मेने उसके ब्लाउज के हुक्स खोल दिए और उसकी ब्रा में कसे हुए उसके 33″ के पुष्ट उरोजो को मसल्ने लगा….
अहह………देवेरजीीइई…. मेरे रजाआअ… मस्लो इनको… बहुत तडपाते हैं.. ये… मसलवाने को…कोई नही है.. इनकी खबर लेने… वाला…..उफफफफफफफ्फ़…हइईई…..रामम्म….और ज़ोर से मस्लो…..इन्हें…
उसकी ये शायद फेंटसी रही होगी… सेक्स के समय बड़बड़ाने की… जिसे आज वो खुले वातावरण में पूरा कर लेना चाहती थी…
उसने मेरी टीशर्ट को भी निकाल कर एक तरफ फेंक दिया… मेरी पुष्ट छाती देखकर वो मंत्रमुग्ध हो गयी… और अपनी जीभ से उसे चाटने लगी…
कभी मेरे सीने के बालों को सहलाती… कभी उन्हें अपनी मुट्ठी में कसकर खींच देती…
फिर उसने मेरे छोटे – 2 चुचकों को चाट लिया…. मेरे मुँह से सीईईईईईईईईई…..आहह.. भौजिइइई…. बहुत गरम हो तुम….
हां ! मेरे रजाअ… अह्ह्ह्ह…मेरी गर्मी निकाल दो प्लीज़… मे बहुत प्यासी हूँ…वो सिसकते हुए बोली
चिंता मत कर मेरी सोनचिरैया… आज तेरी सारी गर्मी निकाल दूँगा…
फिर मेने उसके पेटिकोट को भी उससे अलग कर दिया… ब्रा- पेंटी में वो बहुत सुंदर लग रही थी… 34-26-34 का उसका गोरा बदन मेरी बाहों में किसी मछली की तरह मचल रहा था..
वो मेरे लंड को मसले जा रही थी… मेने उसकी पीठ सहलाते हुए.. उसकी ब्रा के हुक खोल दिए….
अह्ह्ह्ह… क्या मस्त गोल-गोल इलाहाबादी अमरूदो जैसी उसकी गोरी-2 चुचियाँ जिस पर किस्मिस के दाने जैसे उसके कड़क निपल बहुत ही मन मोहक लग रहे थे…
लगता है.. पंडित के लौन्डे ने जितना वर्क-आउट करना चाहिए था.. उतना भी नही किया था शायद… अभी भी वो किसी कमसिन कली जैसी ही लग रही थी…
मे – अहह…वर्षा रानी तुम्हारी चुचिया तो अभी भी कुँवारी कली जैसी ही हैं…
वो – मे पूरी की पूरी ही कुँवारी हूँ… मेरे राजाजी…
मे – क्या..? रवि भाई ने अभी तक तुम्हें चोदा नही…?
वो – उसकी उंगली जैसी लुल्ली से क्या चुदाई होगी.. उसकी आवाज़ उत्तेजना से काँप रही थी…
मेने उसकी एक चुचि को अपने पूरे मुँह में भर लिया और दम लगा कर सक करने लगा…
वो मस्ती से भर उठी… और अपने दोनो हाथों से मेरे सर को दबाती हुई… पीछे को लहरा गयी….इसस्शह….हइई… चूसो मेरे रजाआ…. खा जाओ इन्हें.. हइईए…..मैय्ाआआअ…….कितनाअ…मज़ाअ…हाईईइ…इनमें…उफफफ्फ़….माआ..
वो बाबली सी हो गयी थी… मे भी आज उस मस्तानी लौंडिया को पूरा मज़ा देना चाहता था…
दूसरे अमरूद को अपनी मुट्ठी में कस लिया और मसलने लगा… उसकी टाँगें काँपने लगी थी…उसने मेरा एक हाथ अपनी पीठ पर रख दिया…
एक टाँग मेरी कमर से लपेट कर अपनी गीली चूत को मेरे लंड के ऊपर रगड़ने लगी…
मेने उसके कूल्हे पकड़कर उसे उठा लिया… और वो मेरी गोद में आकर किसी बच्चे की तरह अपनी दोनो टाँगों को मेरी गान्ड पर लपेटकर बैठ गयी…
और फिर अपनी कमर चला कर, रस से भीगी हुई चूत को मेरे रोड जैसे शख्त लंड पर रगड़ने लगी…
चूस-चुस्कर मेने उसकी चुचियों को लाल कर दिया.. कयि जगह काट भी लिया…
निपल तो सुर्ख हो चुके थे उसके… लेकिन मस्ती से भरी वो बाला मेरे इस सेक्षुयल टॉर्चर को भी झेल गयी…
अब हम दोनो को ही संभालना मुश्किल हो रहा था.. मेने उसे नीचे उतरने का इशारा किया… और फिर उसकी पेंटी को खींच दिया…
हइई…मे मर जन्वान्न्न….ह…क्या गोरी-चिटी.. चिकनी चूत उसकी.. जो रस से सराबोर होकर दिन के उजाले में और चमक रही थी….
मे उसकी टाँगों के बीच बैठ कर उसकी मुनिया को सहलाता रहा, वो मेरे बालों में उंगलियाँ डाल कर फेरने लगी..
फिर मेने उसकी मुनिया के होंठों के ऊपर लगे उसकी रस की बूँदों को अपनी जीभ से चाट लिया…..
उफफफफफफफफ्फ़……माआआआ…..सीईईईईईईईईय्ाआआआहह……और चाटो मेरे दिलवर..
