मेरी बहन-मेरी पत्नी 2 – Rishato Me Chudai Ki Story

गतांक से आगे……………………………..

दोस्तों मैंने आपको बताया की किस तरह मेरे और मेरी सगी बहन के बीच में हमारे प्यार की शुरुआत हुई थी और किस तरह धीरे-धीरे हम दोनों एक दुसरे के करीब आते गए | यूँ तो लगभग दो साल से भी ज्यादा समय से हम दोनों एक दुसरे के साथ शारीरिक सुख का मजा ले रहे थे मगर फिर भी मुझे कभी भी अपनी बहन कि चूत मारने की इजाजत नहीं मिली थी |आज मै आपको अपना वो अनुभव बता रहा हूँ जब मैंने पहली पहली बार अपनी बहन की चूत मारी थी |

जैसा की मैंने आपको अपने पहले लेख में बताया था की एक दिन मैंने एक सेक्सी फिल्म देखी थी और उत्तेजना में अमृता से मुठ मारने की जिद करने लगा था मगर अमृता ने मम्मी के डर से मेरी मुठ नहीं मारी थी और मै नाराज हो गया था | लेकिन उसी रात अमृता ने मेरी नाराजगी को दूर करने के लिए अपने सारे कपडे उतरकर अपना नंगा बदन मुझे सौंप दिया था और मै अपनी नंगी बहन को अपने बिस्तर पर बिछा देखकर बेकाबू होते हुए उस पर टूट पड़ा था | यहाँ तक की मै उसके कपडे फाड़ने लगा था | मगर उस रात मै उसकी चूत नहीं मार सका था और सिर्फ उसकी चूत को चूस चूस कर ही मैंने उसे झाड दिया था |

शायद आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैंने उस रात को अपनी बहन को बक्श कैसे दिया और उस रात को ही उसकी चूत मार क्यों नहीं ली? लेकिन इसका कारण मै आपको बताता हूँ- उस रात मैं उसकी चूत इसलिए नहीं मार सका था क्योकि उस दिन- सबसे पहले तो मैंने टॉयलेट में मुठ मारी थी, उसके बाद दूसरी मुठ मुझे अमृता ने मार कर दी थी जब मै उस से नाराज था और तीसरी बार की मुठ अमृता ने तब मार दी थी जब हम दोनों नंगे बदन अपने बिस्तर पर थे और मैंने चूत चूस चूस कर अमृता को झाडा था | उस दिन मै तीन बार झड चूका था इसलिए मेरे लंड में हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था और मै थक भी गया था | यही वजह थी की उस रात अमृता के नंगे बदन को जी भर के प्यार करने के बावजूद भी मै उसकी चूत नहीं मार सका और थक कर सो गया था | लेकिन कहते है जो होता है वो अच्छे के लिए ही होता है | उसके अगली सुबह मुझे जो सुकून मिला उसका एक अलग ही मानसिक एहसास था | शारीरिक सुख तो मुझे मेरी बहन से अनेकों बार मिल चुका है लेकिन जो मानसिक सुख मुझे अगली सुबह मिला था वो एक अलग ही एहसास था |

सुबह होने पर सबसे पहले तो मेरी बहन के चेहरे पर एक अलग ही संतुष्टि के भाव थे | उस रात हम दोनों ने सुहागरात तो नहीं मनायी थी मगर अमृता को देख कर ऐसा लग रहा था मनो कोई लड़की सुहागरात के बाद अपने पति के बिस्तर से उठ रही हो और उसे अपनी सुहागरात से वो सब मिला हो जो उसने कभी सपने में सोचा हो या उससे भी कही ज्यादा | सच तो ये था कि चाहे मैंने उस रात अमृता कि चूत नहीं मारी थी मगर मैंने उसको संतुष्ट करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी थी | उस रात जब मै उसकी चूत को चूस रहा था तो अमृता का हाल बहुत बुरा था – वो कभी तो उत्तेजना के कारण मेरे सिर को जोर जोर से अपनी चूत पर दबाती ताकि मै और भी जोर से उसकी चूत को चूसूं और कभी बालों से पकड़ कर मेरा सिर पीछे खीचती थी ताकि मै उसकी चूत को और न चूस सकूँ |उसको इस तरह से तड़पता देख कर मेरे अंदर के पुरुष को बहुत संतुष्टि मिल रही थी | इसलिए मै भी उसकी चूत को बुरी तरह चूसता ही रहा | वो जितना तड़पती थी, जितना उछलती थी, मेरे अंदर के पुरुष तो उतनी ही संतुष्टि मिलती थी | इसलिए उस रात मैंने अमृता को इस हद तक तडपाया था और उसको इतनी संतुष्टि मिली थी कि वो रात उसके लिए सुहागरात न होते हुए भी किसी सुहागरात से कम नहीं थी | दुसरे शब्दों में कहूँ तो मैंने उस रात उसे अपनी जीभ से चोद दिया था | इसलिए अगली सुबह जब अमृता ने बिस्तर छोड़ा तो ऐसा ही लग रहा था कि मानो कोई लड़की अपनी सुहागरात के बाद अपने पति के बिस्तर से उठ रही हो |

