शीला की लीला – 14 | Hindi Sex Story

दूसरे दिन कविता शीला भाभी के घर आई.. और बातों बातों में कहा “भाभी, शहर के उस कोने पर एक बाबा आए है.. मैंने उनकी मन्नत रखी थी… तो मुझे उनके दर्शन करने जाना है.. आप चलोगी मेरे साथ??”

शीला: “हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. पर किस बात की मन्नत रखी थी तूने?कोई गुड न्यूज़ है क्या??” आँख मारकर उसने कहा

कविता: “क्या भाभी आप भी!! ऐसा कुछ नहीं है.. मैंने तो पीयूष की नौकरी के लिए मन्नत रखी थी.. अब नौकरी मिल गई है तो मुझे दर्शन करने जाना है ताकि मन्नत पूरी हो सके। “

शीला: “बहोत बढ़िया.. वैशाली, तू भी चल हमारे साथ दर्शन के लिए”

वैशाली: “नहीं मम्मी.. मेरे पिरियड्स चल रहे है.. ” वैशाली ने गोली दी

शीला: “कोई बात नहीं.. तू घर पर आराम कर.. हम दो-तीन घंटों में वापिस लौट आएंगे”

वैशाली: “हाँ.. आप दोनों दर्शन के लिए हो आइए.. और कविता.. जा रही हो तो तुम गुड न्यूज़ वाली मन्नत भी मांग ही लेना बाबा से”

कविता शरमाकर चली गई

दोपहर के तीन बजे चाय पीने के बाद शीला और कविता बाबा के धर्मस्थान पर जाने के लिए निकले..

शीला: “बाप रे.. कितनी गर्मी है!! चल ऑटो ले लेते है”

जाते हुए कविता ने वैशाली को आँखों ही आँखों में इशारा कर दिया.. चालाक शीला ने कनखियों से कविता की इस हरकत को देख ही लिया

कविता: “इतनी धूप भी नहीं है भाभी.. चल कर ही जाते है.. बेकार में ऑटो वाला १०० रुपये ले लेगा” कविता चलकर जाना इसलिए चाहती थी ताकि वैशाली को ज्यादा से ज्यादा वक्त मिले

शीला का शातिर दिमाग ये सोच रहा था की आखिर कविता ने वो इशारा क्यों किया? क्या जान बूझकर वैशाली नहीं आई? घर पर रहने के पीछे क्या कारण होगा वैशाली का?

कविता और शीला चलते चलते जैसे ही नुक्कड़ से बाहर निकले, वैशाली ने हिम्मत को फोन किया.. और उससे कहा की दो घंटों का वक्त था मिलने के लिए और वो उससे मिलना चाहती थी..

हिम्मत तुरंत ही वैशाली के घर आने के लिए निकला.. उसके घर की गली में घुसते ही पुरानी यादें ताज़ा हो गई.. जब वो कॉलेज में था तब वैशाली की एक झलक पाने के लिए रोज इस गली से गुज़रता था.. वैशाली उसे देखकर बड़ी प्यारी सी मुस्कान देती.. पूरा दिन अच्छा जाता था हिम्मत का.. कितना खुश था वो जब वैशाली ने उसकी मित्रता का स्वीकार किया था.. हिम्मत की मोटरसाइकिल ७० की स्पीड से चल रहा था फिर भी उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वक्त थम सा गया था..

हिम्मत का दिल जोरों से धड़कने लगा था.. अपनी प्रेमीका को ८ साल में पहली बार देखने वाला था.. आठ सालों में ज़िंदगी कितने उतार चढ़ावों से गुजर गई.. वैशाली की शादी के बाद हिम्मत अकेला पड़ गया था..

सुशील और संस्कारी हिम्मत बड़े ही अच्छे स्वभाव का था.. उसके संपर्क में आने के बाद वैशाली उससे बेहद प्रभावित हुई थी.. हमेशा खुशमिजाज में रहने वाला और सकरात्मकता सोच से भरा हुआ हिम्मत वैशाली को बहोत पसंद था.. वो देखने में खास नहीं था और सीधा साधा था इसलिए उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.. कॉलेज के बाकी लड़कों के मुकाबले हिम्मत कभी भी लड़कियों को इम्प्रेस करने की कोशिश नहीं करता था.. सामान्य दिखावे वाले हिम्मत के साथ खूबसूरत वैशाली को देखकर कॉलेज के लड़के ठंडी आहें भरते रहते थे

घर की डोरबेल दबाते वक्त भी हिम्मत के हाथ कांप रहे थे.. आठ सालों के बाद अपनी प्रेमीका को मिलने और देखने का मौका मिल रहा था.. अपने रुमाल से उसने आँखें पोंछ ली।

हिम्मत को वो दिन याद आ गया जब वैशाली और वो आखिरी बार मिले थे.. फुट फुट कर रो रही थी वैशाली.. उसकी पीठ सहलाते हुए उसने कहा था “मत रो यार.. हमारे यहाँ कोई भी लड़की कभी प्रेमीका नहीं हो सकती.. केवल मजबूर हो सकती है.. सदियों से चलता आया है ये.. कौन सी नई बात है !!”

