हमेशा की तरह अभिलाषा उसका वेट कर रही थी. विमल के अंदर जाते ही विमल ने चुपके से अभिलाषा की रूममेट से नज़रे मिलाई और इशारा हुआ. Hindi Sex Story
अभिलाषा की रूममेट हमेशा की तरह अभिलाषा को विमल के साथ छोड़कर बाहर गयी. अभिलाषा की रूम मेट खुली खिड़की के बाहर अपना कॅमरा लिए तैयार थी.
विमल ने इस दौरान अपना चेहरा सामने नही आने दिया. उसकी पीठ ही हमेशा खिड़की की तरफ रही. अभिलाषा अपनी आदत के अनुसार विमल के साथ चुदाई करवाती रही और उसकी रूम मेट शूट करती रही.
जब अभिलाषा को वो एमएमएस मिला तो उसको विमल पर ज़रा भी शक नही हुआ क्यू की कॅमरा हाथ मे पकड़े होने से लगातार हिल रहा था. विमल खुद चुदाई करते हुए शूट तो कर नही सकता था.
अभिलाषा का शक कभी अपनी सहेली और रूममेट पर गया ही नही. उसको लास्ट टाइम तक पता नही चला की वो शरारत किसने की. हालाँकि उसको यह पता था की इसके पीछे डॉली ही हैं.
विमल ने अपना काम कर दिया था. विमल ने डॉली को अपने एक दोस्त की किराए की खोली(स्माल रूम) मे बुलाया. इलेक्शन से एक दिन पहले जब कॉलेज मे हलचल मची थी, दूसरी तरफ विमल और डॉली एक ही खोली मे मिलन को तैयार थे.
डॉली ने उस खोली को चारो तरफ से चेक किया की कही उसका खुद का वीडियो तो नही बन रहा हैं.
विमल: “क्या ढूँढ रही हो?”
डॉली: “जो लड़का अपनी गर्ल फ्रेंड को धोखा दे सकता हाँ वो मेरे साथ भी धोखा कर सकता हैं”
विमल: “मैं एक ग़रीब हूँ, मुझे मरना थोड़े ही हैं एक पवरफुल पॉलिटीशियन की पवरफुल बेटी का ऐसा वीडियो बना कर. मेरी पूरी ज़िंदगी जैल मे गुजर जाएगी”
डॉली: “तुम्हे एक अमीर लड़की को चोदना था. लो मैं तुम्हारे सामने खड़ी हूँ, जो करना हैं कर लो”
विमल: “तुम चाहती तो मना भी कर सकती थी. तुम्हारा काम तो हो ही चुका हैं अभिलाषा को बदनाम करने का”
डॉली: “मैं अहसान फारमोश नही हूँ. तुम्हारा दिल टूटा हैं, मैं चुदवा कर उस घाव को भरँगी. फिर कल तुम मेरे लिए वोटिंग करने के लिए अपने साथियो को मनाओगे भी तो”
विमल: “तुम एक दिन बहुत बड़ी पॉलिटीशियन बनोगी”
विमल आगे बढ़ा और डॉली की महँगी फ्रॉक का हुक खोल कर उसको डॉली के शरीर से दूर कर दिया. डॉली अपने महँगे ब्रा और पैंटी मे खड़ी थी.
विमल ने आगे बढ़कर डॉली के ब्रा को छुआ और डॉली के बूब्स की मोटाई को महसूस किया. दूसरे हाथ से महँगी रेशमी पैंटी को अपना हाथ लगा कर डॉली की चूत पर रगड़ा.
