चूतो का समुंदर – 1

दोस्तो वैसे तो मेरी इस कहानी नाम प्यार की भूख है लेकिन इस कहानी का टाइटल होना चाहिए था चूतो का समुंदर जो मुझे काफ़ी टाइम बाद महसूस हुआ .

इस फोरम पर मैं इसे चूतो का समुंदर के नाम से पोस्ट कर रहा हूँ .

मैं ये स्टोरी सिर्फ़ आप सब के मनोरंजन के लिए लिख रहा हूँ.
इस स्टोरी मे आप सब को प्यार,रोमॅन्स, इमोशन, मिस्ट्री आंड थ्रिल सब कुछ मिलेगा….

स्टोरी की स्टार्टिंग से इस के बारे मे राय ना बनाए….आप पढ़ते जाए ऑर कही बोर होने लगे तो प्लीज़ बता दीजियगा .

तो स्टोरी स्टार्ट करते है इंट्रोडक्षन से….

इंट्रोडक्षन

सबसे पहले मैं पात्र ऑर उसकी फॅमिली…मतलब मैं..:-)
मेरा नाम अक है है पूरा नाम कुछ और है बट लोग मुझे अक के नाम से जानते है , आप सब भी इसी नाम से जान ने लगेगे,,,,,हाहहहहा

अक- मेरी एज 18 एअर है…और मैं पढ़ाई कर रहा हूँ…घर मे सबका लाड़ला हूँ .. मतलब डॅड का…..क्योकि मेरी मोम मेरे जन्म के समय ही नही रही तो मेरे रिलेटिव्स भी मुझे बहुत प्यार करते है….खास कर मेरी मम्मी के साइड वाले मतलब मामा ओर मौसी की फॅमिली….इसी लिए मैं पूरी छुट्टियाँ अपने मामा के घर बिताता हूँ ऑर वही पर मेरी मौसी ऑर उनके बच्चे आ जाते है…पूरे 40-45 दिन तक फुल मस्ती….

मेरे पास पैसा बेसुमार है…मेरे डॅड एलेक्ट्रॉनिक्स के इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का बिज़्नेस करते है….ज़्यादा तर घर से बाहर ही रहते है…..

मैं एक सीधा-साधा लड़का था….पढ़ाई मे होशियार था ऑर दुनिया से अंजान…
मुझे बस प्यार की भूख रहती थी…ऐसा इसलिए था क्योकि मुझे बचपन से माँ-बाप का पूरा प्यार नही मिला

आज मेरा एक भी दिन बिना सेक्स किए नही निकलता….लेकिन ऐसा भी वक़्त था जब मैं सेक्स से अंजान था…वो 1 साल पहले की बात है….पर मेरी लाइफ मे ऐसा ट्विस्ट आया कि मैं सेक्स के दलदल मे फँसने लगा

ऐसा कैसे हुआ ये आगे पता चलेगा….अभी पास्त को रहने देते है और प्रेज़ेंट की बात करते है

बट सबसे पहले थोड़ा इंट्रोडक्षन…

मेरी फॅमिली


फादर – आकाश (एज – 44 एअर) , एलेक्ट्रॉनिक्स का बिज़्नेस है…मुझसे प्यार बहुत करते है बट मेरी लाइफ बनाने के लिए बहुत पॉज़ चाहते है,,,ऑर बिज़्नेस के सिलसिले मे हफ़्तो घर से बाहर ही रहते है…मंत मे 2-3 बार ही मुझसे मिल पाते है.

मदर – अलका (शी ईज़ नो मोर) मेरे जन्म के 2 मंत के बाद डेत हो गई थी उनकी.

