समीर ने नेहा के पास फोन मिलाया। काफी देर घंटी जाने के बाद नेहा ने फोन रिसीव किया।
नेहा- हेलो।
समीर- बड़ी देर से उठाया। \
नेहा- भइया मैं सो रही थी। आप पहुँच गये?
समीर- हाँ पहुँच गया। चल मम्मी से बात करा।
नेहा- इस वक्त?
समीर- 7:00 बज चुके हैं।
नेहा- भइया यहां तो अभी रात के 3:00 बजे हैं।
समीर- “ओह माई गोड… सारी नेहा, चल सो जा बाद में बात करूँगा…” और समीर फोन काटकर रूम ही
संजना अभी भी सो रही थी।
समीर- “उठिये मेडम 7:00 बज चुके हैं..”
संजना अंगड़ाई ले
आहह… समीर आ जाओ..” और संजना ने समीर को अपने ऊपर खींच लिया।
समीर- मेडम आप जल्दी से फ्रेश हो जाओ, हमें मैनेजर लेने आ जायेगा।
संजना फिर भी समीर से लिपटे हुए समीर के होंठ चूम लेती है।
समीर- ऐसा लगता है में आप यहां पर आर्डर लेने नहीं हनीमून मनाने आई हो?
संजना- “ऐसा ही समझ लो…” और संजना ने समीर को लण्ड पकड़ लिया
समीर- “उफफ्फ… मेडम बस अब नहीं। मैं फ्रेश हो चुका हूँ..” ।
संजना- “अब तो तुम्हें सुबह शाम प्यार करना होगा, हनीमून तो ऐसे ही मनाते हैं..” और संजना समीर की पैंट खोलने लगी।
समीर- मेम, ये दिव्या के साथ धोखा है।
संजना- अभी कोई शादी थोड़े हुई है तुम्हारी। ये तो तुम्हारा ट्रायल चल रहा है।
समीर- आपने पास तो कर दिया मुझे, फिर ये टेस्ट कब तक?
संजना- क्या तुम्हें सेक्स में इंटरेस्ट नहीं आता?
समीर- आता है।
संजना- फिर क्यों झिझकते हो तुम्हें मालूम है यहां पर सेक्स की कितनी आजादी है?
समीर- जी मेम।
संजना ने अब तक लण्ड मुँह भर लिया था। समीर को भी जोश चढ़ गया और संजना के मुँह में धक्के मारने लगा। एक बार और संजना की चूत में लण्ड उतार दिया। सुबह-सुबह की चुदाई में संजना को मजा आ गया।
मजा आ गया समीर… क्या मस्त चुदाई करते हो…” और
संजना- “आहह… आह… आहह… आहह… आह्ह… उम्म्म दोनों एक साथ झड़ गये।
संजना और समीर एक साथ बाथरूम में घुस गये। यहां आस्ट्रेलिया में संजना समीर को शायद इसीलिए लाई थी।
इधर अजय आज सुबह-सुबह दुकान पर पहुँच गया।
विजय भी दुकान पर जा रहा था।
टीना- पापा मैं ब्यूटी पार्लर सीख लूं?
विजय- क्यों नहीं बेटा, ये तो अच्छी बात है।
टीना “मुझे नेहा के पास छोड़ देना, मैं नेहा के साथ चली जाऊँगी…” और टीना अपने पापा के साथ नेहा के घर आ जाती है।
अंजली- “अरे… भाई साहब आप… आइए..”
विजय- नहीं भाभी, बस चलता हूँ ये टीना ब्यूटी पार्लर सीखना चाहती है।
अंजली- ये तो अच्छा है, घर में अकेले बोर भी हो जाती होगी।
विजय- नेहा के साथ चली जायेगी।
अंजली नेहा को आवाज देती है, और टीना और नेहा चले गये।
विजय- “भाभी मैं भी चलता हूँ…” और विजय अपना बैग उठाकर जाने लगता है।
अंजली ने विजय के हाथ से बैग लेकर सोफे पर रख दिया, और कहा- “ऐसे कैसे जा सकते हो? पहले चाय बनाकर लाती हूँ..” और अंजली दो कप चाय बना लाई, और विजय के सामने सोफे पर बैठ गई।
अंजली- इस बैग में क्या ले जा रहे हो?
