माँ-बेटा (एक सच्ची घटना) – 9। Mother Son Sex Story

सो मैं मेरे रूम में पहुचकर माँ को तुरंत एसएमएस किया . Mother Son Sex Story
” फिर से भूल गई!!!!”
उनका भी तुरंत रिप्लाई आया
” क्या?”
मैने थोड़ी शरारत करके लिखा
” अरे .. तुम को मालूम हैना रात में जब तक गरम दूध नहीं पिता हु और मेरे सर के बालों में तुम्हारा हाथ का छूना जब तक न मिले, तब तक मुझे ठीक से नीद नहीं आती है !!”


मेसेज सेंड करने के बाद सोचा की आज माँ आयेगी क्या? शाम को जिस तरीके से नज़र घुमा घुमा के चल रही थि, वह सोच के मैं पकड़ नहीं पाया उनके मन में क्या विचार है. अगर आयी तो आज मुझे रोकना मुस्किल हो जाएग. शादी का मुहूर्त जितना नज़्दीक आ रहा है, उतना ही बेताब हो रहा हु, उनको पाने के लिये. मेरे ख़ुद का बनाके पाने के लिये. मेरे प्यार भी जैसे दिन ब दिन बढे जा रहा है, वैसे उनके लिए मेरे अंदर आग भी बढ़ रही है. टाइम निकल रहा है पर माँ का रिप्लाई नहीं आया. मैं भी समझ नहीं पाया माँ आज क्या रिप्लाई देगी. क्या उनके अंदर भी मेरे जैसी चाहत बढ़ नहीं रही है क्या? क्या मेरे बारे में सोचके वह आसक्त होती है या नहीं ? अचानक यह सब के बीच बीप बीप करके एसएमएस आया. उन्होंने लिखा है