विमल: “इस खोली मे हमेशा बदबू आती हैं. आज यह खोली तुम्हारी खुश्बू से महक रही हैं”
डॉली: “कल इलेक्शन हैं और तैयारी करनी हैं. तुम जल्दी से कर लो, देर हो रही हैं”
विमल: “तुम खुद मेरे उपर चढ़ कर मुझे चोद क्यू नही देती! तुम्हे जितनी जल्दी हैं, उतना जल्दी मेरे साथ कर लो”
डॉली: “ठीक हैं. अपने कपड़े निकालो”
विमल खड़ा मुस्कुराता रहा. डॉली आगे बढ़ी और विमल का शर्ट और पैंट निकालने लगी. इस दौरान विमल अपने हाथ से डॉली के ब्रा और पैंटी के साथ ही उसके नंगे बदन को छूता रहा.
विमल को नंगा करते ही डॉली ने उसको वहाँ नीचे लिटा दिया. फिर डॉली ने अपनी टाँगो से अपनी पैंटी बाहर निकाली. विमल की आँखों मे चमक आ गयी जब उसने डॉली की नंगी चूत को देखा.
डॉली ने कॉंडम निकाला और नीचे बैठ कर विमल के लंड को दो तीन बार पकड़ खींचा. विमल का लंड इतनी देर से वैसे ही कड़क हो चुका था.
डॉली ने वो कॉंडम विमल के काले लंड को पहना दिया और जल्दी से विमल के लंड पर सवार हो गयी. विमल की नज़रो के सामने अब डॉली की पतली गोरी कमर और नाभि थी.
डॉली ने विमल का लंड पकड़ा और अपनी चूत मे घुसा दिया. विमल की आँखें एक बार बंद हो गयी. इतनी चिकनी लड़की की चुदाई का हमेशा सपना देखा था और वो सपना पूरा हो चुका था.
वो भूल गया की अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उसने अपनी गर्लफ्रेंड की इज़्ज़त ही नीलाम कर दी थी. डॉली ने उपर नीचे उछलते हुए विमल को चोदना शुरू कर दिया था.
डॉली के उछलने से उस महँगे ब्रा मे से उसके गोरे बूब्स भी उपर नीचे हिल रहे थे और ब्रा से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे.
विमल ने अपना हाथ आगे करते हुए उन नंगे बूब्स को छूना चाहा. और ब्रा पर अपनी उंगलिया घुमाने लगा.
डॉली ने अपनी ब्रा का हुक खोल कर अलग किया. अब विमल आहें भरते हुए डॉली के उन गोरे दो मम्मों को उपर नीचे उछलते देखने के मज़े ले रहा था.
बीच बीच मे विमल अपने हाथ से डॉली के निपल को एक उंगली से दबा देता जैसे डोर बेल बजा रहा हो. डॉली के निपल भी विमल के दबाने से थोड़ा मम्मों के अंदर घुस जाते और छोड़ते ही स्प्रिंग की तरह फिर तन कर खड़े हो जाते.
विमान मूह खोले ” श श ” की आवाज़े निकलता अपने चरम की तरफ बढ़ने लगा.
विमल ने अपने हाथ दोनो तरफ फेला दिए और नशीली आँखों से डॉली के नंगे बदन को देखते हुए सिसकिया मारता रहा.
अचानक से विमल की चीखे तेज हो गयी. वो लगभग दहाड़ने लगा था. डॉली ने अपने उछलने की गति और तेज कर दी.
विमल: “ईईई ईईईह उम्म्म्म ऑश डॉली ….. चोद दे … आआईईए … उहह आआहह”
विमल झड़ कर शांत हो गया और फिर डॉली 5-6 बार और उछलने के बाद रुक गयी. विमल गहरी साँस ले रहा था.
डॉली ने फिर विमल का लंड अपनी चूत से बाहर निकाला. इतना गाड़ा पानी निकला था की कॉंडम लगभग डॉली की चूत से चिपक गया था.
विमल का कॉंडम चढ़ा लंड अभी भी झटके मार कर तड़प रहा था. डॉली ने जल्दी से अपनी ब्रा और पैंटी पहन ली.
विमल वही पड़े लेटे हुए डॉली के खूबसूरत बदन को फिर से कपड़ो मे च्छुपता देखता रह गया.
