जब टाइम देखा तो 2 घंटे हो गये थे…मैने मोबाइल चेक किया तो उस पर 10 मिस्कल्ल पड़ी थी संजीव की…
मैं कॉल करने ही वाला था कि संजीव का कॉल फिर से आगया..मैने कॉल अटेंड करके बोला
मैं-हाअ…
संजीव-(मेरी बात सुने बिना)-किसकी चूत मे था साले…कब्से कॉल किए जा रहा हूँ
मैं- तुझे कैसे पता कि मैं क्या कर रहा था…
संजीव(हँसते हुए)- स्साले तेरे घर मे तुझे कोई दूसरा काम है भी नही…ऑर इतनी चूत ऑर गंद हो जहाँ मारने को, तो बंदा खाली थोड़े ही होगा
मैं-(हँसते हुए) रुक जा तेरे घर भी चूतो का मेला लगा दूँगा…फिर तू भी लगे रहना
संजीव-भाई इसलिए तो कॉल किया
मैं-बोल क्या प्लान है
संजीव-मैने मोम से बोल दिया कि तू कुछ दिन हमारे घर रहेगा…पढ़ाई के लिए…तो वो मान गई…
मैं-ओके..तो आ जाता हूँ डिन्नर के बाद
संजीव- नही बे मोम ने कहा है कि डिन्नर यही करना…
मैं-ओके…तो कब आउ
संजीव-अभी ..
मैं-ओके…ऑर हाँ…पूनम कहाँ है
संजीव- वो घर पर ही है …क्यो???
(मैं मन मे- अब तुझे क्या बताऊ कि आज रात को उसकी चुदाई करनी है…)
मैं- अरे यार फ्रेंड है तो पूछ लिया…कोई प्राब्लम???
संजीव-नही भाई….बिल्कुल नही….उसकी भी ले ले तो भी प्राब्लम नही…तेरे साथ मुझे भी मिल जाएगी..हाहहहा
मैं-हाहहहहाआ…चल तो बोल रहा है तो उसकी भी फट जायगी…हहहहहहा
संजीव-हाहाहा…ऊकक्क…चल आजा…बब्यए
मैं –बाइ
फोन पर बात करने के बाद मैने कुछ कपड़े ऑर कुछ ज़रूरी समान पॅक किया ओर नीचे आ गया जहाँ सविता अपने बेटे के साथ टीवी देख रही थी
मैं- दाई माँ ,मैं कुछ दिनो के लिए संजीव के घर जा रहा हूँ…वही रहुगा
सविता-लेकिन बेटा ..
मैं- क्या हुआ
सविता-(अपने बेटे को देखा फिर मेरे पास आकर धीरे से बोली)-मेरा क्या..???
मैं (मुस्कुराते हुए)-टेंशन मत लो ..मैं स्कूल से आने के बाद यहा रुक कर जाउन्गा
सविता(खुश होते हुए)- ओकक सर…बट अभी तो स्कूल बंद है ना…आपने कहा था
मैं- तो क्या हुआ…मैं ऐसे ही आ जाउन्गा सोनू(सविता का बेटा) क्या करता रहता है
सविता-उसे क्या काम…आवारा की तरह घूमता रहता है
मैं – तो घर पर रहने का बोलो…नही तो बिगड़ेगा ही..
सविता-कहाँ मानता है मेरी…रुकता ही नही
मैं-कुछ ऐसा करो कि रुकने लगे
सविता-क्या करूँ
मैं-उसे भी जन्नत दिखा दो…फिर पड़ा रहेगा…हाहहाहा
सविता-हे भगवान..क्या बोल रहे हो…बेटा है मेरा
मैं-(गुस्से से)-साली मैं क्या लगता था तेरा..ऑर तू ही कहती तू ना कि चूत ओर लंड के बीच मे रिश्ते नही आते…
सविता(सोच कर)-ये नही होगा
मैं-तू कहे तो मैं हेल्प करूँ…बस तू हाँ बोल…
सविता-मैं आपको ना नही कह सकती,,,आप जानते है…लेकिन बेटे के साथ…
मैं-तू बस नये लंड के बारे मे सोच …ये मत सोच कि किसका है…
सविता…लेकिन सर…
मैं-चुप….मैने बोल दिया ना…तेरी चूत मे तेरे बेटे का लंड मैं डलवाउंगा…बस तू तैयार रहना…
सविता(खुश होते हुए)-सर नया लंड तो मुझे भी पसद है पर …देख कर कही बेटा भी हाथ से ना चला जाय…लंड के चक्कर मे..
