कैसे हो मेरे प्यारे पाठको? सभी के लौड़े फनफना रहे होंगे? पाठिकाओं की चूतों को भी मेरे लंड का सलाम। मेरा नाम दीपक है| मैं उम्मीद करता हूं कि पाठिकाओं की चूत और चूचियों की मालिश हो रही होगी|
अगर नहीं हो रही है तो अपनी चूत में उंगली करना शुरू कर दीजिये क्योंकि जल्दी ही आपकी चूत को मैं गर्म करने वाला हूं|अपनी चाची की चुदाई की स्टोरी के द्वारा सभी गर्म चूतों का मैं पानी निकालने की कोशिश करूंगा|इसलिए मैं अब ज्यादा समय न लेते हुए अपनी देसी फैमिली सेक्स कहानी शुरू करता हूं|जाड़े का मौसम था|
मैं अपनी चाची के यहाँ जाने के लिए घर से निकल पड़ा| दिसंबर महीने में बाइक चलाने का अनुभव तो आप में से भी कईयों ने किया होगा|ठंड में 40 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद जब मैंचाचीके पास पंहुचा तो ठंड के कारण मेरी हालत ख़राब हो रही थी| शाम के पांच बज चुके थे| अँधेरा होने लगा था|
मेरे पहुंचने परचाचीने मुझे गले से लगा लिया| चाय वगैरह पीने के बाद मैं आग के सामने बैठ गया ताकि बदन को थोड़ी गर्माहट महसूस हो सके| सर्दी के कारण मेरी कंपकंपी छूट रही थी|
अब आगे बढ़ने से पहले चाची के बारे में भी जान लीजिये| मेरी चाची की उम्र 36 साल के आसपास है| उसको देखने से जरा सा भी पता नहीं चलता कि वो इतनी उम्र की होगी और तीन बच्चों की मां होगी|
Desi chachi ki chudai ki kahani
पांच फीट की हाइट और गोरा रंग| मस्त भरा हुआ बदन और बड़ी बड़ी दो चूचियां जो एकदम सेचाचीको क़यामत बनाती हैं| मैं बहुत बार चाची को याद करके मुट्ठ मार चुका था|
मेरे चाचा जी पंजाब में रहते थे जो तीन चार महीने में एक बार आते थे या चाची ही उनके पास चली जाया करती थी| चूँकि मैं अपनी चाची का लाडला बेटा था इसलिए चाची मुझे बहुत मानती थी|
मेरी हर बात का ख्याल रखती और मुझे खूब पैसे भी देती थी|मैं चाची से फोन पर भी खूब बातें किया करता था| कभी कभी डबल मीनिंग बातें भी हो जाया करती थीं| वो बस हंस कर टाल दिया करती थी|
मगर मुझे बड़ा अच्छा लगता था|तो उस दिन ठंड ज्यादा होने के कारण हमने जल्दी ही खाना खा लिया औरचाचीने मेरा बिस्तर अपने ही रूम में एक अलग चारपाई पर लगा दिया| बाकी बच्चे दूसरे रूम में सो रहे थे|
बच्चों के अलग सोने का कारण था कि मैं औरचाचीआपस में बहुत बातें किया करते थे| इससे बच्चों को सोने में परेशानी हो जाती इसलिए बच्चों को उन्होंने दूसरे रूम में सोने के लिए बोल दिया|
मैं चाची के साथ किचन में बातें कर रहा था| जल्दी जल्दी काम ख़त्म करने के बादचाचीने कहा कि ठण्ड ज्यादा है, अब जल्दी से बिस्तर पर चलते हैं|
वो आगे आगे चल दी और मैं भीचाचीके पीछे पीछे रूम में आ गया| दरवाजा बंद करके हम अपने अपने बिस्तर पर जल्दी से रजाई में घुस गए| काफी ठंड लग रही थी| रजाई भी ठंडी लग रही थी|
मैं बिस्तर पर लेटे लेटेचाचीसे बातें करने लगा| कमरे में नाईट बल्ब जल रहा था| मैंने जान बूझकर रजाई को अपने ऊपर से हटा दिया| पांच मिनट में ही मेरा पूरा शरीर ठंडा हो गया|फिर मैंनेचाचीसे कहा-चाची मुझे बहुत तेज ठंड लग रही है|
मेरा शरीर ठंड से कांप रहा है|वो तुरंत उठी तो मैंने झट से अपने ऊपर रज़ाई को डाल लिया और कांपने का नाटक करने लगा|चाचीने मुझे एक और कम्बल दे दिया|अभी भी मैं नाटक करता रहा|
