऊँगी कभी.. मेरी सास का इतिहास भी बड़ा ही रसीला है”
“ठीक है रूखी, मैं चलती हूँ” रूखी के हाथ से मक्खन का डिब्बा लेते हुए शीला ने कहा
“मैं शाम को आऊँगी भाभी.. फिर आराम से बातें करेंगे”
जाते जाते शीला ने रूखी के ससुर के कमरे के दरवाजे को हल्का सा खोलकर एक नजर डाली.. अंदर का द्रश्य देखकर वह चोंक गई.. वह तुरंत भागकर वापिस आई.. और रूखी को खींचकर ससुर के कमरे के दरवाजे पर ले आई.. दोनों ने छुपकर देखा.. उसका ससुर धोती से लंड निकालकर हिंसक तरीके से हिला रहा था.. देखकर शीला और रूखी दोनों पानी पानी हो गए..
“मेरी सास कहाँ है ?” रूखी ने पूछा.. अर्धखुले दरवाजे से कमरे का पूरा द्रश्य नहीं दिख रहा था रूखी को
“तेरी सास भी अंदर ही है” शीला ने कहा
“तब तो आज पक्का चुदाई का प्रोग्राम होगा अंदर.. मेरा ससुर खिलाड़ी है.. मेरी सास को रंडी बनाकर पेलेगा.. रुको थोड़ी देर.. देखकर जाओ.. मज़ा आएगा” रूखी ने कहा
शीला उत्तेजित हो गई.. उसके लिए ये नया अनुभव था.. उसने पहले कभी किसी अन्य जोड़े को इस तरह चोदते हुए नहीं देखा था.. शीला की मुनिया कामरस से एकदम गीली हो गई.. रूखी के सास और ससुर बातें कर रहे थे.. अपना लंड ढीला न पड़ जाए इसलिए वह बूढ़ा उसे हिलाए जा रहा था.. थोड़ी देर के बाद रूखी की सास अपने पति के बगल में लेट गई.. और रूखी के ससुर को अपने ऊपर खींच लिया..
“अरे वो दोनों बातें करने में लगी हुई है.. अभी कोई नहीं आएगा.. तुम शांति से करो.. काफी दिन हो गए है किए हुए.. पर आज दिन के समय ये तुम्हारा डंडा कैसे खड़ा हो गया आज?? कहीं वो शीला बहन को देखकर तो.. !!! अभी मैं उससे मिली तब उसके ब्लाउस के दो हुक खुले हुए थी.. तुमने कुछ छेड़खानी तो नहीं की ना उसके साथ.. !! वैसे भी वो दो सालों से बिना पति के तरस रही है.. कहीं तुमने तो उसे पानी पिलाने की कोशिश नहीं की है ना?? ” रूखी के सास ने अपने पति से पूछा
“पागल हो गई है क्या तू?? मैंने ऐसा वैसा कुछ नहीं किया.. ” ससुर ने अपना बचाव करते हुए कहा
“कुछ भी कहो.. आज तुम्हारा लंड कुछ ज्यादा ही सख्त लग रहा था.. इतना सख्त तो हमारी सुहागरात पर भी नहीं हुआ था… ” रूखी के सास ने अपने पति का लाई डिटेकटर टेस्ट जारी रखा
“हे ईश्वर.. इन औरतों को कभी भी अपने पति की बात का विश्वास क्यों नहीं होता!! जब देखो तब एक ही बात.. !! चल.. अब मुंह में लेकर चूस.. और इसे एकदम सख्त कर.. फिर से नरम होने लगा… ” ससुर ने अपने पत्नी के बाउन्सर के सामने झुककर अपना सिर बचा लिया
“अब इतना कडक तो हो गया है.. और कितना सख्त करना है तुम्हें..!! चोदना है या दीवार में छेद करना है!! चलो.. अब जल्दी से डाल दो.. तुम्हारे ये देखकर मुझे भी कुछ कुछ हो रहा है.. “
रूखी का ससुर तुरंत ऊपर चढ़ गया.. और अपनी पत्नी के ढीले-ढाले भोसड़े को ठोंकने लगा..