आखिर हिम्मत ने डोरबेल बजा ही दी.. दरवाजा खुलते ही वैशाली ने उसका स्वागत किया.. पराई पराई सी लग रही थी उसे.. वो नजर भी नहीं मिला पाया

वो यंत्रवत सोफ़े पर बैठ गया और वैशाली उसके लिए पानी का ग्लास लेकर आई.. हिम्मत को देखते ही वैशाली अपनी सुध-बुध खो चुकी थी

“कैसी हो वैशु.. आई मीन.. वैशाली.. ?” पानी का ग्लास लौटाते हुए हिम्मत ने कहा

“अगर तू मुझे औपचारिकता से मिलने आया है तो अभी चला जा यहाँ से.. सालों से कान तरस रहे है मेरे.. तेरे मुंह से “वैशु” सुनने के लिए.. ” इतना बोलते बोलते वैशाली थक गई

हिम्मत का ये स्वभाव था की वो गंभीर से गंभीर वातावरण को अपनी हल्की फुलकी बातों से निखार सकता था.. उसकी मृत पत्नी संध्या को ये बात जरा भी पसंद नहीं थी.. वो हमेशा कहती की हिम्मत किसी बात को लेकर सिरियस होता ही नहीं है.. जवाब में हिम्मत ये कहता की ज़िंदगी हल्की फुलकी होनी चाहिए.. वरना जीना मुश्किल हो जाएगा

हिम्मत: “एक बात बता वैशाली”

वैशाली: “नहीं बताऊँगी और जवाब भी नहीं दूँगी जब तक तू मुझे वैशु कहकर नहीं पुकारेगा.. “

हिम्मत: “ठीक है बाबा.. वैशु.. तू कलकत्ता जाकर इतनी बदसूरत कैसे हो गई? मैंने तुझे जब विदा किया था तब गुड़िया जैसी सुंदर थी तू.. मैं तुझे वैशु कहकर इसलिए नहीं पुकार रहा था क्योंकी तू पुरानी वाली वैशु जैसी लग ही नहीं रही है”

हिम्मत की बात का बुरा मानने की बजाए वैशाली को अच्छा लगा

वैशाली: “तुझ से जुड़ा होने के बाद.. जिस्म की तो छोड़.. जिंदगी में भी किसी प्रकार की सुंदरता नहीं बची.. ” ग्लास को टेबल पर रखते हुए बोली

हिम्मत वैशाली के गदराए जिस्म को देखता ही रहा.. शादी के बाद लड़की के शरीर में कितने परिवर्तन आ जाते है !!!

हिम्मत: “मोटी हो गई है तू वैशु”

वैशाली: “पराई औरत को इस तरह घूर घूर कर नहीं देखते.. कहाँ गाहे तेरे वो संस्कार??” मज़ाक करते हुए वैशाली ने कहा। हालांकि हिम्मत के वही विचारों के कारण वो उससे आकर्षित हुई थी.. इसकी बदौलत ही वो बाकी लड़कों से अलग लगता था.. कॉलेंज में कभी मस्ती मस्ती में वो हिम्मत को ऐसी तैसी जगह पर छु भी ले तो हिम्मत उसे बड़ा लेक्चर सुना देता था.. और तब वैशाली का मन करता था की वो बोलत ही रहे और वो सुनती रहे..

हिम्मत को चिढ़ाने के लिए वो कभी कभार ऐसे बैठती थी की उसके स्तन हिम्मत को छु जाएँ.. तब हिम्मत उसे कहता “तू बात करने आई है या मेरी मर्दानगी की परीक्षा लेने?” हिम्मत उसे टोक कर दूरी बना लेता

पर वो पुराना समय चला गया था.. हिम्मत और वैशाली के जीवन में काफी परिवर्तन आ चुके थे। वैशाली के जीवन को संजय नाम की सूनामी ने तहस नहस कर दिया था और हिम्मत की जीवनसंगिनी की आकस्मिक मृत्यु ने उसके जीवन में भूकंप सा ला दिया था

वैशाली ने हिम्मत को दायें हाथ की हथेली को अपने हाथ में लेकर कहा “मैं अब भी तुम से बहोत प्यार करती हूँ हिम्मत” मौका मिलते ही स्त्री अपने प्रेम का इजहार जरूर करती है.. हिम्मत ने जवाब नहीं दिया

थोड़ी देर की चुप्पी के बाद हिम्मत ने कहा “वैशाली, मुझे लगता है की मुझे यहाँ ज्यादा देर रुकना नहीं चाहिए”

हिम्मत सोफ़े से खड़ा हो गया..

वैशाली: “क्यों क्या हुआ? यहाँ कोई रिस्क नहीं है.. तू आराम से बैठ”

हिम्मत: “बात दरअसल ऐसी है की.. पिछले दो सालों से मैं शरीरसुख से वंचित रहा हूँ.. संध्या का केन्सर डिटेक्ट होने के बाद से लेकर उसकी मृत्यु तक.. हमारे बीच पति पत्नी वाले जिस्मानी तालुककात नहीं थे ये जाहीर सी बात है.. आज तुझे देखने के बाद मुझे कुछ कुछ होने लगा है.. इससे पहले की मुझसे कोई भूल हो जाएँ.. मुझे चले जाना चाहिए”

