सहब सिंघ की हवेलि मे हर समय तीन खुबसूरत हसीन बहने की हनसि मज़क की अवज ही सुनै परता था। एह तीन हसीन बहने सहब सिनघ के सवरगिया भै का निशनी थी। लेकिन इन तीन लरकिओन का बप सहब सिनघ ही थे। इन तेन्न हसीन बहनो का नम निता (25 येअरस), निधि (22 येअरस) और ननदिनि (20 सल) था। तीन बहनो की फ़िगुरे बहुत ही सेक्सी थे। उनकि चुनची और चुतर बहुत फुले फुले थे और कोइ भी मरद उनको देख कर अपने आप को रोकना बहुत ही मुशकिल हो जता। इनके बाप का सहर मे बहुत दब-दबा था और इसिलिये लोइ लरका इनकि तरह अपनि अनख उथा कर देखने की भी जोर्रत नही करता। इसिलिये एह तीन बहने अभि तक कुवरी ही थी और अपना कम अपनि उनगली या बैगन से चलती थी। वे सब एक दिन सर मे सवर होकर सोल्लेगे जरहे थे।
सर की दरिविनग निधि कर रही थी। सर ने अचनक जोर दर बरेअक मर एकैक रुक गयी। पीचे बैथी निता और ननदिनि ने निधि से पुची, “कयोन कया बत है, तुमने अचनक सर कयोन रोक दी।” निधि बोलि, “कयोन चिल्ला रही हो। सर के समने का नज़रा तो देखो। कितना नसीला नज़रा है।
तब निता और ननदिनि ने समने देखि की सर के समने बिच सरक पर एक कुत्ता और कुतिअ गनद गनद मिला कर चिपके हुए थे, यनी की वो कुत्ता और कुतिअ चुदै कर रहे थे और अपनि अपनि जीव निकल कर हनफ़ रहे थे। निता और ननदिनि चहक कर बोलि, “वह! कया हसीन नज़रा है।” निधि बोलि, “हुमसे तो किसमत वला एह कुतिअ भी है। कया मसती से अपनि चूत चुदवा रही है।” तब निता और ननदिनि ने एक सथ बोलि, “हन हुमरे चचा सहब सिनघ के दर के मरे कोइ लरका हुमे घस भी नही दलता। लगता है की अपने नसीब मे कुमरि ही रहनी है और अपनि चूत का आग अपने उनगलिओन से ही बुझनी है।” तीनो के दिमग मे तब एक इदेअ अया।
निधि ने सर परोफ़्फ़ेसोर अमित के घर के तरफ़ मोर दिया। परोफ़। अमित की उमर उस समय लगभग 35 साल की थी और उनकि शदि अभि नही हुइ थी। वो बहुत ही रनगीन मिज़ज़ के थे मतलब वो एक बहुत चोदु अदमि था। उनका लुनद की लुमबै 7” और मोतै 4” का था और एह बत सोल्लेगे की लगभग सभि लरकी और मदम को मलुम था। उनको अपने लुनद और अपनि चुदै की कला पर बहुत गरब था और सोल्लेगे कै लरकेअन और मदम उनसे अपनि चूत चुदवा चुकि थी। अमित इन सब लरकेअन और मदम को बतोन बतोन मे फनसा कर अपने घर ले जया करता था और फिर उनको ननगी करके उनकि चूत चोदा करता था। परोफ़। अमित चोरि चोरि इन बहनो की जवनी घुरा करता था और एह बत इन तीन बहनो को मलुम था। इन तीन बहने अपनि सर परोफ़। अमित के घर के समने जा कर रोकी। परोफ़।
अमित उस समय अपने घर पर ही थे और एक लुनगी पहन कर अपना लुनद सहलते हुए एक बलुए फ़लिम देख रहे थे। परोफ़। अमित ने इन तीन बहनो को सर से उतेरते देखा और जन बुझ कर त।व। ओफ़्फ़ नही किया। उनहोने ऐसा दिखया की उनहे इन लोगे का अने की बत मलुम ही नही परा। त।व। पर उस समय एक गरमा गरम चुदै का ससेने चल रहा था जिस मे एक अदमि दो लरकी को अपनि लुनद और अपनि जीव से चोद रहा था। लरकेअन अपनि चूत चुदा के समय अपनि अपनि कमर उचल कर लुनद और जीव अपने चूत मे ले रही थी।
तीनो बहने सिधे परोफ़। अमित के कमरे पहुनच गयी। परोफ़। अमित इन तीन बहनो को देख कर घबरहत का नतक करने लगा फिर उथ कर त।व। ओफ़्फ़ कर दिया और बोला, “आरे! अचनक तुम लोग इनहा कैसे?” तीनो बहने एक सथ परोफ़। अमित से पुची, “सिर, आप त।व। पर कया देख रहे थे?” परोफ़। अमित ने उन तीनो बहनो के चेहेरे देख कर उनकि मन की बत पहचन ली और उनसे पुचा, “हुम जो कुच त।व। पर देख रहे थे, कया तुम लोग भी देखना चहोगी?” तीनो बहने एक सथ अपनि अपनि सिर हिला कर हमि भर दी। परोफ़। अमित ने फिर त।व। ओन कर दिया और सब लोग पलनग और सोफ़ा पर बैथ कर बलुए फ़लिम देखने लगे। अमित एक सोफ़ा पर बैथे थे और उनकि बगल वलि सोफ़ा पर निधि और ननदिनि बैथी थी और पलनग पर निता बैथी थी। उधर परोफ़। अमित ने देखा की बलुए फ़िलम की चुदै की ससेने देख कर तीनो बहनो का चेहेरा लल हो गया और उनकि सनस भी जोर जोर से चल रही थी। उनके सनसोन के सथ सथ उनकि चुनचेअन भी उनके कपरे के अनदर उथ बैथ रही थी। कया हसीन नज़रा था। एक सथ तीन जोरी चुनचेअन एक सथ उथ बैथ रही थी और सनसे गरम हो रही थी। कुच देर के बद निता, जो की इन बहनो मे सबसे बरि थी, अपना हथ अपने बदन पर, चुनची पर फेरने लगी। परोफ़्फ़। अमित उथ कर निता के पस पलनग पर बैथ गये।