यहाँ मेरे परिवार के कुछ अन्य सदस्यो के बारे मे बता दूं, वैसे उनसे मेरा खून का रिस्ता नही बट मेरी लाइफ ऑर मेरे परिवार मे उनका इंपॉर्टेंट रोल है

सविता- (एज -34 एअर, 34-30-36, ये बचपन से मेरी आया है, मैं इन्हे दाई माँ या माँ कहत्ता हूँ)

मेरी मोम की डेत के बार सविता ने ही मुझे पाला है….सविता मेरे ही घर मे रहती है अपने बेटे के साथ…सविता की शादी 18 य्र की एज मे हो गई थी बट वो 19 एअर मे ही बिधवा हो गई थी….ऐसा मुझे पता चला…सविता के पिता मेरे डॅड के माली थे तो उन्होने सविता को मेरी आया बना दिया…सविता का पति नही है बट उसके कुछ रिस्तेदार आते रहते है उससे मिलने …जिनका ज़िक्र बाद मे आयगा तब बताउन्गा.

सोनू- सविता का बेटा है मेरे से छोटा है, काफ़ी शरारती है ऑर अब आवारा होता जा रहा है….बाकी डीटेल आगे कहानी मे मिलेगी

रेखा- मेरे घर खाना बनाती है कमाल की माल है ओर लंड खाने की सौकीन…इसका फिगर सविता से भी आगे है…(34-30-35) इसकी गान्ड शायद कुछ बड़ी ही निकले..
रेखा और उसका पति मेरे घर पर ही रहते है….


हरी – रेखा का पति है और मेरे यहाँ ड्राइवर है…..हॅटा कट्टा है ओर रेखा की जमकर चुदाई करता है बट अभी तक बाप नही बन पाया ….क्यो..???…ये नही पता…

रश्मि- ये हरी की सिस्टर है जो 2 साल पहले ही यहाँ आई है…डॅड ने इसे भी नौकरी दे दी….ये घर की सॉफ सफाई का काम करने लगी

इनके बाद नाम आता है मेरी मोहब्बत का…मतलब मेरे पहले प्यार का….नाम है रेणु….रेणु मेरी बुआ की लड़की है …मैं इनको प्यार से दी बुलाता हूँ ओर ये मुझे भाई बुलाती है…..कहने के लिए तो हम भाई-बेहन है…लेकिन हम लवर्स है

रेणु – रेणु दी ने ही मुझे चूत ऑर गंद का स्वाद बताया था….रेणु दी ही थी जो मेरे अकेलेपन को दूर किया करती थी….वो मुझे इतना प्यार करती है कि ना सिर्फ़ मुझ पर अपनी जवानी लुटाई बल्कि उनकी गैर मौजूदगी मे ….मेरे लिए घर मे ही चूत ओर गंद का इंतज़ाम कर दिया….रेणु दी मुझसे 2 साल बड़ी है ऑर पटका माल है
वो मेरे लिए नई-नई चूत भी लाती रहती है…

अभी कहानी मे कई और खास करेक्टर है…जैसे-2 आएगे मैं बताता जाउन्गा…
तो आइए चलते है अंकित के रूम मे….जिसे है…

“शरीर की भूख”

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रश्मि- आप कॉफी पीकर मूड फ्रेश करे जब तक मैं अपनी कॉफी(मतलब मेरा लंड रस) पीकर अपना दिन बनाती हूँ

इतना बोलकर रश्मि घुटनो पर आ गई ओर मेरे बरमूडा के साथ मेरी अंडरवर नीचे करके मेरे लंड को हाथ से सहलाने लगी…ऑर देखते ही देखते अपना मूह नीचे ले जाकर अपनी जीभ से मेरे लंड के टोपे की खाल को नीचे करके चाटने लगी….इस वजह से मेरे मूह से आअहह निकल गई…

मैने भी कॉफी को हाथ मे लिया ऑर चुस्की मारने लगा गरमा-गरम कॉफी की…

वहाँ रश्मि लंड चाट ते हुए लंड को पूरा मूह मे भर लेती है ऑर मूह को आगे पीछे करते हुए लंड की चुसाइ सुरू कर देती है…

