बुरके वाली चुद कर बेवफा हो गयी

बेवफ़ा सेक्स गर्ल स्टोरी में मुझे पर्दानशीं लड़की से इश्क हो गया. वह बेपनाह खूबसूरत थी. मैंने उससे प्यार का इजहार किया, उसने कबूल किया और हम आगे बढ़ने लगे और एक दिन हम एक जान हो गए.

दोस्तो, कहते हैं कि सौ में बस एक को सच्चा प्यार नसीब होता है.

मैंने भी किसी से सच्चा प्यार किया परन्तु उसी ने मुझे इस तरह बर्बाद कर दिया कि मैं आज तक प्यार के मामले में आगे बढ़ ही नहीं पाया.

कहानी लिखते समय मुझे इतना ज्यादा गुस्सा आ रहा था कि कहानी में उस बहन की लौड़ी के पूरे परिवार का नाम और एड्रेस लिख दूँ. ताकि उसकी बेवफाई पूरी दुनिया के लोगों की नजर में आ जाए.

दोस्तो, यह मेरी पहली और सच्ची सेक्स कहानी है.
मेरा नाम विवेक सिंह है, रंग गोरा, हाइट 5 फुट 11 इंच है. लंड का साइज 5.8 इंच है.

इस समय मैं दिल्ली में एक आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर काम कर रहा हूँ.
यह उस समय की बेवफ़ा सेक्स गर्ल स्टोरी है, जब मैं स्कूल में पढ़ता था और मैं करीब 19 साल का था.

उस समय मैं ग्यारहवीं क्लास में पढ़ाई कर रहा था.
छोटे कस्बे की खुली आबो-हवा और शुद्ध खान-पान के कारण मेरी देहयष्टि किसी जवान मर्द के जैसी लगती थी और कद काठी भी तगड़ी थी, तो मैं कहीं से भी स्कूल का छात्र नहीं लगता था.

मैंने इस बात को महसूस भी किया था कि कई लड़कियां और भाभियां मुझे खा जाने वाली नज़रों से देखा करती थीं.

उस समय कुछ ऐसा था कि मैं भाभियों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया करता था कि ये सब मुझे किसी और नजर से देखती होंगी.

लेकिन लड़कियों को लेकर मुझे भी अपने अन्दर से कुछ हेनू हेनू सा होता था.

उस समय मेरी क्लास में एक पर्दानशीन लड़की पढ़ती थी.
वह मुझे बहुत पसंद आ गई थी.

उसका नाम फातिमा था.

मैं उस लड़की से बात करता था और वह भी मुझे बहुत पसंद करने वाले तरीके से ट्रीट करती थी.

उसकी बातें इतनी मीठी मीठी सी लगती थीं कि बस उसके साथ बात करने से मेरा दिन बन जाता था.
आज भी उसकी मुस्कराहट याद करके दिल धाड़ धाड़ करने लगता है.

हंसते समय उसके गालों में गड्डे देखकर तो ऐसा लगता था कि इस पर सब कुछ न्यौछावर कर दूं.

शारीरिक दृष्टि से भी फातिमा एक हाहाकारी शै थी. (शै = वस्तु, चीज )

उसके 34 इंच के भरे हुए ठोस चूचे और तिस पर कसी हुई कुर्ती में उसके दोनों दूध देखकर तो किसी के भी लंड को सख्त कर देने में हर तरह से सक्षम थे.

दूध के उभारों के अलावा उसकी गांड भी एकदम गोल और बाहर को निकली हुई थी जो कि उसके चलने पर बेहद लयबद्ध तरीके से हिलती थी.
कई बार तो मुझे लगता था कि वह अपनी गांड को कुछ जानबूझ कर मटका कर चलती है.

मगर कई बार ध्यान से देखने पर ये समझ में आ गया कि वह अपनी गांड को मटकाती नहीं है बल्कि उसकी गांड नेचुरली ही मटकती है.

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सब मिलाकर फातिमा ने मेरे दिल को घायल कर दिया था और अब मैं उसे बेहद पसंद करने लगा था.

धीरे धीरे मुझे उससे सच्चा प्यार हो गया.
प्यार में पजेसिव कौन नहीं होना चाहता, अगर प्यार सच्चा है, तो हर कोई अपनी गर्लफ्रेंड का ख्याल रखना चाहता है और यही मेरी सबसे बड़ी गलती थी.

धीरे धीरे मैं फातिमा से कुछ ज्यादा ही मिलने लगा. कभी कोचिंग के पास, कभी किसी पार्क में. वह भी मेरे साथ सहजता से मिलती थी.

मैं उसकी हर एक जरूरत का ख्याल रखने लगा था.
वह भी मुझसे ही अपनी हर बात को साझा करने लगी थी.