उस रात तो जो होना था वो हो चुका था लेकिन उस रात का असर दिखना अभी बाकी था –

सुबह नाश्ते की मेज पर अमृता ने मम्मी से नजर बचा कर मुझे किस्स दिया (हवा में )| मै हैरान था क्योकि आज तक मै ये सब हरकतें किया करता था और अमृता हमेशा मेरी ऐसी हरकतों से नाराज हो जाती थी क्योकि उसे मम्मी से बहुत डर लगता था | लेकिन आज सुबह सुबह खुद अमृता ने मम्मी से नजर बचा कर मुझे किस्स किया था | उस दिन अमृता ने कॉलेज की छुट्टी कर ली और इस लिए मै भी कॉलेज नहीं गया |

उस दिन तो अमृता जैसे पहले वाली अमृता ही नहीं रही | उस दिन से पहले तक मै अमृता को अकेला देख कर दबोचने की कोशिश करता था – मौका मिलते ही उसको कोने में ले कर किस्स कर देता था, कभी उसकी चूची दबा देता था, या फिर अपने लंड पर उसका हाथ रगड़ देता था मगर वो हमेशा इस बात पर गुस्सा हो जाती थी और डरती थी कि कही मम्मी न देख लें | मगर मुझे ऐसा करने में बहुत मजा आता था | लेकिन उस दिन खुद अमृता बार बार मौका देख कर मुझे किस्स कर रही थी, कभी मेरे लंड को रगड़ देती थी और खुद मेरे हाथ को अपनी चुचियो पे रख कर दबवा रही थी और जैसे ही मम्मी के आने का डर होता एक दम से अलग हो जाती थी | बल्कि एक बार तो उसने कमाल ही कर दिया – मम्मी रसोई में थीं और अमृता मेरे साथ कमरे में अकेली थी उसने मौके का फायदा उठाते हुए मेरी पेंट की चैन खोलकर मेरा लंड निकला और दो-तीन बार मुह में भी ले लिया | अभी तक तो मै अमृता की फाड़ता था मगर उस दिन वो मेरी फाड़ रही थी और मुझे बार बार मम्मी का डर सता रहा था | लेकिन फिर भी मुझे बहुत मजा आ रहा था | आज तक मुझे अपनी बहन से शारीरिक सुख तो बहुत बार मिला था मगर आज पहली बार मानसिक सुख भी मिल रहा था | आज पहली बार मुझे अमृता के एक पूर्ण स्त्री होने का या सच सच कहूँ तो – अपनी बीबी होने का एहसास हो रहा था |

वो पूरा दिन मस्ती में गुजर गया और वो पल आ गए जिसका हम दोनों को बेसब्री से इन्तजार था………….अब रात हो चुकी थी |हम दोनों भाई-बहनों ने खाना खाया और जल्दी से सोने की तैयारी करने लगे | मै जानता था कि जब दिन इतना हसीन था तो रात का आलम क्या होगा ? मुझे पूरा एहसास था कि आज कि रात मेरी जिंदगी कि सबसे यादगार रात साबित होने वाली है और आज रात मुझे अमृता मेरी बहन कि जगह मेरी बीबी के रूप में मिलने वाली है | इसलिए खाना खाते ही हम दोनों भाई बहन बिना मम्मी-पापा के सोने का इन्तजार करे ही अपने कमरे में सोने चले गए | (हमारे सभी कमरों में एसी होने के कारण हम अपने दरवाजे बंद करके ही सोते थे |)