उनहोने पहले निता के सिर पर हथ रखा और एक हथ से उसके कनदोन को पकर लिया। इस्से निता का चेहेरा परोफ़्फ़। अमित के समने हो गया। अमित ने धिरे से निता के कनो पस अपना मुनह रख पुचा, “कय बहुत गरमी लग रही है, पनखा चला दुन? निता बोलि, “नही तीख है,” और फिर अमित सिर के चेहेरे को अनखे गर कर देखने लगी। अमित पलनग से उथ कर पनखा फ़ुल्ल सपीद मे चला दिया। पनखा चलेत ही निता की सरी का अनचल उरने लगा और उसकि दोनो चुनचेअन सफ़ सफ़ दिखने लगी।
अमित फिर पलनग पर निता के बगल मे अपने जगह बैथ गये। उनहोने निता का एक हथ अपने हथ मे ले लिया और धिरे से पुचा, “कया मैं तुमहरे हथ को चुम सकता हुन?” निता एह सुनते ही पहले अपनि बहनो के तरफ़ देखी और फिर अपनि हथ अमित के हथोन मे धिला चोर दिया। अमित ने भी फ़ुरती से निता का हथ कीनच कर उसके हथेलि पर एक चुम्मा दे दिया। चुम्मा दे कर वो बोले, “बहुत मीथी है तुमहरी हथ और हुमे मलुम है की तुमहरी होथोन का चुम्मा इस्से भी मीथी होगा।” एह कह कर अमित निता के अनखो मे देखने लगे।
निता तो पहले कुच नही बोलि, फिर अपनि हथ अमित के हथोन से खीनचते हुए अपनि मुनह उनके पस कर दिया और बोलि, “जब अपको मलुम है की मेरे होथोन का चुम्मा और भी मीथी होगा और अपको सुगर की बिमरी नही है, तो देर किस बत की और मीथा खा लिगिये।” निता की बत सुन कर अमित ने अपना होनथ निता के होनथ पर रख दिया। फिर उनहोने अपने होनथोन से निता के होनथ खोलते हुए निता का नीचला होनथ चुसने लगे। निता अपने होनथ चुसै से गरम हो कर अमित के कनधोन पर अपना सिर रख दिया। अमित ने निता का रेअसतिओन देख कर धिरे से अपना हथ बरहा कर निता की एक चुनची बलौसे के उपर से पकर लिया। अमित एक हथ से निता की एक चुनची सहला रहे थे और दुसरे हथ से उसकि चुतर पर फेर रहे थे। निता उनकि इस हरकत पर पहले तो थोरा कसमसि और अपने बहनो के तरफ़ देखती हुए उसने भी अमित को जोर से अपने बहोन मे भिनच लिया।
अमित अब निता के दोनो चुनची पर अपना दोनो हथ रख दिया और निता के दोनो चुनची को पकर कर मसलने लगा। एह पहली बर था की कोइ मरद का हथ निता के शरिर को चु रहा था। वो बहुत गरमा गयी और उसकि सनसे जोर जोर से चलने लगी। अमित निता के चुनची को मसलते हुए निता को होथोन को चुमने लगा। अमित इधर निता को चोदने की तयरी कर रहा था की उसने देखा की निधि अनर ननदिनि भी अपने अपने बदन सहला रही है और बरे गौर से अमित और निता के चल रही जवनी का खेल देख रही है। अमित समझ गया की वो अब इन तीनो बहनो से कुच भी कर सकता है और एह तीनो बहने अब उसके कबु मे है और वो जो भी चहेगा वहि कर सकता है। अमित ने फिर से अपना धयन निता के शरिर पर दला।
अमित ने निता की चुनची को बलौसे के उपर से मसलते हुए अपना हथ उसकि बलौसे के अनदर ले गया और जोर जोर से निता की दोनो चुनचेओन को पकर कर दबने लगा। कभि कभि वो अपने दो उनगली के बिच निता की निप्पले को लेकर मसल रहा था और निता अमित के कनधो से लिपति चुप चप अनखे बनद करके अपनि चुनची मलवा रही थी। अमित ने फिर धिरे धिरे निता की बलिउसे और बरा को खोल दिया और निता की कसि कसि चुनची को देखने लगा।
निता तब अपनि अनख अमित के अनख मे दल कर पुची, “सिर, कैसा है हुमरि चुनचेअन, अपको पसनद तो है?” अमित ने निता की चुनची को देख कर पहले ही पगल सा हो गया था और उसकि चुनची को सहलते हुए बोला, “निता रनि, तुम हमरे पसनद नपसनद पुच रही हो? आरे आज तक मैने इतनि सुनदर चुनची कभि नही देखा है। तुमहरि चुनची बहुत सुनदेर है और एह हुमको पगल बना रहे है।
इनको देख कर मैं आप को रोक नही पा रहा हुन। निता बोलि, “मेरि चुनची देख कर अपको कया हो रहा है?” अमित ने बोला,”ही! मैं अब तुमहरि इन चुनची को चुसना और कतना चहता हुन,” और एह कहा कर निता की एक चुनची अपने मुनह मे भर लिया और मज़े ले ले कर चुसने लगा।