कभी कभी वह मुझसे कहती कि फलां लड़के ने मुझे कुछ गलत नजर से देखा है तो मुझे उस लड़के पर गुस्सा आ जाता था और मैं उस लड़के को मारने पर आमादा हो जाता था.

ये सब मेरी पजेसिव होने की आदत के चलते होने लगा था.

मैं फातिमा को अपनी बीवी समझने लगा था और एक बार को भी ये नहीं सहन कर सकता था कि मेरी फातिमा को कोई नजर उठा कर भी देखे.

हम दोनों ने साथ में कंप्यूटर कोर्स किया जहां पर मैंने उसे पहली बार किस किया था.

उस दिन फातिमा ने मुझसे आई लव यू भी कहा था, तो मुझे ऐसा लगा था कि बस अब जिंदगी का सारा फलसफा हासिल कर लिया है और अब कुछ भी हासिल करने के लिए बाकी नहीं बचा है.

उसके साथ मेरी चुम्मियों का दौर चलना शुरू हुआ, तो समझ आया कि अभी तो सिर्फ चूमा ही लिया है. अभी तो फातिमा के हर अंग को छूना और सहलाना बाकी है.

उसे सहलाने और चूमने पर बात पहुंची तो समझ आया कि इसको छूने से लौड़े की हालत खराब हो जाती है तो इसकी बुर की चुदाई ही मेरा सबसे बड़ा लक्ष्य होगा.

अब हमारी बातें दिन रात सेक्स की होने लगी थीं.
फोन सेक्स के जरिए हम दोनों खुल कर लंड चूत की बातें करने लगे थे.

उस वक्त तक वीडियो कॉल की इतनी अधिक सुविधा नहीं थी तो वह मजा हम दोनों नहीं ले सके.

फिर एक दिन वह आया जब फातिमा मेरे साथ चुदाई के लिए राजी हो गई थी और उसने खुल कर कह दिया था कि उसे मेरे लंड को अपनी बुर में लेना है.

समय देख कर उस दिन मैंने उसे अपने रूम पर बुलाया.

और जब वह रूम पर आई तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था.
वह मस्त काले रंग का बुर्का पहन कर आई थी.

आते ही उसने बुर्का उतारा तो अंदर वह मरून रंग का सलवार सूट पहनी हुई थी और इस ड्रेस में उसका बदन चमचम चमक रहा था.

हम उस दिन एक दूसरे के पूरे करीब आ गए.

रूम में आते ही मैं उसे किस करने लगा और वह भी पहले की तरह किस किए जा रही थी.
मेरा हाथ उसकी बॉडी को पूरी तरह छू रहा था.

धीरे धीरे मेरा हाथ उसकी चड्डी में जाने लगा और वह मदहोश होती चली गई.

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फिर मैं किस करते करते उसकी पैंटी के पास आया और अपने मुँह से उसकी चूत को चूसने लगा.

मैं उसकी चूत के दाने को अपने दांत से काट भी रहा था और फातिमा मेरी जान रह रह कर आहें भर रही थी, कराह रही थी.
वह मेरा सिर अपनी चूत में दबाए जा रही थी.

मैं अपने दोनों हाथों से उसके हाथ, बूब्स और पेट पर सहलाए जा रहा था.

वह पूरी तरह अब मेरी होना चाहती थी और उसकी आह आह उम्म उम्म्ह … की कामुक आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं.
मैं भी वासना में पूरी तरह मदहोश होता चला गया.

जब उससे रहा नहीं गया तो वह अंत में बोली- यार विवेक, अब अन्दर डालो ना, मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ.

लेकिन मैं उसकी चूत को पूरी तरह चूसने में मस्त था और मानो चूत को खा जाना चाहता था.
साथ ही मैं उसके मुँह में अपनी उंगली डाल दिया करता था.

फिर मैंने अपनी अंडरवियर निकाली और उसकोलिटा कर उसके नंगे जिस्म के ऊपर आ गया.

उसने खुद अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद में टिकाया और नीचे से अपने चूतड़ उछल कर मेरा लंड अपनी चूत में घुसवाने की कोशिश की.

तो मैंने भी ऊपर से दबाव दिया और उसकी चूत में मेरा 5.8 इंच का मोटा लंड उसके अन्दर समाता चला गया.

मैं अब धीरे धीरे उसके अन्दर धक्का मारता गया और वह भी मस्त होकर मेरा साथ दे रही थी.
बार बार उसके मुँह से बस एक ही आवाज आ रही थी- आई लव यू विवेक … मेरे जान!

उसकी यही ‘लव यू.’ सुनकर मैं उसके प्यार में खोता चला गया.

कुछ देर बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और अपनी दो उंगलियों से उसकी चूत को चोदने लगा था.

लेकिन वह बार बार मेरा लंड अपने हाथ से पकड़े जा रही थी.

