माँ-बेटा (एक सच्ची घटना) – 8। Mother Son Sex Story

लंच ऑवर में माँ का फ़ोन आया. वह मुझे पूछि की में मकान मालिक से मिलके आया की नही पर मैं बिलकुल भूल गया था एक्चुअली पिछले हप्ते में जो पर्दा ख़रीदा था , Mother Son Sex Story वह अभी तक लगा नहीं पाया. मैं जिस घर पे रहता हु, वह नया बना हुआ घर है. पार्टीशन करके दिवार वगेरा बनाया. पर विंडोज और दरवाजे पे पर्दा लगाने का बंदोबस्त नहीं किया. सो में जब दुकान से लोग बुलाये पर्दा लगाके फिट कर देणे के लिए तो वह लोग बताया की सारे खिड़की और डोर के ऊपर प्यानल बनाना पड़ेगा . फिर पाइप लगाके पर्दा फिट करना पडेगा. पर में मकान मालिक को बताया था जब घर लिया था की में उनका घर पर कोई कील या कुछ नहीं ठोकूंगा. या तो उनकी नयी पार्टीशन वाली दीवार ख़राब नहीं करुन्गा. सो मुझे उनके पास जाके उनको बताना है और परमिशन लेके आना है. फ़ोन पे कर सकता था पर एकबार सामने जाकर सब प्रॉब्लम सोल्व करना बेटर समझा. और इस बात को लेके काल रात माँ से बात हुआ था आज मुझे जाना था पर गया नही सो उन्होंने अभी फ़ोन पे याद दिलाया. मैं बोला की आज घर लौट ते वक़्त मिलके आउंगा.

ओर उस चक्कर मे मैं रात को लौटने में भी लेट हो गया. वह मकान मालिक आदमी अच्चा है. पर बोलता ज़ादा है. वह मुझे देख के ही बोलने लगा की मेरे नानाजी कैसे है, कब आएंगे यहां, वह कितने अच्छे इंसान है. उनसे दोबारा मिलना चाहते है वगेरा वग़ैरा. मैं यह भी बताया की में शादी करके बीवी को लेकर आ रहा हु, इस लिए घर का यह सब ठीक करना चाहता हु. मेरी शादी सुनके हज़ारों सवाल सुरु किये. मुझे किसी प्रकार से वहां से छुटकारा मिला. रात में डिनर के बाद फिर माँ को फ़ोन किया. मैं दिन भर माँ से उस रिसोर्ट के बारे में बात करना चाह रहा था पर सही तरह से मौका नहीं मिला. इसलिए अभी में उस बात को छोड़ दिया. रिसोर्ट वालो से क्या क्या बात हुआ सब बताया. वह सब सुन के चुप हो गई. उनकी सांस की आवाज़ मिल रही है. मैं थोडे टाइम बाद चुप्पी तोड़के पूछा की क्या वह उसदिन रात में वहां रहना पसंद करेगी? वह यह बात सुनके फ़ोन के उपर ही शर्मा गई. मैं मेहसुस कर पा रहा था वह कितनी शरमाई हुई है. यह सुनके भी जवाब नहीं दिया. मैं फिर पुछा. वह धीरे से, शर्म के साथ बोली की वहां उनके मम्मी पापा के सामने शर्म आयेगा. वह सीधा मेरे साथ हमारे नये घर पे आना चाहती है. मैं समझ गया की वहां नाना नानी के रह्ते हुए, मेरे साथ यानि की उनके खुद के बेटे के साथ सुहागरात मनाने में शर्म और लाज उनको घिरके रखेगी. इस लिए वह यहाँ आ जाना चाहती है. इसी घर पर, जो बस हम दोनों का घर बनेगा, वहां से हमारे नए रिश्ते में कदम रखना चाहती है. मैं उनकी हर खवाइश पूरा करना चाहता हु. वह ऐसे चुप होकर रह गई. मेरा मन ख़ुशी से काँप रहा है. मैं मन में कुछ शक्ति एकठ्ठा करके धीरे से पूछ
??ठीक है. हम मुंबई से दोनों यहाँ आजायेंगे??.
फिर में थोड़ा रुक के बोला
??मैं एक बात पुछ सकता हूँ?????
वह- धीरे से बोली
??पूछिए??
मैने प्यार से एकदम धीरेसे पुछा
??तुम हनीमून नहीं जाना चाहती हो???
मुझे लगा यह बात सुनके वह थोड़ा काँप उठि. शायद अंदर से वह हिल गई. क्यूँ की उन्होंने मुझे जिस तरह कंपकंपाती हुई आवाज़ से जवाब दिया, उसमे से मालूम करना कठिन नहीं की शायद एक दो आँसू भी गिर गया होगा. उन्होंने काँपती हुई आवाज़ से फुसफुसाकर बोली
??मैंने कभी सोचा नहीं था ??की मुझे ज़िन्दगी में दोबारा इतना सुख, इतनी ख़ुशी मिलने का सौभाग्य मिलेगी. मुझे इतना प्यार मिलेगा ??.??
बोलके माँ रुक गई. वह चुपके से रो रही है. मेरे छाती में एक कस्ट होने लगा. मैं उनको रोते हुए नहीं देख सकता. वह ख़ुशी के आँसू हो या दुःख के में उनकी आँखों से एक भी बून्द आँसू निकलने नहीं देना चाहता हु. वह फिर खुदको थोड़ा कण्ट्रोल करके बोली
??मैं जानती थी , कोई भी लड़की आप को पति के रूप में पाएगी तो वह दुनियाकी सबसे ज़ादा खुश नसीब होगी. आप का प्यार पाकर , मेरा यह जनम स्वार्थक हो गया. यह प्रार्थना करती हु, की में आप को हमेशा खुश रख पाऊँ . आप की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है. आप मुझे आप के साथ अगर पेड़ की छाओं में घर बसा ने के लिए भी कहेंगे तोह में वहां भी मेरा प्यार देके आप को सारी खुशियां देना चाहती हु. ज़िन्दगी की आखरि सांस में भी मैं आप की बाँहों में रहना चाहती हु. मैं आप का दिया हुआ सिन्दूर मांग मैं लेकर मरना चाहती हुं…..??


