घर की मुर्गियाँ 13

संजना- ओह्ह… क्या तुमने अपने लिए लड़की ढूँढ ली?

समीर- नहीं मेम, अभी नहीं।

संजना- अच्छा तुम जाओ। कभी नेहा को अपने साथ ले आना।

समीर-जी मेम।

समीर के जाने के बाद, संजना के दिल में एक खयाल आता है। समीर कितना खूबसूरत है और इंटेलिजेंट भी बहत है। क्या दिव्या के लिए सही रहेगा? यहीं एक मकान दे देंगे, और संजना ने दिव्या को फोन मिलाया।

संजना- हाय दिव्या कैसी है तू?

दिव्या- दीदी मजे में हूँ।

संजना- “और कब तक रहेगी वहां?”

दिव्या- “दीदी, सनडे में आ जाऊँगी…”

संजना- दिव्या एक बात बता, समीर तुझे कैसा लगता है?

दिव्या- क्या हुआ दीदी?

संजना- बोल तो कैसा लगता है?

दिव्या- हाँ खूबसूरत है, स्मार्ट भी।

संजना- शादी करेगी उससे?

दिव्या- क्या कह रही हो दीदी? मैंने कभी इस बारे में नहीं सोचा।।

संजना- सोचकर बता मुझे जब तक तू हाँ नहीं बोलेगी, मैं बात आगे नहीं बढ़ाऊँगी।

दिव्या- “ओके दीदी मैं सोचकर बताती हूँ..” और फोन कट गया। दिव्या के चेहरे पर सेक्सी स्माइल आ गई, और समीर के नंबर पर मेसेज भेज दिया।

दिव्या- हाय।

समीर अभी बाइक ड्राइव कर रहा था, तो उसे दिव्या के मेसेज का पता नहीं चला, और दिव्या जवाब का इंतेजार करती रही।

गेट अंदर से बंद था। समीर सोचने लगा- “टीना पता नहीं अंदर क्या गल खिला रही होगी?” और समीर का हाथ बेल बजाते-बजाते रुक गया।

समीर मन में- “आज इनकी रासलीला देखते हैं…” और समीर दीवार फांदकर छत के रास्ते घर में घ धीरे से नेहा के रूम में झाँकने लगा।

अंदर सिसकारियां गूंज रही थीं- “आहह… नेहा की बच्ची… तेरी वजह से आज्ज मेरी सील नहीं टूटी… अब बुझा इसकी आग तू.”

समीर को और जो नजर आया वो तो कभी समीर सोच भी नहीं सकता था। नेहा टीना की चूत को चाट रही थी “उफफ्फ… यार तू तो कमाल की चू साई करती है, फिर भी आज तक लण्ड नहीं चूस पाई..”

नेहा ने अपना मुँह चूत से हटाया, और कहा- “साली कुतिया, सारे मजे तू ही लेती है और मुझसे अपनी भी सेवा करवा रही है… चल हट मुझे लेटने दे…” फिर नेहा अपने पैर खोलकर टीना की तरफ कर दी- “अब तू चूस्स…”

टीना ने नेहा की चूत के होंठ अपने होंठों में भींच लिए।

नेहा की उई निकल गई- “सस्सीईई… आहहह… टीन्ना यार मजा आ रहा है। एक बार बस लण्ड डलवाकर देख ले। फिर बताना किसमें ज्यादा मजा है? मुझे तेरी बातों से कभी-कभी शंका होती है की तू कुँवारी है भी या नहीं?”

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मगर टीना अपनी जीभ का कमाल नेहा को दिखाती रही। नेहा की चूत की दरार खल सी गई, टीना की जीभ ने चूत में एंट्री कर दी।

उफफ्फ… नेहा की हालत खराब थी, और इधर समीर की हालत भी। टीना मस्ती में मगन चूसती रही और समीर लण्ड को मसलने लगा। तभी समीर को कुछ आईडिया आया, और समीर ने वापस छत से घर के बाहर पहुँचकर डोरबेल बजा दी।

नेहा की हालत ऐसी नहीं थी की वो देखने जाये की बाहर कौन आया है? नेहा बोली- “इस वक्त कौन आ सकता है? सारा मजा किरकिरा कर दिया। टीना देख तो कौन है?”

टीना ने टी-शर्ट डाली और दरवाजा खोल दिया। सामने समीर को देखकर टीना की खुशी का ठिकाना ना रहा और समीर से लिपट गई- “ओहह… समीर मुझे मालूम था तुम जरूर आओजो…”

समीर- पहले ये बता नेहा कहां है? और तुम दोनों क्या गुल खिला रही थी?