मैं-तू वो मुझ पर छोड़ दे…मैं जैसा कहूँ,,,वैसा करना..बट अभी मैं जा रहा हूँ
सविता-ओके सर जैसा आप कहो…वैसे कुछ लाउ आपके लिए
मैं-ह्म्म्मज…1 कॉफी लाओ फिर…
सविता-जी अभी लाई.
सविता कॉफी बनाने चली गई ओर मैने सोच लिया कि अब सविता को उसके बेटे से चुदवा के रहुगा बट अभी फोकस संजीव की घर की तरफ….सविता को बाद मे देखेगे….….
ओर मैं संजीव के घर के लिए प्लान बनाने लगा
कॉफी पीते हुए मुझे कुछ आइडिया आया..अगर ये काम कर गया तो संजीव की मोम के साथ-साथ उसके घर की हर चूत ऑर गंद मैं ही मारूगा…बट इसमे रिस्क है..ऑर मुझे पहले किसी से बात करनी पड़ेगी…अकेले मुस्किल होगा
ये सब सोचते हुए मैने कॉफी ख़त्म की ऑर अपनी कार लेकर संजीव के घर की तरफ निकल गया…..
(संजीव का घर दो फ्लॉर का था
ग्राउंड फ्लॉर पर उसके मोम-डॅड ऑर उसके चाचा-चाची का रूम था ऑर बाकी सब भाई बेहन के रूम 1स्ट फ्लॉर पर थे…
संजीव के डॅड ओर अंकल साथ मे बिज़्नेस करते थे …उनकी स्वीट्स की शॉप थी….ज़्यादा बड़ी तो नही बट अच्छी शॉप थी ऑर पैसा अच्छा था क्योकि…उनकी शॉप की स्वीट्स शहर भर मे फेमस थी…क्वालिटी अच्छी देते थे ना……इसके अलावा अंकल को शेर मार्केट मे ट्रेडिंग करने की आदत थी…वो बेट्टिंग भी करते थे…पैसे की भूख थी उन्हे)
मैने कार बाउंड्री मे पार्क की ऑर मेन गेट पर नॉक किया ही था कि….
एक खूबसूरत माल ने गेट ओपन करते ही बोला…
लड़की-आ गये जनाब
मैं-(अंदर झाँक कर, आस-पास कोई नही था)-हाँ मेरी रानी
(ये लड़की ऑर कोई नही पूनम ही थी…संजीव की बड़ी बेहन ऑर मेरी 1 ऑर रांड़…ये मेरी कैसे बनी ये कहानी आगे आयगी…वेट कीजिए)
पूनम-अब यही रुकने का इरादा है या अंदर आओगे
मैं-क्यो नही…यहाँ अंदर आने के लिए ही तो आया हू,,,ऑर मेरा घौड़ा भी अंदर आयगा
पूनम-(मुस्कराते हुए)-हाँ…वो तो ज़रूर जाएगा…अब कहाँ –कहाँ जा पाएगा..ये तो कह नही सकते
मैं-अगर आप साथ दे तो हर जगह जायगा..इतना बोल कर मैने पूनम को आँख मार दी
तभी मुझे संजीव नीचे उतरकर मेरे पास आता हुआ दिखा ..मैने कहा
मैं-हाई ड्यूड
संजीव- आ गया तू
(संजीव की आवाज़ सुनकर पूनम सरीफ़ बनते हुए…अंदर चली गई ओर मैं संजीव के साथ हॉल के अंदर आ गया)
संजीव-मोम…अक आ गया है
(यहाँ मैं संजीव की मोम को मैं आंटी 1 ऑर संजीव की आंटी को आंटी 2 लिखुगा)
आंटी1-अर्रे …आओ-आओ बेटा(ये कहते हुए आंटी किचन से बाहर आई….