” वह में जानती हु…लकिन मुझे आप का ईरादा मालूम है”
पढके मेरे होठ पे एक स्माइल खील गया. माँ मुझे सही तरीके से हमेशा जान जाती थि, और आज भी वह मेरे मन का ईरादा पकड़ लि. फिर भी में भोला बनके लिखा
“क्या?”
उनका अब तुरंत रिप्लाई आया
” आप बहुत बदमाश बन गए हो”.
अच्छा ..इस लिए पूरी शाम मेरे से दूर दूर रह रही थी. मैं लिखा
” ओहः.. इस लिए यहाँ आ नहीं रही हो!! तुम्हे मेरी बदमाशी पसंद नहीं है?”
उनहोने जल्दी लिख के भेजा
“उन्ह ह…एक दम नहि”
मुझे अब बस उनके मन की बात जानने का भूत सवार हो गया. मैं लिखा
“ईस लिए मेरे से दुर रह रही हो?”
बस फ़टाक से बीप बीप करके रिप्लाई आगया.
” हमं..इसी लिए तो.”
मेरे सर पे शरारत चढ़ गया. और में धीरे धीरे टाइप किया
” दो दिन बाद से क्या करोगी? तभी भी मेरे से दुर रहोगी?”
सेंड करके सोच रहा हु अब वह क्या रिप्लाई देगी. हालां की वह अब पहले से सहज हो गई. स्पेशली हम जब अकेले होते है. मैं उनको नाम लेकर बुलाता हु. वह एक प्यारी पत्नी जैसा मेरे से बात करती है. तो में अब उनका रिप्लाई का इंतज़ार कर रहा हु. अचानक मेरे चिंता का लिंक तूट गया बीप बीप आवाज़ से. उन्होंने लिख के भेजा
“वह सोचना पडेगा”.
मै समझ गया माँ मेरी परीक्षा ले रही है. और इसमें उनको आनंद भी मिल रही होगी. मैं भी उसी तरह उनको रिप्लाई दिया
” है राम…अभी भी सोचोगी?”
फटाफ़ट रिप्लाई किया
“ह्म्म..”
मैन फिर थोड़ी सोच के लिखना चालू किया.
” लेकिन मुझे मेरी बीवी .. मेरी मंजु हमेशा..ज़िन्दगी भर मेरे पास , मेरी बाँहों में चहिये”.
इस बार तुरंत रिप्लाई नहीं आया, पर इंतज़ार भी ज़ादा करना नहीं पडा उन्होंने लिखा
” ओके. वह में उसको बता दूंगी”
इस जवाब से में थोड़ी रुक गया, माँ क्या लिख के भेजीं है. वह तो और किसीसे एसएमएस ही नहीं करति. ऐसा लगा और किसीके लिए टाइप किया , लेकिन मेरे फोन पर सेंड हो गया. मैं समझ नहीं पाया. क्या वह टाइपिंग गलत कर दि!! मैं एक दुवीधा के साथ लिखके भेजा
“किस्को?”
उनका तुरंत रिप्लाई आया.
” क्यूं…आप की बीवी को”.
यह पढ़ के मेरे चेहरे पे फिर से स्माइल आगया. मेरे मन में एक ख़ुशी का तूफ़ान दौडने लगा. में फ़टाफ़ट टाइप किया
” ओहः..तो उनको यह भी बताना की उनका होनेवाला पति उनको बहुत?? बहुत?? प्यार करता है. उनके बिना ज़िन्दगी एक पल भी नहीं जी पाएगा.”
” ठीक है. मैं उसको बता दूंगी.ओके”
” और हा…उनको यह भी बताना की उनके पतिके दिल में हमेशा एक ही खूबसूरत लड़की थी, अब है और रहेगी. दुनिया की सबसे खूबसूरत प्यारी लड़की को बीवी के रूप में पाके उनका पति खुद को भाग्यवान मानता है”
” मैं बता दूंगी . और वह यह बात याद रखेगी”.
यह पढ़के मुझे मालूम हो गया की माँ बहुत इमोशनल हो गयी और अपनी दिल की बात लिख दिया. उस को पकड़ के में उन्हें परेशान करने के लिए लिखा
” तुमको कैसे मालूम की वह याद रखेगी या नहि”
काई रिप्लाई आया नही माँ शायद समझ गयी की पिछले एसएमएस में वह एक ग़लती कर दि, शायद वह वहि फिर से पड़ रही होगी और सोच रही होगी की कैसे फिर से बात को घुमाया जाए. थोड़ी देर में इंतज़ार करने के बार उनका रिप्लाई मिला
“क्यूं की में उससे पूछ लुंगि”.
मैन तुरंत लिख के सेंड किया
“तो अब पुछो ना”.
मा बस अब थोड़ी अपनी ही बातों से फस गई. वह समझ नहीं पा रही है की क्या रिप्लाई करे. लेकिन फिर भी लिख के भेजी
” अब वह बिजी है”.
मैन हास के टाइप करने लगा
” ठीक है उनको फ्री होने के लिए बोलो और उनको बता दो”.
मै यह सेंड कर दिया और कुछ न लिखके मोबाइल पकड़ के बैठा हु. बहुत टाइम कोई रिप्लाई आया नही वह क्या कर रही है अब!! मैं जो बोला उसका जवाब क्या देगीजब कुछ टाइम बाद भी कोई रिप्लाई नहीं आया तो में फिर से एसएमएस टाइप किया
” उनसे बात हुआ”.
अब रिप्लाई आया.
“ह्म्मम्”.
“तुमने पुछा वह यह सब याद रखेगी या नहि”
“हा…पूछ लिया”.
“क्य बोली उन्होंने”.
??वह यह सब बातें उसके दिल में सजाकर ज़िन्दगी भर याद रखेगी”.
मेरे मन में माँ के लिए प्यार भर गया. अब वह इतनी प्रतिबद्ध और समर्पित हो रही है, मुझे उनके इस भावनाओं की कदर करना है ज़िन्दगी भर. मैं उनके दिल की बात और जानना चाह रहा था मैं लिखा
“और कुछ नहीं बोलि”
उनहोने थोडा टाइम लिया और लिखके भेजि