मेने उसकी रिक्वेस्ट को ठुकराया नही और दो-तीन बार और चाट लिया… वो मस्ती से झूम उठी… उसने मेरे सर को अपनी प्यारी रस-गगर के मुँह पर दबा दिया…
मेने अपना सर उठा कर उसकी तरफ देखा तो वो अपना सर पीछे की तरफ कर के मस्ती से आसमान को निहार रही थी…
मेने उसे आवाज़ दी… भौजी… ! तो उसने मेरी ओर देखा ..हुम्म्म.. बस इतना ही बोली वो..
मे – तुम्हारी रसीली मुनिया का रस चूस लूँ.. ?
वो – हइईए….पुछ्ते क्यों हो जानू… ये सब कुछ तुम्हारा है.. अब.
मेने उसकी तरफ मुस्करा कर उसकी मुनिया के होंठ खोल लिए और अपनी जीभ से उसके अन्द्रुनि गुलाबी हिस्से को चाट लिया…मस्ती में उसकी आँखे बंद हो गयी, अपनी एक टाँग उठाकर उसने मेरे कंधे पर टिका ली, और मेरे सर के बालों में अपनी उंगलियाँ फँसाए, वो किसी दूसरी दुनिया की सैर पर निकल पड़ी…
अपनी जीभ की नोक को अंदर तक पेल कर, मे उसकी चूत को किसी कुत्ते की तरह चाटने लगा.. फिर उसके भग्नासा (क्लिट) को अपने होंठों में दबा कर अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी…
वो दर्द से कराह उठी… आह.. इसका मतलब इसकी चूत उंगली लायक ही है अभी..
मेने उसके क्लिट को चूस्ते हुए धीरे-2 अपनी उंगली को अंदर-बाहर कर के उसे चोदने लगा…
उसकी मुनिया लगातार रस बहा रही थी.. जिसे में अपनी जीभ से चाटता जा रहा था…
आख़िरकार उसकी रस से भरी गगर छलक पड़ी.., उसने मेरे मुँह को बुरी तरह से अपनी रस गगर के मुँह पर दबा दिया…
वो अपने पंजों पर खड़ी होकर किल्कारियाँ मारती हुई झड़ने लगी…..!
मेने खड़े होकर उसको चूमते हुए पूछा – मेरी सेवा पसंद आई.. भौजी…?
वो – वादा करो देवर्जी… ऐसी सेवा मुझे आगे भी मिलती रहेगी… जब आपकी इच्छा हो तब.. मे आपसे कोई ज़ोर ज़बरदस्ती से नही कहूँगी… बस जब आपका मन करे..
मे कोशिश करूँगा, वादा नही कर सकता…, लेकिन अभी तो पूरी पिक्चर वाकी है मेरी जान.. उसे तो देखलो…
वो मेरे होंठों को चूमकर बोली – आपके ट्रेलर से ही पता लग रहा है कि.., पिक्चर सूपर हिट होगी..
मे – तो फिर अब मेरे बबुआ की भी थोड़ी सेवा हो जाए… ये कह कर मेने उसके कंधों पर दबाब डाल कर उसे बिठा दिया..,
अपने घुटनों पर बैठ उसने मेरा अंडरवेर नीचे कर दिया.. जिसे मेने अपने पैर से दूर फेंक दिया…
सबसे पहले उसने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा और बोली – आहह…. ये इतना गरम क्यों है देवर जी…?
सामने इतना गरम कुंड जो है… मेने हँसते हुए उसकी बात का जबाब दिया तो वो उसे अपने गाल से रगड़ते हुए बोली
कितना लंबा तगड़ा हथियार है तुम्हारा, मेरी छ्होटी सी चूत की तो धज्जियाँ उड़ा देगा ये……!
मे – ऐसा नही है भौजी, देखना कितना मज़ा देता है ये, आज के बाद तुम्हारी गुलाबो इसको ही लेने को तड़पति रहेगी…..
वो हूंम्म… कर के उसको उलट-पलट कर देखने लगी.. फिर उसने एक बार उसे चूम लिया…उउउम्म्म्मम…पुकछ…कितना प्यारा है ये…
हाथ से आगे पीछे करते हुए उसे एक बूँद उसके पी होल पर मोती जैसी चमकती नज़र आई, जिसे उसने अपनी जीभ की नोक पर ले लिया और चखने लगी…
हूंम्म्म… टेस्टी है… कह कर उसने मेरे लाल सेब जैसे सुपाडे को मुँह में भर लिया….और चूसने लगी…!
मेने उसके सर पर हाथ रख लिया और उसे सहलाने लगा… वो धीरे-2 उसे अंदर और अंदर लेती जा रही थी…
सीईईई…अह्ह्ह्ह… राणिि…ज़रा मेरे सिपाहियों की भी सेवा करती जाओ साथ में.. मेरी बात पर उसने सवालिया नज़र से मेरी तरफ सर उठा कर देखा..
मेने कहा… नीचे मेरे टट्टों को भी सहलाओ साथ में और चूसो भी… तो वो वैसा ही करने लगी… अब मुझे और ज़्यादा मज़ा आने लगा…
कुछ देर की चुसाई और सेवा भाव से मूसल राज आती प्रशन्न हो गये… और एकदम लट्ठ की तरह शख्त होकर ठुमके लगाने लगे…
मेने उसे वहीं घास पर लिटा दिया… और उसकी टाँगें मोड़ कर उसकी मुनिया को सहलाया, उसका हौसला बढ़ाया.. और फिर उसे चूम कर अपना सुपाडा उसकी गरम चूत के मुँह पर रख दिया…