“आह्ह.. जरा धीरे से.. दर्द होता है अंदर.. आहह आह्ह.. !!” सिसकारते हुए रूखी की सास भी ताव में आकर चुदने लगी और उसने भी इस काम-उत्सव में अपना नामांकन करवा दिया
“बाप रे भाभी.. !! देखो तो सही.. इस उम्र में भी ये बूढ़ा कितना जोर लगा रहा है… !! सच ही कहते है.. मर्द और घोडा कभी बूढ़ा नहीं होता!!” रूखी ने शीला से कहा
शीला रूखी के पीछे खड़ी थी.. उसने अपने दोनों हाथों से रूखी की गदराई कमर को सहलाना शुरू कर दिया.. और शीला के मुलायम तकिये जैसे स्तन रूखी की पीठ पर दब रहे थे। दोनों की आँखों के सामने रूखी के सास और ससुर की घमासान चुदाई चल रही थी।
शीला ने रूखी के चेहरे को पीछे की तरफ खींचा और उसके होंठों को एक गरमागरम चुंबन रसीद कर दिया.. रूखी भी घूमकर शीला के सामने आ गई और दोनों पागल प्रेमियों की तरह एक दूसरे से लिपट गए.. सास-ससुर का कामुक वृद्ध सेक्स देखकर दोनों सखियों की पूत्तियाँ कामरस टपकाने लगी.. शीला ने रूखी की चोली में हाथ डालकर उसके भरावदार स्तनों को मसलन शुरू किया जबकि उसके दूसरे हाथ ने रूखी के घाघरे में घुसकर उसकी चुत का हवाला संभाल लिया था..
अपने ससुर का मस्त खूंटा देखकर उकसाई हुई रूखी अपनी बेकाबू वासना को शांत करने के लिए शीला के होंठों को चूसने लगी.. कभी शीला रूखी के होंठ चूमती तो कभी रूखी शीला की जीभ को रसगुल्ले की तरह चूसती.. उनकी नज़रों के सामने ही रूखी के सास-ससुर कामक्रीड़ा में इतने मशरूफ़ थे की उन्हे आसपास का कोई ज्ञान न था.. वह दोनों केवल अपनी हवस शांत करने की कोशिश कर रहे थे
शीला और रूखी.. एक दूसरे के अंगों को सहलाकर.. मसलकर.. बिना लंड के अपनी चूतों की आग को शांत करने के निरर्थक प्रयत्न कर रहे थे। रूखी के भोंसड़े में चार उँगलियाँ अंदर बाहर करते हुए शीला ने कमरे में अंदर नजर डाली.. रूखी की सास.. अपने पति के लंड पर सवार होकर कूद रही थी.. ससुर ने उसकी कमर पकड़कर उसे संतुलित कर रखा था.. और सास गांड उछाल उछाल कर जबरदस्त धक्के लगा रही थी.. काफी जद्दोजहत के आड़ चारों झड़ने में कामयाब हो गए।
जैसे ही वह बूढ़ी सास अपना रस झड़वाकर लंड से नीचे उतरी.. शीला और रूखी दोनों को जबड़े आश्चर्य से लटक गए.. बाप रे!! ससुर का विकराल लोडा वीर्य से लसलसित होकर अपनी बीवी की चुत से निकलकर ऐसे झटके खा रहा था जैसे को योद्धा युद्ध लड़ने के बाद हांफ रहा हो!!
“चल रूखी.. मैं अब निकलती हूँ.. अभी तेरी सास बाहर आएगी.. “
“ठीक है भाभी.. आप जाइए.. मैं बाद में आती हूँ आपके घर.. “रूखी ने कहा
शीला अपने ब्लाउस के बटन बंद करते हुए निकल गई.. इस बार वह चलते चलते अपने घर पहुंची।
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शीला सोच रही थी.. क्या काम होगा कविता को? तभी कविता खुद उसके घर पर आ पहुंची.. बहोत खुश लग रही थी कविता.. शीला जानती थी की बिना लंड से झटके खाए.. किसी स्त्री के चेहरे पर ऐसी मुस्कान खिल ही नहीं सकती..
