आपको आज मैं अपने जीवन में घटी एक सच्ची घटना को, जिसे मैं खुद अपने शब्दों मैं लिखने का प्रयास कर रहा हूँ बता रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को मेरी यह कहानी वासना से भर देगी।
मैं पहली बार लिख रहा हूँ इसलिए आपके कॉमेंट्स व सुझाव का इन्तजार करूँगा।
मैं आप सभी को पहले यह बताना चाहता हूँ कि इस घटना-क्रम में लिए गए नाम बदले हुए हैं, इनका किसी वास्तविक नाम से कोई सम्बन्ध नहीं है।
मेरी उम्र अब 28 है मेरा कद पांच फिट नौ इंच है और शरीर की बनावट औसत है।
मेरे लण्ड का नाप 6.5 इंच है।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं स्नातकी के दूसरे वर्ष में था।
तभी मेरी मुलाकात मेरे कॉलेज में पढ़ने वाले विनोद से हुई, वो मेरी ही क्लास में पढ़ता था।
मुझे पता चला कि वो मेरे ही घर के पास, लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर रहता है।
धीरे-धीरे हमारी दोस्ती बढ़ती गई और हम अक्सर साथ में मूवी देखने और घूमने जाने लगे।
जब हम स्नातक के तीसरे वर्ष में पहुँचे तो मेरे और उसके बीच की दोस्ती इतनी बढ़ गई कि लोग हमसे जलते थे।
एक दिन अचानक मेरी मुलाकात उसके घर के पास हुई और वो मुझे अपने घर चलने के लिए जिद करने लगा।
मैंने भी उसको मना नहीं किया क्योंकि मैं इसके पहले कभी भी उसके घर नहीं गया था, तो मैं भी उसके घर वालों से मिलने के लिए बहुत उत्सुक था।
जब हम घर पहुँचे तो दरवाजा आंटी जी ने खोला। जैसे ही गेट खुला वैसे ही मेरा मुँह खुला का खुला रह गया।
क्या सौंदर्य था उसका.. मैं उसे शब्दों में बयान ही नहीं कर सकता।
तभी विनोद ने उनसे बोला- माँ.. यह राहुल है और हम काफी अच्छे दोस्त हैं।
तो उसकी माँ ने हमें अन्दर आने को बोला।
तब जाकर मुझे होश आया कि मैं अपने दोस्त के साथ हूँ और अपने सुनहरे सपनों से बाहर आते हुए मैंने बड़ी हड़बड़ाहट के साथ उनको ‘हैलो’ बोला और अन्दर जाकर सोफे पर बैठ कर विनोद से बात करने लगा।
तभी अचानक मेरी नज़र उसकी बहन पर पड़ी जो कि मुझसे केवल 2 साल छोटी थी।
क्या बताऊँ.. उसकी माँ और उसकी बहन दोनों ही एक से बढ़ कर एक माल थीं।
फिर विनोद से मैंने उसके परिवार के बाकी लोगों के बारे में पूछा।
तो उसने बोला- हम चार लोग है मैं, बहन और मेरे माता-पिता।
उसके पिता का नाम घनश्याम है, माँ का नाम माया और बहन का नाम रूचि था।
ये सभी काल्पनिक नाम हैं।
तभी उसकी माँ मेरे और विनोद के लिए चाय लाई और मेरी तरफ कप बढ़ाने के लिए जैसे ही झुकी कि अचानक उसका पल्लू नीचे गिर गया, जिससे उसके 40 नाप के मखमली मम्मे मेरी आँखों के सामने आ गए और मैं उन्हें देखता ही रह गया।
मेरा मन तो किया कि इन्हें पकड़ कर अभी इसका सारा रस चूस कर गुठली बना दूँ।
लेकिन मेरी इच्छा दबी रह गई क्योंकि मेरा दोस्त भी साथ में था और हम काफी अच्छे दोस्त थे।
मेरे दोस्त की माँ दिखने में बहुत ही आकर्षक और जवान हुस्न की मल्लिका थी।
उसकी उम्र उस समय लगभग 40 या 42 होगी, लेकिन वो अपने आपको इतना संवार कर रखे हुए थी कि लगता ही नहीं था कि वो दो बच्चों की माँ भी है।
वो तो बस 30 की ही लग रही थी।
उसके लम्बे काले बाल उसके नितम्बों तक आते थे और उसके नितम्ब इतने अच्छे आकार में थे कि अच्छे-अच्छों का लौड़ा खड़ा कर दे, फिर मैं क्या था?