डॉली ने अपने कपड़े पहन लिए तब तक विमल वही चुदाई के नशे मे पड़ा रहा. उसको इसी हाल मे छोड़कर डॉली चली गयी.
उस साल का इलेक्शन भी डॉली जीत गयी थी. मगर डॉली ही जानती थी की उसने इस बार भी अपनी इज़्ज़त गवा कर इलेक्शन की जीत खरीद ली थी.
अगले एपिसोड मे जानिए क्या डॉली कॉलेज के थर्ड एअर मे भी इलेक्शन जीत पाई या नही.
डॉली का सपना था की वो लगातार तीसरे साल भी चुनाव जीत जाए. मगर इस बार मामला कुच्छ और था. डॉली का छोटा भाई जय इसी साल कॉलेज के फर्स्ट एअर मे आया था.
जय और डॉली की आपस मे नही बनती थी, इसका कारण वो एक अफवाह थी. डॉली ने मान लिया था की जय को उनकी मा ने अपने ड्राइवर राजेश की मदद से पैदा किया था.
जय ने भी ज़िद पकड़ ली की इस बार कॉलेज के इलेक्शन मे वो ही खड़ा होगा. पार्टी अब चिंता मे पड़ गयी की किसको टिकेट दे.
पार्टी ने फिर डॉली को टिकेट दे दिया. यह बात जय का ठीक नही लगी और उसने अपोजीशन पार्टी से टिकेट ले लिया. यह वोही पार्टी थी जो पिच्छले दो साल से डॉली के नाजायज़ तरीके से हार रही थी.
डॉली को भी पता था की कोई बाहर का होता तो उसको अपने नाजायज़ तरीक़ो से अपने रास्ते से हटा देती पर अब सामना अपने ही छोटे भाई से हैं जिसके सामने उसके यह तरीके नही चलेंगे.
मामला डॉली और जय की मा ज्योति के पास पहुचा. वो तीनो अब इस बात पर डिस्कशन कर रहे थे.
डॉली: “मम्मी, आप इस जय को बोलो की यह अपना नॉमिनेशन वापिस ले ले”
जय: “देखो मा, डॉली दीदी पिच्छले 2 साल से इलेक्शन जीत रही हैं. अभी इनको पीछे हटना ही पड़ेगा वरना इलेक्शन मे आमने सामने आ जाओ”
ज्योति: “भाई बहन होकर तुम आपस मे मत लडो. तुम्हारे पापा की भी बदनामी होगी”
डॉली: “इस जय को क्या फ़र्क पड़ता हैं! बदनामी तो सिर्फ़ मेरे पापा की होगी ना!”
ज्योति: “डॉली, मूह संभाल कर बात करो”
डॉली: “सॉरी मम्मी, मगर मैने तो वो ही कहा जो लोग बात करते हैं. अब हम किस किस का मूह बंद करवाए!”
जय: “मम्मी आप ही इसको समझाओ, वरना मैं पापा के पास जाउन्गा”
डॉली: “जा, ड्राइवर राजेश के पास, तेरे पापा तो वोही हैं”
जय ने डॉली की कलाई पकड़ कर ज़ोर से दबा दी और डॉली चीखने लगी.
ज्योति: “जय छोड़ डॉली को. तेरी बड़ी बहन हैं”
जय: “तो आप इसको समझाती क्यू नही. यह बार बार ना सिर्फ़ मेरा मज़ाक उड़ाती हैं पर इनडाइरेक्ट्ली आपके कॅरक्टर पर भी उंगली उठा रही हैं”
ज्योति: “डॉली, तुम जो कर रही हो सही नही हैं. और तुम क्या राजेश बोल रही हो! उनकी और अपनी उम्र देखो.”
डॉली: “सॉरी मम्मी, आपको दुख पहुचा हो तो. मैं राजेश अंकल बोलूँगी. पर जय चाहे तो उनको पापा बोल सकता हैं”
जय नाराज़ होकर वहाँ से जाने लगा. डॉली आए दिन जय को ड्राइवर राजेश अंकल का बेटा बोलकर चिड़ाती थी. जय भी इसको अब सच मान चुका था.