“सच सच बता कविता.. कल पीयूष ने बराबार चोदा है ना तुझे?” शीला ने पूछा
“पीयूष ने नहीं.. मेरे प्यारे पिंटू ने.. ये सब मेरे पिंटू का ही कमाल है” कहते हुए कविता शीला से लिपट पड़ी
“अच्छा.. !! ये भला कब हुआ?? वो तो कल चला गया था मेरे घर से.. तुम दोनों मिले कब??” शीला ने आश्चर्यसह पूछा
“कल रात पीयूष अपने दोस्तों के साथ मूवी देखने गया था.. मैंने पिंटू को फोन करके बुला तो लिया.. पर सवाल ये था की हम दोनों मिले कैसे!! रात को दस बजे पीयूष हमारी सोसायटी में आ चुका था.. उसने मुझे पीछे वाली गली में मिलने के लिए बुलाया.. पर कमबख्त मेरी सास.. देर तक जागती रहती है.. टीवी पर बकवास सीरियलों ने दिमाग खराब कर रखा है उनका.. बुढ़िया बस टीवी से चिपकी रहती है.. कैसे निकलती बाहर!!”
कविता सारा घटनाक्रम बता रही थी उस दौरान शीला ने उसे बेड पर बिठाया और उसका स्कर्ट घुटनों तक ऊपर करते हुए.. हाथ डालकर उसकी पेन्टी खींच निकाली.. कविता ने कोई प्रतिरोध नहीं किया और वह बोलती ही रही.. शीला की हरकतों से उसके पतले गोरे बदन में सुरसुरी सी होने लगी.. शीला ने कविता को हल्के से धक्का दिया और उसकी पीठ दीवार के साथ सट गई.. और दीवार के सहारे वह आधी लेटी हुई पोजीशन में आ गई.. शीला ने उसके घुटने मोड़कर पैर चौड़े किए.. कविता की बिना झांटों वाली चिकनी पूत्ती देखकर शीला एक पल के लिए ईर्ष्या से जल उठी.. सफाचट नाजुक मोगरे की कली जैसी कविता की जवान चुत के दोनों होंठ फड़फड़ाने लगे..
शीला ने झुककर कविता की पुच्ची की चूम लिया..
“आह्हहह भाभी.. ” कविता कराह उठी
“तू बोलना जारी रख.. फिर किस तरह निकली घर से और कैसे मिले तेरे पिंटू से.. ?”
“ओह्ह भाभी.. क्या कहूँ!! मुझे आपकी याद आ गई.. मैं आपके घर आने के बहाने, छाता लेकर बाहर निकली.. और आपके घर के पीछे जो सुमसान गली है ना.. वहाँ पिंटू को बुला लिया.. हल्की हल्की बारिश हो रही थी.. और उस गली में घर के बाहर को नहीं था.. काफी अंधेरा भी था.. वहीं बिजली के खंभे के पास पिंटू ने मुझे खड़े खड़े पीछे से चोद दिया..पर भाभी.. पिंटू अब पहले के मुकाबले काफी कुछ सीख चुका है.. पहले तो उस अनाड़ी को मेरे छेद के अंदर घुसाना भी ठीक से नहीं आता था.. पर पता नहीं कैसे.. कल रात को उसने किसी अनुभवी मर्द की तरह मेरी ठुकाई की.. पहले पहले तो उसे चुत चाटना भी नहीं आता था..और चुदाई भी ठीक से नहीं कर पाता था.. पर कल रात को उसने मुझे जो चोदा है.. आहाहाहा.. मेरी चुत में दर्द होने लगा तब तक धक्के लगाए उसने.. और जमीन पर बैठकर मेरी चुत भी चाटी.. कुछ समझ में नहीं आ रहा.. मेरा अनाड़ी पिंटू ऑलराउंडर कैसे बन गया?? कहीं किसी बाजारू औरत के पास तो नहीं गया होगा ना!! कुछ तो गड़बड़ है!!”