वैशाली: “हमारे बीच ऐसा पर्दा कब से आने लगा हिम्मत? मेरे इजहार के बाद.. मेरी हर सांस पर तेरा अधिकार हो गया था.. तूने उसका फायदा नहीं उठाया था वो तेरी सज्जनता थी.. पर अगर कुछ किया भी होता तो गलत नहीं होता.. आज भी मेरे जिस्म पर तेरा उतना ही अधिकार है, हिम्मत.. सच्चाई तो ये है की संजय के साथ सेक्स करते वक्त भी में अपने मन मैं तुझे ही याद करती हूँ.. अगर ऐसा न करती तो मैं संजय का कभी स्वीकार ही नहीं कर पाती.. आ जा हिम्मत.. और स्वीकार कर ले मेरे जिस्म का” एक ही सांस में सारी बात बोलकर वैशाली ने अपनी छाती से दुपट्टा हटाकर फेंक दिया.. उसकी भारी छातियाँ ऊपर नीचे हो रही थी.. देखकर उत्तेजित ना हो ऐसा नामर्द भी नहीं था हिम्मत​

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उसने वैशाली को बाहों में भर लिया.. और काफी देर तक जकड़ कर लिपटा ही रहा.. वैशाली के भरे भरे स्तन हिम्मत की छाती से दबकर चपटे हो गए.. अपने प्रेमी की पीठ को सहलाते हुए वो उसे उसकी पत्नी संध्या की मृत्यु का आश्वासन दे रही थी.. कंधे पर गरम गरम स्पर्श होने पर वैशाली ने हिम्मत को अपनी बाहों से अलग किया.. और देखा तो वो रो रहा था.. हिम्मत के इस रूप को उसने पहली बार देखा था

वैशाली: “शांत हो जा हिम्मत… जीवन के कठिन से कठिन प्रश्न का चुटकी में हल ढूंढ लेने वाले को रोना शोभा नहीं देता.. ” धड़कते दिल के साथ अपने प्रेमी को सांत्वना देने के लिए वैशाली ने अपने होंठ हिम्मत के होंठों पर रख दिए..

दोनों की आँखों से सावन-भादों बरस रहे थे.. हिम्मत वैशाली के होंठ चूसते हुए अपनी उत्तेजना को ज्यादा देर तक छुपा नहीं पाया.. वैशाली को अपनी जांघों के बीच हिम्मत के कड़े लंड के उभार का स्पर्श महसूस होने लगा

वैशाली अपना हाथ नीचे ले गई और पेंट के ऊपर से उसके लंड को सहलाया.. वस्त्र के ऊपर से भी उसे लंड की गर्मी महसूस हो रही थी.. “ओहह वैशाली.. आज क्यों मुझे ऐसा हो रहा है? मैं अपने आप पर नियंत्रण क्यों नहीं रख पा रहा हूँ?”​

वैशाली: “नियंत्रण रखने की कोई जरूरत भी नहीं है.. कुदरत के नियमों को भला कौन नियंत्रित कर पाया है.. !! इस सुख के लिए मैं सालों से तड़प रही हूँ.. आह.. प्लीज हिम्मत.. आज मुझे संतुष्ट कर दे.. तृप्त कर दे.. बहोत तरस रही हूँ मैं.. आज प्लीज अपनी सारी मर्यादा त्याग दे.. और मुझे अपने अंदर समा ले”

तब तक तो वैशाली हिम्मत के पेंट से उसके लंड को बाहर निकाल चुकी थी.. हिम्मत के लंड का कद देखकर वैशाली की उत्तेजना दोगुनी हो गई.. अद्भुत सख्ती वाला लंड वैशाली के हाथों के स्पर्श से और कठोर हो गया.. मुठ्ठी में पकड़कर लंड हिलाते हुए वैशाली हिम्मत के होंठों को चूम रही थी.. हिम्मत भी अब कामदेव के प्रभाव में आ चुका था.. उसने वैशाली के टॉप के अंदर हाथ डालकर उसके गोल मटोल स्तनों को पकड़ लिया.. दोनों एक दूसरे को नग्न कर चोद लेने की जल्दी में थे.. ​

दुनिया से बेखबर ये दोनों प्रेमी.. आठ सालों के बाद एक हुए थे.. वैशाली कपड़े उतारने में थोड़ी सी झिझक रही थी.. पर हिम्मत ने उसकी पेन्टी खींच कर उतार दी और नीचे बैठकर उसकी चुत को चूमने लगा.. आखिर जब उसने चुत की लकीर के बीच अपनी जीभ फेरी तब वैशाली के मुंह से “ओह्ह हिम्मत.. मर गई.. ” की आवाज निकल गई..

वैशाली के स्तन उत्तेजना के मारे फूल कर गुब्बारे जैसे बन गई.. उसकी निप्पल सख्त हो गई.. हिम्मत ने वैशाली की चुत के अंदरूनी हिस्सों को चाट चाट कर कामरस से भिगो दिया.. वैशाली हिम्मत का लंड पकड़ना चाहती थी पर हिम्मत उसकी चुत को छोड़ ही नहीं रहा था.. बेहद उत्तेजित होकर वैशाली सोफ़े पर ढल गई.. और गिरते ही वो झड़ गई.. जीवन में पहली बार वो इतनी जल्दी स्खलित हुई थी.. हिम्मत के प्रेम का ऐसा प्रभाव था..