विजय- भाभी इसमें नाइटी है।
अंजली- मुझे भी दिखाइए।
विजय- “हाँ, क्यों नहीं…” और विजय बैग खोलता है।
अंजली- वाउ कितनी प्यारी है भाई साहब।
विजय- भाभी जो पसंद आये निकाल लो।
अंजली ने 4-5 नाइटी निकाल ली।
विजय- भाभी फिटिंग चेक कर लो।
अंजली- “अभी देखती हँ…” और अंजली नाइटी लेकर अपने रूम में जाने लगती है।
विजय- भाभी हमें भी दिखाना… हम भी तो देखें की हमारी भाभी इन नाइटी में कैसी लगती है?
अंजली- “क्यों नहीं… अभी आई चेंज करके…” और अंजली रूम में चली गई।
विजय बैठा हुआ अंजली को जाता हुआ देखता रहा- “उफफ्फ… क्या गोलाईयां है गाण्ड की एकदम डनलप के गद्दे..” और विजय का लण्ड फूफकर मरने लगा।
तभी अंजली एक नाइटी पहनकर बाहर आती है। विजय मुँह खोले देखता रह गया। अंजली भी विजय को ऐसा देखते हुए झिझकने लगी।
अंजली- ऐसे क्या देख रहे हो भाई साहब?
विजय की तंद्रा टूटती है, और कहता है- “उफफ्फ… भाभी कसम से क्या हाट लग रही हो… अगर तुम मेरी भाभी
ना होती तो आज… …” |
अंजली- तो क्या करते आज?
विजय- बस भाभी अब तक तो मैं तुम्हें लिपट जाता।
अंजली- बस रहने दो, अब इतनी भी हाट नहीं लग रही।
विजय- भाभी एक बार पलटकर दिखाओ?
अंजली- “क्या देखना है पीछे?” कहकर अंजली पलट जाती है तो गाण्ड की गोलाईयां देख कर विजय तड़प गया
और सोफे से उठकर अंजली को बाँहो में भर लिया।
विजय- “आप पीछे से भी कयामत हो…”
अंजली- अरे… भाई साहब क्या करते हो… कोई आ गया तो?
विजय- अब मुझसे नहीं रुका जायेगा, ऐसा हुश्न है आपका।
अंजली- “भाई साहब अभी और नाइटी भी ट्राई करनी है, तुम तो एक में ही लिपट गये। मैं दूसरी ट्राई करती हूँ..”
उधर अजय दुकान पर बैठा सोच रहा था की कई दिन से ना किरण की खबर है ना टीना की। आज तो किरण
का दूसरा रूम भी देख लूं, और अजय किरण को फोन मिलाता है।
किरण- हेलो।
अजय- हेलो भाभी कैसी हो?
किरण- मैं ठीक हूँ, आजकल आप ही बिजी हो।
अजय- आज कुछ नया खाने को मिलेगा क्या?
किरण- भाई साहब हमने आपको कभी मना किया है? जो आप हमसे पूछते हैं।
अजय- अरें.. नहीं, मैं तो ये पूछ रहा था की टीना कहां है? .
किरण- वो तो ब्यूटी पार्लर सीखने गई है।
अजय- अच्छा तो में पहुँचता हूँ, आप मेरे लिए खाना तैयार करें।
किरण- आप आइए खाना तैयार मिलेगा।
अजय दुकान से किरण के घर के लिए निकल पड़ा।
उधर अंजली दूसरी नाइटी पहनने के लिए रूम में पहुँचती है। मगर दरवाजा खुला रखती है। विजय का मन अंजली को देखने के लिए मचलता है, और वो रूम में झाँकने लगता है। उफफ्फ… क्या नजारा था सामने। विजय से ये नजारा देखकर रुका नहीं गया और अंदर रूम में घुस गया।
अंजली को विजय से ऐसी उम्मीद नहीं थी। जब तक अंजली संभाल पाती विजय ने अंजली को बाँहो में जकड़ लिया।
अंजली बोली- “ओहह… भाई साहब ये क्या कर रहे हो आप?”
विजय- भाभी आपने आग ही ऐसी लगा दी। अब तो ये आग आपको ही बुझानी पड़ेगी।
अंजली- हटिये, मैं पानी लाती हूँ।
विजय- अब ये आग पानी से नहीं बुझेगी।
अंजली- फिर?
विजय ने अंजली की चूचियों के निप्पल मसलते हुए कहा- “अब ये आग इस अमृत से ही बुझेगी। क्या ये अमृत मुझे मिल सकता है?”