शीला ने कविता की बात का कोई जवाब नहीं दिया और मुसकुराते हुए कविता की टाइट चुत पर अपना मुंह चिपका दिया.. कविता ने “ओह्ह.. ओह्ह” सिसकते हुए अपने चूतड़ ऊपर उठा दिए और शीला के सिर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया.. उसकी उत्तेजित चुत में शीला ने दो उँगलियाँ घुसेड़ कर अंदर बाहर करते हुए चाटना शुरू कर दिया.. इस दोहरे हमले के आगे कविता निसहाय थी.. उसे याद आया की पिंटू ने भी पिछली रात बिल्कुल इसी तरह किया था.. पर शीला ने कविता के दिमाग को ज्यादा सोचने की स्थिति में ही नहीं रहने दिया.. अद्भुत, कामुक और शृंगारिक तरीके से हो रही चुत चटाई ने कविता के दिमाग पर ताला लगा दिया..
अपने अमूल्य खजाने को शीला के हाथों में सौंपकर कविता अपने नागपुरी संतरों जैसे उरोजों को मसलकर अपनी आग को बुझाने के निरर्थक प्रयत्न करने लगी.. पर शीला की उंगलियों में असली लंड जैसा मज़ा कहाँ से मिलता !!! कल रात को पिंटू ने बिजली का खंभा पकड़ाकर जिस तरह उसे पीछे से धमाधम शॉट मारे थे उसके झटके कविता की चुत में अब तक लग रहे थे।
“आह्हह भाभी.. अब ओर नहीं रहा जाता मुझसे.. कुछ कीजिए प्लीज.. ” शीला ने कविता की पूत्ती को चाटते हुए अपनी उंगलियों को तेजी से अंदर बाहर करना शुरू किया.. कविता के सुंदर स्तनों को देखकर शीला भी गरमा गई.. उसने कविता की चुत से अपनी उँगलियाँ निकाली.. और अपने सारे कपड़े उतार दिए.. कविता तो इस नग्न रूप के ताजमहल की सुंदरता देखकर चकाचौंध हो गई..
“हाय भाभी.. कितना गदराया शरीर है आपका !! ये गोरी गोरी चिकनी मांसल जांघें.. और मदमस्त मोटी गांड.. में लड़की होकर भी ललचा गई देखके.. तो मर्दों की क्या हालत होती होगी.. !!” कहते हुए कविता ने शीला के खरबूजों जैसे स्तनों के साथ खेलना शुरू कर दिया..
शीला ने कविता का मुंह अपने बबलों पर दबा दिया.. गुलाबी रंग की निप्पल को थोड़ी देर चूसते रहने के बाद कविता ने कहा “अगर इसमें दूध आता होता तो कितना मज़ा आता!!! पीयूष कई बार मुझसे कहता है.. उसे दूध भरे मम्मे चूसने की बड़ी इच्छा है.. और हाँ भाभी.. आपसे एक और बात भी पुछनी है”
शीला: “हाँ पूछ ना”
कविता: “कैसे कहूँ.. अमममम.. मेरे पति पीयूष को एक बार आपके बॉल दबाने है.. उसे बहोत पसंद है आपके.. रोज रात को मेरी छाती दबाते हुए वो आपका ही नाम लेता है.. “
सुनते ही शीला के भोसड़े में दस्तक सी लगने लगी.. एक नए लंड की संभावना नजर आते ही उसकी चुत छटपटाने लगी..
“बेशरम.. कैसी गंदी गंदी बातें कर रही है तू कविता.. !! बोलने से पहले सोचती भी नहीं तू.. कुछ भी बोल रही है.. पीयूष को तो में कितने आदर की नजर से देखती हूँ.. वो कभी ऐसी बात नहीं कर सकता!!”
