रितिका जैसी लड़की आज तक नही देखी, बात उस समय की है जब मैं नाइट ड्यूटी कॉल सेंटर मे काम करता था, मेरे साथ एक लड़की जो पंजाबी बाग दिल्ली से ही कॅब लेती थी और मैं आज़दपुर से आता था, और गुड़गाव जाना होता था. एक दिन वो ब्लॅक कलर की शर्ट और टाइट जीन्स पहन रखी थी बड़ी ही हॉट लग रही थी लेकिन मैं कुच्छ कॉमेंट नही कर सकता था क्यों की वो सीनियर थी, पर मन नही माना और कुच्छ दूर बाद मैने कह दिया.
“रितिका मॅम आप बहुत ही अच्छी लगी रही हो”
चल झूठा हवा आने दे-रितिका
“नही नही झूठ नही बोल रहा हू”
तो क्या तुम्हे मेरे शर्ट के नीचे यानी ब्रा के नीचे भी दिख रहा है क्या-रितिका
“मुझे शर्म आ गयी और मैं नज़र झूका लिया”
क्या बात है हिजड़े हो क्या, या गे हो, “नही नही ऐसी कोई बात नही है”
तो साले शर्म क्यों कर रहे हो,
चलो में ऑफीस मे बताती हू, मैं भी किस किस्म की लकड़ी हू.
मुझे लगा साली ये हरामी लग रही है, लगता है चुद्बने का मन कर रहा है इसका, मैं भी अब अलग नज़र से निहारना शुरू कर दिया,
चूच करीब ३४ साइज़ का था उसकी गांद एक दम गोल गोल, और जाँघ टाइट और गोल गोल कमर पतली लेकिन चूतड़ काफ़ी चौड़ा था, पेट बिल्कुल सटा हुआ लेकिन चुच आगे आने के लिए बेताब लेकिन उसको काबू मे करने के लिए टाइट ब्रा. मस्त लग रही थी, उसके आँखो का काजल का क्या कहना, होठ गुलाबी और गाल तो ऐसे लग रहा था की किस करने के बाद लाल हो जाएगा एक दम गोरी.
रात के करीब ९ बजे ऑफीस पहुच गये, लिप्ट से उपर जाने लगे, लिफ्ट मैं सिर्फ़ हम दोनो ही थे, तभी वो मुझे पकड़ के किस करने लगी और मेरा हाथ पकड़ के अपने चुच पे रख दिया उसकी साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी, फिर वो अलग हो गयी. उपर ऑफीस आ गया था!
फिर वो अपने कॅबिन मे चली गयी और मैं अपने वर्कस्टेशन पे, काम करने लगा, रात को करीब २ बजे वो अपने कॅबिन मे बुलाई और दरवाजा अंडर से लॉक कर दी, मैने देखा वो जीन्स खोली हुई थी और सिर्फ़ कुर्ता पहनी हुई थी! और वो कुर्शी पे बैठ गयी, और मुझे नीचे बैठा दिया और मेरा बाल पकड़ पे अपने बूर मे सटा के दोनो जाँघो से दबा दी, और कहने लगी”
“चाट साले चाट, देख ऐसा बूर कभी चाटने के लिए नही मिलेगा, इतना चाट की बूर का सारा पानी ख़तम हो जाए”
मेरा भी लंड तन गया और मैं भी दोनो हाथ से दोनो साइड से उसके गाँद मे दोनो हाथो के एक एक उंगली घुसा दी और बूर चाटने लगा गांद मे उंगली आसानी से घुसा दिया क्यों की बूर का पानी गांद भी गीला हो गया था|
“चाट साले, आ हह ह ह ह ह चाट साले, जीभ घुसा दे मैने अपना जीभ से चाटने लगा वो पागल होने लगी, चल साले चोद मुझे, चोद मैंने पाना पेंट खोला और लंड निकाल के, उसके बूर मे डाल दिया और कस के उपर नीचे करने लगा, मस्त बूर के आस पास काले काले बाल थे वो भी गीला हो गया था, कुच्छ तो मेरे थूक से कुछ उसके बूर के पानी से. मैने करीब ३० मिनिट तक छोड़ा और वो एक लंबी आबाज निकली, उम्म उम्म्म उम्म्म उम्म्म उम्म्म उम्म्म और मेरा सिर का बाल कस के खिचने लगी और शांत होने ल्गी.
मैं उस टाइम पेले जा रहा था १२० की स्पीड मे, और और २ मिनिट बाद मैं ची आहा आ अयू हाए ए ए ए ए ए ए ए ए ए ई ए, और मेरा वीर्य उसके बूर मे ही डाल दिया फिर हम दोनो ने कपड़े पहन लिए और वो बाहर गयी और २ कोफ़ी ले के आए और मुस्कुराते हुए हम दोनो काफ़ी पीने लगे, रितिका बोली “कई दीनो से चुद्बने का मन कर रहा था, क्यों की बॉस भी बाहर गया है उसने ही ये लत लगा दिया है क्यों की वो रोज मुझे चोद्ता है अब वो १५ दिन बाद आएगा तब तो तुम मेरी आग को शांत करना, और मैं १५ दिन तो रोज रोज रितिका की चुदाई की. कहानी अगर अच्छा लगे तो लाईक ज़रूर करना ये मेरी सच्ची कहानी है,