चरमोत्कर्ष पर पहुंचते ही मदमस्त हो उठी वैशाली.. थोड़ी देर तक उसकी साँसे फुली हुई रही.. बाद में वो उठी और हिम्मत को फर्श पर लिटा दिया.. हिम्मत का लंड छत की तरफ तांक रहा था.. उसके भारी अंडकोशों को मुठ्ठी में दबाकर खेलते हुए उसने हिम्मत का लंड मुंह में ले लिया.. वैसे वैशाली को लंड चूसना बिल्कुल भी पसंद नहीं था.. अपने पति से नफरत होने की एक वजह ये भी थी की संजय उससे जबरदस्ती लंड चुसवाता था.. पर हिम्मत के लिए उसके दिल से प्रेम की जो भावना जाग उठी थी उसने उसे लंड चूसने पर मजबूर सा कर दिया.. उसे जैसा मालूम था वैसे चूसने लगी.. चूसने में परफेक्शन भले ही नहीं था पर प्यार बेशुमार था.. वैशाली की चुसाई के कारण हिम्मत पागल सा हो गया..

“ओह्ह वैशु.. प्लीज स्टॉप.. आह्ह आह्ह वैशु.. ज्यादा मत कर.. तेरा मुंह गंदा हो जाएगा.. निकाल दे बाहर.. ” पर वैशाली ने अपने प्रेमी का वीर्य स्त्राव अपने मुंह के अंदर ही हो जाने दिया.. प्रेमी के इस प्रसाद को बिना किसी घिन के निगल गई.. इतना विचित्र स्वाद उसने कभी नहीं चखा था पर फिर भी अपनी नापसंद को प्रेम के आगोश में छुपा लिया.. ​

हिम्मत का लंड झड़ने के बाद भी सख्त था.. वैशाली ने बिना एक पल गँवाए.. हिम्मत की दोनों तरफ अपनी टांगें जमाई.. कमर को नीचे लाते हुए अपने गरम गुलाबी सुराख को लंड के टोपे पर रख दिया.. हल्के से अपने जिस्म का वज़न रखते ही.. उसकी चुत हिम्मत का लंड निगल गई

“आह्ह हिम्मत.. फक.. बहुत अच्छा लग रहा है मुझे.. उफ्फ़फफ.. !!” वैशाली ने भारी आवाज में कहा

हिम्मत ने कमर उठाकर एक मजबूत धक्का दिया

“उईई माँ.. जरा धीरे से.. बहोत दिनों से कोरी पड़ी है चुत.. इसलिए तंग हो गई है.. धीरे धीरे धक्के लगा हिम्मत” वैशाली ने कहा

हिम्मत एक पल के लिए रुक गया.. और वैशाली के लटक रहे स्तनों को अपने हाथों से मींजने लगा.. स्तनों का मर्दन होते ही वैशाली की चुत ने गीलापन छोड़ना शुरू कर दिया.. दर्द का एहसास काम हुआ.. वो सिहरने लगी.. अब उसने अपनी कमर हिलाते हुए आगे पीछे होकर हिम्मत के लंड को अपनी चुत में मथना शुरू कर दिया.. वैशाली बेहद उत्तेजित होने लगी.. अपने पति से त्रस्त वैशाली को संजय के साथ सेक्स में कभी मज़ा नहीं आता था.. आज अपने प्रेमी के लंड को चुत के अंदर प्राप्त कर वह धन्य हो गई थी

पूरे कमरे में पक् पक् की आवाज़ें आ रही थी.. साथ ही वैशाली की सिसकियाँ भी गूंज रही थी.. टाइट चुत में हिम्मत का सख्त लंड फंस चुका था.. वैशाली की चुत की दीवारों पर जबरदस्त घर्षण होने लगा.. अपनी चुत को कसकर उसने और सख्ती से लंड को अंदर दबोचे रखा था.. और कमर हिलाते हुए पूरा आनंद ले रही थी ​

५-६ मिनट की भीषण चुदाई के दरमियान वैशाली की चुत तीन बार झड़ गई.. और उसके बाद हिम्मत ने भी कस कर धक्के लगाना शुरू किया.. वैशाली के बिखरे हुए बालों को हाथ से पकड़कर हिम्मत नीचे से धक्के लगाए जा रहा था.. एक जोरदार धक्का लगाकर हिम्मत ने अपना वीर्य वैशाली की बच्चेदानी के मुख पर छोड़ दिया.. उस गरम गरम प्रवाही का एहसास वैशाली की चुत को बेहद सुकून दे रहा था.. वैशाली निढाल होकर हिम्मत की छाती पर ढल गई..

बाबा के दर्शन करने के बाद.. शीला और कविता बाहर बनी बैठक पर आराम से बैठे थे। कविता ने देखा की आते जाते सब लोग शीला ने भरे बदन का निरीक्षण करते जा रहे थे.. शीला का गदराया शरीर इतना आकर्षक लग रहा था की देखने वाले की नजर उसके दोनों स्तनों पर.. नीचे चरबीदार पेट और उसके मध्य की गहरी नाभि पर अवश्य थम जाती.. ५५ साल की उम्र में भी शीला का जिस्म इतने लोगों को आकर्षित कर सकता था ये देख कविता अचंभित हो गई

“भाभी.. आप को तो ऊपरवाले ने दोनों हाथों से भर भर कर हुस्न दिया है” कविता ने कहा

“क्यों, क्या हुआ?”

