जवान कामवाली का रसीला बदन

हॉट मेड कहानी मेरे यहां खाना बनाने वाली लड़की की है। बहुत दिनों मेरी नजर उसके सेक्सी जिस्म पर थी। मैंने उसकी चूत का स्वाद कैसे लिया?

नमस्कार दोस्तो, मैं सांवर आपके लिए लेकर आया हूं एक ऐसी चुदाई की कहानी जो आपके नीरस जीवन को रस से भर देगी।
कहानी शुरू करने से पहले मैं अपना परिचय दे देता हूँ।

नाम तो आप ही जान ही गए हैं।

आपको बता दूं कि मेरी उम्र चौबीस वर्ष है और मैं शहर में रहकर पढ़ाई करता हूँ जो मेरे लिए बहुत अनजान शहर है।

इस हॉट मेड कहानी की नायिका मेरे यहां खाना बनाने वाली नंदिनी है।

नंदिनी विवाहित थी और 26 वर्ष की थी। विवाहित होने के साथ-साथ वह तोतापरी आम जैसी रसीली थी।
उसकी जवानी का रस आप भी कहानी के माध्यम से प्राप्त करेंगे।

अब कहानी पर आते हैं।

दोस्तो, मैं अपना लंड हिला हिलाकर परेशान हो चुका था। फिर मेरी प्यासी जिन्दगी में नंदिनी आई।

वैसे तो वो डेढ़ महीने से मेरे रूम पर आकर खाना बना रही थी लेकिन उस दिन की बात कुछ अलग थी।

एक दिन की बात है कि दरवाजे पर दस्तक होती है।
मैंने दरवाजा खोला तो नंदिनी थी।

मेरी आँखें खुली की खुली रह गयीं। उसकी आंखों में काजल जैसे काले बादल, हिरनी जैसी घायल करने वाली आंखें, गुलाबी से गाल, होंठों पर गहरी लाल लिपस्टिक।

खाने का समय हो गया था और वो मेरे पेट की भूख मिटाने आई थी।
मगर मेरे लंड की भूख उसको देखकर और ज्यादा भड़क गई थी।

मैं उस भूख को किसी तरह दबाकर रखे हुए था।
नंदिनी की काया और रूप मुझे रोज तड़पाते थे।

आज से पहले नंदिनी को मैंने ऐसे कभी नहीं देखा था।

मैं कमरे में आया और फिर सोचा कि क्या किया जाए?
फिर मैं रसोई की तरफ गया।

छोटी सी रसोई में वो खड़ी-खड़ी आटा गूंथ रही थी।

मैं उसके साइड में जाकर खड़ा होकर चाय बनाने लगा।
चाय से ज्यादा उबाल मेरे पजामे में आ रहा था।

थोड़ी देर बाद जैसे वो हिली तो मेरे पूरे बदन में आग सी लग गयी।

मेरा लंड उसकी गांड पर जाकर सट गया।
उसकी गांड में मेरे लंड के छूने से गर्मी उठी कि नहीं ये तो मुझे नहीं पता लेकिन मेरे लंड में तूफान मचा था जो उसकी गांड के पहाड़ों पर जाकर टकरा रहा था।

पजामे में मेरे तने हुए लंड पर गांड को रगड़ते हुए वो बोली- हटिए, मैं बना देती हूं। आप क्यों परेशान हो रहे हो?
वो जानती थी कि मेरे लंड का गर्म सरिया उसकी गांड में सटा है।

मुझे तो असीम आनंद और उत्तेजना ने जकड़ लिया था।
मैं तो वहां से हिलना ही नहीं चाह रहा था। मैं खुद पर काबू नहीं रख पा रहा था।

उसके मेकअप से आती खुशबू मेरे लौड़े को बार बार उछलने पर मजबूर कर रही थी।
मैं वहीं खड़ा हुआ उसकी गांड में लंड को रगड़ता रहा।

जब उसको लगा कि अब मैं बस उसको चोद ही दूंगा तो वो पलटकर बोली- बस कीजिए साहब जी, मैं काम वाली हूं … आपकी घर वाली नहीं!
मैं उसके होंठों के पास अपने होंठ ले जाकर बोला- तुम्हारे लिए ऐसी सौ घरवाली छोड़ दूं मैं!