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“वोह भी उसके होनेवाले पति को बहुत. बहुत ..प्यार करती है. पूरी जिंदगी उनके साथ, उनको प्यार करके गुज़ारना चाहती है”.
मै भी इमोशनल हो गया. मुझे माँ के लिए जो आसक्ति हुई थी , अब इन सब प्यारी बातों में वह धीरे धीरे कम होने लगी. मेरे मन में उनको पाने के लिये, शारीरिक रूप से उनके पास आने के लिए मन छटफट कर रहा था पर अब भावूक होने लगा. मुझे मालूम पड़ रहा है की मेरे ऊपर एक रेस्पॉन्सिबिलिटी धीरे धीरे बढ़ रही है. माँ को खुश रख के उनका हर इच्छा पूरी करके , उनको सारे सुख , आनंद देकर उनकी ज़िन्दगी को रंगीन बना के रखना चाहता हु. वह ज़िन्दगी भर पति के प्यार के लिए तरसी होगी, अपनी फॅमिली पाने के लिए चाहत दिल में छुपाके रखी होगी, एक प्यारी पत्नी बनके ज़िन्दगी गुजारने का सपना दिल में दफ़न करदी होगी. पर आज उनको सब कुछ देना चाहता हु. इन सब भावनाओं के बीच मेरे फोन पर फिर से एसएमएस आया और उनको मजाक करते हुए लिखा
??और कुछ नहीं बोला उन्होंने??.
मा समझ नहीं पाई में और क्या पूछना चाहता हु, वह रिप्लाई में वहि लिखके भेजि
??और क्या!!??.
मैने लिखा
??दो दिन बाद से भी क्या वह मेरे से दुर रहेगी???
थोड़े टाइम चुप्पी रही फिर उनका रिप्लाई आया
??वह इसका जवाब अब नहीं बतायेगी. और टाइम आने दीजिये. आप को इसका जवाब मिल जाएगा??.
मुझे मालूम है माँ अब मुह से न कुछ बतायेगि, ना आज मेरे पास आयेगी. मैं बस उस दो दिन गुज़रने का इंतज़ार करने लगा.

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नेक्स्ट डे यानि की संडे सुबह सुबह उठना पडा घर पे एक पूजा था मैं एक बार बिमार पड़ा था हॉस्पिटल में भी था तब नानी मेरे नाम का एक मन्नत रखी हुई थी. सब लोग यह कहते है की शादी जैसे एक पवित्र बंधन में बाधा पड़ने से पहले सारा उधार चुका देना चहिये. इस लिए आज वह पूजा हुआ. पण्डितजी हमारे ही फॅमिली के पण्डितजी थे उनको मेरे शादी के बारे में कुछ मालूम नही वह केवल मेरे नाम का उधार रखा हुआ पूजा करने के लिए आये थे. ड्राइंग रूम में पूजा हो रही थी मैं पण्डितजी के सामने बैठा था नाना मेरे पीछे राईट साइड में, नानी उनके बगल में और माँ नानी के पास यानि की मेरे पीछे बैठि हुई थी. पंडित जी पूजा ख़तम होने के बाद मुझे नाना नानी और माँ को प्रणाम करने को कहा. मैं मेरे आसन से उठके नानाके पास गया और उनके पैर छुयै. नानी के पास जाके झुक के उनके भी पैर छुए . मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था की माँ को अब प्रणाम करना चाहिए या नही क्यूँ की वह मेरी माँ है. हालां की दो दिन में वह मेरी पत्नी बन जाएगी. लेकिन फिर भी में उनका ज़िन्दगी भर पैर छु सकता हु. पर नानी को लगा की शायद में दुविधा में हु की माँ का पैर अब छु यानही इस लिए जैसे ही में उनका पैर छूकर खड़ा होने गया, वह मेरे सर पर हाथ रखके अशीर्वाद करने लगी और में झुक के उनके सामने रह गया. तब नानी मुझे बोला ” अब जाओ माँ का पैर छु लो”. शायद उन्होंने मुझे और माँ को.. दोनों को यह कहना चाहती है की शादी न होने तक अब हम माँ बेटे ही है. मैं माँ के पास गया और झुक के उनके पैर छुये. माँ सर झुका के बैठि थी. मुझे हमेशा उनके उन गुलाबी पैरों को चूमने का मन करता है. पर अब इस परिस्थिति में में मेरे मन से , एक बेटा उसकी माँ का पैर जैसे छुता है, वैसे में उनके पैर छुयै.