कविता: “सब लोग आप को कैसे घूर रहे है.. ” शीला की गोरी कमर पर पड़ते बल को देखकर उसने कहा

शीला: “स्त्री का रूप हमेशा मर्दों के आकर्षण का केंद्र होता है.. खिले हुए सुंदर गुलाब को भला कौन देखना नहीं चाहेगा !!”

कविता: “हाँ वो तो है.. आप हो इतनी हॉट.. !! देखने वाले की क्या गलती!!”

शीला: “कविता.. मेरे दिमाग में एक प्रश्न घूम रहा है.. अगर तू उस प्रश्न का जवाब सच सच देगी तो मैं वादा करती हूँ की तुझे रसिक का मोटा लंड दिखाऊँगी.. ये मेरा प्रोमिस है ” शीला ने कविता की दुखती रग पर हाथ रख दिया

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कविता: “हाँ पूछिए ना भाभी.. !!”

शीला: “वैशाली का बर्ताव मुझे आज अजीब सा लगा.. मुझे पक्का मालूम है की उसके पिरियड्स नहीं चल रहे है.. फिर उसने हमारे साथ आने से मना क्यों कर दिया?”

कविता सोच में पड़ गई.. की क्या उत्तर दे

कविता: “मुझे क्या पता भाभी.. आप के घर की बात है.. आप ही जानो”

शीला: “मेरे घर की काफी बातें तू जानती है.. रसिक के बारे में भी.. मुझे पक्का यकीन है की तू इसका कारण जानती है”

कविता चुप हो गई.. वो जानती थी की शीला भाभी ने उसे अपने जाल में फंसा लिया था.. अब उसका बचना नामुमकिन था..

शीला: “तू वैशाली की खास सहेली है.. इसलिए तुझे पूछ रही हूँ.. नहीं बताएगी तो भी जानने के मेरे पास और तरीके है.. अभी फोन करके तेरी सास को पूछूँगी तो वो भी देखकर बता देगी की मेरे घर पर अभी क्या चल रहा है.. “

कविता की फट गई.. बाप रे.. अगर शीला ने मेरी सास को अपने घर भेजा तो गजब हो जाएगा.. शीला के सामने वैशाली को आगाह करने का कोई तरीका भी नहीं था.. मेरी सास जाकर देखे और शीला भाभी को बताएं उससे अच्छा मैं ही बता देती हूँ.. रसिक का देखने भी मिल जाएगा

कविता ने वैशाली का पेपर लीक कर दिया

कविता: “भाभी.. वैशाली अपने पति के साथ खुश नहीं है.. वो अपने पुराने दोस्त से अकेले मिलना चाहती थी.. इसलिए मैंने आज दर्शन का बहाना बनाया”

शीला: “कौन है उसका पुराना फ्रेंड?”

झिझकते हुए कविता ने वैशाली के जीवन के निजी पन्नों को खोल तो दिया था पर नाम बताने से घबरा रही थी.. “वो तो मुझे नहीं पता.. ” जानते हुए भी अनजान बनी रही कविता

शीला गहरी सोच में पड़ गई.. कौन हो सकता है.. !! राकेश.. विपुल.. अनिकेत.. मनीष.. ??? शीला दिमाग पर जोर डाल रही थी… तभी शीला को अचानक याद आया.. हिम्मत .. !! हाँ वही होना चाहिए.. उस दिन तेज बारिश में वैशाली को नोट्स देने आया था.. पक्का वही होगा

शीला: “कविता.. वैशाली के उस दोस्त को मैं अच्छी तरह जानती हूँ.. हिम्मत नाम है उसका.. कॉलेज के समय उन दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती थी “

कविता के चेहरे के हाव भाव देखकर शीला को यकीन हो गया था की उसका निशान सही जगह लगा था

शीला: “शादी शुदा लड़की को ऐसा जोखिम नहीं उठाना चाहिए.. संजय को पता चल गया तो.. !!”

कविता: “भाभी.. आप और मैं भी तो ये जोखिम उठा ही रहे है ना.. !!”

कविता ने शीला का मुंह बंद कर दिया..

शीला: “चल अब घर चलते है.. ” शीला खड़ी हो गई

कविता: “आप प्लीज वैशाली को इस बारे में कुछ मत बोलना.. उसे पता चल जाएगा की मैंने ही आपको बता दिया.. हमारी दोस्ती टूट जाएगी”

शीला: “पागल है क्या? मैं नहीं बताऊँगी.. तू चिंता मत कर”

कविता का टेंशन कम हुआ.. दोनों चलते चलते अपने घर आए.. वैशाली ने पूरा ड्रॉइंगरूम साफ कर सब ठीक ठाक कर दिया था.. उसे झाड़ू लगाते देख शीला को आश्चर्य हुआ.. वैशाली कभी भी घर के कामों में हाथ नहीं बँटाती थी.. इंसान अपने पाप छुपाने के लिए क्या क्या करता है !!