बोलकर माँ फिर रो पडी मैं बिचलित हो गया. मैं उनको कैसे सान्तवना दूंगा वह समझ नहीं पाया. मेरी सारी बातें, सारा कहना, सारा प्यार उठके आकर गले में अटका हुआ है. मैं भी भाबुक हो गया. मैं धीर से उनको बोला
?? अरे??.दुनियाकी सबसे ज़ादा खूबसूरत और प्यारी लड़की जब रोती है, तब मुझे सबसे ज़ादा कस्ट होता है और वह लड़की अगर मेरी बीवी है तोह उसी कस्ट से मेरा दिल टूट पडता है. फिर भी तुम रोओगी???
मेरी इन बातों से वह थोड़ा खुद को कण्ट्रोल करके बोली

मैं जानती थी , कोई भी लड़की आप को पति के रूप में पाएगी तो वह दुनियाकी सबसे ज़ादा खुश नसीब होगी. आप का प्यार पाकर , मेरा यह जनम सार्थक हो गया. यह प्रार्थना करती हु, की में आप को हमेशा खुश रख पाऊँ . आप की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है. आप मुझे आप के साथ अगर पेड़ की छाव में घर बसा ने के लिए भी कहेंगे तोह में वहां भी मेरा प्यार देके आप को सारी खुशियां देना चाहती हु. ज़िन्दगी की आखरि सांस में भी आप की बाँहों में रहना चाहती हु. मैं आप का दिया हुआ सिन्दूर मांग लेकर मरना चाहती हुं…..??