पूजा थोड़ी लेट ही ख़तम हुआ था हम सब लंच करके थोड़ी रेस्ट करने लगे . क्यों की शाम को निकल के ट्रैन पकडना है. और रात भर जर्नी करना है. मैं बस अब कुछ सोचने का मौका नहीं पा रहा हु. सब ऐसा इतना जल्दी हो रहा है. मैं भी तैयार होकर हमारी सब का लगेज वगेरा लेकर टैक्सी करके स्टेशन पहुच गया. और टाइम होते ही हम ट्रैन में चढ़ गये. माँ आज एक पिंक कलर की साड़ी पहनी हुई है. उस साड़ी से और उनके चेहरे से जो ग्लो दे रही है , वह सब मिलकर बहुत ही खूबसूरत लग रही है. और मेरे मन में एक ख़ुशी का हवा का झोका जैसे आगया. मैं सोच रहा था की यह प्यारी, सुन्दर, खूबसूरत सेक्सी लड़की बस और कुछ टाइम के बाद मेरी बीवी बन जाएगी. .. और वह मेरी..केवल मेरी ही होजाएगी. मैं उनको देखते रहा और वह बस सब का सोने का इन्तेज़ाम करनेलगी. नाना नानी नीचे के बर्थ में सो गये . और में और माँ ऊपर के बर्थ मे. मैं मेरे बर्थ में सोके उनके तरफ घूमके केवल उनके ऊपर नज़र टिकाके रखी है. वह कुछ टाइम यह महसुस किया और फिर मेरी तरफ देख के ,एक स्माइल देकर शर्मा के घूम गयी और मेरी तरफ पीठ करके सो गई. मैं उनके पीठ के तरफ देखते देखते बहुत उत्तेजित होने लगा. मेरा लिंग फिर से कठिन होने लगा. उनकी पतली कमर और हिप्स के ऊपर नज़र गया. फिर ऊपर जाकर उनके सुडौल गर्दन पे नज़र पड़तेहि में उत्तेजना के चरम सीमा पे पहुच गया. और अनजाने में मेरा हाथ मेरे पाजामे के अंदर जाके मेरे लिंग को छु लिया. मैं बस एकबार मुठ्ठी पकड़ के मेरे लिंग को पकड़ा और फिर थोड़ी टाइम बाद छोड़ दिया. मैं खुद को कण्ट्रोल करते करते सोचने लगा की बस और दो दिन. उसके बाद मेरा लिंग जहाँ दुनियाका सबसे ज़ादा आनंद मेहसुस करेगा, वहां होगा.

हम सुबह ५.३० बजे बांद्रा टर्मिनस पे उतर गये. गर्मी का मौसम था सुबह की नरम शीतल हवा से बहुत अच्चा लग रहा है. नाना नानी मुंबई आकर थोडे उदासीन भी हो गये. नाना की शादी के बाद वह लोग कुछ दिन मुंबई में थे. यहाँ नानाजी बिज़नेस सुरु किया था बाद में शिफ़्ट होकर अहमदाबाद चले गये. वहाँ माँ का जनम हुआ. और आज तक वह लोग वहि अपना घर बना लिया . आज यहाँ फिर पूरा फॅमिली के साथ आकर वह लोग थोडे भावूक बन गये. नाना उनके जवानी की बहुत सारी पुराणी बाते बताने लगे. हम स्टेशन से टैक्सी लेकर उसमे सारे लगेज लोड करके रिसोर्ट के लिए चल पडे क़रीब देड घंटे का रास्ता है. माँ सुबह से चुप चाप है. केवल नानी के साथ कुछ बात चित कर रही है.