ये कहकर मैंने उसके होंठों को चूम लिया।
उसने मुझे हटाया और वहां से जाने लगी।

मैंने उसको पकड़ कर फिर से अपनी तरफ खींच लिया और उसकी गांड पर लंड को लगाते हुए उसकी छाती पर हाथ कस लिए।

अब वो मेरी गिरफ्त में थी।
वो छूटने की कोशिश तो कर रही थी लेकिन उस कोशिश में मुझे विरोध कम और सहमति ज्यादा लग रही थी।
मैंने उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया और वो सिसकार उठी- रहने दीजिए सांवर बाबू … कोई देख लेगा तो बदनामी होगी।

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मैंने उसकी चूचियों को भींचते हुए कहा- मैं तुम्हें हर बदनामी से बचाकर रखूंगा मेरी जान … बस तुम एक बार मेरी हो जाओ।
अब मैं उसको चूमते हुए उसके मम्में कसकर मसलता रहा; कभी दायां तो कभी बायां।

तभी मुझे लगा कि अब तोतापरी आम का छिलका उतारने का टाइम आ गया है।
मैंने झटके से उसके कुर्ते को निकाल दिया।
अब लाल पैडेड ब्रा में वो तोतापरी उठे हुए पहाड़ की तरह लग रहे थे।

जैसे ही मैंने उसकी ब्रा को निकाला तो दोनों आम उछल कर मेरे सामने आ गए।

मैंने उन पर अपने होंठ टिका दिए और नंदिनी का अंग अंग कांपने लगा।
उसकी कोमल रसीली चूचियों में इतना रस भरा था कि बस काटकर खाने का मन कर रहा था।

उसकी चूचियों को पीते हुए नंदिनी के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … आईई … स्स्स … साब जी … इतनी जोर से मत करिए न … दुख रही है।
मैंने उसके निप्पल को चूसते हुए कहा- अह्ह … नहीं मेरी रानी … इनको दर्द कौन देना चाहता है … लेकिन चूसे बिना रहा भी तो नहीं जाता। पीने दो मेरी रानी … इन आमों का रस पीने दो मुझे।

इतना सुनना था कि नंदिनी ने मेरे सिर पर हाथ रख लिए और मेरे सिर को बूब्स पर दबाते हुए अपनी चूचियों का रस मुझे पिलाने लगी।

मैंने एक हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोलने की कोशिश शुरू कर दी।
मैं उसकी सलवार खोलने में कामयाब हो गया और मेरा हाथ उसकी सलवार में नीचे उसकी पैंटी पर पहुंच गया।

उसकी चूत को मैं हथेली से रगड़ने लगा और उसने अपने बदन का भार रसोई के स्लैब के साथ टिका लिया।
मेरे हाथों की रगड़ से उसकी चूत में ऐसी खुजली उठने लगी कि उसकी जांघें स्लैब के साथ में फैलने लगीं।

उसकी चूत की फांकों पर हाथ रगड़ते हुए अब मुझे उनका हल्का गीलापन भी महसूस होने लगा था।
उसकी चूचियों को पीते हुए मैं उसकी चूत का पानी निकालने पर तुला था।

इतने रसीले आम थे कि मैंने ऐसा स्वाद इसके पहले कभी नहीं चखा था।

बूब्स को चूसता हुआ अब मैं उसके पेट की तरफ बढ़ रहा था।
उसने मेरी टीशर्ट को नीचे से पकड़ कर ऊपर करते हुए उतार लिया और अपने हाथों को मेरे बदन पर घुमाने लगी।

उसके हाथों का मेरे बदन पर फिसलना और सहलाना बता रहा था कि उसकी चूत को मर्द के लंड की सख्त जरूरत है।

चूमते हुए मैं नीचे उसकी चूत पर पहुंच गया।
चूत पर उसने लाल जालीदार पैंटी पहनी हुई थी।

एक कामवाली की चूत पर ऐसी सेक्सी पैंटी देखकर मैं तो और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया।
ऐसा लग रहा था जैसे वो पैंटी उसने मेरे लिए ही पहनी हुई है।

अब मैं कभी उसकी रसदार जांघों को चूमता तो कभी उन्हें काटता।
उसकी चूत से निकल रहे हल्के हल्के रस से अब बड़ी ही मादक खुशबू आने लगी थी जिसने पूरी रसोई को महका दिया था।