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बोलकर माँ फिर रो पडी मैं बिचलित हो गया. मैं उनको कैसे सान्तवना दूंगा वह समझ नहीं पाया. मेरी सारी बातें, सारा कहना, सारा प्यार उठके आकर गले में अटका हुआ है. मैं भी भाबुक हो गया. मैं धीर से उनको बोला
?? अरे??.दुनियाकी सबसे ज़ादा खूबसूरत और प्यारी लड़की जब रोती है, तब मुझे सबसे ज़ादा कस्ट होता है और वह लड़की अगर मेरी बीवी है तोह उसी कस्ट से मेरा दिल टूट पडता है. फिर भी तुम रोओगी???
मेरी इन बातों से वह थोड़ा खुद को कण्ट्रोल करवाया. और फिर सिसकि लेके थोड़ा हास्के सिचुएशन को हल्का करने लगी खुद ही. प्यार भरी आवाज़ में थोड़ा फेक गुस्सा दिखाके बोली
??बस ..हमेशा झुट बोलके मुझे खुश करने की जरुरत नही मैं जानती हु.. में इतनी खूबसूरत नहीं हु. और में अभी भी आप की बीवी नहीं बनी????
मैन समझ गया वह धीरे धीरे सहज हो रही है. हालां की अभी भी थोड़ा थोड़ा सिसकि की आवाज़ आ रही है , फिर भी खुद को संभाल रही है. मैं भी सिचुएशन को लाइट करने लगा. मेरे दिल की बात, मेरी अन्तरात्मा की बात आसान तरीके से बताने लगा, मैंने कहा
??मैं सच मुच लकी हु..ऐसी सुन्दर प्यारी लड़की को खुद के बीवी के रूप में पाकर. क्या तुम खुद की छाती पे हाथ रख के कह पाओगी की तुम मेरी बीवी नहीं हो????
इस बार वह थोड़ा ज़ादा हास् पडी. और शरमा भी गई. फिर एक सिसकि लेके रोना एकदम बंध करके धीरे से बोलि
?? अगर में आप की बीवी होती तो आप मुझे मेरे नाम से बुलाते??.
मै इस बात पर खुद ही हस पडा मैं माँ से बात करते वक़्त कुछ नहीं बुलाता हु. इस लिए कभी कभी एक अजीब सिचुएशन में पड़ जाता हु और वह लेकर माँ मुझे हमेशा बोलती है. वह नहीं चाहति की में उनका बेटा बनके रहू. वह चाहती है में उनका पति बनके खुद को उनके पति के रूप में स्वीकार कर लु. मैं उन्हें कहा
??मुझे नाना नानी के सामने नाम से बुलाने में शर्म आएगी??.
वह बोली
??तो ठीक है . मम्मी पापा के सामने न बोलिये, लेकिन जब वह लोग नहीं है, तब तोह कह सकते है.??
मैने थोड़ा रुक रुक कर कहा
??हाँ ??वह कह सकता हु??????
बोलके दोनों चुप हो गये, एक दूसरे को फ़ोन के उस तरफ रहके प्यार जताने लगे खामोश बनके. थोडे टाइम बाद में धैर्यपूर्वक बोला
??तो अब बताओ??.??
वह गले में एक मिठास और प्यार लेकर धीरे से कहि
??क्या??????
मै आँख बंध करके फुसफुसाकर बोला
??मेरी मंजु कहाँ जाना पसंद करेगी हमारे हनीमून पे???
उनको पहली बार नाम से बुलाके खुदको एक अलग नशे में डुबा हुआ मेहसुस कीया. वह भी मेरे जैसे प्यार के नशे में बंध होकर फुसफुसाकर बोली
??आप जहाँ लेकर जाएंगे, आप की मंजु आप के साथ जाने के लिए तैयार है????
ऐसे ही एक इमोशनल मोमेंट्स से में उनको नाम से बुलाना चालू किया. और पिछले दो दिन से ऐसे ही चल रहा है. और अब माँ खुद को ज़ादा मेरी पत्नी महसुस कर रही है, और में भी उनको ज़ादा मेरी पत्नी मेहसुस कर रहा हु.