मैं गरम कॉफी का अपने मूह मे ओर रश्मि के गरम होंठो के अंदर मेरे लंड को फील करते हुए मज़े ले रहा था….अचानक मेरी बॉडी मे खून तेज़ी से दौड़ने लगा ऑर मैं रश्मि के मूह मे झड गया…

रश्मि ने मेरे लंड रस की अंतिम बूद तक लंड को मूह मे भरे हुए चूसना जारी रखा …जब मेरा सारा लंड रस रश्मि अपने गले मे निगल गई तो उसने मेरा लंड छोड़ा ऑर अपना मूह सॉफ करके बाहर जाने लगी ऑर बोली…

रश्मि- आप आप फ्रेश हो जाइए मैं नाश्ता रेडी करती हूँ..:-)

मैं-ओके

रश्मि के जाने के बाद मैने कॉफी ख़त्म की ऑर सीधा बाथरूम मे फ्रेश होने चला गया…

उस दिन मैं नहाते हुए सोच रहा था कि ये कैसी लाइफ हो गई मेरी…मैं चूतो के समुंदर मे आ गया…बिना चूत और गंद मारे मेरा एक भी दिन नही निकलता….

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तभी मैने सोचा छोड़ो यार…कैसे हुआ क्यो हुआ…ये भूल जाओ ऑर चूतो के समुंदर मे डुबकी लगाओ….

इस तरह मैं अपने मन को अपने आप से समझा कर नहा कर रेडी हो गया ऑर नाश्ता करके…स्कूल निकल गया

(मैं स्कूल हमेशा अपनी कार से जाता हूँ…ऑर साथ मे मेरा दोस्त संजीव भी जाता है….संजीव मेरा सबसे ख़ास दोस्त है, वो मुझे बचपन से जानता है…कि कवि मैं सीधा-साधा बंदा था…और आज मैं जो भी हूँ…..वैसा क्यो हूँ…ये शुरुआत कहाँ से हुई)

कार से उतरकर मैं ऑर संजीव स्कूल कॅंटीन मे पहुचे ऑर कॉफी का ऑर्डर दिया…

संजीव- तो भाई आज किसकी मॉर्निंग गुड बनाई….सविता,रश्मि या रेखा..??

मैं-आज रश्मि थी यार

संजीव- यार तू कैसा हो गया…ये सब किस लिए कर रहा है….सुधर जा(ऑर हँसने लगा)

मैं-(हँसते हुए)- भाई अब पीछे नही जा सकता….अब ये सब मेरी लाइफ का हिस्सा हो गया है

(इतना बोलकर मैं सोचने लगा अपने सपने के बारे मे, जो मुझे पिछले काफ़ी दिनो से आ रहा था)

संजीव – (मुझे चुप देखकर)- सॉरी भाई मैं तुझे हर्ट नही करना चाहता था,,मैं बस यू ही बोल रहा था…सॉरी भाई

मैं-अरे नही रे मुझे बुरा नही लगता ऑर साले तेरी बात का तो कभी नही लग सकता

संजीव-तो बोल क्या सोच रहा था.

(मैं अपने मन मे सोचा कि क्या इसे बताऊ मेरे सपने के बारे मे…फिर सोचा कि नही अभी नही फिर कभी)

मैं- अरे कुछ नही भाई, वो आज रश्मि ने लंड चूसा …वही सोच कर लंड अकड़ रहा था

संजीव- साले अभी तो मत सोच ये स्कूल है

मैं- तो क्या हुआ बे

संजीव- क्या भाई अब यहाँ तेरे खड़े लंड को कौन शांत करेगा

मैं-मन मे(पूनम है ना..)