मैंनेचाचीको अपना हाथ दिया और उनको छूने के लिये कहा| उनसे कहा कि देखो कितना है ठंडा है, गर्म ही नहीं हो रहा है|उन्होंने मेरे ऊपर कम्बल डाल दिया और बोली- कोई बात नहीं बेटा, अभी गर्म हो जायेगा|
इतना बोलकर वो फिर अपने बिस्तर पर जाकर लेट गयी और मेरी शादी के विषय में बात करने लगी|मैंने कहा- अभी मुझे शादी नहीं करनी है चाची | अभी तो मेरे खेलने-खाने और एन्जॉय करने के दिन हैं|
फिर चाची मुझे लड़कियों के बारे में बताने लगी| थोड़ी देर बाद मैंने दोबारा कम्बल हटा दिया|जब मेरा पूरा शरीर ठंडा हो गया तो मैंनेचाचीसे कहा-चाचीमुझे ठंड लग रही है|
अब चाची भी परेशान हो गयी कि मुझे इतनी ज्यादा ठंड कैसे लग रही है! वो उठ कर मेरे पास आयी और मेरे बदन को छूकर देखा|मेरा बदन कम्बल हटाने की वजह से एकदम ठंडा हो चुका था| घबराने लगी कि कहीं मुझे ज्यादा सर्दी न पकड़ ले|
उसको चिंतित देखकर मैं और ज्यादा कांपने का नाटक करने लगा|वो बोली- ऐसा करते हैं कि डबल बेड पर सो जाते हैं| साथ में सोने से ठंड नहीं लगेगी|दोस्तो, अब अंधे को क्या चाहिए? दो आँखें! मेरी मनोकामना पूरी होते देख मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा|
मैं तुरंत उठा औरचाचीके साथ उनके बिस्तर पर सोने चला गया|मुझे लगा कि मैं औरचाचीएक रज़ाई में सोयेंगे लेकिन मेरी किस्मत में अभी और इंतजार करना था|चाचीने मेरी रज़ाई और कम्बल को मेरे ऊपर डाल दिया और खुद अपनी रज़ाई में सो गयी|काम न बनता देख मैं फिर से कांपने लगा|
चाची ने पूछा- क्या हुआ बेटा डीडी? तुम्हें इतनी ज्यादा सर्दी कैसे लग रही है?मैंने कहा- पता नहीं चाची , मुझे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है|
मैं जानबूझकर अपने दांत किटकिटाने लगा|अब चाची से नहीं रहा गया तो उन्होंने अपनी रज़ाई को दूसरी तरफ कर दिया और मेरी रज़ाई में घुस गयी और मेरी बाँहों को कस कर पकड़ लिया|
मेरे मन में चुदाई के ख्याल जोर मारने लगे|मेरी चाची बहुत सीधी-सादी हैं| मैं जनता था कि मैं चाहे जो भी करूँ,चाचीकिसी को बताने वाली नहीं हैं| फिर भी एक अनजाना सा डर था जो मुझे रोक रहा था|
मैंने चाची के पैर में अपना पैर सटाया तो मेरे शरीर में झनझनाहट सी होने लगी|धीरे धीरे मेरा लंड खड़ा हो गया औरचाचीकी चूत के ऊपर दबाव बनाने लगा| हम दोनों बात करने में मशगूल थे और मेरा लंड चाची की चूत में जाने की तैयारी कर रहा था|
हम दोनों का मुँह पास में ही था|मेरी गर्म सांसों का अहसास चाची को हो चुका था| वो भी मेरे और करीब आना चाहती थी|चाचीने मेरी कमर पर हाथ रख दिया|
अब हम बात करना बंद कर चुके थे और दोनों के बदन में एक आग सी जलने लगी थी|हमारे शरीर के अंग आपस में मिलकर एक दूसरे से बात करना चाह रहे थे| मैं थोड़ा साचाचीकी तरफ और खिसका तो मेरा लंड सीधाचाचीकी चूत के ऊपर टच होने लगा|
चाची ने अपना हाथ मेरी कमर पर से हटाकर मेरे चूतड़ पर रख दिया| तो मैंने भी अपना एक हाथचाचीके चूतड़ पर रख दिया|हाय! ऐसा लग रहा था की लंड फट जायेगा| मेरी सांसें तेजी से चलने लगीं|
चाचीकी सांसें भी मुझे महसूस हो रही थीं|मैंने उनके बदन को सहलाते हुए उनके चूतड़ों को अपने लंड की तरफ खींचा तो चाचीअपने आप मेरी तरफ सरक आयीं|
मैं अपना हाथ चाची के चूतड़ों से खिसकाता हुआ ऊपर कंधे तक ले लाया|उनका कन्धा पकड़ कर उनके होंठों को चूसने के लिए मैंने अपने होंठों को आगे बढ़ाया तो चाची ने होंठ हटाकर अपना गाल मेरे आगे कर दिया|
