घर की मुर्गियाँ 19

लाइट जलने से पहले ही पापा और टीना एकदम से अलग हो जाते हैं।

अजय- “मैं कुछ खाने के लिए लेकर आता हूँ..” और अजय बाहर चला जाता है।

नेहा- ये सब क्या कर रही है तू?

टीना- मैं क्या कर रही हूँ?

नेहा- तूने पापा का वो नहीं पकड़ा?

टीना- क्या हो गया तो? किसको नजर आ रहा है यहां? तू भी देख ले पकड़कर कितना मजा आता है।

नेहा- तू पागल तो नहीं है? कम से कम यहां तो ये सब मत कर। अगर किसी ने देख लिया तो?

टीना- क्यों डर रही है? यही तो जिंदगी के मजे हैं मेरी जान, जितना लूट सको लूट लो।

तभी अजय कोल्ड ड्रिंक और पोपकार्न ले आया। तीनों कोल्ड ड्रिंक पीने लगे।

नेहा को आज पापा के साथ मूवी देखना बड़ा अजीब लग रहा था, और मूवी फिर स्टार्ट हो गई।

थोड़ी देर बाद फिर अजय ने फिर से पैंट की चेन खोलकर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया, और धीरे से टीना का हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया। टीना धीरे-धीरे अजय का लण्ड अपने हाथों से सहलाती रही।

नेहा कनखियों से दोनों की रासलीला देखती रही। नेहा का मन अब मूवी में नहीं था। फिर अजय दुकान पर रुक गया और दोनों घर आ गई।

टीना- कैसा रहा?

नेहा- अगर किसी को पता चल जाता तो?

टीना- अंधेरे में कैसे पता चलता? तू इतना मत डरा कर।

नेहा- हाँ बस रहने दे, किसी दिन जरूर पिटवायेगी।

टीना- चल ये बात छोड़.. ये बता तुझे कैसा लगा?

नेहा- हाँ सही था। लेकिन यार बहुत डर लग रहा था।

टीना- “एक बार तूने चुसवा लिया ना… तेरा सारा डर खतम हो जायेगा…”

और यूँ ही बातें क कब रात हो गई पता ही नहीं चला। अभी तक टीना के मम्मी पापा भी नहीं थे। समीर और अजय भी आ गये। सबने मिलकर खाना खाया।

समीर अपने रूम में जाते हए टीना को इशारा करता है आने का और ऊपर चला जाता है। नेहा और टीना भी ऊपर अपने रूम में चली गई।

टीना- तेरा भाई बुला रहा है।

नेहा- पागल मत बन, पापा मम्मी ने देख लिया तो?

टीना- मुझे पेशाब आ रहा है पहले मैं टायलेट जा रही हूँ।

नेहा हँसते हुए- “अब टायलेट में उंगली मत करने लगना…”

टीना- “दरवाजा खुला रखूगी आकर देख लियो.” और टीना बाथरूम में चली गई। तभी टीना के मोबाइल की मेसेज टोन बजती है।

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नेहा ने बेड पर रखा टीना का मोबाइल उठाया, देखा तो समीर का मेसेज था।

समीर- बस दो मिनट को आ जा।

नेहा मन ही मन- “भइया और पापा.. कैसे दोनों टीना के पीछे पड़े हैं? ये टीना भी तो पूरी कुतिया है, इसी ने दोनों को बढ़ावा दिया है…”

तभी नीचे किरण और विजय आ गये। अजय छत पर टहल रहा था।

अंजली- आओ किरण भाभी, कैसे हैं अब तुम्हारे भइया?

किरण- हाँ शुकर है ज्यादा चोट नहीं आई। ठीक है अब। टीना कहां है?”

अंजली- ऊपर नेहा के रूम में। मैं बुलाती हूँ।

किरण- “भाभी आप बैठो मैं बुलाती हूँ.” और किरण नेहा के रूम में पहुँचती है- “अरें.. बेटा टीना कहां है.”

नेहा- “हेलो आँटी.. तभी नेहा को एक शरारत सूझती है। उसने कहा- “यहां तो नहीं है। शायद समीर के रूम में होगी…”

किरण समीर के रूम की तरफ जाती है। इधर समीर टीना का इंतजार कर रहा था। समीर को टीना के आने की आहट होती है तो समीर दरवाजे के पीछे छुप जाता है। जैसे ही किरण रूम में घुसती है पीछे से समीर किरण को अपनी बाँहो में जकड़ लेता है।

किरण सोचती है की ये अजय ने पकड़ा हुआ है, और समीर को भी टीना लगती है। दोनों दो पल ऐसे ही लिपटे
थे। तभी किरण बोलती है- “ये क्या कर रहे हो, कोई देख लेगा?”

समीर किरण की आवाज पहचान गया। एक झटके से अपनी गिरफ़्त छोड़ दी, और कहा- “आँटी

किरण भी चकित थी, कहा- “समीर तू?”

समीर- आँटी तुम किसे समझ रही थी?

किरण- पहले ये बता तूने किसे समझकर बाँहो में भरा मुझे?

अब समीर किसका नामे ले? फंस गया बेचारा। समीर बोला- “अरे… आँटी मैं किसे समझता? आप हैं ही इतनी खूबसूरत। आज मुझसे रहा नहीं गया और तुम्हें बाँहो में भर लिया। आपको बुरा लगा हो तो सारी…”

किरण- समीर तू तो बहुत बड़ा हो गया है।

समीर- वैसे आँटी आपने किसे समझा था?

किरण अब क्या कहती अजय का नाम भी नहीं ले सकती थी। किरण बोली- “जब तेरे रूम में आई हँ तो किसे समझूगी?”