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मैने मेरी होनेवाली बीवी के लिए कुछ गिफ्ट ख़रीदे. मैं जितने दिन से जॉब कर रहा
हु तब से मेरे सारा पैसा बैंक में जमा हो रहा है. मुझे सैलरी भी अच्छी मिलति है. पिछले कुछ महीनो से मेरे अकाउंट में काफी पैसा भी जमा हुआ है. हा..मुझे मालूम है की में अब फॅमिली स्टार्ट करने जारहा हु तो मुझे पैसे की जरुरत है. फिर भी में माँ के लिए कुछ अच्छे अच्छे गिफ्ट परचेस किया.. एक नेकलेस लिया. आज कल की ट्रेंड में जैसे सब लड़कीया एक पैर में पतली चेन जैसी पायल पहनती है, वैसे में एक पायल ख़रीदी. उनके गुलाबी पैरों में वो एक पायल बँधेगी तो वह उनको और सेक्सी बना देगी. फिर में कुछ साड़ी भी लिया. सब में हमारी नई स्टील की अलमारी में रख दिया उनके लिये. वह यहाँ आकर जब आलमारी खोलेगि, तब यह सरप्राइज उनके लिए है.

इन सब व्यस्तता के बीच पूरा हप्ता कैसे निकल गया मालूम नहीं पडा शायद शादी का दिन जितना आगे आ रही था , मन उतना चंचल हो रही था इस लिए शायद मेरे मन ने समय का ख्याल ही नहीं किया. मुझे बस यहाँ एमपी में माँ आने से पहले सब कुछ ठीक करके रखना था वह अब हो गया. अब उनका मैयका और ससुराल दोनों ही एक है. इस लिए में एमपी के घर को उनके ससुराल जैसा बनाने की कोशिश किया. यही उनके पति का घर होगा.

मैं ऑफिस में सिग्नेचर करके घर जाकर बैग वगेरा उठाया और दौड के स्टेशन जाकर ट्रैन पक़डी. हालां की मैं टिकट पहले से बुक करके रखता हु. मैं मेरे कुछ कपडे और जरुरी कुछ सामान लेकर बैग पैक किया. मुझे तीन चार दिन रहना है. मुंबई में भी जाना है. शादी का शेरवानी तो बन गया. बाकि में कुछ नये कपडे भी ख़रीदे थे. शादी में माँ के लिए जो भी चाहिए सब नाना नानी खरीद रहे है. मुझे बस जाना है, शादी करनी है और अपनी बीवी को लेकर आना है. और इस बात पे मैं माँ दुल्हन के भेष में कैसी लगेगी यह सोच के आँख बंध करके उनको सोचने लगा. आज तक मैं केवल उनका खूबसूरत प्यारा चेहरा, लम्बा गला , सूडोल गर्दन, गोलगोल हाथ, गुलाबी मुलायम छोटे छोटे पैर, और फ्लैट सेक्सी पेट ही देखा. बार बार उन सब की झलक भी दिमाग में आने लगी. मुझे उन सब में प्यार भरा चुम्बन लेने के लिए तरस रही हु. मैं पिछले ६ साल से उनको कितनी बार मेरी बाँहों में, मेरे पास, मेरे शरीर के साथ मिलाकर कल्पना कि है. और आज हमारा नसीब हम दोनों को पति पत्नी बना के ज़िन्दगी गुज़ार ने का एक सुनहरा मौका दे रही है. मेरे मन इस लिए ज़ादा माँ को प्यार करने लगा क्यों की वह भी यह चाहती है अपनी मन से. वह भी अपनी ज़िन्दगी केवल मेरी पत्नी बनके ही गुज़ारना चाहती है. हम दोनों के नसीब में यह लिखा हुआ था. और इस वजह से क़ुदरत ने भी उनको शायद ऐसे बनाया है. आज भी उनको देखके लगता है वह एक कुवारी जवान लड़की हो उनका शरीर का गठन ही ऐसा करके भेजा क़ुदरत ने. देख के कोई नहीं बोल सकता की वह मेरी माँ है. और वह अब ३६ साल की है. मैं २० का होकर भी मेरे गठन और शरीर का मजबूत गठन मुझे उमर से ज़ादा म्याचुर्ड लगता है. माँ जब मेरे साथ होती है, तब आजतक कोई कभी भी बोल नहीं पाया की वह मेरी माँ है. कोई कोई उनको मेरी बहन समझता है. अब हमें यह एक फ़ायदा क़ुदरत ने दे के रखा है. शादी के बाद हमारी उमर का जो फरक है, वह लेके किसीके मन में कोई सवाल पैदा होनेवाला नहीं है. यहाँ नई जगह पे नए लोग और ऑफिस कलीग में से कोई भी कुछ नहीं समझ पाएँगे. यह एक बड़ा भार छाती के ऊपर से निकल गया.