फिर उन्होंने पल्लू सही करते हुए मेरी ओर कप लेने का इशारा किया तो मैंने जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया, उनका हाथ मेरे हाथ से टकरा गया।
हाय… क्या मुलायम हाथ थे।
उनके स्पर्श मात्र से मेरे बदन में एक बिजली सी दौड़ गई और अचानक मेरा लौड़ा तनाव में आने लगा।
खैर.. जैसे-तैसे मैंने खुद पर संयम किया लेकिन उसकी माँ ने मेरे खड़े लण्ड को देख लिया और एक मुस्कान छोड़ कर वहाँ से चली गई।
फिर मेरी और विनोद की बातचीत सामान्य तरीके से होने लगी।
उसने बताया उसके पिता सरकारी नौकरी करते हैं और हफ्ते में कभी-कभार ही अपने परिवार के साथ रह पाते हैं।
उसकी बहन जो बारहवीं क्लास में पढ़ रही थी।
मैं आपको रूचि के बारे मैं बताना ही भूल गया।
आज तो उसकी शादी को दो साल हो गए, पर उस समय वो केवल 19 साल की थी।
जब मैंने उसे पहली बार देखा था और देखता ही रह गया था।
वो परी की तरह दिखती थी उसके लम्बे बाल, कमर तक थे।
उसकी बड़ी-बड़ी आँखें, उस समय उसके स्तन 32 इंच के रहे होंगे।
मतलब उसका हुस्न क़यामत ढहाने के लिए काफी था।
उसका साइज 32-27-32 था।
उसको मैंने कैसे चोदा, यह बाद में बताऊँगा।
फिर हमने चाय खत्म की और मैं उसके घर से सीधे अपने घर की ओर चल दिया।
घर पहुँचते ही मैंने अपने बाथरूम में माया और रूचि के नाम की मुट्ठ मारी, तब जाकर मेरे लण्ड को कुछ आराम मिला।
शाम हो गई थी लेकिन मेरी आँखों के सामने से उन दोनों के चेहरे हटने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
जैसे-तैसे रात हुई, मेरी माँ ने मुझे बुलाया और कहा- क्या बात है.. आज कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो?
तो मैंने उन्हें बोला- आज तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है।
इस पर उन्होंने मुझे एक दवाई दी और खाना खिला कर सोने के लिए बोला, तो मैं चुपचाप आकर अपने कमरे में लेट गया, तब शायद 10:30 बजे थे।
कमरे मे लेटते ही मुझे फिर से उनके चेहरे परेशान करने लगे और मेरा हाथ कब मेरे लोअर में चला गया मुझे पता ही न चला और लोअर में ही फिर एक बार झड़ गया, तब होश आया।
फिर मैं उठा और बाथरूम में जाकर मैंने अपने लण्ड को साफ़ किया और दूसरा लोअर पहन कर सो गया।
अगले दिन जब मैं सोकर उठा तो देखा मेरा लोअर फिर से गीला था।
शायद रात को मेरे सपनों में वो दोनों फिर से आ गई होंगी।
फिर मैं सीधे बाथरूम गया और नहा-धोकर सीधा माँ के पास गया और उनसे नाश्ता देने के बोला क्योंकि कॉलेज के लिए लेट हो रहा था।
फिर मैं नाश्ता करके कॉलेज पहुँच गया और विनोद से पूछा- तुम्हारे घर मैं कल पहली बार आया था, तो तुम्हारी माँ और बहन को कैसा लगा?
