घर की मुर्गियाँ 12

दोनों एक दूसरे पर गिर गये। थोड़ी देर में टीना भी नेहा के रूम में चली गई।

टीना- कैसा लगा शो?

नेहा- मस्त मजा आ गया।

टीना- मेरी जान देखने से कुछ नहीं होता। एक बार तू भी चूसकर देख।

नेहा- नहीं, मैं भइया के साथ नहीं कर सकती।

टीना- फिर किसका केला चूसेगी तू? रोहित को बुला ले किसी दिन। मैं तो आज तेरे भाई का केला इस सुरंग में डालने की सोच रही थी।

नेहा- “क्या, तू पागल तो नहीं हो गई? देख तो सही भइया का साइज और अपना साइज… क्या कहीं चूहे के बिल में भी हाथी चला जाता है?”

टीना- मेरी जान, किसी दिन उस हाथी को अपने बिल में ना लिया तो मेरा नाम टीना नहीं।

नेहा- चल सो जा इस बारे में फिर कभी बात करेंगे।

सुबह 6:00 बजे अजय जल्दी उठकर छत पर टहलने लगा, और बार-बार टीना को देख रहा था। उससे लग रहा था टीना उसकी वजह से ही रुकती है। मगर आज टीना की आँख नहीं खुली। अजय से रहा नहीं गया और अजय नेहा के रूम पा। शुकर था दरवाजा बंद नहीं था। अंदर का नजारा देखकर अजय के लण्ड में और तनाव आ गया। दोनों बेड पर अधनंगी हालत में लेटी थी।

अजय ने धीरे से टीना को हिलाया। टीना की आँख ख ई और अजय पर नजर चली गई। अजय ने उंगली से बाहर आने का इशारा किया, और टीना धीरे से उठकर बाहर आ गई।

टीना- जी अंकल?

अजय- केला चूसोगी?

टीना- अंकल चोरी-चोरी मजा नहीं आता। केला खिलाना है तो आज घर आ जाना। मैं मम्मी को शापिंग के लिए भेज दूंगी।

अजय- ओहह… मेरी जान फिर तो मजा ही आ जायेगा। तू केला खाना, और मुझे आम चुसवाना।

टीना- “अरे… अंकल आप आइए तो आज मैं तुम्हें हंडिया वाला मक्खन भी चटाऊँगी..”

अजय ने टीना को किस कर लिया। टीना भी साथ देने लगी।

अजय- बड़ी ही मस्त चीज है तू।

टीना- अंकल यहां आँटी आ सकती हैं।

अजय- चल फिर छत पर चलते हैं।

टीना की नींद अभी पूरी नहीं हुई थी इसलिए कहा- “यहां नहीं, आज तो दिन में मेरे घर आना वहीं.”

फिर सबने मिलकर नाश्ता किया। अजय और समीर घर से निकाल चुके थे।

टीना- अच्छा नेहा, अब मैं भी चलती हूँ।

नेहा- “यार मैं भी चलती हूँ। अकेले में मैं भी बोर हो जाती हूँ..” फ़ि मम्मी से कहा- “मम्मी, मैं टीना के साथ जा रही हूँ..”

अंजली- कभी घर के काम भी कर लिया कर। पता नहीं तुम दोनों सुसराल में कैसे करोगी?

नेहा- अरे… माँ क्यों टेन्शन लेती हो? सब हो जायेगा।

अंजली- तुम दोनों यहीं रुक जाओ। मुझे और किरण को बाबा का कीर्तन सुनने जाना है।

नेहा- ठीक है मम्मी।

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टीना- मगर नेहा मुझे तो एक जरूरी काम है।।

नेहा- ऐसा क्या जरूरी काम है तुझे? .

टीना कुछ बोल ना सकी, और अंजली ने किरण को फोन कर दिया। दोनों बाबा का भजन सुनने चली गई।

टीना- यार यहां पड़े-पड़े क्या करें?

नेहा- कोई गेम खेलते हैं।

टीना- नहीं यार, आज तो कुछ अलग करने की सोच रही थी।

नेहा- क्या मुझे भी बता?

टीना- समीर को बुला लूँ?

नेहा- देख ट्राई करके।

टीना ने समीर को काल किया- “हेलो समीर भइया…”

समीर- हाँ बोल टीना क्या बात है?

टीना- “मेरी जान… आज तो दिल नहीं लग रहा। रात ऐसी चिंगारी सुलगाई तुमने की तुम्हारे बिना एक आग सी भड़क चुकी है। आकर बुझा दो…”

समीर- रात तो बुझाई थी अब फिर?

टीना- ये आग फिर भड़क चुकी है। पूरे जिश्म में फैल गई है एक बेचैनी। क्या रोग लगा दिया तुमने मुझे कहीं इन्फेक्सन ना हो जाय? मेरा जिश्म तड़पने लगा है, आकर इंजेक्सन लगा दो अपनी सूई से..”