शीला ने बड़े ध्यान से वैशाली की चाल और उसका चेहरा देखा.. उसकी अनुभवी आँखों ने परख लिया.. संभोग के आनंद के बाद जैसी चमक स्त्री के चेहरे पर होती है.. वही वैशाली के चेहरे पर थी.. जिस तेजी और चपलता से वैशाली घर का काम कर रही थी वो देखकर ही प्रतीत हो रहा था की बेटी ने अपने प्रेमी के संग मजे किए थे

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शीला ने बड़े ध्यान से वैशाली की चाल और उसका चेहरा देखा.. उसकी अनुभवी आँखों ने परख लिया.. संभोग के आनंद के बाद जैसी चमक स्त्री के चेहरे पर होती है.. वही वैशाली के चेहरे पर थी.. जिस तेजी और चपलता से वैशाली घर का काम कर रही थी वो देखकर ही प्रतीत हो रहा था की बेटी ने अपने प्रेमी के संग मजे किए थे

वैशाली: “अरे मम्मी.. आप लोग आ गए? हो गए दर्शन? भीड़ तो नहीं थी ना?” उसने अपनी माँ को पटाना शुरू कर दिया

शीला ने वैशाली के कपड़ों को ध्यान से देखा.. सिलवटें देखकर उसे यकीन हो गया की वैशाली अभी अभी चुदी थी..

शीला: “हाँ बेटा.. आराम से हो गए दर्शन.. भीड़ बिल्कुल नहीं थी..!!”

वैशाली: “अच्छा.. मम्मी.. आज रात को हम डिनर करने होटल चलें?”

शीला: “नहीं बेटा.. मुझे बाहर का खाना राज नहीं आता.. ऐसा करों..तू और कविता चले जाना”

कविता: “हाँ हाँ.. जरूर चलेंगे.. वैसे भी मेरी सास का आज उपवास है और ससुरजी दोस्तों के साथ बाहर गए है.. मैं और पीयूष अकेले ही घर पर खाना खाने वाले थे.. हम तीनों बाहर खाने चलेंगे”

वैशाली ये सुनकर खुश हो गई

कविता अपने घर चली गई और शीला पौधों को पानी देने लगी.. हिम्मत के कामुक स्पर्श और दमदार धक्कों को याद करते हुए वैशाली सोफ़े पर बैठकर टीवी देखने लगी.. कितना मस्त रगड़ा आज हिम्मत ने.. आह्ह.. मज़ा ही आ गया.. जिस तरह उसने ड्रेस में हाथ डाल कर स्तनों को दबाया था.. इशशश.. वैशाली को अपनी दोनों टांगों के बीच गीलापन महसूस होने लगा.. उसने खिड़की से बाहर देखा.. शीला कंपाउंड में बने बगीचे में पानी छिड़क रही थी

वैशाली ने अपनी सलवार के अंदर हाथ डाला और अपनी चुत को सहलाने लगी.. उंगलियों का स्पर्श मिलते ही उसके चुत के होंठ खुल गए.. टीवी पर मस्त सेक्सी गाना चल रहा था.. माहोल सा बन गया.. दो मिनट में ही अपनी क्लिटोरिस को रगड़कर स्खलित हो गई वैशाली.. !! चुत को उंगली करने में व्यस्त वैशाली को ये नहीं पता था की शीला तिरछी नज़रों से उसे देख रही थी.. वैशाली के हाथ और कंधों की हलचल से ये स्पष्ट दिख रहा था की वो अपनी चुत से खेल रही थी.. चेहरे के हावभाव से प्रतीत भी हो गया की वो झड़ रही थी​

शीला मन में सोच रही थी की बेटी मेरे ऊपर ही गई है.. इसकी शरीर की भूख भी बड़ी तेज है.. !!

शाम को कविता और पीयूष तैयार होकर डिनर के लिए वैशाली को बुलाने आए.. पीयूष को देखकर वैशाली ने हाई कहा.. कविता टेढ़ी आँख से उन दोनों का निरीक्षण कर रही थी की कहीं पुरानी यादें तो ताज़ा नहीं करने लगे ये दोनों!! पर उसे ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया

दोनों सीटी बस में बैठे.. बस में थोड़ी भीड़ थी.. इसलिए कविता और वैशाली को बैठाकर पीयूष खड़ा रहा.. वैशाली ने पीली टीशर्ट और काला टाइट पेंट पहना था.. खड़े हुए पीयूष को वैशाली के टीशर्ट के अंदर का नजारा साफ दीख रहा था.. वो बार बार उन उछल रहे स्तनों को ताड़ता रहा

पीयूष की नजर के बारे में वैशाली जान चुकी थी.. फिर भी अनदेखा कर वो खिड़की के बाहर ट्राफिक को देखने लगी.. स्टैन्ड आते ही तीनों नीचे उतरे.. उतरते वक्त वैशाली का कंधा पीयूष के कंधे से टकराया.. वह थोड़ी सी असंतुलित हुई.. और बस में चढ़ रहे एक पेसेन्जर के साथ टकरा गई.. उस आदमी की छाती से टकराकर वैशाली के दोनों स्तन चपटे हो गए.. देखकर पीयूष को होश उड़ गए

पीयूष सोच रहा था.. भेनचोद.. जब मैंने इसे चोदा था तब इतने बड़े बड़े होते तो कितना मज़ा आता यार.. !! क्या वैशाली को वो सब पुरानी बातें याद होगी? या भूल चुकी होगी? साली माल लग रही है एकदम.. बबले कितने बड़े बड़े हो गए है.. आखिर अपनी माँ पर ही गई है ये.. पीयूष अब उत्तेजित हो रहा था