टीना- क्या भइया तुम तो… हम तो ऐसे ही बैठे बातें कर रहे थे।

समीर- “मुझे पागल समझती है त? ये सब क्या है?” कहकर समीर ने टीना की टी-शर्ट नीचे से पकड़कर ऊपर कर दी।

अफफ्फ टीना को समीर से ये उम्मीद नहीं थी। नीचे टीना ने कुछ नहीं पहना था। टीना की गुलाबी कोमल चूत समीर की नजरों के सामने आ गई।

समीर- अब बोल तू?

टीना- सारी भइया।

समीर- सारी से काम नहीं चलेगा। इसकी सजा तो मिलेगी।

टीना- भइया क्या सजा देना चाहते हो?

समीर- “आज रात यहीं रुकना पड़ेगा..”

तभी अजय की बाइक की आवाज समीर को सुनाई देती है।

समीर- “चल तू जल्दी से अंदर जाकर अपने कपड़े ठीक कर, पापा आ गये। इस हालत में तुझे देख लिया तो पता नहीं क्या होगा?”

टीना- “ओके भइया…” और टीना मंद-मंद मुश्कुराती हुई नेहा के रूम में जाने लगी। और मन ही मन कहने लगी

“समीर तुम्हें क्या पता अंकल भी इस मक्खन के कितने दीवाने हैं… पता नहीं इस मक्खन पे पहले बाजी कौन मारता है, बेटा या बाप?” और सेक्सी स्माइल के साथ नेहा के रूम में पहुँच गई

अजय ने बाइक पार्क की और घर में एंटर हुआ- “बेटा समीर, आज कंपनी से जल्दी आ गये?”

समीर- जी पापा अभी-अभी आया हूँ।

अजय- बेटा मेरा एक काम करेगा?

समीर- जी पापा बोलिए।

अजय- मेरे एक दोस्त हैं महेश। उसकी बेटी की सगाई है आज बहुत जोर दे रहा था परिवार के साथ आना है जरूर। मेरी तबीयत ठीक नहीं है और तेरी माँ भी भजन कीर्तन में गई है। तू नेहा को लेकर चला जा मुश्कान रिजार्ट में…”

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समीर- जी पापा नेहा को बोलता हूँ तैयार हो जाये।

नेहा तब तक बाथरूम में घुस चुकी थी।

समीर- नेहा जल्दी से निकल, हमें कहीं जाना है।

टीना- भइया कहां जा रहे हो हमें छोड़कर?

समीर- “टीना तुझे कहां छोड़ रहा हूँ? आज रात तो तेरी सुहागरात है। तब तक तू सज संवार ले। थोड़ी वहां पर वीट क्रीम भी लगा लियो…”

टीना- धत्.. बेसरम।

समीर- तेरे से कम हूँ।

तभी नेहा बाथरूम से बाहर निकलती है, और समीर नेहा को देखता रह गया। उफफ्फ क्या लग रही थी गीले बालों में तौलिया लपेटे हुए। समीर एकटक नेहा को निहारने लगा।

टीना ने नोट किया- “वाह जी वाह… समीर भइया मझसे बोलते हो नेहा के सामने ये मत कर, वो मत कर… आज खुद भी नेहा की चूचियां कैसे घूर रहे हैं?”

समीर भी जल्दी से फ्रेश होकर नेहा के साथ निकल जाता है। समीर की बाइक पर नेहा दोनों तरफ पैर करके बैठ गई।

अजय और टीना दोनों को विदा करके अंदर आ गये। अजय ने दरवाजा बंद किया और टीना को बाहो में भर लिया, और कहा- “तुमने मेरा फोन क्यों नहीं उठाया?”

टीना- अंकल नेहा मेरे साथ थी उसको शक हो जाता तो?

अजय- चल बेडरूम में चलते हैं। आज तुझे जी भरकर केला खिलाऊँगा। जिस तरह तुझे अच्छा लगे वैसे ही खिलाऊँगा।

“क्या प्लान

टीना- ओहह… अंकल यू आर ग्रेट… कितना खयाल रखते हो मेरा?” टीना अजय से लिपटती बनाया आपने समीर और नेहा को भगाने का? आपके माइंड की दाद देनी पड़ेगी…”

अजय- खाली दाद देने से कम नहीं चलेगा आज।

टीना- फिर अंकल मुझे क्या करना होगा आज?