“सच बोल रही हूँ भाभी..मेरे तो छोटे छोटे है.. पीयूष को बड़े बबले पसंद है.. जब देखों तब बड़ी छातियों वाली औरतों की तारीफ करता रहता है.. और जब मौका मिले तब उन्हे ताड़ता रहता है.. “
सुनते ही शीला का भोसड़ा पानी पानी हो गया.. उसने कविता को अपनी बाहों में भर लिया और उसके रसभरे होंठों को एक लंबा चुंबान किया
“अगर तेरा पति मेरे बबले दबाएगा तो तुझे कोई एतराज नहीं होगा ना?? बोलने तक तो बात ठीक है पर कोई भी पत्नी ये बर्दाश्त नहीं कर पाती.. पर तू ध्यान रखना कविता.. कहीं तेरा पति पीयूष किसी गदराई छाती वाली के साथ उलझ ना जाएँ.. नहीं तो तेरा सुखी संसार तहस नहस हो जाएगा.. इन मर्दों का और उनके लोडों का कोई भरोसा नहीं..” शीला ने कहा
ये सुनकर कविता बॉखला गई..
शीला की चुत में शकुनि का दिमाग था.. नई संभावना जागृत होते ही उसकी चुत और दिमाग दोनों पासे फेंकने लगे
कविता की क्लिटोरिस को अपने अंगूठे और उंगली के बीच पकड़कर शीला ने ऐसा दबाया की कविता अपनी कमर उठाते हुए उछल पड़ी.. और बिस्तर पर पटक गई..
“हाईईई भाभी.. मर गई.. आहहहह.. निकल गया मेरा.. !! क्या किया आपने.. कहाँ छु लिया था.. !! मुझे तो मज़ा आ गया भाभी.. ईशशश”
शीला दो घड़ी के लिए थम गई.. जब तक की कविता की सांसें नियंत्रित न हो गई फिर उसने कविता से पूछा
“वैसे पीयूष देखने में तो बड़ा हेंडसम है.. !!”
“हाँ, वो तो है.. ” कविता ने जवाब दिया
शीला: “तो तुझे पिंटू से चुदवाना ज्यादा पसंद है या अपने पति पीयूष से??”
कविता: “सच कहूँ भाभी.. तो मुझे पिंटू से चुदना ज्यादा पसंद है.. पिंटू एकदम मस्त है.. और मेरा बचपन का प्रेमी है.. इसलिए उसके साथ ज्यादा मज़ा आता है मुझे.. “
शीला: “ठीक है.. में तुझे एक रास्ता दिखाती हूँ.. तुझे बिल्कुल वैसे ही करना है.. देख.. वैसे मुझे पीयूष से अपने बबले दबवाने का कोई शौक नहीं है.. पर बड़ी छातियों के चक्कर में कहीं वो किसी रंडी से ना उलझ जाएँ ये भी हमें देखना पड़ेगा.. नहीं तो तेरा संसार तबाह हो जाएगा.. समझी!!”
कविता: “ठीक है भाभी.. आप जैसा कहेंगी वैसा ही में करूंगी.. “
शीला: “एक काम कर.. आज गुरुवार है.. कल शुक्रवार को कोई न कोई नया मूवी आएगा.. पीयूष को मूवी देखना पसंद है क्या?”
कविता: “अरे भाभी.. अभी दो दिन पहले ही वो कह रहा था.. की कोई नई मूवी देखने चलते है”
शीला: “वाह.. फिर तो हमारा काम आसान हो गया.. आज रात को तू पीयूष को बोलना की शीला भाभी को मूवी देखने जाना है पर किसी की कंपनी ढूंढ रही है.. तो क्या हम साथ चलें उनके साथ मूवी देखने के लिए..!! और कहना की मुझे शीला भाभी को जल्दी जवाब देना है” कविता को कुछ समझ में नहीं आया पर वह सुनती रही
शीला: “अगर वो आनाकानी करे तो उसे कहना की शायद भीड़ में उसे शीला भाभी के स्तनों को छूने का मौका मिल जाएँ.. ऐसे लालच देगी तो वो तुरंत तैयार हो जाएगा.. समझी..!! में मूवी की चार टिकट बुक करवा देती हूँ.. रात के शो की.. !!”