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कमरे में जाते ही हम दोनों भाई-बहन एक दुसरे कि बाँहों में समाकर बिस्तर पर गिर पड़े |हम जानते थे कि अभी मम्मी पापा जाग रहे है इसलिए अभी हम दोनों ने एक दुसरे के कपड़ो के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं करी और कपड़ों में ही एक दुसरे को किस्स करते हुए बिस्तर पर गिर गए | उस रात अमृता मुझ पर भारी पड़ रही थी | वो मुझे पागलों कि तरह किस्स किये जा रही थी और मेरे होंठ चूसे जा रही थी | हम दोनों का पलंग तो जैसे जंग का मैदान बन गया था- कभी अमृता मेरे ऊपर होती तो कभी मै अमृता के ऊपर |हम दोनों में तो जैसे किस्स करने और होंठ चूसने कि प्रतिस्प्रधा चल रही थी | थोड़ी देर के बाद जब हमे लगा कि अब मम्मी-पापा सो गए होंगे, अमृता मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गयी |मेरे लंड के ऊपर बैठ कर उसने मेरे दोनों हाथ फैला कर अपने हाथो से ऐसे पकड़ लिए जैसे वो मेरा बलत्कार करने वाली हो |

उसके बाद धीरे धीरे अपना चेहरा मेरे चेहरे के करीब ले कर आयी और पूछने लगी-

अमृता -“कुछ चाहिए क्या ?”

मै – “हाँ “

अमृता -क्या ?

मै- चूत (मैंने बिना कोई संकोच किये और बिना कोई पल गवाए साफ़ साफ़ शब्दों में कहा )

अमृता- कल तो दी थी

जी भर के चूसी आपने | अब क्या करोगे?

मै- मारूँगा (अमृता ने पूरे दिन जो मेरा हाल किया था, उसके बाद मुझे ये सब कहने में न तो कोई संकोच हो रहा था और न ही शर्म आ रही थी )

अमृता -क्या? चूत मारोगे ? अपनी सगी बहन की?

मै- (गाली देते हुए) बहन की लोड़ी अब भी कुछ बाकी बचा है क्या ?

अमृता की आँखों में चमक साफ़ दिखाई दे रही थी | ऐसा लग रहा था की वो खुद भी यही सब सुनना चाहती है और सिर्फ मुझे परेशान करने के लिए नाटक कर रही है |

मगर अमृता अभी और शरारत के मूड में थी, इसलिए बड़ी अदा के साथ बोली –

अमृता- अगर ना दूँ तो ?

मेरे अंदर की हवस बुरी तरह भड़क चुकी थी |अमृता के मुहं से ना सुनकर मै हिंसक हो गया और उसे धक्का देते हुए उसके ऊपर चढ़ कर बैठ गया और उसी अंदाज में उसके हाथ पकड़ डाले जिस अंदाज में उसने मेरे हाथ पकडे हुए थे |

मै अमृता को गाली देते हुए बोला- बहन की लोड़ी नहीं देगी तो जबरदस्ती ले लूँगा | इस समय मै मन ही मन यही सोच रहा था की अगर आज ये कुतिया मुझे इनकार करेगी तो इसका रेप कर डालूँगा मगर आज इसको नहीं छोडूंगा |

मगर अमृता तो खुद आज किसी और ही मोड़ में थी | वो तो सिर्फ मुझे छेड़ने और उकसाने के लिए ये सब कह रही थी |मुझे परेशान देखा कर उसे मजा आ रहा था | फिर वो मेरे लंड को अपने हाथ से रगड़ते हुए मुस्कुराकर बोली- और अगर खुद ही दे दूँ तो ?

मै ख़ुशी और वासना से पागल होते हुए बोला – जिन्दगी भर तेरी गुलामी करूँगा …………………..बस एक बार अपनी चूत दे दे |अमृता फिर से मुस्कुरायी और मेरे लंड को रगदते हुए ही मेरे होंठों को अपने होंठो से चूसते हुए बोली -तो ले लो ना रोका किसने है ?