पीयूष के इन विचारों से बेखबर कविता और वैशाली एक दूसरे से मज़ाक मस्ती करते हुए आगे चल रहे थे.. पीयूष अपनी पत्नी और वैशाली के थिरकते चूतड़ों को देखते हुए पीछे चला आ रहा था.. अचानक ठोकर लगने से पीयूष का बेलेन्स चला गया.. कविता ने पीछे मुड़कर देखा

कविता: “ध्यान कहाँ है तेरा .. !! जरा देखकर चला कर.. “

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पीयूष: “अरे हो जाता है कभी कभी यार.. तू तो ऐसे बात कर रही है जैसे तुझे कभी ठोकर लगी ही नहीं कभी”

कविता: “मुझे भी लगती है.. पर काम करते वक्त.. तेरी तरह नहीं.. जो ना देखने वाली चीजों को ताकने में ठोकर खाते हो!!”

पति पत्नी के इस मीठे झगड़े को देखकर वैशाली हंसने लगी.. वो सोच रही थी.. पीयूष मेरे बॉल को तांक रहा है ये बात कविता ने भी नोटिस तो की होगी.. इसीलिए तो कहीं ताने नहीं मार रही.. !! पक्का ऐसा ही है.. मेरी मटकती गांड को तांकने के चक्कर में उसे ठोकर लग गई.. हा हा हा हा

वो लोग होटल सुरभि के दरवाजे पर पहुंचे तभी पीयूष के मोबाइल पर शीला का फोन आया

पीयूष: “हैलो.. हाँ भाभी.. बताइए!!”

शीला: “पीयूष, तुम तीनों को लौटने में कितना वक्त लगेगा ??

पीयूष: “एक मिनट रुकिए भाभी.. ” फिर उसने कविता से पूछा “खाना खाने के बाद कहीं और जाने का प्लान तो नहीं है ना?”

कविता: “खाना खाकर थोड़ी देर गार्डन में बैठेंगे आराम से.. फिर देर से घर जाएंगे.. “

पीयूष ने फोन पर शीला को बताया “भाभी, अभी ८ बज रहे है.. हमे आते आते ११ बज जाएंगे”

शीला: “ठीक है, कोई बात नहीं.. आराम से खाना खाकर आना तुम सब” शीला ने फोन रख दिया

पीयूष, कविता और वैशाली तीनों होटल के टेबल पर बैठे.. वैशाली की पीली टीशर्ट के अंदर ब्रा में कैद बड़े बड़े स्तन टेबल की धार से दबते हुए देख पीयूष का लंड उछलने लगा था.. यार.. वैशाली को पता भी नहीं होगा की मैं उसके बारे में अभी क्या सोच रहा हूँ.. एक बार ये बड़े बड़े पपीते दबाने को मिल जाए तो मज़ा ही आ जाएँ.. कितने बड़े है यार.. इसकी निप्पलें कितनी रसीली होगी.. लंबी लंबी.. गुलाबी गुलाबी​

पीयूष का मन खाने में कम और वैशाली के बबलों में ज्यादा था.. ये परखने में वैशाली को देर नहीं लगी। हर स्त्री की छठी इंद्रिय उन्हे मर्द की नज़रों के प्रति सजाग रखती है.. स्वयं की रक्षा के लिए कुदरत की दी हुई शक्ति है ये.. वैशाली को बस कविता की मौजूदगी खटक रही थी अभी.. पीयूष के साथ तो पहले से ही अच्छी पटती थी उसकी..

कविता मन ही मन सोच रही थी.. ऐसे रोमेन्टीक माहोल में अगर पिंटू साथ होता तो कितना मज़ा आता.. !! काश जीवन में एक बार .. अपने प्रेमी पिंटू के हाथ में हाथ डालकर ऐसी ही किसी होटल में खाना खाने जाने का मौका मिल जाएँ.. बस मज़ा ही आ जाएँ.. ख्वाब देखने तक तो ठीक था पर हकीकत में इस बात को मुमकिन बनाना सिर्फ शीला भाभी के बस की बात थी.. उनके अलावा ये काम और कोई नहीं कर सकता

वैशाली आराम से खाना खा रही थी.. अचानक उसे अपने पैर पर किसी चीज का स्पर्श महसूस हुआ.. उसने नीचे देखा तो पीयूष का पैर उसके पैर से टकराया था.. उसने तुरंत अपना पैर पीछे खींच लिया.. पीयूष ने जान बूझकर पैर लगाया था ? वैशाली ही नहीं.. दुनिया के सारी महिलायें ये जानती है की टेबल के नीचे पुरुष का पैर गलती से कभी नहीं टकराता..

