घर की मुर्गियाँ 10

टीना- “चलते हैं। इतने में तेरे पापा भी आ जायेंगे..” और दोनों दुकान से निकलने लगे।

तभी रोहित, जो अजय की दुकान पर काम करता था, कोल्ड ड्रिंक ले आया और कहा- “अरे… मेडम आप कहां चल दी? पहले कोल्ड ड्रिंक पी लीजिए..” रोहित ने बड़े ही नरम दिली से आग्रह किया।

टीना ने रोहित पर ऊपर से नीचे तक नजर डाली। रोहित किसी हीरो से कम नहीं लगता था। गठीला 6 फूट से
भी लंबा। टीना रोहित को देखती रह गई।

रोहित ने आवाज लगाई- “लीजिए मेडम कोल्ड ड्रिंक…”

टीना- “ओहह… लाओ क्या नाम है तुम्हारा?”

रोहित- जी रोहित।

टीना- “बड़ा प्यारा नाम है…” और टीना ने रोहित की तरफ हाथ बढ़ाकर हाथ मिलाया- आई आम टीना…”

नेहा टीना को देखती रह गई और कोल्ड ड्रिंक पीकर दोनों विजय की दुकान पर निकल गई। नेहा बोली- “तू तो कहीं भी मुँह मारने को तैयार हो जाती है…”

टीना- यार खूबसूरत लड़का है। मेरा तो दिल आ गया रोहित पे।

नेहा- तेरा दिल है या कोई खिलोना, कहीं भी आ जाता है।

टीना- देख नेहा, ये जवानी मजे करने के लिए है, और मैं अपनी जवानी ऐसे बेकार नहीं जाने दूंगी।

नेहा- तो इसका मतलब तू किसी के भी साथ। बिल्कुल कुतिया बन गई है।

टीना- “एक बार कुतिया बनकर देख, कितना मजा आता है? सारे गली मुहल्ले के कुत्ते ना मंडराने लगे तो मेरा नाम टीना नहीं…” और बातों-बातों में विजय की दुकान आ गई।

विजय ने क्या शानदार शोरूम बनाया हुआ था। विजय ने एक लेडी सेल्सगर्ल रखी हुई थी शिवांगनी, 24 साल
की शादीशुदा औरत थी। जो शायद टीना और नेहा को नहीं जानती थी।

शिवांगनी- “आइए मेडम, क्या देखना चाहेंगी? सर तो नहीं हैं, आपको जो देखना है, मैं दिखा दूँगी…”

नेहा- ओके तो दिखाए कोई नई स्टाइल की नाइटी।

शिवांगनी- ट्रांसपरेंट चलेगी मेडम?

नेहा और टीना- “हाँ हाँ जो भी है दिखाओ…..

फिर शिवांगनी एक से एक हाट लाइनाये नाइटी दिखाने लगी। नेहा तो देखकर चकित हो गई।

शिवांगनी- मेडम आप इन्हें ट्राई भी कर सकती हैं।

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नेहा- “टीना जाकर ट्राई ले…”

टीना ट्रायल रूम मे ट्राई कर रही थी
. “अफफ्फ… क्या ट्रांसपरेंट लाइनाये थी। टीना एकदम हाट लग रही थी।

शिवांगनी- वाउ… मेम क्या हाट लग रही हो।

टीना- ओके इसे पैक कर दो।

शिवांगनी- मिस ये ब्लू कलर की एकदम नई डिजाइन है। आप भी ट्राई कीजिए।

टीना- देख तो सही ट्राई करके।

नेहा ने नाइटी लेकर ट्रायल रूम में चेंज की। क्या मस्त लग रही थी नेहा भी।

टीना- नेहा, आज तो जरूर बिजली गिरा दोगी।

शिवांगनी- “एस मेम यू अरे वेरी हाट। इस रूप में आपको देखकर आपके बायफ्रेंड का क्या हाल होगा?” और दोनों सेक्सी ठहाका लगाने लगे।

टीना- मेम इसे भी पैक कर दो।

शिवांगनी- “और कुछ देखना चाहेंगी? बड़ी सेक्सी ब्रा पैंटी के सेट आये हुए हैं..”

टीना- अब हमसे ट्राई नहीं होगा।

शिवांगनी- आप घर जाकर ट्राई कर लेना। अगर फिटिंग ना आए तो चेंज भी कर सकती हो।

टीना- नेहा तू जाकर अपने पापा से पैसे ले आ, तब तक मैं और पसंद करती हैं।

नेहा अजय से पैसे ले आई, और दोनों ने खूब सारी शापिंग कर ली। दोनों दुकान से बाहर निकलते हैं।

नेहा- टीना शुकर है आज तेरे पापा दुकान पर नहीं थे।

टीना- चल आज रात समीर पर बिजली गिरायेंगे।

नेहा- ना बाबा ना… तू ही गिराना समीर पर बिजली। मुझे तो डर लगता है।

टीना- क्या हुआ, कैसा डर?

नेहा- मैंने भइया का वो देख लिया था। बाप रे बाप… मेरी तो सोचकर ही रो काँपती है। कैसा काला नाग की तरह लहरा रहा था।

टीना- “तू तो एकदम ढक्कन है। तुझे कुछ पता भी है? जितना बड़ा केला होता है, उतना ज्यादा टेस्टी होता है। तू एक काम कर, आज रात मैं तेरे यहां रुक जाती हैं, और रात को समीर का केला टेस्ट करूँगी। तू दरवाजे से देखना लाइव की कैसे खाया जाता है केला?”