(मैने संजीव की मोम को पहले भी देखा था …माल तो वो थी ही लेकिन आज तो क़हर ही ढा रही थी …ऐसा इसलिए था क्योकि आज मैं उन्हे चोदने का सोच कर आया था)
मैं-हेलो आंटी
आंटी1- ऑर कैसे हो बेटा ..डॅड कैसे है
मैं-अच्छे है आंटी आप बताए
आंटी1-बस बेटा मज़े मे है
मैं आंटी को देख कर खुश हो गया ..क्या माल थी यार…38 के बूब्स होगे शायद …मज़ा आज़ायगा…ऑर गंद तो 40 से भी बड़ी होगी…इसकी गंद मारने मे मज़ा आयगा…यही सब सोच ही रहा था कि मेरे कंधे पर एक हाथ पड़ा…
संजीव- क्या सोच रहा है
मैं(मुस्कुराते हुए)- कुछ नही भाई
आंटी1- बेटा तुम बैठो मैं कॉफी लाती हूँ…तुम्हे कॉफी पसंद है ना…
मैं- हाँ आंटी…आपको याद है
आंटी 1- हाँ बेटा ,,,तुम भूल गये मुझे लेकिन मुझे तो सब याद है
(बचपन मे मैं आंटी के बूब्स देखता रहता था …एक बार आंटी ने मुझे ऐसा करते हुए देख भी लिया था…शायद वही बोल रही थी)
मैं-अरे नही आंटी मैं भी नही भूला….अब यहाँ रुकने वाला हूँ तो सब यादे ताज़ा हो जायगी….ऑर मैने मुस्कुरा दिया
आंटी1- (मुस्कुराते हुए)- हाँ बेटा सब ताज़ा हो जायगी…
इतना बोल कर आंटी1 किचेन मे चली गई तभी….दूसरी तरफ से एक मीठी सी आवाज़ आई…आरीए ..अक…कैसा है तू…मैने आवाज़ की तरफ देखा तो मेरी आँखे बड़ी हो गई
मेरे सामने संजीव की आंटी खड़ी थी….ये भी मस्त माल थी….38-32-40 का दमदार फिगर ऑर वो भी ब्लू कलर की मॅक्सी मे कयामत ढा रही थी…मेरा तो लंड तन ने लगा
आंटी2- क्या हुआ…पहचाना नही क्या
मैं-(होश मे आते हुए)- हाँ आंटी …पहचाना क्यो नही…कैसी है आप
आंटी2- आज टाइम मिला है पूछने का कि कैसी हू मैं…..कभी आता भी नही अब तो
मैं- अर्रे आंटी पढ़ाई ऑर स्कूल मे ही बिज़ी रहता हूँ….सॉरी
आंटी2-कोई बात नही पढ़ाई तो ज़रूरी है…बट कभी-2 आ जाया कर
मैं-हाँ आंटी बिल्कुल
इतने मे आंटी1 कॉफी लेकर आ गई ऑर हम सबने बैठ कर कॉफी विद अक स्टार्ट कर दिया…हाहहहहा…
तभी हॉल मे 2 लड़किया एंटर हुई ऑर आंटी2 से बोली…मोम मुझे मैथ की ट्यूशन करना है कुछ समझ नही आता स्कूल मे…दूसरी लड़की भी साथ देते हुए बोली मोम मुझे भी…
जब मैने मुड़कर देखा तो ये रक्षा ओर अनु थी…मुझे देखते ही
रक्षा-भैया आप….कैसे हो…कब आए
अनु- भैया इतने दिनो बाद …कहाँ रहते हो आप.
वो दोनो मुझसे पूछ रही थी ऑर मैं उन्हे देख कर खो सा गया कि क्या माल हो रही है दोनो….इनकी मिल जाय तो कली से फूल बना दूं…
अचानक अपनी सोच से बाहर आकर मैने कहा
मैं-मैं यही रहता हूँ…घर पर..ऑर इतने दिनो मे आया…मतलब क्या…कभी बुलाया जो ऐसा बोल रही हो…
रक्षा-तो आप बुलाने पर ही आओगे क्या….अपनी बहनो से मिलने भी नही आ सकते
अनु-हाँ भैया बोलो अब
मैं(मन मे सोचते हुए कि मुझे पता होता कि यह माल ही माल बन गये हो तुम सब तो ज़रूर आता…कोई बात नही अब आया हूँ तो आता ही रहुगा)
मैं-अरे ऐसा नही है…अच्छा बाबा सॉरी अब शिकायत का मौका नही दूगा ओके
रखा-ओके भैया…अब आप यही रुकिये कुछ दिन हमारे साथ
अनु-हाँ भैया…हमे मैथ पढ़नी है आपसे…आप तो स्कूल मे मत के टॉपर हो
(मैं चुदाई के पहले पढ़ाई मे भी आगे ही…अपने स्कूल का टॉपर ऑर मैथ मे तो मास्टर हूँ)