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क़ुदरत ने सब तोह ठीक से दिया, लेकिन एक चीज़ से में हमेशा मन ही मन परेशान रहता हुं.

स्कूल लाइफ से आज तक जितने सारे फ्रेंड थे, वह लोग हमेशा लड़किओं के बारे में बात करते थे मुझे मालूम नहीं वह लोग कैसे और कहाँ से यह सब जान के आते थे पर वह लोग बोलते थे की जिस लड़की की हिप्स चौड़ी होती है और पेट के नीचे वाला हिस्सा यानि की कोख और ग्रोइन एरिया चौडा होता है, वह लड़की को गर्भ धारण करने के बाद पेट् में बच्चा धरण करने में आसान होता है. और उन लड़किओं की पुसी भी बडी होते है. मैं आज तक कोई लड़की से कोई सम्बन्ध नहीं बनाया. सो मुझे प्रक्टिकली कुछ पता नहीं था इस लिए मन में डर था माँ का बदन मध्यम स्ट्रक्चर की है. फ्लैट पेट के बाद पतली कमर है. और उनके नीचे ऊँचा ऊँचा हिप्स के साथ उनका वह पूरा एरिया पर्फेक्ट्ली शेप्ड है. ज़ादा चौड़ी या ज़ादा पतला नही उसदिन फ़ोन पर माँ उन की उमर के वजह से दोबारा माँ बनने के बारे में अपनी दुविधा जतायी थी. मैं जानता हु उनके पास भी कम टाइम है. इस लिए हमें शादी के बाद ही बेबी के लिए कोशिश करनी पडेगी. अगर नसीब में है तो ठीक है. अगर नसीब साथ न दे तो माँ के प्रति मेरे प्यार में कोई कमी नहीं आएगी. मैं उनसे प्यार करता हु. मैं उनको खुश रखना चाहता हु. इस लिए मालूम है की वह अगर फिर से माँ बनी तो वह बहुत बहुत खुश होंगी. मुझे उनकी ख़ुशी के लिए सब कुछ करना है. पर एक चीज़ जो मेरे मन को काटे जा रही है की क्या में उनके साथ ठीकसे शारीरिक सम्बन्ध बना पाउँगा!! क्या में उनको परिपूर्ण संतुस्टि दे पाउँगा!! क्यूँ की में जानता हु मेरे लिंग बाकि लोगों से मोटा और थोड़ी लम्बा तो है हि, पर प्रॉब्लम मेरे लिंग कैप को लेकर. उत्तेजना से वह फूल के एक गोल बॉल जैसा बन जाता है और बहुत बड़ा हो जाता है. क्या में माँ के नरम और छोटे शरीर के अंदर उनको बिना कस्ट देकर मेरे यह लिंग ठीक से अंदर डाल पाउँगा!! यहि सब बातें मेरे मन को काट ता है. क़ुदरत ने न जाने क्या रखा है हमारे नसीब मे.