बस फिर क्या था ? मेरे ऊपर तो वासना का भूत सवार हो गया था |

अपनी बहन के मुहं से ये सुनने के बाद कि ले लो न तुम्हे चूत मरने से कौन रोक रहा है ? मेरा अपने ऊपर से पूरी तरह से नियंत्रण खत्म हो चुका था और मै किसी बलात्कारी की तरह अपनी बहन के ऊपर टूट पड़ा | यूँ तो अमृता ने खुद ही मुझे चूत मरने की इजाजत दे दी थी , मगर मै अपने होश-ओ-हवास खो चुका था | मै किसी बलात्कारी की तरह उसके कपडें नोचने लगा | आज फिर से मै उसके कपडे उतरने का सब्र नहीं कर पा रहा था | मै कल की ही तरह उसके कपडे उतार कम रहा था और फाड़ ज्यादा रहा था | मगर आज अमृता ने मुझे ऐसा करने से भी नहीं रोका | बल्कि आज तो वो खुद भी मेरे कपडे लगभग फाड़ ही रही थी | उस समय न तो मुझे ही कपडे फट जाने पर मम्मी का डर सता रहा था और न ही अमृता को | बस हम दोनों भाई-बहन एक दुसरे को नंगा देखने के लिए इतने उतावले हो रहे थे की सब्र नहीं कर पा रहे थे | और होते भी क्यों नहीं…………आखिर सालों के प्यार के बाद आज हम पूरी तरह से एक दुसरे के होने वाले थे |

केवल कुछ ही पलों में मैंने अपनी बहन के बदन से एक-एक करके सारे कपडे नोच डाले और नोच नोच कर पलंग से नीचे फैंक दिए थे (क्योकि आधे से ज्यादा तो कपडे मैंने फाड़ ही डाले थे )| हमारे पलंग के दोनों तरफ हम दोनों के फटे हुए कपडे पड़े थे | अगर कोई उस द्रश्य को देखता तो यही सोचता की यहाँ रेप हुआ होगा, क्योकि जो हाल हमारे कमरे का उस समय हो रहा था उसे देख कर तो ऐसा ही लगता |लेकिन ये रेप नहीं था | जो कुछ भी हो रहा था वो मेरी बहन की मर्जी से ही हो रहा था | मेरी बहन एक बार फिर से मेरे बिस्तर पर पूरी तरह नंगी बिछी हुई थी और वो भी मेरे लिए |

उसको पूरी तरह से नंगा देख कर एक बार फिर से मै अपने होश-ओ-हवास खो बैठा | बीती रात की तरह एक बार फिर से मै इस सोच में पड़ गया कि बिस्तर पर पूरी तरह से नंगी पड़ी हुई अपनी बहन के बूब्स देखूं या बालों में छिपी हुई उसकी चूत| मै स्तब्ध सा अपनी नंगी बहन को निहारने लगा | इस समय मुझे वो इस दुनिया तो क्या सारी कायनात कि सबसे सुंदर लड़की लग रही थी | उसका गोरा-गोरा बदन किसी को भी मदहोश कर देने के लिए काफी था | लगभग ३० साइज के उसके बूब्स थे उस समय, कमर लगभग २८ और नीचे का साईज लगभग ३४ रहा होगा | ऐसा लग रहा था मनो कोई तराशा हुआ हीरा मेरे बिस्तर पर चमक रहा हो | उस समय मुझे अमृता इतनी सुंदर लग रही थी कि अगर स्वर्ग से कोई अप्सरा भी उतर कर आ जाती और अमृता के बराबर में नंगी हो कर लेट जाती तो भी मै अमृता को ही निहारता, उस अप्सरा को नहीं | बात सिर्फ ये नहीं होती है कि एक नंगी लड़की आपके बिस्तर पर नंगी पड़ी है, बात तो ये होती है कि आपकी अपनी बहन आपके बिस्तर पर खुद आपके लिए बिछी हुई है और आपका इन्तजार कर रही है | अगर किसी भाई कि काली-कलूटी बहन भी उसके बिस्तर पर इस तरह बिछी हुई होगी तो भी वो उसे किसी अप्सरा से बेहतर ही लगेगी , फिर अमृता तो रूप का खजाना थी |

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मै एक तक उसे निहार रहा था-कभी मै उसके बूब्स को देखता और कभी उसकी चूत को मगर अभी तक मैंने उसे छुआ नहीं था , बस स्तब्ध सा खड़ा हुआ निहारे जा रहा था | लेकिन आज अमृता में पूरी तरह से बदलाव आ चूका था | वो कल कि तरह शर्मा नहीं रही थी- उसने ना तो अपने बूब्स को अपनी बाजुओं से छिपाना चाह और ना ही अपनी टांगो से अपनी चूत को छिपाया |आज वो सब कुछ खोल कर लेती हुई थी और आराम से मुझे सब कुछ दिखा रही थी | उसकी आँखों में आज एक अलग सी चमक थी | आज वो खुद भी मेरे लिए उतनी ही बेकरार थी जितना मै हमेशा उसके लिए रहता था |

आखिर कार अमृता ने चुप्पी तोड़ते हुए अब्दे प्यार से पूछा-क्या देख रहे हो भईया?