वैशाली और पीयूष की नजर एक होते हुए वैशाली ने एक शरारत भारी मुस्कान दी और नजर फेर ली.. दोनों बचपन से लेकर जवानी तक साथ खेलकर बड़े हुए थे.. पर जैसे ही वैशाली की छातियों पर स्तन उभरने लगे.. शीला सावधान हो गई.. वो पीयूष और वैशाली को कभी अकेले में खेलने नहीं देती थी.. फिर भी जो होना था वो तो होकर ही रहा.. वैशाली की पुरानी यादों का सफर.. दोनों के बीच हुए सेक्स पर आकर रुक गया.. क्या पीयूष भी उसी के बारे में सोच रहा होगा !! याद होगा उसे? पक्का याद होगा.. पहला सेक्स तो हर किसी को याद होता है.. उसकी छोटी सी लुल्ली मेरे हाथ में देकर कैसे आगे पीछे करवाता था वो !! वैशाली के पैर के साथ फिर कुछ टकराया.. इस बार उसने नीचे नहीं देखा.. उसे पता था की वो पीयूष का ही पैर था.. वैशाली के पूरे जिस्म में सनसनी सी फैल गई.. खाने का निवाला गले में ही अटक गया… खाँसते हुए उसने पानी का एक घूंट पीया..

दूसरी तरफ पीयूष वैशाली के स्तन देखकर बावरा स हो गया था.. इस बार वैशाली ने अपना पैर नहीं हटाया.. पीयूष के मन में लड्डू फूटने लगे.. उसने वैशाली के पैर के अंगूठे पर अपना अंगूठा दबा दिया.. वैशाली को दर्द हो रहा था पर वो कुछ नहीं बोली.. नहीं तो कविता को भनक लग जाती..

इन सारी बातों से बेखबर कविता ने अपना खाना खतम किया और बाउल में हाथ धोकर खड़ी हो गई और बोली “मज़ा आ गया आज तो.. अच्छा हुआ वैशाली तूने डिनर का आइडीआ दिया.. घर का खाना खा खा कर मैं बोर हो छुकी थी.. क्यों पीयूष.. सही कहा ना मैंने?”

अचानक उछले इस सवाल से पीयूष हड़बड़ा सा गया.. जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो.. उसने हँसते हुए अपनी मुंडी हिलाई..

कविता: “मैं बाथरूम जाकर आती है.. आप दोनों आराम से खाओ “

कविता टेबल से काफी दूर चली गई और उसने पिंटू को फोन लगाया..

इस तरफ वैशाली और पीयूष अब अकेले रह गए.. पत्नी की गैरमौजूदगी में पीयूष की हिम्मत खुल गई.. ये भँवरा अब वैशाली नाम के फुल पर मंडराने लगा था..

पीयूष: “याद है वैशाली.. जब हम छोटे थे तब साथ में कितनी मस्ती किया करते थे??”

वैशाली: “हाँ .. और मैं तुम्हें बहोत मारती थी.. याद है एक बार मैंने तुम्हें क्रिकेट के बेट से मारा था और तुम्हारा हाथ लाल लाल हो गया था.. !!”

पीयूष: “हम्ममम.. तुझे और कुछ भी याद है की नहीं?”

वैशाली शरमा गई “हट्ट साले बदमाश.. “

पीयूष: “बता न यार.. जब से तुझे देखा है मुझे कुछ कुछ हो रहा है.. मैं जानना चाहता हूँ की क्या तुझे भी ऐसा कुछ हो रहा है या नहीं??”

वैशाली: “पीयूष.. वो सब हमने जवानी की नासमझ में किया था.. तब हम नादान थे पर अब हम बड़े हो चुके है.. ये बात तुझे समझनी चाहिए”

पीयूष नाराज होकर बोला “ठीक है, ठीक है यार.. लेक्चर मत दे” पीयूष चुप हो गया

वैशाली: “अरे पीयूष. ये क्या लड़कियों की तरह रूठ गया तू?? हाँ सब कुछ याद है.. पर अभी उस बात को क्यों याद किया?”

पीयूष: “वैशाली.. अगर हम फिर से पहले जैसे ही नासमझ और नादान बन जाएँ तो कैसा रहेगा??”

वैशाली स्तब्ध हो गई.. दिमाग चकरा गया उसका.. पर पीयूष का इस तरह प्रपोज करने का अंदाज उसे बेहद पसंद आया..

वैशाली: “तू भूल रहा है की मैं अब किसी की पत्नी हूँ.. मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती”

पीयूष: “तो मैं भी तुझे कहाँ कुछ गलत करने के लिए बोल रहा हूँ?”

वैशाली को समझ में नहीं आया “तो फिर क्या करना चाहता है तू?”

पीयूष: “मुझे तो बस एक बार.. सिर्फ एक बार.. ” बोलते बोलते पीयूष अटक गया पर जिस तरह उसकी ललचाई नजर उसके स्तनों पर चिपकी थी ये देखकर वैशाली समझ गई

वैशाली: “तू खुल कर बता तो कुछ पता चले मुझे”

पर पीयूष चुप रहा

वैशाली: “कविता बाहर हमारा इंतज़ार कर रही होगी.. हमें चलना चाहिए… वरना उसे शक होगा.. बाकी बातें फिर कभी करेंगे.. ” वो खड़ी हो गई

पीयूष की नाव किनारा आने से पहले ही डूब गई.. वैशाली के मदमस्त स्तनों को एक बार दबाने की.. छुने की और मौका मिल तो चूसने की इच्छा थी पीयूष की.. अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था उसे.. जब वैशाली ने पूछा तब उसे बता देना चाहिए था.. पर अब पछताए होत क्या.. जब चिड़िया चुद गई खेत में..

दोनों होटल के दरवाजे पर पहुंचे तब उन्हे आते हुए देख कविता ने पिंटू को “बाय” कह कर फोन काट दिया..

To Be Continue….

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