अहमदाबाद पहुंच कर घर पहुँचने तक मेरे छाती में एक अजीब तरीके से एक अनुभुति खेल रही थी ख़ुशी भी हो रही थी थोड़ी शरम, थोड़ी अन्जान चिन्ता..सब सब मिलके शरीर में एक हल्का हल्का कम्पन फील करने लगा. डोर बेल बजाते टाइम शायद मेरे हाथ थोडा काँप गया. अन्दर जो लोग है सबके साथ बस दो दिन बाद से रिलेशन चेंज हो जाएगा. नाना नानी मेरे साँस ससुर बन जाएंगे, में उनका एक लौता दामाद, माँ मेरी पत्नी और में उनका पति बन जाऊंगा. नानी इस बार एकदम खुश होकर और चौड़ी स्माइल के साथ मुझे अंदर स्वागत किया. नानाजी भी एक कुरता और पाजामे पहनके मुह पे चौड़ी हसि लेके मेरी तरफ हाथ फैलाके आये और गले लगाया. मैं उनलोगों के पैर पड़कर ड्राइंग रूम में जाके बैठा. एक तो गर्मी , साथ में एक अनजान अजीब टेंशन . पसिनेसे एकदम गिला हो गया था पंखा खोल के नानाजी भी सोफ़े पर बैठ गया. माँ तभी पानी लेके आई. मैं माँ को एक झलक देखा . इस बार अचानक माँ को चेंज लगा. हालां की उनके अंदर वहि पुराणी शर्म , लाज थी फिर भी आज थोड़ी अलग लगी. जैसे की एक ग्लो उनके चारो तरफ से निकल रही है. पहले से थोड़ी सहज तो हो गयी नाना नानी के सामने, तभी भी उनका चेहरा भी ज़ादा ख़ुशी से भरा लगा. जैसे कोई कुंवारी नवजवान लड़की अपनि शादी से पहले हो जाती है, और होनेवाले पति के सामने एक शरम, संकोच और दबी हुई चाहत से पेश होती है, वैसे माँ आज लग रही है. पिछले वीकेंड में लास्ट देखा था. पर अब वह और सुन्दर , खूबसूरत और सेक्सी लगने लगी. मेरा मन अचानक एक दम ख़ुशी से पिघलने लगा . और माँ के लिए एक अलग फीलिंग्स से मेरे अंदर में तोड़ फोड़ होने लगी. आज यह बिस्वास मेरे मन में गाँठ कर गया की दुनिया में और भी खूबसूरत लड़कियां हो सकती है, पर मेरे नज़र में माँ से ज़ादा कोई खूबसूरत हो नहीं सकती. और में बचपन से ऐसे ही एक लड़की को मेरी बीवी बनके पाना चाहता था और दो दिन में यह खूबसूरत और सेक्सी लड़की मेरी पत्नी बनके मेरी बाँहों में होगी.

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आज शाम को एक अलग माहोल मिला घर पर. हमेशा वही टीवी देख के , काम कि बात करके , डिनर करके बस सैटरडे नाईट ख़तम होती था पर आज सब अलग मूड में थे. नाना नानी बहुत सारी हसि की बात बता रहे थे. हम सब हस रहे थे. माँ भी कभी कभी कुछ काम के लिए ड्राइंग रूम में आति थी तो उनके होठ पे भी चौड़ी स्माइल दिखाइ देता था हालां की माँ अभी तक एक बार भी डायरेक्टली नहीं देख रही है मेरी तरफ. फिर भी दो चार बार हमारी नज़र मीली. और वह तुरंत शर्माके नज़र घुमा लि. कल हम शाम को मुंबई के लिए निकल जाएंगे. रात की ट्रैन ले रहे है और एकदम सुबह सुबह बांद्रा टर्मिनस पे पहुच जाएंगे. फिर वहां से टैक्सी लेके रेसोर्ट. वहाँ जाके फ्रेश होकर , ब्रेकफास्ट वगेरा कर लेंगे और उसके बाद हम रेस्ट करेंगे. फिर शाम को एक रसम होगी. पण्डितजी भी रहेंगे. और रात को डिनर करके सब जल्दी सो जाएंगे. क्यूँ की नेक्स्ट डे यानि की मंगलवार सुबह शादी का मुहूर्त है. यहाँ यह लोग अपना अपना पैकिंग वगेरा कर लिया है. एक अलग सूटकेस में मेरी शेरवानि, माँ का शादी का जोडा, और भी शादी का बहुत सारा सामान अलग से पैक करलिया. बात करते वक़्त में नानी को ??नानीजी?? ही बुला रहा था अचानक एक जगह पे बात करते करते नानी मेरे तरफ देख के चुप हो गई. कुछ पल मेरे तरफ नज़र टिकाके रखि. और फिर हास पडी. मैं समझ नहीं पाया. नानीजी नानाजी को देखा तो नानाजी भी हास रहे थे. फिर नानाजी बोले ?? हो जायेगा सुजाता धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा??.
मैन संमझा नहीं वह लोग किस बारे में बात कर रहे है. मेरे आँखों में वह सवाल पढलिया नानीजी. और फिर मुझे देख के हस्ते हस्ते बोलि
?? मुंबई जाकर फिर ऐसा मत करना बेटा. वहाँ और भी लोग होंगे??.
मै चुप होकर सुन रहा था मेरे दिमाग में माँ ऐसी छाई हुई है की में हमेशा उनको लेकर बहुत सारे सपने देखने लगा. इस लिए यहाँ बात के बीच में में लिंक खो बैठा. मेरी हालत देख के नानीजी फिर बोली