फिर कुछ टाइम बाद मैं वापस उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मम्मों के साथ खेलने लगा, उसके बूब्स को बारी बारी से मुँह से काटने लगा जिससे वह पागल होती चली गई.

अपने हाथ की दो उंगलियों को मैं उसकी चूत में अभी भी डाले हुए था.

मैं बार उसके होंठ को चूमता, पेट को चूमता, हाथ को चूमता.
मुझे ऐसा मादक अहसास आज तक कभी नहीं हुआ था.

उसकी तेज सांसों की आवाज से मैं उसमें पूरी तरह खोता चला गया था.

मैं अपनी उंगली को बार बार चूत से निकाल कर उसके मुँह में डाल रहा था और वह अपनी चूत का पानी चाट कर और मस्त हुई जा रही थी.

कुछ देर बाद मैंने पोजीशन बदली.

मैंने डॉगी स्टाइल में उसको बेड से टिका कर खड़ा किया और वह बिना किसी विरोध के उस पोजीशन में आ गई.
फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला और धक्के देने लगा.

वह ‘आह आह आह जान लव यू विवेक लव यू विवेक … आआह … और तेज तेज … और तेज चोदो.’ की आवाज निकाले जा रही थी.

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मैं उसे बिना किसी सेफ्टी के यानि बिना कंडोम लगाए चोदे जा रहा था.
मैं बार बार उसके शरीर के अंगों को चूमता रहा और उसे चोदता रहा.

उस वक्त मदहोशी का आलम ऐसा था कि बस मैं उसे अपने अन्दर समाए जा रहा था.

उस दिन मैंने उसे बहुत देर तक बिना रुके चोदा.
मेरी चुदाई से वह झड चुकी थी और वह पूरी तरह संतुष्ट थी.

इस चुदाई के बाद हमारे बीच 5 बार सेक्स हुआ.

मैं उसके लिए बहुत ज्यादा पागल हो गया था और इसी कारण से उसने मुझे धोखा दिया.

उसकी बेवफाई को मैंने रंगों हाथ पकड़ा.
मैं उसे बार बार समझा रहा था- प्लीज, ये सब मत करो!
लेकिन वह बार बार धोखा दे रही थी.

अंत में मैंने उससे बात ना करने का फैसला लिया.

आज भी मुझे उसकी याद आती है लेकिन वह मुझे कभी भी एक मैसेज नहीं करती है.

मुझे उसकी याद ने उसके नाम का सलमान बनाकर रख दिया है.

आज हमारे ब्रेकअप को 4 साल हो गए हैं, मैं उसे भूल ही नहीं पा रहा हूँ.

उसके बाद मेरी लाइफ में बहुत लड़कियां आईं, लेकिन मैंने किसी के साथ आगे बढ़कर रिलेशन का नाम देने की कोशिश नहीं की; बस चोदा और आगे बढ़ गया.

मुझे कहीं न कहीं मन में ये बैठ गया था कि किसी को सच्चे दिल से प्यार किया और जब वह दिल तोड़ कर चली गई है, तो अगर मैं किसी के साथ रिलेशन में आता हूँ … तो वह मेरा प्यार समझेगी या वह भी फातिमा की तरह ही निकलेगी.

क्या कोई अच्छी लड़की सेक्स के बाद भी ब्रेकअप कर सकती थी, ये मैं आज तक नहीं स्वीकार कर पाया.

मैं हमेशा उसके लिए लॉयल था, मुझे नहीं पता मैं ये अपनी बेवफ़ा सेक्स गर्ल स्टोरी लिखकर सही कर रहा या गलत!

आज वह जिस किसी के भी साथ हो मेरी बस एक ही दुआ है कि वह खुश रहे और मैं भी लाइफ में आगे बढ़ जाऊं.

शायद ये मेरी पहली और आखिरी कहानी हो.

अगर आप सब का रिस्पॉन्स अच्छा आता है तो मैं आगे वाली कहानी में ये बताऊंगा कि उसने मुझे कैसे चीट किया. और मैं उससे इतना प्यार क्यों करता था, हूँ और शायद हमेशा करता रहूंगा.

मैंने प्यार को कभी पैसे से नहीं तोला लेकिन जिससे मैंने प्यार किया, उसने हमेशा प्यार को पैसे से तोला.

सच्चा प्यार हमेशा गलत इंसान से होता है. कुछ लोग आगे बढ़ जाते हैं, कुछ लोग उन्हीं की यादों के सहारे जीते रहते हैं कि काश एक दिन उसका मैसेज आएगा और हम फिर से पहले जैसा सब ठीक हो जाएगा.
आपके विचार मुझे जरूर कुछ न कुछ रास्ता दिखाएंगे.

मुझे बता सकते हैं कि आपको यह बेवफ़ा सेक्स गर्ल स्टोरी कैसी लगी?

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