समीर- “आहह… मेरी आँटी…” और समीर ने एक बार और किरण को अपनी बाँहो में भर लिया।

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किरण- “अब छोड़ कोई आ जायेगा…” फिर किरण टीना को लेकर अपने घर चली गई।

किरण आँटी के जाने के बाद समीर बेड पर लेटा सोच रहा था- “आँटी क्या सचमुच मुझे ही समझ रही थी? फिर एकदम चकित क्यों हुई थी? वैसे आँटी में हुश्न सागर की तरह भरा हुआ है, और अगर बिना कपड़ों के मेरे सामने आ जाय तो बिना डुबकी लगाये चेन ना मिले…”

तभी दरवाजे पर आहट होती है। समीर की नजर दरवाजे पर पड़ती है।

नेहा दरवाजे पर समीर को देख रही थी।

समीर- क्या हुआ नेहा, वहां क्यों खड़ी है? अंदर आ जा।

मगर नेहा फिर भी वही खड़ी रहती है। समीर को बड़ा अजीब सा लगा नेहा का यँ उदासी भरा चेहरा देखकर। समीर बेड से उतरकर नेहा के पास जाता है।

समीर- “क्या बात है, क्यों तेरा चेहरा उतरा है? चल आज मेरे पास सो जाना..”

तभी नेहा भावुक होकर समीर के कंधे पर झुक जाती है।

समीर- ओ मेरी प्यारी बहना .. आज क्यों इतनी सीरियस हो रही है। चल बेड पर मस्ती करते हैं।

नेहा- नहीं भइया।

समीर- क्यों क्या हो गया मेरी नटखट गुड़िया को? तू तो यही चाहती है, तो अब क्यों मना कर रही है? तेरी तबीयत ठीक है?” और समीर नेहा की नब्ज़ देखने लगा।

नेहा- भइया मुझे वो हो गया है।

समीर- क्या हो गया मेरी गुड़िया?

नेहा- मेरी पीरियड हो गई।

समीर- ओहहो… इसीलिए ये चेहरा उतरा हुआ है। कोई बात नहीं, दो-चार दिन की ही तो बात है। फिर तू मेरे पास रोज सो जाना। मैं मना नहीं करूँगा।

नेहा- “भइया, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। आई लव यू…

समीर नेहा का प्यार देखकर खुद भी भावुक हो गया और नेहा को बाँहो में भर लिया। फिर कहा- “मैं भी तुझसे बहुत प्यार करता हूँ…”

नेहा ने समीर की आँखों में देखा। समीर भी नेहा को निहार रहा था। यूँ ही दोनों ना जाने कब तक एक दूजे की बाँहो में खोए हुए एक दूसरे को देखते रहे।

समीर- चल, कब तक यूँ ही खड़ी रहेगी बिस्तर पर चलते हैं।

नेहा- “भइया ऐसे ही अच्छा लग रहा है…” नेहा के होंठ समीर के होंठों से थोड़े से फासले पर थे। नेहा के होंठों में कंपन सी हो रही थी।

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समीर ने जब ये देखा तो समीर से भी रहा नहीं गया और ये दूरी अपने होंठों से मिलाकर दूर की। नेहा भी मचल गई। समीर बोला- “चल नेहा बेड पर चलते हैं.”

नेहा- नहीं भइया अब मैं अपने रूम में जा रही हैं। अब ये प्यार आप 5 दिन बाद करना।

समीर- “तुझे इतना प्यार करूँगा की तेरी सारी शिकायत खतम हो जायेगी…” और एक बार दोनों के होंठ मिल गये। फिर नेहा अपने रूम में चली गई, और समीर भी सो गया।

सुबह सबने साथ में ही ब्रेकफास्ट किया।

अंजली- मैं और किरण बाबा का कीर्तन सुनने चले जायें?

अजय स्माइल करते हुए- “नेहा को भी ले जाओ…”

नेहा- पापा मुझे नहीं जाना।

अजय- क्यों बेटा, मन को शांति मिलेगी।

नेहा- ओहह… पापा आज मेरा मन नहीं कर रहा जाने को।

अजय- अच्छा बाबा मत जाओ। लेकिन नाराज मत हो,

तभी किरण का फोन आता है अंजली के पास।

अंजली- हेलो।

किरण- हेलो अंजली तुम यहीं आ जाओ, यहां से साथ निकलेंगे।

अंजली- “अभी आती हूँ..” और फोन काट गया।

अंजली- मुझे किरण के घर छोड़ते हुए निकल जाना।

अजय- “चलिये..” और अजय और अंजली निकल गये।

समीर भी कंपनी के लिए निकाल रहा था की नेहा ने समीर का हाथ पकड़ लिया, और कहा- “भइया थोड़ी देर बाद चले जाना…”

समीर- क्या हुआ मेरी बहना?

नेहा- भइया मेरा दिल नहीं लग रहा। मुझे तुमसे बहुत सारी बातें करनी हैं। आज मत जाओ, छुट्टी कर लो।

समीर- देख नेहा काम से ही सब कुछ है, तू रात में खूब बातें करना।

नेहा समीर के बहुत करीब खड़ी थी। नेहा का दिल कर रहा था अपने होंठ समीर के लाबो पे रख दे। फिर नेहा थोड़ा सा और समीर की तरफ झकती है, और फिर दोनों के होंठ मिल गये। अफफ्फ नेहा पागल सी हो गई। समीर के होंठों को काटने लगी।

समीर ने नेहा को नहीं रोका, और खुद भी साथ देने लगा। थोड़ी देर यूँ ही किस करते रहे। तभी समीर हट गया।

समीर- नेहा अब मुझे देर हो रही है, मैं चलता हूँ।

नेहा समीर को जाते हुए देखती रही।

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