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मैं नज़र चुराके दो चार बार उनको देख लिया. मेरा मन अब ख़ुशी से हस रहा है. माँ के अंदर भी एक खुशी की उत्तेजना फैली हुई है, और वह उनका चेहरा देखके, आँखों की हलचल देख के और शारीरिक हलचल देख के पता चलता है. वह नानी के ही आस पास घूम रही है. नानी के साथ ही चल रही है. वह मेरे तरफ देख ही नहीं रही है. मैं सोचता हु की माँ के मन में क्या मेरे लिए , मेरे प्यार के लिए कोई तूफ़ान हो नहीं रहा है!! केवल मेरे अंदर ही है !!! आज बहुत दिन बाद हम पूरी फॅमिली घर से एकसाथ बाहर आकर सब को अच्चा लग रहा है. मैं भी माँ के साथ बहुत दिन ऐसा दुर कहीं आया नहीं था इस लिए आज इस मुंबई शहर में हम एकसाथ आकर हमारे बीच का बॉन्डिंग सब को मेहसुस होने लगा. हम एक फॅमिली है. सब एक दूसरे के लिए ही है. और अब तो और भी नज़्दीक रिलेशन पे जुड़ने जा रहे है. कोई अन्जान लड़की नहि, इस घर की बेटी ही इस घर की बहु बन के आरही है. इसी घर का बेटा इसी घर का दामाद बन के ज़िन्दगी भर एक दूसारे से जुड़े रहने का संपर्क बांध ने जा रहै है. टैक्सी में में ड्राइवर के पास बैठा हु. पीछे नाना, नानी और नानी के पास माँ बैठि हुई है. नानी बीच बीच में माँ को पकड़के रख रही है.

माँ के पीछे से हाथ घुमाके उनके दूसरे बाजु पकड़ के अपने पास, अपने दिल के और पास संभाल के रख रही है. एक लौती बेटी. सारा सुख-दुःख उनको घिरके ही है. और आज ऐसा लग रहा है की जैसे उनकी बेटी शादी करके दुर चले जायेगी उनका घर खाली करके, और इस लिए जितना टाइम मिले माँ बेटी एक साथ रहके अपना मन का प्यास मिटा पाई. नानाजी जाते जाते एक एक जगह दिखा रहे है और वह यहाँ क्या क्या किया है वह सब बता रहे है. नानी जी भी बीच बीच में उनका साथ देकर बातों का लिंक जोड़नेलगी. मैं आगे बैठके पीछे नाना का बात सुनने के लिए बीच बीच में पीछे मुड़के देख रहा हु. और तभी एक झलक माँ को देख ले रहा हु. माँ बस बाहर की तरफ नज़र टीका के रखी है . पर मालूम पड़ रही है की उनका मन हमारे बीच में ही है. वह हम सब के बीच होकर भी अकेली हो रही है.

उनके होंठो पे हलकी सी स्माइल और आँखों के लाज और शरम की जो छांया दिख रही है, उसमे पता चलता है की वह मन में एक ख़ुशी की अनुभुति मेहसुस कर रही है. पर एक बार भी मुझसे नज़र नहीं मिला रही है. बाहर से हवा आकर माँ के माथे के ऊपर का कुछ बाल उडाके उनके चेहरे पे फेंक रही है. माँ बार बार हाथ से उन बालो को हटाके अपने कान के पीछे ले जाके समेट नेकी कोशिश कर रही है. उनके इस तरह हलकी हलकी मुस्कुराती हुई चेहरे से बाल हटाने का स्टाइल देख के मेरे मन में उनके लिए प्यार और सेक्स दोनों ही जग रही है. एक ओर्गिनेस्स मुझे घिरके रखा है. और उसका पता चलता है मेरे जीन्स के अंदर मेरे लिंग का छटफटानेसे .

मैं लिंग को दबाके पैर के उपर दूसरे पैर चढाके , पीछे घुमने के लिए राईट हैंड को हेड रेस्ट के ऊपर रखके तेढा बैठा हुआ हु. नानाजी की बात सुनने से ज़ादा मुझे माँ को चुरा के देखने का ज़ादा ईरादा है. पर में इस तरह पीछे मुड़के बैठा हु, और वह माँ का विज़न एरिया में उनको पता चल रहा है. मेरे तरफ ना देख के भी, वह उनके आय साइड के अंदर हल्का हल्का मेहसुस कर रही है की में उनको भी देख रहा हु बीच बीच मे. और इसलिये वह और भी नज़र बाहर से अंदर के तरफ नहीं कर रही है. लास्ट वीकेंड में घर आकर उनको छु के मेहसुस करने का एक मौका मिला था पर इस बार तो वह मेरे नज़्दीक ही नहीं आई है. मुझे एकबार उनको मेरे बाँहों में भरके मेरे छाति के ऊपर मेहसुस करने का मन कर रही है. और उनके वह उड़ने वाले बालो के अंदर मेरी नाक डूबो के उनके बालो की खुशबू लेने का मन कर रहा है. पर शायद वह हमारे शादी से पहले मुझे मेरी खवाइश पूरी नहीं होगी. और फिर सुहागरात में उनको प्यार और सिर्फ प्यार से उनका पूरा तन मन भर देना चाहता हु. हम सुबह का खाली रोड पकड़ के जल्दी जल्दी रिसोर्ट पहुच गये.