मैंने कहा -जानती है अमृता, तेरे साथ रिलेशन में आने से पहले मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मै तुझे इस तरह का प्यार करूँगा | फिर एक दिन तेरे बूब्स देखे और तेरे बारे में सपने देखने लगा | उसके बाद तू खुद मेरी जिंदगी में आ गयी, मुझे प्यार देने लगी और मै तेरे प्यार में खो गया | लेकिन फिर भी मैंने कभी ये नहीं सोचा था कि एक दिन मै तुझे इस रूप में देख सकूँगा | बस इस लिए जी भर कर देख रहा हूँ |

अमृता ने ठंडी सांस भरते हुए कहा- भईया सोचा तो मैंने भी कभी नहीं था कि एक दिन मै इस तरह से आपके सामने होउंगी , मगर अब आपके बिना रहा नहीं जाता | और जब मै आपके बिना रह ही नहीं सकती तो क्यों ना आपको पूरी तरह से ही पा लूँ | और ये कहते हुए अमृता ने अपनी टाँगे फैला दीं |

उसके टाँगे फ़ैलाने के अंदाज से साफ़ था कि वो अब और इन्तजार नहीं करना चाहती है और मुझे अपनी चूत का निमंतरण दे रही है |लेकिन मैने उसके माथे को किस्स किया और उसे सिर से लेकर पाँव तक चूमना शुरू कर दिया | मैंने उसके बदन के हर इंच पर अपने किस्स कि मोहर लगा दी |इस बीच वो मौका देख कर स्थिति के अनुसार मेरा लंड अपने हाथ में ले कर सहला देती थी |उसे किस्स करते करते मै उसके पैर तक पहुँच गया | मैंने उसके पैरों कि उंगलियों को चूस कर उनपर भी अपने नाम कि मोहर लगा दी | अब अमृता के पूरे बदन पर मेरी ही मोहर थी और आज से अमृता मेरी निजी संपत्ति थी ,उसके बदन के एक-एक इंच पर अब मेरा ही अधिकार हो गया था |अमृता के पैरों को चूम कर मै फिर से ऊपर कि तरफ बड़ा और उसकी चूत को चाटने लगा | अमृता बार बार सिर उठा कर मुझे चूत चाटते हुए देखती और फिर बेसुध हो कर वापिस लेट जाती |

मै ठीक कल जैसा ही उसे सुख देना चाहता था क्योकि मै जनता था कि आज जो कुछ भी हुआ वो कल कि घटना का ही फल था |इस लिए मै पूरी शिददत से उसकी चूत चाट रहा था और वो भी कल ही कि तरह उछल उछल कर मदहोश हुए जा रही थी |

मैंने सोचा था कि मै आज भी अपनी बहन को चूत चूस चूस कर झाड दूंगा , मगर अमृता ने ऐसा होने नहीं दिया | सिर्फ थोड़ी से चूत चुसवा का अमृता ने मेरे बालों को पकड़ कर मुझे बलपूर्वक खीचते हुए ऊपर कि तरफ खींच लिया | अब अमृता मेरे नीचे अपनी टंगे फैला कर लेती हुई थी और मै उसके ऊपर लेता हुआ था | मेरा चेहरा अमृता के चेहरे के सामने था, होंठ होंठो के पास थे, साँसों से साँसे टकरा रही थी और मेरा लंड उसकी चूत के पास टक्कर दे रहा था |

मै अमृता कि आँखों में आँखे डालकर देंखे लगा और ये जानने कि कोशिश करने लगा कि आखिर अमृता क्या चाहती है ? अमृता कि आँखों में बहुत चमक थी चेहरे पर अजीब सी संतुष्टि एवं ख़ुशी के मिले जुले भाव थे | उसकी आँखों कि चमक बता रही थी कि उसे अपने ऊपर गर्व हो रहा है -मनो उसने वो पा लिया हो जो वो पाना चाहती थी |मेरे होंठों पर अपने होंठ रखते हुए (किस्स किये बिना ) और मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फैहराते हुए वो बोली भईया आज मुझे “ये” चाहिए (और ये कहते हुए अमृता ने मेरा लंड अपने हाथ में ले कर अपनी चूत के ठीक ऊपर लगा दिया) |