ज्योति ने जय को वही बैठने के लिए बोला.
ज्योति: “डॉली, तुम पिच्छले दो साल से इलेक्शन जीत रही हो, अब जय को भी मौका दो”
डॉली: “मेरा लास्ट एअर हैं, इसको अगले दो साल तक मौका ही मौका मिलेगा. यह अगले साल लड़ लेगा”
जय: “मुझे भी तीनो साल इलेक्शन जीतना हैं. मैं पीछे हटने वाला नही. डॉली दीदी को डर लग रहा हैं की वो मुझसे जीत नही पाएगी”
डॉली: “मैं तुमसे क्यू डरूँ!”
जय: “मैने भी सुना हैं की आपने पिच्छले दो साल मे इलेक्शन कैसे जीता हैं. इस बार किसके सामने अपने कपड़े खॉलॉगी!”
ज्योति: “जय चुप हो जा, वो तेरी बड़ी बहन हैं. इस तरह के गंदे इल्ज़ाम लगाते शर्म नही आती”
जय: “सॉरी! मगर यह भी मुझको राजेश अंकल का नाम लेकर छेड़ती रहती हैं”
डॉली: “ठीक हैं, अब नही छेड़ूँगी, तू अपना नॉमिनेशन वापिस ले ले. मुझे अगले साल मुंसीपल इलेक्शन लड़ना हैं. एक और जीत के साथ मैं वहाँ जाना चाहती हूँ”
जय: “दीदी, मैं पीछे हटने वाल नही हूँ”
ज्योति: “तुम अब भी बच्चो की तरह लड़ रहे हो. बचपन मे कैसे एक दूसरे को कोई चीज़ देकर मना लेते थे. वैसा कुच्छ कर लो”
डॉली: “जय तू बोल, क्या चाहिए. तेरी जो भी शर्त हैं मैं मानने को तैयार हूँ”
जय: “सोच लो, मैं कुच्छ भी ख़तरनाक शर्त रख सकता हूँ”
डॉली: “मैं इस इलेक्शन के लिए अपनी जान भी दे सकती हूँ और ले भी सकी हूँ. तू बस बोल क्या करना हैं”
जय: “तुम मुझे हमेशा छेड़ती रहती हो की मैं राजेश अंकल का बेटा हूँ. आप एक काम करो. आप राजेश अंकल के लड़के अमर से प्रेग्नेंट हो जाओ”\
ज्योति: “जय……. यह क्या बदतमीज़ी हैं.”
ड्राइवर राजेश अभी 45 साल का हैं. ज्योति से 3 साल बड़ा. राजेश का बड़ा बेटा अमर 22 साल का हैं. और छोटी बेटी पायल 19 साल की हैं. इसी पायल के बारे मे कहा जाता हैं की वो नेता सतीश की नाजायज़ औलाद हैं जो सतीश ने राजेश से अपनी पत्नी की चुदाई का बदला लेने के लिए किया था.
जय: “मैने सिर्फ़ बोला हैं. मैने करने को थोड़े ही बोला हैं. मैने बस एक मुश्किल शर्त रखी हैं. डॉली दीदी को मंजूर हैं तो ठीक हाँ वरना इनको इलेक्शन से अपना नॉमिनेशन वापिस लेना होगा”
डॉली: “मैं रेडी हूँ”
ज्योति: “डॉली! तू पागल हैं क्या? यह खेल बंद करो. तुम मे से कोई इलेक्शन नही लड़ेगा इस बार. प्राब्लम ही ख़त्म”
डॉली: “नही मा. मैं इलेक्शन हर कीमत पर लड़ूँगी, आप भले ही नाराज़ हो या ना हो. अगर आप चाहती हो की मैं राजेश अंकल के बेटे अमर से प्रेग्नेंट ना हू तो आप जय को समझाओ”
ज्योति: “जय, तू अभी का अभी अपनी शर्त वापिस ले. तू अपना नॉमिनेशन भी वापिस ले ले. तू समझदार हैं ना!”