नेहा- तू तो ऐसे बोल रही है जैसे तूने बहुत केले खाए हैं।

टीना- ऐसा ही समझ ले। अब ये मत पूछना किसका केला खाया है?

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नेहा- अच्छा मेरी माँ नहीं पूछती।

टीना- यार कुलफी तो खिला दे सुबह से कुछ नहीं खाया।

नेहा सामने ठेले पर पहुँचकर दो कुलफी लेकर आई। टीना सेक्सी स्टाइल में चूस-चूसकर कुलफी खाने लगी। कुलफी वाला भी टीना को देखता रह गया। उससे भी ऐसा लग रहा था, जैसे टीना लण्ड चूस रही हो। तभी टीना की नजर ठेले वाले की पैंट पर चली गई, जहां एक बड़ा सा तंबू बन चुका था।

टीना ने इशारे से नेहा को दिखाया। नेहा टीना को घुरती हुई हाथ पकड़कर घर ले आई।

नेहा- तेरा बस चले तो उस ठेले वाले का भी केला चूस ले।

विजय की दुकान पर कुछ देर बाद विजय पहुँचता है।

शिवांगनी- अरे… सर आप थोड़ा पहले आ जाते तो?

विजय- क्यों क्या हुआ?

शिवांगनी- सर, अभी-अभी क्या कस्टमर आए थे? आपकी तो लाटरी लग जाती देखकर। क्या मस्त पटाका थी।

विजय- ऐसा क्या देख लिया तूने उनमें?

शिवांगनी- सर, उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे की आक्ट्रेस हों, और ऐसे हाट इनेरवेर ले गई हैं। जो
भी उन्हें उस रूप में देख लेगा बिना टच करे खल्लास हो जायेगा।

विजय- यार तेरी बातों ने तो मेरा राकेट खड़ा कर दिया।

शिवांगनी- अरें… सर क्यों फिकर करते हो? मैं तो आपके लिए हर वक्त उपलब्ध हूँ। मगर आपको तो कच्चे आम
खाने हैं।

विजय- अभी तो इस राकेट तू ही शांत कर दे, कच्चे आम फिर कभी खा लेंगे।

शिवांगनी- “चलिये सर, ट्रायल रूम में आपके राकेट की चिंगारी शांत कर दं..” और विजय ट्रायल रूम में गया तो शिवांगनी घटनों के बल बैठ गई। जींस की बेल्ट खोलकर राकेट बाहर निकाल लिया और जल्दी से मुंह खोलकर
गप्प।

विजय- “आहह… शिवांगनीईई…”

शिवांगनी लण्ड चूसने में माहिर खिलाड़ी बन चुकी थी। विजय का जब भी राकेट तैयार होता, शिवांगनी उसमें सफर करने पहुँच जाती। अभी भी पूरा राकेट शिवांगनी को सैर करा रहा था अंदर-बाहर अंदर-बाहर।

कैसी ठंडक मिली विजय का राकेट को चाँद पर पहुँचकर। शिवांगनी भी पूरा लावा गटक गई।

समीर आफिस में बैठा फाइलें देख रहा था। मगर आज समीर का मन काम में बिल्कुल नहीं था। वो आज छुट्टी लेना चाहता था। अभी सिर्फ दिन के 12:00 ही बजे थे। समीर कुछ सोचता हुआ संजना के रूम की तरफ चल पड़ा।

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समीर- मे आई कमिन में?

संजना- आओ आओ समीर।

समीर अंदर आया तो दिव्या भी वहीं बैठी थी। उफफ्फ… समीर तो बस दिव्या को देखता रह गया।

संजना- क्या बात है?

समीर- जी मेम आज काम में मन नहीं लग रहा है। छुट्टी कर लूँ?

संजना- तबीयत तो ठीक है तुम्हारी?

समीर- जी मेम।

संजना- एक काम करोगे?

समीर- जी मेम।

संजना- गाड़ी चलानी आती है तुम्हें?

समीर- हाँ जी।

संजना- फिर तुम ऐसा करो दिव्या को जयपुर छोड़ आओ।

समीर- जयपुर?

संजना- हाँ हमारा खानदानी घर वहीं है। वहां पर मेरी माँ और पिताजी, चाचा की फेमिली रहती है। दिव्या तू समीर के साथ चली जा। माँ से बोल देना की मैं कुछ दिन बाद वक्त निकालकर मिलने आऊँगी।

दिव्या- “ओके दीदी। चले मिसटर समीर…”

समीर- “मेम, मैं घर पर बोल दूं। हो सकता है वापसी में रात हो जाय..” कहकर समीर ने घर फोन मिलाया।

नेहा ने फोन रिसीव किया।

समीर- नेहा, माँ से बोल देना मैं कंपनी के कम से जयपुर जा रहा हूँ। हो सकता है वापसी में देर हो जाय।

नेहा- भइया जल्दी आने की कोशिश करना।

टीना भी साथ में थी। टीना बोली- “बेड़ा गर्क आज के प्लान का.”

समीर होंडा सिटी कार में दिव्या को लेकर निकल चला। दिव्या पिछली सीट पर बैठी शीशे से बाहर झाँक रही थी। समीर शीशे से दिव्या को बार-बार देखता। यूँ ही कार में खामोशी थी। तभी समीर को राजा हिन्दुस्तानी का वो सीन याद आया, और समीर ने भी अपनी आवाज में गाना गुनगुनाया।

समीर- “आई हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बनके, मेरे साथ यूँ ही रहना तुम प्यार प्यार बनके…” और फिर चुप।

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