मैंने चाची के गाल पर चूम लिया और उन्होंने मेरे गाल पर भी एक किस्सी दे दी|मेरे सब्र का बांध टूट चुका था| मैंने तुरंतचाचीको पकड़ा और उनके होंठों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा|
चाची भी मेरे होंठों को काटने लगीं| मैंने उनको कस कर पकड़ा और उनकी चूत पर अपने खड़े लंड को दबा दिया|फिर वो अपना हाथ नीचे ले गयीं और मेरे लंड को पकड़ कर दबा दिया|
अब मैंचाचीके ऊपर चढ़ गया और कपड़ों के ऊपर से ही अपना लंडचाचीकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा| मैं उनको लगातार चूम रहा था|चाची एक हाथ से मेरा सिर पकड़ कर मेरे होंठों को चूस रही थी और दूसरे हाथ से मेरे लंड को कसकर मसल रही थी|
काफी देर तक ऐसा करते करते मैंने चाचीकी साड़ी को ऊपर उठाया और अपना एक हाथ सीधे उनकी चूत पर रख दिया|उनकी चूत पर हाथ लगा तो मेरे अंदर की कामाग्नि भड़क उठी और मैंनेचाचीकी चूत को कसकर भींच दिया और ऊपर मेरे होंठों को उनके होंठों ने कसकर काट लिया|
मेरे मुँह से सिसकारी निकल गयी|अब बदले मेंचाचीने मेरी लोअर के अंदर हाथ डाल दिया और मेरे लंड को टटोलते हुए उसको अंडरवियर के ऊपर से ही पकड़ लिया|
मेरे लंड को पकड़े हुए वो उसको ऊपर से ही सहलाने लगी|चाची के होंठों को छोड़कर मैंचाचीकी चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा तोचाचीभी पूरा मदहोश हो गयीं|
मैंनेचाचीके ब्लाउज के ऊपर से जोर जोर से उनकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया| वो सिसकारने लगी|अब मेरा हाथ एक हाथचाचीकी चूत को सहला रहा था और दूसरे हाथ से मैं एक एक करके उनके बोबों को दबा रहा था|चाचीका हाथ मेरे लंड की लंबाई नाप रहा था|
कभी वो लंड को हाथ में भींच लेती थी तो कभी उसको जोर से खींच लेती थी|शायद चाची का मन अब चुदने के लिए करने लगा था| वो जल्दी से मेरे लंड का सुख अपनी चूत में पाना चाहती थी|
अब मैंने हाथों को पीछे पीठ पर ले जाकर उनके ब्लाउज को खोलना शुरू कर दिया| ब्लाउज खोलकर मैंने उनकी चूचियों को आजाद कर दिया| मेरा मुंह सीधा उनकी चूचियों पर जा लगा |
मैं उनको जोर जोर से चूसते हुए पीने लगा|चाचीके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं- आह्ह … डीडी … चूस ले बेटा … इस्स … पी जा इनको … अपनीचाचीका दूध पी ले … आह्ह … और जोर से।
मैं बोला- आराम से चाची बगल वाले रूम में बच्चे भी हैं| फिर वो अपनी सिसकारियों पर काबू करने लगी| मैंचाचीकी चूचियों की निप्पल काटकर खाने को हो गया था|
इतने मोटे चूचक थे कि काटने में अलग ही मजा आ रहा था|चाची ने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपनी चूत पर ले जाकर कसकर रगड़ दिया|
चाचीकी चूत का लिसलिसा पानी मेरे हाथ पर लग गया| मैंने एक उंगलीचाचीकी चूत में डाली तोचाचीमेरे लंड को कस कर पकड़ कर आगे पीछे करने लगीं|
मैं अब चूचियों को चूस भी रहा था और एक हाथ से चूत में उंगली भी कर रहा था| फिर उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे लंड को अपनी चूत में डालने की कोशिश करने लगीं|
अब मैंने भीचाचीको कस कर पकड़ा और और ऊपर चढ़कर एक हाथ से लंड पकड़ करचाचीकी चूत के ऊपर सेट कर दिया| मैंने धक्का मारा तो एक ही झटके में आधा लंडचाचीकी चूत में घुस गया|वो उचक गयी|