जय: “हमेशा से मुझे ही झुकना पड़ता हैं. अब मैं नही झुकने वाला”
ज्योति: “तुझे पता हैं की डॉली कितनी ज़िद्दी हैं. वो अपनी ज़िद के लिए कुच्छ भी कर सकती हैं. इसलिए इसको इस बार जाने दे”
जय नही माना और वहाँ से चला गया. डॉली भी चली गयी. अब ज्योति टेन्षन मे आ गयी. वो सीधा अपने पति सतीश के पास गयी.
ज्योति: “अब आप ही बच्चो को समझाओ. कॉलेज इलेक्शन की ज़िद को लेकर वो बहुत नीची हद तक उतर आए हैं”
सतीश: “हमने ही उनको सर चढ़ाया हैं. वो तुम्हारे ज़्यादा करीब हैं, तुम्ही समझाओ उनको. तुम एक पॉलिटीशियन की बीवी हो. कुच्छ तो तिकड़म भिड़ाओ और मनाओ उनको”
अगले दिन ज्योति ने अपने दोनो बच्चो को बुलाया. देखा तो सामने ड्राइवर राजेश अंकल और उनका 22 साल का बेटा अमर खड़ा था.
डॉली ने जय की तरफ देख कर होंठ हिला कर “पापा” बोला और जय को चिड़ाया. जय गुस्से मे भर गया. पर डॉली स्माइल कर रही थी.
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ज्योति: “अमर भी यही पर हैं. अब तुम दोनो बोलो तुम्हारा क्या फ़ैसला हैं”
जय: “मैं अपनी शर्त चेंज नही करने वाला. डॉली को मंजूर हैं तो वो करके बताए. मैं आज ही नॉमिनेशन वापिस ले लूँगा”
डॉली: “मैं रेडी हूँ. मुझे अमर से प्रेग्नेंट होने से कोई प्राब्लम नही हैं”
ड्राइवर राजेश एक नज़र ज्योति को देखता तो दूसरी नज़र डॉली को. अमर भी यह सुनकर आश्चर्य मे भर गया.
ज्योति: “डॉली, तुम तो रेडी हो पर अमर से भी तो पुच्छ लो की वो रेडी हैं या नही”
ज्योति ने राजेश को आँखों से इशारा किया. ड्राइवर राजेश ने अमर को धीरे से कुच्छ कहा.
अमर: “मैं इसके लिए रेडी नही हूँ”
डॉली बस अमर की शकल देखते रह गयी. आज तक लड़को ने उसकी खूबसूरती को देखकर लार ही टपकाई हैं. यह पहला लड़का था जिसने मान बोल दिया था.
शायद अमर के पापा राजेश ने उसको ना कहने की हिदायत दे दी थी इसलिए उसको ना कहना पड़ा. वरना डॉली को चोदने का मौका अमर कभी नही छोड़ता.
अमर को भी यह अफवाह पता थी की उसकी छोटी बहन पायल का असली बाप नेता सतीश हैं. जिसने गुस्से मे बदले की खातिर यह किया था. वो भी अपनी मा की बेइज़्ज़ती का बदला सतीश की बेटी डॉली से ले सकता था पर अपने पिता राजेश के कहने पर वो चुप रहा.
