घर की मुर्गियाँ 14

टीना पूरे जोश में आ चुकी थी, कहा- “अरे… अंकल आप डालिए तो… अब मैं कोई बच्ची नहीं जो थोड़ा दर्द भी बर्दाश्त ना कर सकूँ..” और टीना ने अजय का लण्ड अपने हाथों में पकड़ लिया।

टीना एकदम बिन पानी मछली जैसे तड़प रही थी और टीना से कंट्रोल नहीं हो रहा था। टीना ने लण्ड को अपनी चूत पर रख दिया, और कहा- “अंकल कम ओन… निकाल लो इंडिया से आज सारा मक्खन…”

अजय भी पूरे जोश में था, लण्ड चूत की फाँक से टिका दिया, और पूछा- “टीना तुम तैयार हो?”

टीना- “हाँ अंकल कम ओन…”

अजय ने चूत पर लण्ड का हल्का सा दबाव दिया, मगर लण्ड स्लिप हो गया।

टीना- क्या हुआ अंकल? –

अजय बेटा, अबकी बार चला जायेगा..” और इस बार अजय ने थोड़ा तेज झटका मारा, मगर इस बार भी कामयाब नहीं हुआ।

टीना- क्या हुआ अंकल, कुछ लगा लीजिए?

अजय ने खूब सारा थूक चूत पर लगाया और अपने लण्ड को भी थूक से चुपड़ लिया। फिर लण्ड को चूत पर टिकाकर धक्का लगाया, तो लण्ड चर्रर की आवाज के साथ घसता चला गया।

टीना- “उईई माँ मर्रर गई आज तो… अंकल हाईई इसस्स्स… निकाल लो प्लीज़्ज… बाहर निकाल लो अंकल… उफफ्फ… आईई… इसस्स्स .”

अजय- बेटा बस हो गया… सबर कर जितना दर्द होना था हो गया।

टीना- हाय अंकल, मेरी जान निकल रही है प्लीज़्ज़… बाहर निकाल लो इस्स्स…”

अजय- “टीना मेरी बच्ची, बस और अंदर नहीं करूँगा..” और अजय कुछ देर यूँ ही लण्ड डाले हुए चूचियों को मसलता रहा।

टीना को थोड़ी देर में कुछ राहत सी मिली।

अजय- टीना बेटा, अब दर्द कैसा है?

टीना- “इसस्स्स… हाँ कुछ कम है आह्ह..”

अजय लण्ड को बाहर की तरफ खींचने लगा। टीना फिर से तड़पने लगी। अजय चूचियों के निप्पल चूसता रहा जिससे टीना को कुछ राहत मिल रही थी। फिर अजय ने एक ऐसा शाट मारा की इस बार लण्ड सील तोड़ता हुआ अंदर जड़ तक समा गया। टीना की एक जोरदार चीख रूम में गूंज गई।

टीना- “मम्मीईईई मर गईई..” … करती रही।

अजय अब रुकने वाला नहीं था। शाट पर शाट मारता गया। टीना आहह… उईईई… इस्स्स्स दनादन धक्के पर धक्के लगाता रहा। टीना भी नार्मल हो चुकी थी।

टीना- “अयाया अंकल, तुमने तो मेरी आज जान ही ले ली थी…”

अजय- क्यों, अब कैसा लग रहा है?

टीना- “हाँ करते रहो अंकल, अच्छा लग रहा है… आहह… फच-फच-फच…” टीना का मक्खन निकलने वाला था
और टीना को घबराहट महसूस होने लगी और टीना अजय की तरफ उठती चली गई।

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अजय- हाय टीना, तेरा मक्खन तो निकल गया… मेरी मलाई निकलने वाली है।

टीना- “हाँ लाओ अंकल मलाई तो मुझे भी चूसनी है..” और टीना ने लण्ड को मुँह में भर लिया।

अजय ने दो-तीन झटके मुँह में लगाया, और झड़ गया। टीना सारा रस चाट गई।

अजय- मजा आ गया… क्यों टीना तुम्हें कैसा लगा?