मैं अब उसको नंगी देखने के लिए और इंतजार नहीं कर सकता था।
इसलिए मैंने उसको रसोई से बाहर चलने को कहा और फिर उसको गोद में उठाकर बेडरूम में ले आया।

उसके बदन पर आधे अधूरे कपड़े थे और अधनंगी अवस्था में वो काम की देवी से कम नहीं लग रही थी।

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एक पल के लिए मुझे लगा नहीं था कि नीरस से कपड़ों के भीतर नंदिनी इतनी आकर्षक ब्रा-पैंटी पहनती होगी।

खैर जो भी हो, अब बारी मेरी अपनी एक और इच्छा पूरी करने की थी।
मैं उसकी चूत को अपनी आंखों के सामने नंगी होते हुए देखना चाहता था।

मैंने उसकी पैंटी को खींचकर धीरे धीरे उसकी जांघों से निकालना शुरू किया और उसकी चूत को धीरे धीरे नंगी किया।
उसकी सांवली सी क्लीनशेव चूत के दर्शन करके मैं तो धन्य हो गया।

मैंने उसकी पैंटी को उतारकर एक तरफ अलग कर दिया।
फिर उसकी भट्टी की तरह तपती हुई चूत में मैंने जीभ डाल दी।

वो एकदम से सिहर गई और मछली की तरह छटपटा सी गई।

मैंने उसकी चूत को कुत्ते की तरह जीभ से चाटना शुरू किया और उसकी चुदास बढ़ने लगी।
उसके लिए ये अहसास शायद नया था परंतु मुझे जैसे जन्नत सी मिल गयी थी।

धीरे धीरे उसकी चुदाई की इच्छा परवान पकड़ रही थी और उसके हाथ मेरे सिर को पकड़ कर उसकी चूत में घुसाने का प्रयास कर रहे थे।
इधर मेरी जीभ की करामात से वो पागल सी होने लगी थी।

उसके हाथों की हरकत और बदन की अकड़न देखकर लग रहा था कि वो जल्द ही स्खलित होने वाली है।

फिर दो मिनट बाद ही उसने मेरे सिर को जोर से अपनी चूत पर दबा दिया और वो झड़ने लगी।
उसकी चूत से निकला नमकीन रस मुझे बहुत भाया।

मगर अभी भी मैं अंदर से संतुष्ट नहीं हो पा रहा था क्योंकि मेरे लंड का तूफान तो अभी भी वैसे ही मुझे झकझोर रहा था।
मैं उसकी चुदाई के लिए बेताब था। मैं चूत का पानी छूटने के बाद भी उसको चाटता रहा।

धीरे धीरे नंदिनी की चूत में फिर से आग उठने लगी।
वो कुछ देर तो बर्दाश्त करती रही और फिर जब उससे रहा नहीं गया तो वो खुद ही बोल पडी़- बस करो साब जी … अब और बर्दाश्त नहीं होता … अब अपने हथियार का इस्तेमाल करो … जीभ से इसकी प्यास नहीं बुझ रही है।

तभी नंदिनी ने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को जोर जोर से चूसने लगी।
मेरे होंठों पर उसकी चूत का रस लगा हुआ था जिसे वो बार बार चाट रही थी।
उसका हाथ मेरे लंड पर आ गया और वो मेरे लंड पर तेजी से हाथ चलाते हुए टोपे की खाल को ऊपर नीचे करने लगी।

मैं समझ गया कि वो मुझे चुदाई के लिए उकसा रही है।
तो मैं भी नीचे से पूरा नंगा हो गया।

अब मेरे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था।
नंदिनी भी पूरी नंगी थी।

दोनों के नंगे जिस्म मिल गए।
मैं उसकी चूत पर लंड को टिकाकर लेट गया और उसके होंठों को चूसने लगा।

उसके होंठों की सारी लिपस्टिक होंठों के आसपास फैल चुकी थी।
उसके होंठों की लाली से मेरे होंठ भी लाल हो चुके थे।

फिर मैंने उसके कान में हल्के से कहा- चोद दूं क्या मेरी रानी?
वो बोली- हां मेरे सांवरा … चोद दे … भर दे मेरी चूत को इस लौड़े के माल से!