(पूनम संजीव की सिस्टर थी…मैने उसे चोदा था ….ये कैसे हुआ वो कहानी आगे आयगी…वो हम से 2 साल बड़ी है..लेकिन पढ़ाई मे कमजोर है तो जैसे तैसे 11थ मे पहुचि है इस साल…मतलब हम से 1 क्लास पीछे)

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संजीव- भाई तेरे तो मज़े है घर पर चूत ओर गंद खुली मिलती है…मैं क्या करू मुझे तो कभी-2 ही मिल पाती है….

(संजीव के घर उसकी ग्रूप फॅमिली थी…संजीव के मोम डॅड के अलावा दो सिस्टर थी …बड़ी पूनम थी,,,ऑर उससे भी बड़ी थी सोनी…जिसकी शादी हो गई थी…इसके अलावा संजीव की 2 कज़िन सिस्टर भी थी….रक्षा ऑर अनु…रक्षा संजीव से 1 साल छोटी थी ऑर अनु संजीव के बराबर ही थी…..दोनो हमारे ही स्कूल मे पढ़ती है)

मैं-(थोड़ा सोच कर)- संजीव 1 बात कहूँ…लेकिन बुरा मत मानना

संजीव- बोल भाई …तेरी किसी बात का बुरा माना है आज तक

मैं- लेकिन भाई अभी जो मैं बोलने वाला हूँ वो सुनकर शायद तू बुरा मान जाय

संजीव-भाई दिल खोल कर बोल…बुरा नही मनुगा…तू बोल ना भाई

मैं(झिझकते हुए)- भाई तू अपने घर मे किसी को सेट कर ले ना. तेरी प्राब्लम सॉल्व हो जाएगी…

संजीव(थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोला)- भाई क्या बात कर रहा है….???

मैं-मैने पहले ही बोला था कि बुरा मत मानना, मैने तो इसलिए कहा कि अगर तेरे घर मे तुझे कोई चोदने के लिए मिल गई तो तेरा रास्ता सॉफ हो जाएगा ओर तू घर मे ही मज़े करेगा….

संजीव(थोड़ा खुश होते हुए ऑर झिझकते हुए)- भाई….सच कहूँ….तुझसे क्या छिपाना…..चाहता तो मैं भी हूँ…

मैं- पर क्या..???

संजीव(थोड़ा सोचकर)- मैं किसके साथ…मतलब मुझसे कौन ….समझ ना..

मैं- समझा….ये बात है…अच्छा तू एक बात बता

संजीव-हाँ बोल क्या..???

मैं-तुझे तेरे घर पर किसी को देखकर मन करता है चोदने का…सच बताना

संजीव(काफ़ी देर सोचकर)-हाँ… ….हहा…भाई..बट

मैं-बट क्या..??? ..बोल ना

संजीव(झिझक के साथ)- भाई तू हँसेगा मुझ पर

मैं-भाई तू मेरा खास दोस्त है मैं हँसूँगा नही..बल्कि तेरी हेल्प करूगा….ताकि तू भी मज़े कर पाए

संजीव-(झिझकते हुए)-मेरी…म्म्म…मम्मी

मैं(शॉक्ड होकर)- सच में…????

संजीव-हाँ भाई..ऑर नज़रे झुका लेता है

मैं-तो शरमाता क्यो है बोलना…कि तू तू अपनी मम्मी को छोड़ना चाहता है…??

संजीव-हाँ..बट मम्मी…कैसे..???

मैं (कुछ सोच कर)-अच्छा ये बता कि तेरी फीलिंग्स क्या होती है जब तेरी मोम तेरे सामने आती है ..बोल

संजीव-भाई सच बोलू

मैं-हाँ बिल्कुल सच

संजीव-(शरमाते हुए)-भाई जब मम्मी को देखता हूँ..तो मेरा लंड अकड़ने लड़ता है ऑर उनकी गंद को देख कर तो…हहायी….क्या गाड़ है मेरी माँ की…लगता है कि 1 ही झतके मे लंड उसकी गंद मे उतार दूं पर…

मैं-पर क्या यार..??

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