तो उसने बोला- उसकी माँ ने मेरे जाने के बाद उससे बोली कि तुमने बहुत ही शरीफ और अच्छे लड़के से दोस्ती की है। आज से तुम दोनों अच्छे दोस्त की तरह ही जिंदगी भर रहना।
मैंने अपने होंठों पर मुस्कान बिखेरी।
वो आगे यह भी बोला- तुझे माँ ने रात के खाने पर आज बुलाया है।
तो मुझे मन ही मन बहुत ही खुशी हुई ऐसा लगा जैसे माया को चोदने की मेरी इच्छा जरूर पूरी होगी।
फिर मैं कॉलेज खत्म होने का इन्तजार करने लगा और फिर घर जाते मैंने शेव किया और माँ से बोला- आज रात का खाना मैं अपने दोस्त के यहाँ से ही खा कर आऊँगा, आप मेरे लिए इन्तजार मत करना। आप और पापा वक्त से खाना खा लेना।
मैंने एक अच्छी सी टी-शर्ट निकाली और जींस पहनी और इम्पोर्टेड क्वालिटी का परफ्यूम लगा कर विनोद के घर की ओर चल दिया।
जैसे ही मैंने उसके घर के दरवाजे की घन्टी बजाई, अन्दर से एक बहुत ही मीठी आवाज़ आई- दरवाज़ा खुला है आप आ जाइए..
मैं समझ गया कि यह जरूर रूचि ही होगी।
जैसे ही मैं अन्दर गया, देखा सामने वाकयी रूचि ही खड़ी थी।
आज वो बहुत ही सुन्दर लग रही थी, उसने स्लीवलेस टॉप और मिनी स्कर्ट पहन रखी थी, जो उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे।
इस टॉप में उसको स्तनों का उभार साफ़ दिख रहा था।
मैं तो उसके स्तन ही देखता रहा और अभी मन ही मन उन्हें चचोर कर चूस ही रहा था कि तभी उसने मेरी हरकत पकड़ ली और मुझसे बोली- भईया, आप गेट पर ही खड़े रहोगे या अन्दर भी आओगे?
मैं सच मैं बहुत झेंप गया था और बहुत बुरा भी लगा कि मुझे अपने दोस्त की बहन को ऐसे नहीं देखना चाहिए था।
फिर मैं आगे बढ़ा उसने मुझे सोफे पर बैठने का बोला तो मैंने उससे पूछा- विनोद और माँ जी कहाँ है?
तो उसने बताया- माँ अपने कमरे में तैयार हो रही हैं और विनोद भईया केक लेने गए हैं।
तो मैंने उससे बहुत ही आश्चर्य के साथ पूछा- केक लेने? वो किस लिए?
तो रूचि बोली- आज माँ का जन्मदिन है और इसलिए आपको भी निमंत्रित किया गया है।
मैंने उससे पूछा- सच बताओ..
वो बोली- सच में.. मैं सच ही बोल रही हूँ।
फिर मुझे विनोद पर बहुत गुस्सा आया कि उसने मुझे नहीं बोला कि आज माया का जन्मदिन है.. नहीं तो मैं खाली हाथ न जाता।
मैंने रूचि से बोला- मैं अभी थोड़ी देर में आता हूँ।
तो वो बोली- भैया आप कहाँ जा रहे हो? भाई अभी आता ही होगा, केक काटने में पहले ही इतनी देर हो चुकी है और देर हो जाएगी।
मैंने उससे बोला- मैं तुम्हारी माँ के लिए कुछ गिफ्ट लेने जा रहा हूँ.. मुझे नहीं पता था कि आज उनका जन्मदिन है। नहीं तो मैं साथ लेकर ही आता।
तब तक माया उस कमरे में आ चुकी थी।
हमारी बातों को सुनकर माया हँसी और मुझसे कहने लगी- मैंने ही विनोद को मना किया था कि तुम्हें कुछ न बताए और रही गिफ्ट की बात तो मैं तुमसे कभी भी मांग लूँगी.. वादा करो जब मैं मांगूगी तो तुम मुझे गिफ्ट दोगे…!
अब सब शांत हो गए..
लेकिन मैं ऐसे खड़ा था, जैसे मैंने कुछ सुना ही न हो और ऐसा हो भी क्यों न…
क्योंकि आज तो माया ऐसी लग रही थी कि उसकी बेटी जो 19 साल की भरी-पूरी जवान थी.. वो भी उसके सामने फीकी लग रही थी।
आज माया ने काले रंग की नेट वाली साड़ी पहन रखी थी, उनके स्तन बहुत ही सख्त और उभरे हुए लग रहे थे।
उन्होंने चेहरे पर हल्का सा मेक-अप भी कर रखा था।
वो आज पूरी काम की देवी लग रही थी।
मैं उसकी सुंदरता के ख़यालों में इतना खो गया कि मुझे होश ही न रहा कि मैं एक बेटी के सामने उसकी ही माँ को कामवासना की नज़र से उसको चोदने की इच्छा जता रहा हूँ।
तभी माया ने मेरे हाथ को पकड़ते हुए बोला- क्या हुआ राहुल? तुम कहाँ खो गए… तबियत तो सही है न?