अंजली- ये अमृत आपके दोस्त की अमानत है।
विजय- “अरें… भाभी आपके पास तो अमृत का सागर है थोड़ा इस प्यासे को भी पिला दो..” और विजय ने अपने होंठों को निप्पल से लगा दिए।
अंजली- “आss ओहह… स्स्सीईए उम्म्म्म
… आss भाई साहब पहले दरवाजे तो बंद कर आइए…”
विजय भागकर दरवाजे बंद करता है, और आकर अंजली को गोद में उठा लेता है- “ओहह… मेरी प्यारी भाभी
आज अपने देवर की प्यास बुझा दो..” और अंजली को बेड पर लिटा देता है..” फिर विजय ने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े उतारे और अंजली के ऊपर कूद पड़ा, और चूचियों को चूसने लगा।
अंजली की सिसकारी निकाल रही थी- “आहह… उईईई… सस्स्सी
आह्ह… अहह..”
विजय को बड़ा मजा आ रहा था- “भाभी बड़ा ही मीठा अमृत है। मजा आ गया…”
अंजली भी सिसक रही थी। विजय चूचियों को चूसते हुए नीचे जाने लगा, और पेट को चूमने लगा। अंजली में कंपन शुरू हो गई- “भाई साहब वहां नहीं.”
विजय ने तब तक अंजली को पूरा नंगी कर दिया- “भाभी अमृत के साथ थोड़ा मक्खन भी टेस्ट करा दो…” और विजय ने अपने होंठ चूत के ऊपर टिका दिए।
अंजली तो तड़प गई- “ओहह… उम्म्म्म … स्स्स्स्सी … जोर से करो उईई… उफफ्फ… उईई… अहह…” और अंजली के हाथ विजय के बालों को सहलाने लगे।
विजय की जीभ चूत के गहराई नाप रही थी, और अंजली की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। चूत इतना पानी छोड़ रही थी, जिसे विजय मक्खन की तरह चूस रहा था। अंजली भी कब तक रुकती, ढेर सारा पानी एकदम उड़ेल दिया। विजय भी सारा पानी पी गया।
विजय- आहह… भाभी मजा आ गया… आपने तो मेरी प्यास बुझा दी। बस इस मुन्ना की प्यास और बुझा दो…”
और विजय ने अपना खड़ा हआ लण्ड अंजली को दिखाया।
अंजली ने पहली बार विजय का लण्ड देखा था, कहा- “उफफ्फ… कितना बड़ा मन्ना है आपका… अब इसे मन्ना ना कहो…” फिर अंजली ने आगे बढ़कर लण्ड को हाथों में थाम लिया, और कहा- “लाओ आज मैं इसकी भी प्यास बुझा दूं
अंजली ने लण्ड को मुँह में भर लिया। विजय का लण्ड पूरे जोश में था, हल्के-हल्के धक्के विजय भी लगा रहा था। जैसे अंजली संतुष्ट हुई थी, वैसे ही अंजली भी विजय को संतुष्ट करना चाहती थी। इसलिये अपने मुँह में लण्ड को ज्यादा से ज्यादा लेने लगी।
विजय की भी सिसकारी फूट निकली- “हाँ भाभी अहह… ऐसे ही। मजा आ गया…” और विजय के धक्के अंजली के
गले में लग रहे थे।
अंजली की आँखों में पानी भी आ गया। मगर अंजली यूँ ही मस्ती में चूसती रही और विजय कब तक रोकता बस एक पल में झड़ने वाला था, तो विजय लण्ड बाहर खींचने लगा। मगर अंजली ने अपने होंठों में ऐसा दबा रखा था की विजय निकाल नहीं सका और उसकस सारा पानी अंजली के मुँह में छूट गया। अंजली ने बिना झिझके सारा पी गई
विजय- “आहह… मेरी प्यारी भाभी, आज तो मजा आ गया…” कहकर विजय ने जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और
अपनी दुकान के लिए निकाल गया।
उधर अजय भी किरण के घर था। अजय डोरबाल बजाता है।
किरण ने दरवाजा खोला, और कहा- “आइए। मैं तो बस आपका ही इंतजार कर रही थी…” और किरण ने दरवाजा बंद किया। अजय और किरण अब बेडरूम में थे।
अजय- भाभी सब्जी तैयार है?
किरण- आपको हेल्प करनी पड़ेगी।
अजय- क्यों नहीं बताइए भाभी क्या-क्या करना है मुझे।
किरण- पहले आपको बैगन साफ करने हैं।
अजय मुश्कुराते हुए- “भाभी, आपके बैगन तो मैं चाटकर साफ करूँगा ..”