यहाँ हमारे लिए दो आदमी वेट कर रहे थे. हमारे आने का पूरा प्लान उनलोगो ने चेक आउट किया हुआ था जैसे ही टैक्सी पहुंची, वह लोग आगे आकर हमसे परिचय किया और में दूल्हा और माँ को दुल्हन जानके हम दोनों को विश किया. फिर हमें सब बता बता के हमारे रहने की जगह पे ले जाने लगे. टोटल ४ सूटकेस था एक मेरा,दूसरा नाना नानी का, तीसरा शादी का सामान भरा हुआ और चौथा माँ का. माँ यहाँ से सीधा मेरे साथ एमपी जानेवाली है. तोह उनका कुछ सामान, जो वह शादी के बाद भी उसे रखना चाहती है, वह सब सामान, कुछ कपडा वगेरा भरके लायी है. वह लोग रिसोर्ट का दो बॉय को बुलाके हमारा सामान हमारे रूम पे ले जाने के लिए कहा. रिसोर्ट बाहर से देखने में छोटा है.

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पर अंदर जाते ही बहुत बड़ा एरिया का पता चलता है. लेफ्ट साइड में रेस्टॉरंट, डिस्को और पुलसाइड पब है. सीधा जाके एक बिल्डिंग है. दो मंजिला. और राईट में पूरा एरिया खाली है. घास को मेन्टेन करके रखा है. यहाँ उनलोगों का ओपन मैरिज या और कोई पार्टी होता है. और गेट के बाहर एक पार्किंग एरिया देख के आया हु. हम जैसे थोडे आगे जाकर राईट मुडे, वहां उस बिल्ड़िंग के पीछे विशाल एरिया लेकर बहुत सारे छोटा छोटा टेंट जैसा कॉटेज बना हुआ है. बीच में एक लम्बा नैरो वाटर पूल है. उसमे से फुआरा उठ रही है. और उसके चारों तरफ वह कॉटेज है. वह लोग हमें वहि ले जाकर बताया की वह लोग सारे मैरिज में आने वाले गेस्ट्स और फॅमिली मेंबर्स को यही रुकवाते है. और वह दो मंजिला बिल्डडीग केवल इनसाइड बुफे और शादी के लिए हॉल बना हुआ है. जहाँ पार्टी भी हो सकती है. बाकि एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्शन और पीछे किचन और कैटर्रिंग का इंतेजाम. अब फिलहाल दो शादी का अरेंजमेंट चल रहा है. वेडनेस्डे को एक बड़ा शादी का बुकिंग है. उसके कुछ मेहमानआचुके है. और कल की शादीके लिए बस हम लोग. हमारा छोटा प्रोग्राम है. इस लिए वह सब कुछ सामने वाले बिल्डिंग के अंदर ही अरेंज किया हुआ है.

हमारे लिए केवल दो कॉटेज बूक है. दोनों फॅमिली कॉटेज है. एक में माँ और नानी चली गयी और दूसरे में में और नानाजी. उन दो आदमी में से एक आदमी हमारी बुकिंग का हेड है. उनके देख भाल से यह शादी का प्रोग्राम होगा. हम जैसे ही कॉटेज के अंदर घूसे तो चौंक गये. बाहर से पता नहीं लगता की अंदर इतना सुन्दर और सुब्यबस्था है. स्पेसियस एरिया में दो डबल बेड रूम के दोनों साइड पे लगा हुआ है. दो कपबोर्ड है. बैठने का अरेंजमेंट में सोफा और सेंटर टेबल रखा हुआ है. दिवार पे बड़ा एलसीडी टीवी लगा हुआ है. एक फ्रिज है. और अपोजिट वाल पे एक बड़ा विन्डौ. जिसके बाहर पेड़ की सारी लाइन है. और उसके पार खाड़ी है, जहाँ प्राइवेट ज्याट बनाके वह लोग प्राइवेट स्टीमर सुहागरात के लिए देते है. मैं बाथरूम चेक करने गया. और बड़ा बाथरूम में सब मॉडर्न फैसिलिटीज का इन्तेज़ाम है. बाथरूम से बाहर आतेहि वह मैनेजर साहब नानाजी को बताने लगा की क्या क्या और कैसे प्रोग्राम सेट किया हुआ है.

