मैं बिना चुदे रह नहीं सकती – रियल सेक्स कहानी

यह एक रियल सेक्स कहानी मेरा नाम शालिनी है। मैं 32 साल की हूँ, एक सुंदर, सेक्सी, और जवान औरत, जिसका जिस्म किसी को भी पागल कर दे। मेरा गोरा, चिकना बदन, बड़े-बड़े रसीले चूचियाँ जो साड़ी में उभरकर फटने को तैयार रहते हैं, और मोटी, गोल, भारी गांड जो चलते वक्त लचकती है, किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर सकती हैं। मेरी चूत हमेशा गीली, गरम और भूखी रहती थी, और मैं बिना चुदे एक दिन भी नहीं रह सकती। मेरा पति, अजय, 38 साल का था—एक बिज़नेसमैन, जो अक्सर टूर पर रहता था। हर बार जब अजय 10-15 दिन के लिए बाहर जाता, मेरी चूत तड़पने लगती थी। मैंने खुद को संभालने की कोशिश की, लेकिन मेरी चूत की भूख इतनी तेज़ थी कि मैं पड़ोस के अंकल या किसी जवान लड़के को बहाने से बुलाती और अपनी चूत को चुदवाती थी।

हमारा घर शहर के एक शांत मोहल्ले में था, जहाँ पड़ोस के लोग एक-दूसरे को अच्छे से जानते थे। पड़ोस में रहते थे रमेश अंकल, 50 साल के जवान मर्द—लंबे, सांवले, और मज़बूत जिस्म, जिसकी पैंट में मोटा, 9 इंच का लंड साफ उभरता था। फिर था विनय, 22 साल का पड़ोस का लड़का—लंबा, गोरा, और मज़बूत जिस्म, जिसका 7 इंच का लंड मेरी चूत की भूख को शांत कर देता था। मैंने इन दोनों को अपनी चूत की गुलाम बना लिया था, और हर बार जब अजय टूर पर जाता, मैं इनमें से किसी एक को बुलाती थी। मेरी चूत की भूख इतनी थी कि मैं बिना लंड के एक पल भी नहीं रह सकती थी।

एक दिन सुबह अजय ने बताया, “शालिनी, मुझे 15 दिन के लिए मुंबई जाना है। तुम अकेली रहना, मैं जल्दी आऊँगा।” मेरी चूत सुनते ही गरम हो गई। मैंने सोचा, “15 दिन बिना चुदे कैसे रहूँगी? मेरी चूत को लंड चाहिए।” मैंने रमेश अंकल को बुलाने का फैसला किया। मैंने एक टाइट, लाल साड़ी पहनी, जिसमें मेरी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर निकलने को बेताब थीं, और मेरी गांड का उभार साफ झलक रहा था। मैंने रमेश अंकल के घर जाकर कहा, “अंकल, मेरे घर में ट्यूब लाइट खराब हो गई है, क्या आप ठीक कर देंगे?” वो मुस्कुराए, और उनकी पैंट में लंड तन गया। वो बोले, “हाँ, शालिनी, मैं अभी आता हूँ।” मेरी चूत टपकने लगी।

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शाम को रमेश अंकल मेरे घर आए। मैंने उन्हें हॉल में बिठाया, और एक ग्लास पानी दिया। मेरी साड़ी का पल्लू हल्का सा नीचे सरक गया, और मेरे चूचियाँ ब्लाउज़ में कसकर उभरने लगे। रमेश अंकल की नज़र मेरे जिस्म पर टिक गई। वो बोले, “शालिनी, तू तो माल है। मेरी लंड तेरी चूत को फाड़ देगी।” मैं सिसकी, “अंकल, मेरी चूत को लंड चाहिए, बिना चुदे मैं नहीं रह सकती।” रमेश अंकल उठे, मेरी साड़ी का पल्लू खींचा, और मेरी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर उछल पड़ीं। वो बोले, “तू तो मेरे सपनों की रानी है, आज तेरी चूत को चोद-चोदकर संतुष्ट करूँगा।”

रमेश अंकल ने मेरी एक चूची को अपने मज़बूत हाथ में लिया और ज़ोर से दबाया। उसकी खुरदुरी उंगलियाँ मेरे निप्पल को मसल रही थीं, और उसकी गर्म, गीली जीभ मेरी चूची पर घूम रही थी। मैं सिसक उठी, “आह… अंकल, मेरे चूचियाँ चूस डालो… फाड़ डालो इनको!” उसने मेरी दूसरी चूची को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। मेरे निप्पल सख्त हो गए, और उसकी दाँतों से काटने पर मेरी चूत टपकने लगी। मैंने उसकी पैंट खींची, और उसका 9 इंच का मोटा, काला लंड बाहर लहराने लगा, नसें उभरी हुई और सुपारा लाल, चमकदार। मैं बोली, “अंकल, तेरा लंड मेरी चूत फाड़ देगा!” वो हँसा और बोला, “शालिनी, आज तेरी चूत और गांड का भोसड़ा बनाऊँगा।”

मैंने रमेश अंकल को बेडरूम में ले गई। उसने मेरी साड़ी और ब्लाउज़ एक झटके में फाड़ दिया। मेरी नंगी चूचियाँ हवा में लटक रही थीं, और मेरी गांड साफ दिख रही थी। उसने मेरी सलवार और पैंटी उतारी। मेरी चूत नंगी थी—गीली, गुलाबी, और टपकती हुई। उसकी हर सिलवट पानी से चमक रही थी। रमेश अंकल ने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं, और मैं चिल्ला उठी, “आह… अंकल, मेरी चूत में आग लग रही है!” उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरी, और मैं पागल हो गई। वो बोला, “तेरी चूत का स्वाद गज़ब है… मखमली और गरम!” उसने मेरी चूत को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरे चूत के दाने को रगड़ रही थी, और मेरी गांड उछल रही थी। मैं चीखी, “अंकल, मेरी चूत चाट डालो… अब चोद डालो!”