अनु ऑर रक्षा की बात सुनकर आंटी1 बोली…
आंटी1- हाँ बेटा अक 15 दिन यही रहेगा हमारे साथ
अनु-वाउ
आंटी-और ये तुमको भी पढ़ा देगा क्यो बेटा(यानी कि मैं)
मैं- हाँ आंटी क्यो नही…..इन्हे तो सिखाना ही पड़ेगा…तभी तो आगे बढ़ेंगी
रक्षा-सच्ची भैया….थॅंक यू
अनु-थॅंक्स भैया
आंटी2-अब तुम दोनो चेंज करके पढ़ने बैठ जाओ ….अक भैया भागे नही जा रहे
रक्षा-ओके मोम
अनु-ओके मोम
मैं संजीव आंटी1 और आंटी2 कुछ देर ऐसे ही बातें करते रहे फिर आंटी बोली
आंटी1-बेटा क्या बनाऊ…आज तुम्हारे मन का खाना बनाउन्गी
मैं-ऑंटी..आप जो बनाए वो ही अच्छा लगेगा मुझे तो
आंटी2-वेरी स्वीट …फिर भी तुम्हे बताना ही होगा
संजीव-मोम अक को तो चिकन ही सबसे ज़्यादा पसंद है
आंटी1- तो आज चिकन ही बनेगा
आंटी2- संजू(संजीव को प्यार से संजू बुलाते है) जाओ तुम मार्केट से चिकन लाओ…आज अक को अपने हाथ से बना के खिलाती हूँ
मैने मन मे कहा …तेरे जैसी मुर्गी मिल जाय तो रात भर दवा कर खाउन्गा
संजीव- अवी जाता हूँ
मैं-अर्रे ..क्या ज़रूरत है…ऑर कुछ बना लो
आंटी1-तू चुप कर…..संजू आ मैं पैसे देती हूँ, चिकन ला…ऑर मेघा(आंटी2) तू तैयारी कर खाने की….अक बेटा तू फ्रेश हो जा …मैं भी नहा लेती हूँ जब तक
(इसके बाद आंटी1 ऑर संजीव आंटी1 के रूम मे गये ऑर आंटी 2 मुझे उपर जाने का बोल कर किचेन मे चली गई)
मैने सीडीयो से उपर पहुचा तो दोनो तरफ 2-2 रूम थे
मैं 1 तरफ जा ही रहा था कि अचानक 1 रूम का गेट खुला ओर 1 हाथ ने मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खीच कर रूम के अंदर कर दिया ओर फिर अंदर से गेट बंद कर दिया
मैने पलट कर देखा तो पूनम थी
मैं- क्या कर रही है
पूनम-अब कंट्रोल नही होता…ओर इतना कह कर पूनम मेरे उपर टूट पड़ी ओर मुझे चूमने लगी
मैने उसे पीछे करते हुए कहा
मैं- यार कोई देख लेगा तो
पूनम- कोई नही आयगा …सब बिज़ी है…अनु ऑर रक्षा नहाने गई है…मेरी मोम भी नहाने गई है…भाई (संजीव) चिकन लेने मार्केट गया…आंटी किचेन मे है…डॅड ओर अंकल शॉप पर है..
इतना बोल कर पूनम मेरे पास आई ओर मेरे होंठो को चूसने लगी…मैं भी उसका साथ देने लगा…5 मिनट की किस्सिंग के बाद हम गरम होने लगे कि तभी नीचे से आवाज़ आई
आंटी 1- पूनम मैं नहाने जा रही हूँ…अक को कुछ चाहिए हो तो पूछ लेना
पूनम-हाँ मोम…उसे जो चाहिए वो दे दुगी..आप टेन्षन मत लो…ऑर पूनम मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी….ऑर मैं भी उसका साथ देने लगा
फिर हम किस करने लगे ….ऑर पूनम बोली
पूनम-आज रात को रेडी रहना….
मैं-बट संजीव
पूनम-तुम बस चुप रहना बाकी मुझ पर छोड़ दो
मैं-ओके
इतना बोलकर पूनम रूम से बाहर निकल गई…क्योकि ये रूम संजीव का था ऑर अगले 15 दिनो तक मेरा भी…
मैने भी अपना समान रखा ऑर फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चला गया…..
आज मैं संजीव के बाथरूम मे था….नहाते हुए मैं सोच रहा था कि ऐसा क्या करू कि संजीव की माँ को चुदाई के लिए तैयार करूँ…
मैं सोच रहा था कि पूनम की चुदाई भी करनी है बट संजीव के होते हुए कैसे कर पाउन्गा….