कविता: “चार टिकट क्यों भाभी??” हम तो सिर्फ तीन ही है ना!!”
शीला: “अरे पगली.. जब पीयूष मेरे मम्मे मसल रहा होगा तब तेरे इन संतरों का रस चुसनेवाला भी कोई चाहिए ना !! तू फोन करके पिंटू को बुलाया लेना.. वहाँ मल्टीप्लेक्स पर हम पीयूष की नजर बचाकर, पिंटू को टिकट थमा देंगे.. और बता देंगे की हॉल में जब पूरा अंधेरा हो तब वो चुपके से आकार तेरे बगल की सीट पर बैठ जाएँ.. तू अपने यार के संग मजे मारना तब तक में तेरे पति का खयाल रखूंगी.. “
शीला की यह योजना सुनकर कविता उछल पड़ी.. प्रेमी को मिलने के लिए वो अपने पति को शीला के पास गिरवी रखने को तैयार थी.. उसकी आँखों में ऐसी चमक आ गई जैसे अभी अभी पिंटू से चुदकर आई हो..
“पर भाभी.. पीयूष को पता चल गया तो?? वो पिंटू को मेरे बॉल मसलते देख लेगा तो क्या करेंगे??” कवर के ऊपर से शॉट खेलने का प्रयास करती शीला के सामने कविता ने एल.बी.डब्ल्यू की अपील की..
जवाब में शीला ने अपने दोनों मस्त स्तनों को आपस में दबा दिया.. और उन दोनों के बीच की दरार दिखाते हुए बोली
“कविता.. इस खाई में आजतक जो भी गिरा है ना.. वो कभी वापिस नहीं लौटा.. तेरे पीयूष को भी इस खाई में ऐसे धकेल दूँगी.. की मूवी के तीन घंटों के दौरान पीयूष ये भी भूल जाएगा की वो शादीशुदा है.. तू चिंता मत कर.. और देख.. प्रेमी के संग रंगरेलियाँ मनानी हो तो रिस्क लेना पड़ेगा.. हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेगी तो प्रेमी और पति, दोनों को गंवा बैठेगी.. “
कप्तान द्वारा टीम से निकाले जाने की धमकी मिलने के बाद प्लेयर की जो हालत होती है.. वही हालत कविता की हो गई..
कविता ने मन में ठान ली.. “कुछ भी हो जाए भाभी.. इस योजना को हम सफल बनाके ही रहेंगे.. आप बस टिकट का बंदोबस्त कीजिए.. बाकी काम काम मुझपर छोड़ दीजिए”
शीला: “तू टिकट की चिंता मत कर.. पहेले पीयूष को राजी कर.. और पिंटू को मेसेज पर पूरा प्लान बता देना.. और उस चोदू को बोलना की मोबाइल हाथ में ही रखे.. आज कल के लौंडे जीन्स की पिछली पॉकेट में फोन रखकर भूल जाते है.. मल्टीप्लेक्स पर ऐसा कुछ हुआ तो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा.. उसे कहना की लेडिज टॉइलेट के पास हमारा इंतज़ार करें.. समझ गई ना तू??”
कविता: “हाँ भाभी.. में पिंटू को सब कुछ समझ दूँगी.. और पीयूष को भी माना लूँगी” अपने टॉप के बटन बंद करते हुए कविता ने इस शैतानी प्लान पर अपनी महोर लगा दी.. और अपने घर चली गई..
शीला ने मुसकुराते हुए अपनी चुत को थपथपाया.. जैसे उसे शाबासी दे रही हो.. अब पीयूष नाम के बकरे को हलाल करने का वक्त आ चुका था
To Be Continue…