उस पल के लिए किन शब्दों का प्रयोग करूँ मुझे समझ में नहीं आ रहा है | मेरी बहन मुझे पहली बार अपनी चूत दे रही थी और वो भी अपने ही हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर लगा भी रही थी | मै तो अपनी सुध-बुध खोता जा रहा था |मेरी साँसे बहुत तेज हो गयी थी , दिल कि धड़कन बाद चुकी थी, ऑंखें आनंद से बंद हुए जा रही थी, होठों को अमृता के होंठ चूस रहे थे और मेरा लंड खुद मेरी बहन के हाथ में हो कर उसकी ही चूत के ऊपर था | उस समय मै ऐसा बेसुध हो रहा था, जैसे किसी ने मुझे ड्रग्स का नशा करवा दिया हो | लेकिन सच तो ये है कि वो नशा तो ड्रग्स के नशे से भी बाद कर होता है |

उधर अमृता का भी कुछ कुछ ऐसा ही हाल था |वो भी मेरे लंड को अपनी चूत पर रखते ही मदहोश हो रही थी |उसकी भी ऑंखें नशे से बंद हो रही थी |वो धीरे धीरे मेरे होंठ पी रही थी और मुझे लंड अंदर डालने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी |मैंने जोश में आकर एक जोर का झटका मारा और अपने लंड को सीधा अपनी बहन कि चूत में ठोंक देना चाहा|लेकिन ऐसा हुआ नहीं | मेरे झटका मारते ही अमृता के मुहं से चीख निकलने लगी जिसे हम दोनों भाई-बहन ने दबा दिया (कुछ तो अमृता ने अपनी छेख रोकने कि कोशिश की और कुछ मैंने उसके होंठो पे अपने होंठ लगा दिए )| अमृता के चेहरे पे दर्द साफ़ उभर रहा था उसने झटके के साथ मेरा लंड अपनी चूत पे से हटा दिया था |

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अमृता की आँखों में दर्द के कारन पानी आ गया था| मुझे लगा कि अब अमृताको गुस्सा आ जायेगा और मुझे आगे कुछ करने कि इजाजत नहीं देगी | मुझे लगने लगा कि अब तो मै उसकी चूत मानने का मौका खो बैठा हूँ | मगर हुआ इसका उल्टा, दर्द कम होते ही अपने आप को सँभालते हुए और अपने चेहरे पर मुस्कराहट लाते हुए अमृता ने बहुत प्यार से कहा- भईया आराम से करो आपकी सगी बहन कि चूत है किसी दुश्मन कि बेटी की नहीं |

अमृता के मुहं से ऐसी बाते सुनकर मुझे बहुत तसल्ली हुई कि कम से कम अमृता छूट देने से तो इनकार नहीं कर रही है |मैंने अमृता से अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगी और दुबारा से अपना लंड उसकी छूट पर रखने लगा | एक बार फिर से अमृता ने खुद मेरा लंड अपने हाथ में लिया और हलके हलके सहलाते हुए बहुत मस्ती में बोली- बहन के लंड ये है तेरी बहन कि चूत |मुझे अमृता के साथ दो साल हो चुके थे प्यार करते हुए मगर इन दो सालों में मैंने कभी उसको इतनी मस्ती में नहीं देखा था जितना मै आज देख रहा था | मै बहुत बहुत खुश था उसका ये रूप देख कर | एक अलग ही मानसिक सुख मिल रहा था मुझे |

उसके बाद मैंने अमृता के निर्देशानुसार धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर डाला | अमृता बार बार मेरा लंड पकड़ कर सेट करती थी | कभी वो मुझे जोर लगाने जो कहती और कभी वापिस बहार निकलने को कहती | जब भी मै थोडा ज्यादा जोर लगा देता वो गुस्सा होते हुए कहती बिलकुल भी तरस नहीं आ रहा अपनी सगी बहन पे ? आराम से करो न प्लीज |थोड़ी सी तकलीफ के बाद आखिरकार मेरा लंड अमृता कि चूत के अंदर था | हम दोनों कि सांसे बहुत तेज तेज चल रही थी , आनंद का तो शब्दों में बयान करना मुमकिन ही नही है | अमृता ने अपना हाथ मेरे लंड से हटा कर मेरी कमर पर रख लिया था और आंखे बंद करके मेरे नीचे लेती हुई थी | मै अपना लंड पूरी तरह से अपनी बहन कि चूत में डालकर उसके ऊपर ही लेता हुआ था और उसके मदमस्त हो चुके चेहरे को निहार रहा था |