अजय- टीना बेटा, मुझे आज तेरी हंडिया से मक्खन निकालना है।

टीना- आपको मक्खन पसंद है?

अजय- मुझे बहुत पसंद है। और तुझे?

टीना- मुझे तो केला ही अच्छा लगता है, और उसकी मलाई भी।

अजय टीना का हाथ पकड़कर अपने बेडरूम में ले गया। फिर कहा- “टीना बेटे, आज केले की मलाई और हंडिया का मक्खन निकालते वक्त कहीं अंजली या किरण हमें डिस्टर्ब ना कर दें? पहले कन्फर्म कर लूँ…” और अजय अंजली को काल करता है।

अजय- हेलो अंजली कहां हो?

अंजली- बाबाजी का किर्तन चल रहा है, आने में दो घंटे लग जायेंगे।

अजय- “ओके…” और अजय काल डिसकनेक्ट कर देता है, फिर कहा- “आ जा मेरी मक्खन मलाई अब बता ये दो घंटे कैसे गुजारने हैं?”

टीना- अंकल पहले मुझे केला चूसने दो।

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अजय- “आज पहले मैं अपने दिल की ख्वाहिश पूरी कर लूँ..” और अजय ने टीना को बाहों में भर लिया

टीना- “ऊऊव… आह्ह… अंकल कर लो अपने दिल की ख्वाहिश पूरी… मैं नहीं रोकूगी आज आपको..”

अजय- वाह मेरी स्वीट हार्ट क्या मस्त चीज है तू… आज मुझे अंदर से भी दिखा दे।

टीना- अंदर से क्या देखना है आपको?

अजय ने टीना की चूचियों को पकड़ लिए- “ये जो गुब्बारे छुपा रखे हैं तूने…”

टीना- अरे… अंकल आप इस उमर में भी गुब्बारे फुलाते हो? गुब्बारे फुलाने का काम तो बच्चों का है।

अजय- “आज तो मुझे बचपन का खेल याद आ गया। आज तेरे गुब्बारों की ऐसी हवा भरूंगा की देखना तुम भी क्या याद करेगी?” और अजय ने टीना की टी-शर्ट ऊपर उठाकर निकाल दी।

टीना ने नीचे सिर्फ पैंटी पहनी थी। ब्रा पैंटी में क्या लग रही थी टीना। अजय की आँखें चौधिया गईं। अफफ्फ… क्या अनछुई कली थी टीना की चूचियां। अजय तो देखकर मस्त हो गया। जीभ होंट लबलबा गई और चूचियों की निप्पल मुँह में भर लिया।

टीना- “हाय अंकल स्स्सीईई आह्ह.. उफफ्फ… सस्स्स्सी … भर दो इनमें हवा अंकल… सस्स्स्सी …”

अजय को मालूम था टीना एक मासूम कली है, और काली को फूल बनाना कोई आसान काम नहीं होता।
टीना- हाय अंकल कैसी बेचैनी बढ़ने लगी मुझे?

अजय- यही तो इस उमर का खेल है, और इसमें बड़ा मजा मिलने वाला है तुम्हें। टीना उस मजे को देखना
चाहोगी?

टीना- हाँ अंकल जरूर।

अजय सरकता हुआ पैंटी तक पहुँच गया, और पैंटी को साइड से सरका दिया। क्या मदमस्त चूत नजर आई अजय को, और अजय के होंठ चूत के होंठों से टकरा गये।

टीना- “उईईई अंकल उम्म्म्म
… अम्मी आईई इसस्स्स … क्या कर दिया आपने?”

अजय टीना की चूत की गहराइयों में अपनी जीभ फिरा-फिराकर अंदर-बाहर करने में लगा था।

अजय- टीना मेरी बच्ची, मैं तेरी हंडिया से मक्खन निकालने की कोशिश कर

टीना- “उम्म्म्म … इस्स्स्स … सच्ची अंकल आहह… उम्म्म… मक्खन ऐसे नहीं निकलेगा… आज आपको मेरी हंड़िया में अपनी वो डालनी पड़ेगी…”

अजय- “तेरी हंडिया बहुत छोटी है, और मेरी वो बहुत बड़ी है। पहले तेरी हंडिया तो बड़ी कर लूँ?”

टीना- अंकल अब सबर नहीं होता प्लीज़्ज़… निकाल लो मक्खन अपनी इस लो से।

अजय- देख लो फिर बाद में ये ना कहना की अंकल दर्द हो रहा है।

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