किरण- जैसे मर्जी करो। बस सब्जी सवादिष्ट बननी चाहिए। खाने में मजा आ जाए।
अजय- “भाभी बैगन तो निकालो मुझे साफ भी करने हैं…”
किरण ने अपनी कमीज ऊपर उठा दी, और कहा- “लीजिए भाई साहब एकदम ताजे बैगन…”
बस फिर किया था अजय ने दोनों बैगन हाथों में भर लिए, और कहा- “ओहह… भाभी क्या मस्त बैगन हैं… ऐसा दिल कर रहा है बस चूसकर ही खा जाऊँ…”
किरण- “जैसे आपकी मर्जी वैसे खाइए…”
अजय ने अपने होंठ निप्पल से लगा लिए और चूसने लगा।
किरण की सिसकी निकलने लगी- “आहह… इसस्स्स…. ओहह… सस्सी…”
अजय ने अब निप्पल में दांत गड़ा दिए।
किरण- “उईईई… क्या करते हो दर्द होता है… धीरे-धीरे साफ करो…”
अजय दूसरे निप्पल को उंगलियों में मसलने लगता है, और बोलता है- “भाभी मेरी हेल्प ठीक चल रही है?”
किरण- जी भाई साहब, अब बैगन तो साफ हो गये। अब चाकू निकालो में उसे भी साफ कर दूं।
अजय- “क्यों नहीं भाभी…” और अजय ने पैंट उतारकर लण्ड बाहर निकाला- “लीजिए चाकू…
किरण- क्या बात है, बड़ी तेज धार लगाकर लाए हो?
अजय- भाभी आज इसे नई सब्जी बनानी है, धार तो तेज होनी ही थी। ये सब्जी आसानी से नहीं कटेगी…”
किरण ने लण्ड को मुँह में भर लिया। .
अजय- “ओहह… भाभी कितनी हाट हो तुम? काश मैं रोज ही आपकी सब्जी खा पाऊँ…” और अजय की सिसकियां निकल रही थी- सस्स्सी … अहह… उह्ह… अम्म्म्म …”
किरण थोड़ी देर यूँ ही चूसती रही। फिर अजय ने लण्ड बाहर निकाल लिया।
अजय- “भाभी, नई सब्जी के दर्शन तो करवाओ?”
किरण पलटकर झुक जाती है। अजय का ऐसी गद्देदार गाण्ड देखकर मुँह खुला का खुला रह जाता है।
अजय- “उफफ्फ… भाभी क्या चीज हो तुम..” और अजय ने अपने होंठ किरण की गाण्ड पर लगा दिए।
किरण भी सिहर उठी। आज तक किरण ने कभी गाण्ड नहीं मरवाई थी।
अजय- भाभी तुम इसके लिए तैयार हो?
किरण- भाई साहब देख लो कुछ गड़बड़ ना हो जाय?
अजय- तुम बेफिकर रहो भाभी, आपको कुछ नहीं होगा। बस थोड़ा नारियल तेल मिल जाय।
किरण- “वहां ड्रेसिंग में रखा है…”
अजय नारियल तेल की शीशी उठा लेता है। ढेर सारा तेल किरण की गाण्ड में उंगली से अंदर तक लगाता है
किरण उंगली जाने से ही दर्द में उईई करती है- “भाई साहब मुझे तो डर लगने लगा। आप आगे से कर
लीजिए…”
अजय- “डरने की क्या बात हयै? ऐसा कुछ नहीं होगा…” और अजय ने थोड़ा तेल लण्ड पर भी मला- “भाभी आप तैयार हैं?”
किरण- हाँ जी।
अजय ने लण्ड को गाण्ड के छेद पर छुवाया तो किरण की आह्ह.. निकली गई। नारियल तेल की वजह से लण्ड की टोपी गाण्ड में घुस गई थी। किरण की दर्द भारी चीख निकाल गई।
किरण- “मर गई भाई साहब निकाल लो। मुझसे नहीं होगा ये..”
अजय- “भाभी बस बस हो गया…” और अजय ने अपने हाथ नीचे लेजाकर चूचियों को पकड़ लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगा।
किरण का कछ ध्यान बँट गया। अब किरण की तड़प भी थोड़ी कम लग रही थी। अजय ने ये बात नोट की और एक और धक्का लगा दिया।
किरण बिलबिला उठी- “उईईई मारर दिया अहह… प्लीज़्ज़… निकालो बाहर.”
मगर अजय ने दोनों हाथों से किरण की चूचियों को जकड़ रखा था। जरा भी गिरफ़्त ढीली होती तो किरण छूट जाती, और शायद फिर कभी नहीं डलवती। अजय ने किरण पर कोई रहम नहीं किया। नारियल तेल की वजह से लण्ड घुस चुका था। अजय चूचियों को मसलता रहा।