टीना- “अंकल ये केला तो जादू की छड़ी जैसा है, कितना दर्द दिया पहले और फिर तो बस ऐसा लग रहा था
अंकल की आपसे जितना हो सके तेज-तेज करते रहो…” तभी अजय की नजर घड़ी की त तो दो घंटे बीत चुके थे। अंजली और किरण किसी भी वक्त पहुँच सकती थी।

अजय- “टीना बेटा, जल्दी से कपड़े पहन लो। कहीं अंजली या किरण को शक हो गया तो मुसीबत में पड़ जायेंगे.” कहकर अजय ने फटाफट पैंट शर्ट पहनी और रूम से बाहर निकल गया, और दरवाजे का बंद खोल दिया।

टीना भी कपड़े पहनकर बेड से नीचे उतरी। मगर टीना के पैर जमीन पर रखे नहीं जा रहे थे। टांगों में इस कदर अकड़ाहट हो रही थी। टीना को चूत में ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत अंदर से छिल गई हो। टीना ने जैसे तैसे बेड की चादर सही की और बाथरूम में पहुंचकर थोड़ा फ्रेश हुई। इस दौरान अजय रूम में बैठा टीवी देखने लगा।

तभी दरवाजा खुलने की आवाज हुई। अंजली और किरण अंदर आ गई थी।

अंजली- आपको कितनी देर हो गई आये हुए?

अजय- दो घंटे हो गये।

तभी टीना भी बाहर आ जाती है। टीना से ठीक से चला नहीं जा रहा था।

किरण- तुझे क्या हुआ, क्यों लड़खड़ा कर चल रही है?

टीना- मम्मी मेरा पैर फिसल गया।

किरण- तुझसे कितनी बार कहा है, इतनी ऊँची सेंडल मत पहना कर। चल अब घर चलते हैं।

अजय- अरे… भाभीजी बैठो, चली जाना।

किरण- भाई साहब, अभी तो मुझे सब्जी भी बनानी है।

अजय- आज क्या सब्जी बनाओगी?

किरण भी एक स्माइल देते हुए- “बैगन की सब्जी, खानी है आपको?”

अजय- “आज नहीं फिर कभी खायेंगे आपकी सब्जी…”

अजय और किरण में बात भी हो गई और अंजली और टीना को कुछ शक भी नहीं हुआ, और किरण टीना को लेकर चली गई।

समीर और नेहा पार्टी में मसगूल थे। आज नेहा भी गजब की हसीन लग रही थी। सबकी नजरें नेहा को निहार रही थीं, और समीर के मोबाइल पर मेसेज की टोन बजती है। समीर फोन देखता है।

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दिव्या के 4 मेसेज आये हुए थे, दो घंटा पहले ही।

फिर- हेलो।
फिर- बिजी हो कोई जवाब नहीं?
अब क्या हुआ? समीर जवाब क्यों नहीं दे रहे?

समीर- ओह्ह… गुड दिव्या के इतने मेसेज? क्या बात है आज?
समीर- हाय दिव्या हाउ आर यू?

दिव्या- कहां बिजी हो, कब से मेसेज कर रही हूँ?

समीर- हाँ, मैंने अभी देखा। मैं ड्राइव कर रहा था मुझे पता नहीं चला।

दिव्या- गेम खेलोगे गाने वाला?

समीर- हाँ हाँ क्यों नहीं? लेकिन अभी मैं एक पार्टी में हैं। रात में खेलते हैं।

दिव्या- ओके जब फ्री हो जाओ, मेसेज कर देना।

समीर- “ओके दिव्या बाइ…”

समीर मन में- “आज कहां फ्री होऊँगा… आज तो मुझे टीना का महरत करना है। आज रात तो हमारी सुहागरात है…”

ये सोचते ही समीर के लण्ड में झटका सा लगा। समीर मन में- “मेरे मुन्ना थोड़ा सब्र कर। आज तुझे बंद कली को फूल बनाना … तेरे इंतजार में वहां सूख रही होगी..” और समीर नेहा के पास जाता है।

समीर- नेहा चलें अब?