?? अब तो मुझे नानीजी मत बुलाओ. मम्मी बोलना सुरु कर दो. नहीं तो रिसोर्ट में नानी बोल दिया तो सब गड़बड़ हो जायेगा??.
बोलके नानीजी जोर जोर से हॅसने लगी. नानाजी हास रहे थे पर नानी जैसा जोर जोर से नही में इन सिचुएशन में थोडा अजीब फील करने लगा. साथ ही साथ शर्म भी . क्यों की बचपन से इन लोगों को नाना नानी बुलाता आया हु. आब मुझे मम्मी पापा बुलाना पडेगा. पर करना तो पडेगा. नहीं तो हमारे लाइफ में बहुत सारे अनवांटेड प्रॉब्लम आ सकते है चारों तरफ से. मैं भी तय कर लिया में मम्मी पापा ही कहुंगा. पर सुरु कैसे करें यहि प्रॉब्लम था पर अभी नानीजी सीधा बोल दि और जो बोली वह सच मुच ठीक भी है. शादी में नानाजी माँ को सम्प्रदान करेंगे और नानीजी मेरे तरफ से जितनी सारी रसम है वह सब सम्पन्न करेंगेमैं बस हास के गरदन झुका के इस परिस्थिति को सहज करने लगा.

फिर और बहुत सारी इधर उधर की बात होने के बाद हम सब ने डिनर कर लिया. आज माँ थोड़ी सहज तो है पर सामने थोड़ी कम आरही है. और चुराके देख भी नहीं रही है. मेरी नज़र चारों तरफ घूम रही थी शायद माँ कहीं दिख जाये मेरी तरफ नज़र देते हुये. पर वह आज पूरी शाम बस खाना पकाने में जूटी रही और किचन से बाहर कम निकली. मुझे उनको देखणे, उनको पास में पाने की चाहत एकदम चरम सीमा पे था पर में भी मन को दबाके सब के सामने सहज होकर बैठा था खाना खाकर हम सब अपने अपने रूम में चले गये. मैं थोडा एक्ससायटेड हो रहा था अगर आज रात माँ एक बार एकांत में मेरे पास आने के लिए चाहे तो में सब बाधा सब संकोच तोड़के उनको प्यार करना चाहता हु. जब मन में हम एक दूसरे को पति पत्नी मान लिया है और एक दूसरे के पास हम सरेंडर कर दिए पूर्ण निष्ठा के साथ , जब मानसिक तरीके से एक दूसरे को ग्रहण कर चुके है तो शारीरिक तरीके से क्यों न मिल पाये. मैं इस के लिए तैयार हु, मेरे मन में कोई दुविधा नहीं रही.

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