घर की मुर्गियाँ 15

नेहा ने एक नजर अपने पापा पर डाली। इस वक्त अजय टीवी देख रहे थे। मगर अजय ने नेहा की तरफ नजर तक नहीं उठाई, कहीं नेहा चेहरा ना पढ़ ले। नेहा टीना से मिलने चली गई।

इधर अपने रूम में समीर टीना के लिए ही सोच रहा था, और समीर ने टीना को काल किया।

समीर- हाय टीना, क्या हो गया तुम्हें?

टीना- सारी समीर, आज मैं तुम्हारे घर नहीं रुक पाई। मेरे पैर फिसल हो गया था। पैर में मोच आ गई आयोडेक्स लगा ली है। अब आराम है।

समीर- कोई बात नहीं टीना। तुम कल मेरे घर जरूर रुकना। तब तुम्हें अपना केला खिलाऊँगा, और हाँ कल कोई बहाना मत करना।

टीना- अरे… समीर भइया तुम्हें लगता है मैंने आज बहाना किया है?

समीर- क्या करूं आज तो मेरा मुन्ना नया घर मिलने की खुशी में सुबह से खड़ा-खड़ा छलांगे मार रहा था।

टीना- ओहह… कल मैं अपने मुन्ना की सारी शिकायत्त दूर कर दूंगी। तब तक तुम मेरे मुन्ना को अपने प्यारे हाथों से सहला लो। ओहह..” एक सेक्सी हँसी के साथ फोन डिसकनेक्ट हो जाता है।

समीर से अब रुका नहीं गया और अपना लोवर उतार फेंका और लगा झटके पे झटके मारने।

समीर- “हाय मेरी जान टीना… ये लण्ड जब तेरी कुँवारी चूत में जायेगा तो कितना मजा आयेगा तुझे… इस्स्स..
ओहह… उम्म्म्म … टीना क्या चूत है तेरी… आह… इसस्स्स्स … लण्ड पर हाथों की स्पीड लगातार बढ़ रही थी उफफ्फ… टीन्ना ऐसे ही तुझे भी चोदूंगा..” और लण्ड ने पिचकारियां छोड़ दी। समीर को टीना का अनुभव हुआ

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उधर
“किरण आँटी, टीना कहां है?”

किरण- अरे… बेटा तू इस वक्त… देख अपने रूम में होगी।

टीना अपने रूम में बेड पर लेटी आँखें बंद किए हुए थी

नेहा- टीना की बच्ची मिल गई तुझे ठंडक?

टीना ने आँखें खोली तो देखा नेहा उसके बेड पर बैठी है- “तू.. और ये क्या बोल रही है तू?”

नेहा- हाँ, मैं जो बोल रही हूँ तू सब समझती है। तेरी चूत की आग ठंडी हो गई? तुझे शर्म नहीं आई पापा के सामने छीः छीः कैसी कुतिया है तू की मेरे पापा से भी..”

टीना भी अब तक समझ चुकी थी की जरूर कोई तगड़ा सबूत लग गया है नेहा के हाथ। अब छुपाने से कुछ नहीं होगा। टीना बोली- “मुझे क्यों लेक्चर दे रही है? अपने बाप से बोल कैसे मुझे अपनी बाहों में जकड़कर मेरा रेप किया है। वो तो मैंने तेरी घर की इज्जत की खातिर अपने मम्मी पापा को नहीं बोला, वरना देख क्या हश्र होता तेरे बाप का?”

अब झटका नेहा को लगा टीना की बात सुनकर। नेहा की बोलती बंद।
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समीर को हैंडजाब से थोड़ा सकून मिल चुका था। तभी दिव्या का मेसेज आता है।

दिव्या- तुझे याद ना मेरी आई किसी से अब क्या कहना?

समीर- तुम्हारी नजर क्यों खफा हो गई। खता बाक्स दो गर खता हो गई हमारा इरादा तो कुछ भी ना था।

दिव्या- दूरी ना रहे कोई आज इतने करीब आओ… मैं तुममें समा जाऊँ तुम मुझमें समा जाओ।

समीर- कैसे संभलेगा उनसे मेरा दिल है नादान ये क्या माँग बैठे।

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दिव्या- छोटी सी उमर में ही लग गया रोग, कहते है लोग मैं मर जाऊँगी… अरे… मरने से पहले कुछ कर
जाऊँगी।

समीर- धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है, हद से गुजर जाना है।

दिव्या- मुझे बस तुझसे दिल लगाना है, हद से गुजर जाना है।

समीर- दे दे प्यार दे प्यार रे हमें प्यार… दुनियां वाले कुछ भी समझें, हम है प्रेम दीवाने।

दिव्या- ये कली जब तलाक फूल बन के खिले, इंतजार करो।

समीर- इंतजार वो भला क्या करे, तुम जिसे बेकरार करो।

दिव्या- “तो आ जाओ बारात लेकर..” और दिव्या आफ लाइन हो गई।

समीर के चेहरे पर मुश्कान दौड़ गई। दिव्या पे समीर का जादू चल गया। अब संजना से हाथ माँग सकता हूँ,
और समीर की आँखों में दिव्या के सपने आने लगे,

सुबह नेहा टीना के घर से सुबह-सुबह आ गई।

अजय ने दरवाजे खोला, और पूछा- “अब कैसी है नेहा?”

नेहा- “हाँ अब ठीक है..” और मन में- “पूछ तो ऐसे रहे हैं, जैसे तुमने कुछ किया ना हो…

अजय छत पर चला गया, नेहा अपने रूम में जाने लगी। तभी समीर के रूम में नजर गई। सोचा चलो समीर को उठाते है। नेहा समीर के रूम में घुस चुकी थी, और जैसे ही समीर की चादर हटाई। उफफ्फ… समीर सिर्फ
अंडरवेर में लेटा था। मगर समीर गहरी नींद में था।

तभी नेहा की नजर समीर के मोबाइल पर जाती है, और उठाकर देखने लगती है। तभी मेसेज बाक्स देखा तो दिव्या की मेसेज खुल गई।

नेहा मन ही मन- “अब ये दिव्या… ये दिव्या कौन है?”

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नेहा- “भइया उठिए कब तक सोओगे?”

मगर समीर को भी सुबह-सुबह टीना का सपना आया हुआ था। तभी समीर माइंड में बड़बड़ाता है- “हाय टीना, आज तो तेरी चूत जी भरकर चोदूंगा..” नेहा की कानों तक समीर के बुदबुदाने की आवाज पहुँच जाती है।

नेहा मन ही मॅ- “ओह माई गोड… क्या भइया भी टीना की सील तोड़ना चाहते थे?”

नेहा- “ओ भइया उठो…” कहकर नेहा ने समीर को हिलाया।

समीर आँखें मलता हुवा- “अरें.. नेहा तू कब आई?”

नेहा- अभी आप नींद में टीना से सेक्स… …” और नेहा हँसने लगी।

समीर- तूने क्या सुना?

नेहा- कुछ नहीं और भइया ये दिव्या कौन है? आप तो बहुत पहुँचे हुए हो। बस मुझे समझाते रहते हो ऐसा मत कर… वैसा मत कर… कभी कहते हो टीना अच्छी लड़की नहीं है, उसके साथ छोड़ दे और आज आप उसके साथ… शायद इस लाइन में दिव्या भी हो सकती है, या और भी है कोई?”

समीर चुपचाप सुनता रहा।

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