नेहा- हाँ भइया चलिए।

समीर महेश अंकल से विदा लेकर निकल गया। समीर के मन में लड्डू फूट रहे थे।बस माइंड में टीना का चेहरा ही नजर आ रहा था। पीछे बाइक पे बेठी नेहा की कटोर चूचियां भी समीर को महसूस नहीं हो रही थीं। समीर सिर्फ टीना को सोचते हए बाइक चला रहा था। आज ये रास्ता भी समीर से कट नहीं रहा था। रात के 8:00 बजे दोनों घर पहुँचते हैं।

समीर सोचता है- “काश… टीना आये दरवाजा खोलने..”.

समीर को जाने क्यों आज टीना के अलावा कछ नहीं सूझ रहा था। आज बस टीना मिल जाय तो उसकी मदमस्त जवानी से खेलूं रात भर, और यही सब सोचते हुये डोरबेल बजाता है।

अंजली ने दरवाजा खोला- “आ गये मेरे बच्चों..”

नेहा- जी मम्मी ।

दोनों अंदर आ गये। मगर टीना कहीं दिखाई नहीं दी। समीर की नजरें टीना को तलाश कर रही थी।

नेहा- मम्मी, टीना चली गई क्या?

अंजली- हाँ बेटा, उसका पर स्लिप हो गया था।

नेहा- कैसे, कब? चोट ज्यादा तो नहीं आई?

अंजली- पता नहीं बेटा, हम तो कीर्तन से आये तो बेचारी लंगड़ा कर चल रही थी। तू फोन पर मालूम कर ले।

नेहा- “जी मम्मी, अभी पूछ लूँगी…” और अपने रूम में पहुंचकर कपड़े चेंज किए।

फिर टीना के बारे में सोचने लगी। जब दिन में टीना के पास फोन आया था, वो पापा की काल थी। पापा ने टीना को फोन क्यों किया? और फिर टीना ने हड़बड़ा कर डिसकनेक्ट भी कर दिया था? कही पापा और टीना में तो कुछ? नहीं नहीं, ये मैं क्या सोचने लगी। ये नहीं हो सकता। मगर नेहा का दिल बोल रहा था टीना ऐसा भी कर सकती है। कहीं आज टीना ने पापा से तो मुँह काला तो नहीं कर लिया? तभी इसलिए लड़खड़ा कर चल रही थी? टीना कुछ सोचकर बेड से उतरी, और रूम की सारी लाइटें जला दी, और अपने रूम का अच्छी तरह मुआइना करने लगी। शायद कोई क्लू मिल जाय टीना का?

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मगर ऐसा कुछ नेहा को नजर नहीं आया। बेड की चादर वगेरह भी सलीके से बिछी हुई थी। टीना कुछ सोचकर अपने रूम से बाहर आई। अजय छत पर टहल रहे थे और अंजली किचेन में थी। नेहा अजय के बेडरूम में पहुँच गई। अजय के रूम की हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी। नेहा शायद कुछ ढूँढना चाहती थी। तभी नेहा को चादर पर एक गीला सा धब्बा नजर आ गया। नेहा का दिल धड़क उठा।

नेहा मन में- “कुतिया है पूरी टीना… इसने तो मेरे बाप को भी नहीं छोड़ा…” और नेहा बेड के चादर का मुआइना सा कर रही थी। तभी एक छोटा सा खून का धब्बा भी नजर आ गया। अब नेहा को पूरा कन्फर्म हो चुका था की पापा ने आज टीना की सील्ल तोड़ दी है, और नेहा अपने रूम में आकर टीना को काल करती है।

नेहा- हेलो टीना कैसी है? क्या हुआ तुझे?

टीना- कुछ नहीं यार, पैर में मोच आ गई है।

नेहा- कोई और बात तो नहीं?

टीना- नहीं नहीं और कोई बात नहीं है।

नेहा- तू मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रही?

टीना- भला में क्या छुपाऊँगी तुझसे?

नेहा- चल रखती हूँ बाइ।

नेहा मन ही मन- “अरे कुतिया है टीना ऐसे कुछ नहीं बातायेगी। हरामजादी ने पापा के लण्ड से सील तुड़वा ली..”

मगर नेहा परेशान थी। आज नेहा के अंदर एक ज्वाला भड़क रही थी टीना के लिए। नेहा ने फैसला किया अभी टीना के घर जाने का। नेहा ने मम्मी से बोला- “मम्मी, मैं टीना को देखने जा रही हैं। रात को वहीं रुकुंगी…”

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