एक प्रिंटेड पेपर दिया उन्होंने. उसमे सब डिटेल्ड लिखा हुआ है टाइम के साथ. कब हल्दी का रसम, कब रिंग सेरोमनी, कब रजिस्ट्री सिग्निंग, कब शादी वैगेरा वैगेरा सब कुछ लिखा हुआ है. हमारे गेस्ट नहीं है इस लिए रिसेप्शन और फ़ूड के जगह पे क्रॉस किया हुआ है. मैं उनसे वह लेकर देख रहा था आज दो रसम सेट किआ हुआ है. दोपहर को हल्दी है और शाम को रिंग सरमोनी. वह आदमी बता रहे थे की यहाँ के पण्डितजी के मुताबित , उनका दिया हुआ टाइम मेन्टेन करके हम यह चार्ट बनाते है. सब पूरा रसम और तरीका प्रॉपरली मेन्टेन करके , शास्त्र सम्मत से यहाँ शादी का इन्तेज़ाम होता है. उन्होंने उनका मोबाइल नम्बर भी दिया. कोई भी प्रॉब्लम होगा तो उनको सीधा कॉल कर सकते है. दोपहर में हल्दी रसम ठीक टाइम पे सब रेडी हो जायेगा और हमें लेने के लिए वह आएंगे. वह मैनेजर अब हमें फ्रेश होने को कहा और बताया की रूम पे ही ब्रेकफास्ट भेज देंगे. बोलके वह फिर से और एकबार स्वागत और विश करके निकल गये. नानाजी मुझे फ्रेश होने के लिए कह्के वह एक कॉपी प्रिंटेड चार्ट लेके निकल गए नानी के रूम पे. नानी को भी पूरा चीज़ बतानी है. माँ भी जान जायेंगे कब और कैसे क्या क्या होगा. मैं फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया.

जब फ्रेश होकर बाथरूम से निकला तब नानाजी रूम पे वापस आगये. उनके हाथ में कुछ कपडे है. वह नानीजी के रूम में रखी हुई उनके सूटकेस से यह लेके आये है. मुझे बाहर निकलते हुए देखके वह बोले की अब तो सोने को ज़ादा टाइम नहीं मिलगा. ११.३० को हल्दी का रसम है. सो में तुम्हारा नानी को भी बता दिया. वह लोग भी फ्रेश होकर ब्रेकफास्ट करके बस थोड़ी रेस्ट कर लेगी और फिर तैयार हो जायेगी हल्दी के लिये. मैं यह सुन के थोड़ी शर्म और ख़ुशी मेहसुस किया. नाना नानी खुद मेरे और माँ का यह रिश्ता चाहते है. वह लोग अपने हाथों से हमारे इस नये रिश्ते को जोड रहे है और हमें हमारे नए रिश्ते में कदम रखने के रास्ते में हर मोड़ पे हमारा साथ देते हुए आरहे है. वह लोग भी चाहते है की उनकी एक लौती बेटी ज़िन्दगी भर जो दुःख और अकेलेपन के सहारे जी है, अब वह ख़ुशी के पलों में बदल जाये और उनकी ज़िन्दगी हर लड़की की तरह अपने पति के साथ गुजार ने में जो सुख और शान्ति मिलती है, वह पा ले. और फिर में उनका इकलौता पोता भी हु. बचपन से उनका सारा प्यार और ममता मेरे ऊपर ही बरसाया उन्होंने. सो आज वह लोग भी चाहते है की अपना ही पोता अपने ही घर पे दमाद बनके रहेगा और सब मिलके एक ख़ुशी के महल में जिन्दगी गुजरेंगे. इस लिए वह इस शादी को शास्त्र अनुसार सब रसम प्रक्रिया पूरा करके करना चाहते है.

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