मैंने उसकी चूत के छेद पर लंड को टिकाया और एक ही झटके में आधा लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
इस वार से वो मुझे घूरकर देखने लगी लेकिन अब तो शेर के मुँह खून लग गया था।

मैंने एक और झटका मारा और पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।

लंड जाते ही नंदिनी की चुदाई की ट्रेन सरपट दौड़ने लगी।

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मैंने उसकी चूत में ताबड़तोड़ धक्के देने शुरू कर दिए।
हर धक्के के साथ उसकी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थीं।

उसके चेहरे के भावों से पता लग रहा था कि उसे लंड की कितनी प्यास थी।

मैं बहुत दिनों से चुदाई के लिए मरा जा रहा था इसलिए अपनी सारी भड़ास नंदिनी की चूत पर निकाल रहा था।
नंदिनी की चूत मेरे हर धक्के के साथ फैल जाती थी और लंड उसकी चूत की जड़ में जाकर टकराता था।

इससे नंदिनी को चुदाई का पूरा मजा मिल रहा था और चुदाई के आनंद में उसकी आंखें अब भारी होकर पलटने लगी थीं।
वो टांगें चौड़ी फैलाये हुए मेरे लंड के नीचे लेटकर चुदाई का पूरा मजा ले रही थी।

मैं भी उसकी चूत में लंड पेलते हुए जैसे आनंद में गोते लगा रहा था।

धीरे धीरे बीतते समय के साथ दोनों ही चुदाई में पागल होने लगे।
कभी वो ऊपर तो कभी मैं उसके ऊपर!
दोनों एक दूसरे के जिस्मों को खाने में लगे थे।

कभी वो मेरे होंठ काटने लगती थी तो कभी मेरी जीभ को बाहर निकलवाकर चूसने लगती थी।
मैं भी उसकी चूचियों को भींच भींचकर चूस रहा था।

नंदिनी की गोरी चूचियां अब बिल्कुल लाल हो चुकी थीं।

फिर चोदते हुए मैं उसकी चूत में खाली हो गया।
हम दोनों हांफते हुए एक तरफ जा लेटे।

उसकी चूत चुद चुदकर लाल हो गई थी और पाव रोटी की तरह फूली हुई दिख रही थी।

इधर मेरे लंड की हवा निकल गई थी और वो सिकुड़कर सूखी खजूर जैसा हो गया था।
कुछ देर के लिए मेरी कामवासना शांत हो गई लेकिन ज्यादा देर नहीं रह पाई क्योंकि नंदिनी अभी भी मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी।

मैं फिर से उसके ऊपर आ गया और उसकी चूत पर अपने सोए हुए लंड को रगड़ते हुए उसकी चूचियों को पीने लगा।
वो भी धीरे धीरे गर्म हो गई।

अबकी बार मेरा इरादा उस कामवाली की गांड चुदाई करने का था।
उसकी गांड मुझे बहुत मस्त लगती थी।

फिर उसको पूरी तरह से गर्म करने के बाद मैंने उसकी चूत में उंगली करनी शुरू कर दी।

जब वो चुदाई के लिए पूरी तरह से गर्म थी तो मैंने उससे गांड चोदने की इच्छा जताई।
मैं हैरान था कि वो पहली बार में ही हां कर गई।

मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी गांड के छेद पर नारियल का तेल लगा दिया।
फिर अपने लंड के टोपे पर भी खूब सारा तेल चुपड़ लिया और फिर लंड के टोपे को उसकी गांड के चिकने छेद पर टिका दिया।

लंड का धक्का गांड के छेद में लगा तो वो चिल्ला उठी लेकिन मैंने उसके मुंह पर हाथ रख लिया।
फिर धीरे धीरे उसकी गांड में लंड को धकेलता चला गया।
उसकी गांड में मैंने पूरा लंड उतार दिया।

फिर मैं उसकी गांड चुदाई करने लगा।

उसको भी फिर गांड चुदवाने में मजा आने लगा।

मैंने 15 मिनट तक उसकी गांड मारी और फिर उसकी गांड में झड़ गया।
उसने मुझे बहुत मजा दिया और मेरा पूरा साथ भी दिया।

उसके बाद जब तक वो मेरे यहां आती, मुझे ऐसे ही मजा देती रही।
उसकी चूत का स्वाद मैं कभी नहीं भूल पाता हूं।

तो दोस्तो, ये थी मेरी कामवाली की चुदाई की कहानी।

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