समीर- देख लो, मेरा इंजेक्सन घोड़े के जैसा है। बहुत दर्द होगा बर्दाश्त कर सकती हो?

टीना- इस आग को बुझाने के लिए ये दर्द तो बर्दाश्त करना ही पड़ेगा।

समीर- बोल कब लगवाना है इंजेक्सन?

टीना- अभी लगा दो।

नेहा दोनों की ऐसी बातें बड़े गौर से सुन रही थी।

समीर- तू एक काम कर, राज होटल पहुँचकर मुझे काल कर।

टीना- होटल में नहीं। यहीं आ जाओ घर पर।

समीर- आँटी नहीं हैं घर पे?

टीना- मैं तुम्हारे घर पर हूँ, और आँटी और मम्मी भजन सुनने गई हैं बाबा का, शाम तक आयेंगी।

समीर- नेहा के सामने इंजेक्सन लगवायेगी, पागल है क्या? हो होने लगा है। मैं रूम बुक करता हूँ।

टीना- ओके समीर भाई मैं पहुँचती हूँ 10 मिनट में।

नेहा- यार मुझे अकेला छोड़कर जायेगी?

टीना- तेरा भाई जब तेरे सामने नहीं कर सकता तो मैं क्या करूं? अब जाने दे मुझे।

नेहा- कैसी बहन है? अकेले-अकेले मजा लेती है, वो भी मेरे भाई से?

टीना- तुझे किसने रोका है?

तभी टीना का मोबाइल बजता है। टीना जेब से मोबाइल निकालते हुए नेहा को दिखाने लगी- “देख तेरे भाई से
अब सबर नहीं हो रहा, जाने दे मुझे…”

नेहा की मोबाइल स्क्रीन पर नजर गई काल पर। अजय अंकल लिखा हआ था। नेहा बोली- “ये तो पापा की काल

टीना सकपका गई और हड़बड़ी में काल डिस्कनेक्ट हो गई। नेहा टीना घूरते हुए- “पापा ने तुझे फोन क्यों किया?”

टीना- “यार कुछ तो शर्म कर अब मेरे दिन इतने भी खराब नहीं, जो मैं अंकल से ये सब..

नेहा- मुझे तो तू पूरी कुतिया ही लगती है। तू तो शायद अपने बाप से भी ना छोड़े। .

टीना हँसते हुए जाने लगी।

नेहा- टीना मुझे भी देखना है तेरा पहला सेक्स।

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टीना- यार ये पासिबल नहीं है।

नेहा- देख फिर तेरी मेरी दोस्ती आज से खतम।

टीना- नेहा ऐसा ना बोल… तू तो मेरी सबसे अजीज सहेली है, मेरी हमराज है। अच्छा बाबा मैं अपनी वर्जिनिटी तेरे सामने ही तुड़वाऊँगी। मगर ये सब होगा कैसे तू ही आईडिया दे कुछ?”

नेहा- रोहित को बुला ले घर।

टीना- नहीं यार, मेरी सील्ल तो तेरा भाई ही खोलेगा। बड़ा तगड़ा लौड़ा है तेरे भाई का। हाँ अगर तू रोहित पर ट्राई करे तो बुला लें।

नेहा- नहीं यार, पहले तेरी शील टूटते देखना है मुझे उसके बाद सोचूँगी मैं।

टीना- तो फिर आज का प्रोग्राम कैंसिल। अपना पुराना गेम खेलते हैं आज। चल बेडरूम में चलते हैं।

नेहा- भइया से तो मना कर दे।

टीना ने समीर से होटल आने का बहाना बना दिया।

समीर का इंजेक्सन झटके मार रहा था, बेचारा मन मसोसकर रह गया, और समीर उठकर संजना के आफिस में चला गया।

समीर- “मे आई कमिन मेडम?”

संजना- आओ आओ समीर। गुप्ताजी का माल ट्रांसपोर्ट पर नहीं पहुंचा। अभी-अभी गुप्ता जी का फोन था।

समीर- मेम गाड़ी निकले अभी 15 मिनट हुए हैं। 15 मिनट बाद ट्रक पहुँच जायेगा।

संजना- कहो क्या बात है?

समीर- मेडम थॅंक यू बोलना है?

संजना- अभी?

समीर- हाँ मेम।

संजना- क्या बात है, कैसे मूड बन गया तुम्हारा?

समीर- आप बहुत ब्यूटिील हो मेम… आपकी बैठे-बैठे याद आ गई।

संजना ने बाहर गार्ड को फोन मिलाया- “हेलो बहादुर, एक घंटा किसी को मेरे आफिस में नहीं भेजना। मैं मीटिंग में बिजी हूँ…”

बहादुर- जी मेम।

संजना- “जाओ दरवाजा बंद कर आओ..” और संजना अपनी शर्ट उतारने लगी।

समीर ललचाई आँखों से संजना को देख रहा था। संजना की चूचियां आजाद हो चुकी थीं, संजना टहलती हुई समीर के पास आई, और टेबल पर बैठकर समीर की शर्ट उतारने लगी। समीर छोटे बच्चे की तरह संजना के सामने खड़ा था, और संजना ने जीन्स के ऊपर से ही लण्ड पकड़ लिया।

संजना- “क्या बात है बड़ी प्यास लगी है मेरे सोना को… लाओ मैं बुझा दूं इसकी प्यास… कैसे पिंजरे में कैद किया हुआ है मेरे जिगर के टुकड़े को..”