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रमेश अंकल ने मुझे बिस्तर पर लिटाया। उसकी टाँगें चौड़ी कीं, और उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। उसका सुपारा मेरी चूत की फाँकों को चीर रहा था। मैं तड़प रही थी, “डाल दे, अंकल… मेरी चूत को चोद डालो!” उसने एक ज़ोरदार झटका मारा, और उसका लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। मेरी चूत टाइट थी, और मैं चीख पड़ी, “आह… मर गई… तेरा लंड मेरी चूत फाड़ रहा है!” मेरी चूत से खून टपकने लगा, लेकिन वो रुका नहीं। उसका लंड मेरी चूत को चोद रहा था—ज़ोर-ज़ोर से, गहराई तक। फच-फच की गीली आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मेरे चूचियाँ उछल रहे थे, और उसने उन्हें अपने मज़बूत हाथों से मसला। मैं सिसक रही थी, “चोद… और जोर से चोद… मेरी चूत को फाड़ डाल!”

रमेश अंकल ने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी मोटी, गोल गांड उसके सामने थी, चिकनी और उभरी हुई। उसने मेरी गांड पर तीन ज़ोरदार थप्पड़ मारे, और मेरी गांड लाल होकर हिलने लगी। वो बोला, “शालिनी, तेरी गांड भी चोदूँगा… इसे मेरे लंड से फाड़ दूँगा!” मैं सिसकते हुए बोली, “चोद दे, अंकल… मेरी गांड फाड़ डाल!” उसने अपने लंड पर थूक और तेल लगाया, फिर मेरी गांड की टाइट छेद पर रगड़ा। उसका मोटा सुपारा मेरी गांड को छू रहा था। उसने धीरे से लंड डाला, और मेरी गांड टाइट होने की वजह से फटने लगी। मैं चिल्ला उठी, “आह… फट गई मेरी गांड… अंकल, धीरे!” लेकिन उसने मेरी गांड को अपने मज़बूत हाथों से पकड़ा और पूरा लंड ठूंस दिया। मैं चीख रही थी, “आह… मेरी गांड फट रही है!” उसने मेरी गांड को चोदना शुरू किया—ज़ोर-ज़ोर से, बेरहमी से। उसका लंड मेरी गांड को रगड़ रहा था, और मेरे चूचियाँ हवा में लटककर हिल रहे थे। मेरी चूत टपक रही थी, और उसकी चुदाई मेरे जिस्म को पागल कर रही थी।

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रात गहराई, और रमेश अंकल ने मुझे बाथरूम में ले जाया। शावर चालू था, और पानी हमारे नंगे जिस्मों पर पड़ रहा था। मेरी चूचियाँ पानी से चमक रही थीं, और मेरी गांड गीली होकर और रसीली लग रही थी। उसने मुझे दीवार से सटाया और मेरी चूत में लंड पेला। मैं चिल्लाई, “आह… अंकल, मेरी चूत को चोद डाल… इसे फाड़ डाल!” उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, और पानी मेरे चूचियों पर टपक रहा था। वो बोला, “शालिनी, तेरी चूत मेरे लंड की गुलाम है!” मैं सिसकी, “चोद… और जोर से चोद… मेरी चूत और गांड दोनों फाड़ डाल!”

अगले दिन मैंने विनय को बुलाया। उसने कहा, “दीदी, आपकी ट्यूब लाइट की बात क्या थी?” मैंने उसे घर बुलाया। मैंने एक टाइट, नीली साड़ी पहनी थी, जिसमें मेरी चूचियाँ और गांड उभर रहे थे। विनय आया, और उसकी पैंट में उसका 7 इंच का लंड तन गया। मैं बोली, “विनय, मेरी चूत को लंड चाहिए, बिना चुदे मैं नहीं रह सकती।” उसने मेरी साड़ी खींची, और मेरी चूचियाँ बाहर उछल पड़ीं। उसने मेरी चूचियाँ चूसी, और मेरी चूत चाटी। फिर उसने मेरी चूत में लंड डाला, और मैं चीखी, “आह… विनय, मेरी चूत फाड़ डाल!” उसने मेरी और गांड को चोदा, और मेरी चूत संतुष्ट हो गई।

15 दिन बीते, और मैंने रमेश और विनय को रोज़ बुलाया। मेरी चूत और गांड उनकी चुदाई से जवान हो गईं। हर रात मेरी चूत को लंड मिलता, और मेरी भूख शांत होती थी। यह मेरी ज़िंदगी का एक जंगली, हॉट सच था।

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