जय: “डॉली दीदी आप अपनी शर्त पूरी नही कर सकी, इसलिए आप नॉमिनेशन वापिस लो”
डॉली: “मैं तो शर्त के लिए रेडी हूँ. अमर रेडी नही तो मैं क्या करू! नॉमिनेशन तुम वापिस लो”
राजेश: “डॉली बेटा, ज़िद मत करो. यह ग़लत हैं”
डॉली: “राजेश अंकल आप मुझे मत सिख़ाओ की क्या सही हैं और क्या ग़लत”’
जय: “चुप करो दीदी. बडो से ऐसे बात करते हैं! मैं बिना शर्त के नॉमिनेशन वापिस ले रहा हूँ. आप राजेश अंकल को सॉरी बोलो”
डॉली ने एक स्माइल दी. फिर राजेश अंकल को सॉरी बोलते हुए वहाँ से चली गयी. जय भी गुस्से मे वहाँ से चला गया. ड्राइवर राजेश भी फिर अमर को लेकर जाने लगा.
ज्योति: “राजेश, तुम यही रूको कुच्छ काम हैं”
अमर फिर अपने पिता राजेश को वही छोड़कर चला गया.
ज्योति: “राजेश मेरे साथ अंदर कमरे मे आओ”
ज्योति अपनी जवानी मे भी बहुत खूबसूरत थी और आज 42 की उम्र मे भी उसकी खूबसूरती कायम हैं. लंबे काले बाल, गौरा रंग, पतली कमर के उपर फूली हुई छाती और शरीर का हर एक अंग सही अनुपात मे उसको आकर्षक बनाता हैं.
ज्योति और राजेश अब अंदर के कमरे मे आए. ज्योति ने दरवाज़ बंद किया.
कमरे के बाहर डॉली फिर से आई. उसने राजेश अंकल और अपनी मम्मी को अंदर जाते हुए देख लिया था.
तभी जय भी तैयार होकर बाहर जाने के लिए उधर से निकला. डॉली को वहाँ खड़े देखकर वो भी रुक गया क्यू की डॉली उसको देखकर हंस रही थी.
जय: “हंस क्यू रही हो! मैं कोई जोकर हूँ”
डॉली: “तुम्हारे पापा का जोकर फिलहाल मम्मी को खुश कर रहा हैं. अभी अभी अंदर कमरे मे गये हैं वो दोनो”
डॉली ने कमरे की तरफ इशारा किया और जय ने बंद दरवाके की तरफ देखा. फिर गुस्से मे डॉली को देखा. फिर तेज़ी से वहाँ से निकलने लगा.
जय: “शर्म नही आती हमारी मम्मी के लिए ऐसा बोलते हुए?”
डॉली: “मम्मी तो कर रही हैं. मैं बोल भी नही सकती क्या? तू कॉलेज जा रहा हैं, मैं भी आ रही हूँ तेरे साथ”
जय:”मेरे साथ आने की कोई ज़रूरत नही”
डॉली: “समझा कर. राजेश अंकल अंदर मम्मी के साथ बिज़ी हैं. मुझे कॉलेज कौन ड्रॉप करेगा!”
जय: “तुम पैदल चल कर जाओ”
डॉली: “तुम मुझे नही ले गये तो मैं दरवाजा नॉक करके राजेश अंकल और मम्मी को डिस्टर्ब करूँगी. सोच ले जय”
जय: “मैं बाहर खड़ा हूँ, जल्दी से तैयार होकर 5 मिनिट मे आ जाओ”
डॉली: “मुझे तैयार होना बाकी हैं”
जय: “जो पहन रखा हैं उसी मे चलो”
डॉली: “मैने लेस वाला ब्रा पहना हैं. कप वाला तो पहनने दे”
जय: “क्या फ़र्क पड़ता हैं”
डॉली: “तो तुम एकदम से बाइक का ब्रेक मत मारना. मेरा सामान दब जाता हैं”
जय: “तो आप चला लो बाइक”
डॉली: “ताकि तू पीछे बैठ कर मेरी कमर का माप लेता रहे”
जय: “आपके जो फालतू के दोस्त हैं उनके शौक होंगे ऐसे. मेरे नही”
डॉली: “अच्छा संडल पहन कर आती हूँ उतना वेट कर”
अगले एपिसोड मे जानिए इस अजीब फॅमिली की आगे की लाइफ कैसे जाती हैं.