उसके मुंह से एक दर्द और वासना भरी कामुक सी आह्ह … निकली और मेरे चूतड़ों को अपनी चूत की ओर दबाते हुए मुझे चोदने का इशारा देने लगी| मैंने भीचाचीकी चूत में लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया|दो चार धक्कों के बाद मैंने फिर से एक तेज झटका दिया औरचाचीकी चूत में मेरा लंड पूरा का पूरा उतर गया|
चाचीने मुझे कसकर अपनी ओर खींचा और मेरे चूतड़ों पर अपनी टांगें लपेट कर मेरे होंठों को खाने लगी|मैंने भीचाचीको जोर से चूसा और नीचे ही नीचे अपनी गांड को चूत की ओर धकेलते हुए लंड को उसकी चूत में हिलाने लगा|चाचीकी चूत ने मेरे लंड को जैसे जकड़ लिया था|
बहुत मजा आ रहा था|चाची को भींचकर मैंने तगड़े तगड़े दो झटके और मारे … और लंड कोचाचीकी बच्चेदानी तक पहुंचा दिया| वो अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर मेरे होंठों को चूस रही थी|मैं उसकी चूचियों को दबाते हुए अपना लंड चूत में डालकरचाचीको चोद रहा था|
चाचीने अपने दोनों पैरों को मेरी कमर पर कस कर लपेट लिया था और नीचे से अपनी गांड उचकाने लगी थी|मुझे अपना लंड उनकी चूत में खिंचता हुआ अलग से महसूस हो रहा था|
अब मैंनेचाचीकी ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी| वो मस्ती में आहें भरते हुए चुदने लगी और मैं भी जैसे जन्नत की सैर करने लगा|हम दोनों एक दूसरे में ऐसे खो गये कि जैसे दो जिस्म एक जान हों|
मैं मस्ती मेंचाचीकी चूत में लंड को पेले जा रहा था और वो मदहोश हुई जा रही थी| फिर मैं उठा और मैंनेचाचीकी टांगों को पूरी चौड़ी फैला दिया |उसकी चूत में ठोक ठोक कर लंड को पेलने लगा|
मेरे हर धक्के के साथ उसकी चूचियां अगल बगल डोल जाती थीं| वो अपनी चूचियों को अपने हाथों से मसलने लगी और चुदने का डबल मजा लेने लगी|मैं उसकी दोनों टांगों को हाथों में पकड़े हुए उसकी चूत को खोद रहा था|अब मैं फिर से चाची के ऊपर लेट गया और कुत्ते की तरह तेज तेज लंड को चूत में पेलने लगा|
चाची सिसकार उठी- आह्हह … डीडी … चोद दे … आह्ह … चोद … और चोद … हाय … गयी रे … आह्ह … आहह … फाड़ … और जोर से फाड़ … खोल दे इस कमीनी लंडखोर को, बहुत दिनों से प्यासी थी|
काफी देर की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मैंनेचाचीकी चूचियों पर काट लिया औरचाचीने भी मेरे होंठों को काट लिया| अंतिम कुछ धक्कों में मैंनेचाचीकी चूत का भोसड़ा बना दिया|चाची पहले ही झड़ चुकी थी|
उनकी चूत से फच फच की आवाज आने लगी| मैंने चाची के कंधों को पकड़ा और लंड को चूत में डालकर ऐसा झटका मारा कि लंड से वीर्य की धार सीधेचाचीकी बच्चेदानी तक पहुंच गयी|
मैं पूरे वेग के साथचाचीकी चूत में झड़ने लगा| कुछ देर तकचाचीकी चूचियों को दबाते हुए और होंठों को चूसते हुए मैं झड़ता रहा| हम दोनों चिपककर लेटे रहे और चुदाई से पैदा हुए इस आनंद का मजा लेते रहे|फिर हम अलग हुए और एक दूसरे को प्यार से चूमने लगे|
चाचीमेरी पीठ को सहलाती रही और मैं उसके होंठों को चूसता रहा| मेरा लंड अब शांत हो गया था औरचाचीकी चूत भी ठंडी हो गयी थी|इस तरह से उस रातचाचीकी चूत मारकर मैंने इतना मजा लिया कि मैंचाचीका दीवाना हो गया|चाचीभी अब मेरे लंड की राह ताकती रहती थी|
चाचा जी की गैरमौजूदगी में मैंचाचीके यहां पहुंच जाता था और किसी तरह दोनों मौका पाकर एक दूसरे को जमकर चूसते थे|
तो दोस्तो, मेरीचाची की चुदाई की ये गर्म कहानी कैसी लगी? आशा करता हूं कि सभी लौड़े पानी छोड़ चुके होंगे और चूतों ने भी उंगलियों से चुदवाकर अपना मुंह लाल कर लिया होगा|