अमृता ने धीरे से आंखे खोली और हलके से पूछने लगी- भईया कैसा लग रहा है ?मैंने उसे बताया- अमृता मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे मेरा लंड गरम गरम रूई में डाल दिया गया हो | ये तो बहुत सोफ्ट है | अमृता के चेहरे के भाव बता रहे थे कि उसे मेरे जवाब बहुत अच्छा लगा और मेरा जवाब सुनकर उसे मजा आया |मैंने भी अमृता से पूछा तुझे कैसा लग रहा है?वो बोली भईया ऐसा लग रहा है जैसे कोई गरम गरम लोहे कि रोड मेरे अंदर डाल दी गयी हो |मैंने कहा लेकिन मुझे तो तेरी चूत गरम गरम लग रही है मगर वो बोली कि उसे मेरा लंड गरम गरम लग रहा था |जो भी हो हम दोनों के लिए ये एक नया अनुभव था और हम दोनों ही इस अनुभव में खो जाना चाहते थे |

मेरा गला सूखने लगा और मुझे बहुत तेज प्यास का अनुभव हो रहा था इसलिए मैंने अमृता के होंठ पीने कि कोशिश करी |मगर अमृता ने अपना मुहं घुमा लिया और मुझे किस्स नहीं दी |मैंने दुबारा-तिबारा कोशिश की मगर हर बार उसने मुहं घुमा लिया |

तब मैंने उसका चेहरा अपने हाथो से पकड़ कर उससे रेकुएस्ट करते हुए कहा- बहन प्लीज किस्स दे दे मेरा गला सूख रहा है |वो बोली -नहीं भईया होंठ नहीं, पीने है तो बूब्स पियो |मैंने उसके बूब्स पीने कि कोशिश भी कि मगर लंड चूत में होने के कारन कर नहीं सका क्योकि बूब्स पीने के लिए मुझेझुकना पड़ता और उससे मेरे लंड का चूत से बहार निकल जाने का डर था | पहले ही बहुत मुश्किल से लंड चूत में गया था मै दुबारा रिस्क लेना नहीं चाहता था | इसलिए मैंने उसके बूब्स को पीने कि ज्यादा कोशिश नहीं की और दुबारा से उससे रेकुएस्ट करते हुए कहा – बहन प्लीज दे दे न मेरा गला बहुत सूख रहा है, बहुत जोर से प्यास लगी है और तेरी चुचिया नहीं चूसी जा रही , प्लिज्ज्ज्जज्ज्ज्ज बहन दे दे न |

मेरी इतनी रेकुएस्ट सुनकर अमृता के चेहरे पर गर्व के भाव उभर आये और ऐसा लगा जैसे उसको कोई अत्मियिक संतुष्टि मिली हो कि आज एक पुरुष उसके आगे गिडगिडा रहा है इसलिए अमृता ने बिना कोई विरोध किये अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए और मुझे पीने के लिए अपने होंठ सौंप दिए | मै अमृता के होंठ पीने लगा और अपने दायें हाथ से उसकी चूची को दबाते हुए उसकी चूत भी मारने लगा |

इस समय मै अपनी बहन के होंठ भी पी रहा था, उसकी चूची भी दबा रहा था और चूत भी मार रहा था |अमृता किसी नशेडी के सामान अपने होश खो चुकी थी और आज वो खुद मुझे बहुत गन्दी गन्दी गालियाँ दे रही थी (जबकि हमेशा मै ही उसको ऐसी गलियां दिया करता था )| अमृता के मुहं से गालिया सुनकर मेरा जोश और भी बाद जाता था और उसकी हर गाली के साथ ही मै उसको और भी जोर से झटका मार देता था | उस दिन शायद अमृता मेरे से कही ज्यादा आनंद का अनुभव कर रही थी इसलिए वो मुझसे पहले ही झड गयी थी | जिस पल अमृता झड़ी उसके दोनों हाथ मेरी कमर पर ही थे और उसने अपने नाखुनो से मेरी पूरी कमर छील दी थी | मुझे दर्द तो बहुत हुआ था मगर ये संतुष्टि भी थी कि कम से कम अपनी बहन के साथ मनी इस सुहागरात में मै उसे पूर्ण संतुष्टि दे सका |

क्रमशः……..

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