समीर की हाय निकल गई- “स्सीईई… उम्म्म… उफफ्फ… मेडम्म…”

संजना बाहर से ही लण्ड सहलाती रही, और कहा- “कैसा लग रहा है समीर?”

समीर- “उफफ्फ… अहह… उम्म्म्म
… मजा आ रहा है ओर… मेडम बाहर निकालकर कर दो…”

संजना- “अच्छा जी… बाहर निकाल लूँ तुम्हारे मुन्ना को?” और संजना ने समीर की पैंट भी उतार दी।
लण्ड एकदम विकराल रूप लिए हुए था।

संजना- समीर इसे क्या हुआ है? ये तो लगता है बड़ी जल्दी में है।

समीर- जी मेम, अपना घर दिखा दो बिचारे को।

संजना- “पहले मेरा आफिस तो दिखा दूं इसे। घर बाद में देख लेगा…” और लण्ड को पकड़कर मुँह में भर लिया।

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समीर बोलने लगा- “उईईई आईई सस्स्स्सी … आहह… हाय मेरी जान ऐसे ही चूस मेरा लण्ड… अपनी चूत में भी घुसवा आअहह…”

समीर अभी तक बड़े ही प्यार से बोलता आया था संजना से। अब ऐसी चेनजिंग आ जायेगी ये तो संजना भी नहीं जानती थी। मगर संजना भी समीर के रंग में रंग चुकी थी।

संजना- “आहह… मेरे राजा क्या मस्त लौड़ा है तेरा… मेरी तो सूनी जिंदगी में बाहर ला दी इसने… घुसा दे इस लण्ड को मेरी चूत में..” और संजना टेबल पर लेट गई।

समीर ने चूत के सेंटर पर लण्ड टिका दिया।

संजना की सिसकी निकलने लगी- “उहह… इसस्स्स… उम्म्म्म
… समीर्रर…”

मगर समीर ने लण्ड अंदर नहीं डाला, बस चूत पर सहलाता रहा। संजना की तड़प देखने लायक बन चुकी थी।

संजना- “ओहह… समीर क्या कर रहे हो? डाल भी दौ अंदर…” चूत इतनी गीली हो चुकी थी की संजना की जान पर बन आई थी। एक पल और रुकना नामुमकिन था। संजना थोड़ा गुस्से में- “समीर डाल ना…”

समीर ने वो झटका मारा की गेंद बाउंड्री पर सिक्सर… लण्ड दनदनाता बच्चेदानी तक पहुँच गया।

संजना- “उईई माँ… मार दिया रे..”

समीर- क्या हुआ मे म, मजा नहीं आया मेरे शाट से?

संजना- “इतना फास्ट भी कोई खेलता है, एक बाल में सेंचरी मरेगा क्या? धीरे-धीरे शाट लगा…”

समीर ने बड़े ही धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कए।

संजना आनंद के सागर में बह निकली- “हाँ ऐसे ही… अब आया ना मजा… आहह… धीरे-धीरे बाल्लमा… जरा हौले हौले बाल्लमा… हम भी नीचे हैं तुम्हारे… आहह… ओहह… उम्म्म्म … करो और तेज चोदो… अंदर तक ले जाओ..
आहह… समीर तेज करो और तेज्ज… और तेज्ज… कमोन और फास्ट फास्ट जोर से मारो धक्का…” और संजना नीचे से चूतड़ उठा-उठाकर धक्के लगाने लगी और कमर में नाखून गड़ा लिए।

दोनों मस्ती में एक साथ झड़ गये।

समीर झड़ते हुए बड़बड़ाया- “आअहह… तेरी आअहह…”

शुकर था संजना कुछ समझ ना पाई। अभी तो समीर को दिव्या का रिश्ता भी माँगना है संजना से। समीर की प्यास बुझ चुकी थी।

समीर- मेम, क्या मैं घर जा सकता हूँ?

संजना- क्यों आजकल काम में मन नहीं लगता तुम्हारा, बहुत छुट्टी माँगते हो समीर।

समीर- नहीं मेम, ऐसी कोई बात नहीं है। मेरी बहन का फोन आया था। घर में अकेली है इसलिए बोल रही थी की आप जल्दी आ जाओ।

संजना- ओहह… आजकल क्या कर रही है तुम्हारी बहन नेहा?

समीर- अब तो शादी की सोच रहे हैं। कोई लड़का मिल जाय तो हम दोनों की शादी एक साथ हो जाय।

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