तब मैंने हड़बड़ाहट उनसे बोला- हाँ.. ऑन्टी जी मैं ठीक हूँ।
वो बोली- फिर तुम्हारा ध्यान किधर था?
शायद वो सब जानते हुए भी मुझसे सुनना चाह रही थी तो मैंने उनके उरोजों की तरफ देखते हुए कहा- ऑन्टी जी आज तो आप बहुत ही हॉट लग रही हो.. इससे पहले मैंने कभी इतनी सुन्दर लेडी नहीं देखी।
उन्होंने मुस्कराकर ‘धन्यवाद’ दिया और सोफे पर मेरे पास ही आकर बैठ गईं और रूचि से बोली- राहुल को लाकर कोल्डड्रिंक दो… अभी विनोद भी आता ही होगा.. फिर सब मिलकर पार्टी करेंगे।
रूचि रसोई की ओर जाने लगी.. तभी ऑन्टी ने मेरे जीन्स में बने तम्बू की ओर इशारा करते हुए कहा- काफी बड़े हो गए हो..।
तो मैंने अपने लण्ड को दबा कर ठीक करते हुए ‘सॉरी’ बोला तो उन्होंने बोला- इस उम्र में सबके साथ ऐसा ही होता है.. खैर तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
तो मैंने उन्हें ‘न’ बोल दिया।
उन्होंने बोला- क्यों..? तुम तो काफी स्मार्ट हो।
फिर भी तो मैंने भी थोड़ा बोल्ड होते हुए बोल दिया- जब आपके जितनी हॉट और सेक्सी मिलेगी तो ही उसको अपनी गर्लफ्रेंड बनाऊँगा..
और मैंने उनके गाल पर एक हल्का सा चुम्बन कर दिया।
जिससे वो सोफे पर पीछे की ओर झुक गईं क्योंकि उन्हें इसकी उम्मीद ही नहीं थी।
मैंने तुरंत उनको ‘सॉरी’ बोला- मैं संयम नहीं कर पाया।
तभी रूचि कमरे में मुस्कान बिखेरते हुए आ गई, शायद उसने देख लिया था।
माया ने बात को संभालते हुए मुझे भी एक चुम्बन किया और बोली- लो मैंने तुम्हारा गिफ्ट स्वीकार कर लिया.. बस तुम तो मेरे बेटे जैसे ही हो और मेरे दोनों बच्चे भी मेरे जन्मदिन पर मुझे किस कर के ही विश करते हैं और अब तुमने भी कर लिया.. अब ठीक है न..
मैंने भी उनकी हाँ में हाँ मिला दी, जिससे कि हम पर रूचि को शक न हो।
हम ठंडा पी ही रहे थे तभी विनोद भी केक और होटल से खाने के लिए खाना वगैरह सब लेकर आ गया था।
फिर उसने बताया- ट्रैफिक की वजह से जरा देर हो गई।
मैंने बोला- चलता है यार.. ले ठंडा पी.. फिर हम लोग केक काटेंगे।
तो विनोद ने ठंडा पीते हुए मुझसे पूछा- तुझे आए हुए कितनी देर गई?
मैंने बोल दिया- शायद एक घंटा..
रूचि पीछे से बोली- नहीं आप साढ़े छह बजे ही आ गए थे और अभी 8 बजे हैं।
इस पर मैंने बोला- अच्छा.. तुम्हें बहुत ध्यान है मेरा..
और हम सब हंस दिए।
फिर विनोद को मैंने बोला- यार आज आंटी का जन्मदिन था तुम्हें मुझे बताना चाहिए था.. मैं खाली हाथ आया, मुझे बहुत बुरा लगा।
इस पर विनोद बोला- माँ ने ही मना किया था।
इतने में माया आई और मुझे फिर से अपने बच्चों के सामने ही चुम्बन करके बोली- मैं अपने बच्चों से बस प्यार ही मांगती हूँ और कुछ भी नहीं।
इस पर हम चारों ने एक-दूसरे को गले से लगा लिया और बर्थडे-गर्ल को चुम्बन किया।…………………
कहानी जारी रहेगी।
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धन्यवाद. …