सुनील और रुचि भाभी दोनों का चक्कर काफी समय से चल रहा था। रुचि भाभी बहुत ही ज्यादा हॉट सेक्सी और आकर्षक औरत थी। परंतु जिस तरह हर औरत की आवश्यकताएं होती हैं वैसे ही रुचि भाभी की भी शारीरिक आवश्यकताये थी और वो पागलपन से भरी चुदाई चाहती थी। लेकिन रुचि भाभी के पति ज्यादातर गांव से बाहर शहर में ही काम करते थे। जिसकी वजह से उनके छोटे भाई सुनील ने इसका फायदा उठाया और उसकी बीवी के साथ नाजायज संबंध बनाए।
परंतु दिक्कत यह है कि यह दोनों को एक दूसरे के साथ समय बहुत ही कम मिलता था। उनका परिवार काफी बड़ा था जिसकी वजह से वह हमेशा कामकाज में ही लगे रहते थे। तो सुनील अबतक अपनी सूंदर देहाती भाभी की चुदाई नहीं कर पाया था।
दोनों को एक दूसरे के लिए समय नहीं मिलता था यानी कि दोनों को एक दूसरे के साथ चुदाई करने का मौका नहीं मिलता था।
वह रात को भी जुदाई कर सकते थे परंतु सुनील का बाप बहुत ही कच्ची नींद में सोता था और वह किसी भी टाइम जाग जाता था
सुनील रूचि से बात करते हुए – आखिर! हमें कब एक दूसरे के साथ समय बिताने को मिलेगा?!
रुचि – मैं क्या कर सकती हूं, मौका ही नहीं मिलता कुछ करने का।
सुनील – मैं तुम्हारा हॉट बदन और बलखाता जिसम देखकर मेरे लंड से रहा नहीं जाता।
रुचि – मुझसे भी तुम्हें देख कर रहा नहीं जाता, एक तो तुम्हारे भैया भी बाहर ही रहते हैं।
“फिर सुनील ने यह तरकीब निकाली कि हम अपने केले के खेत में मिलेंगे”।
सुनील – दोपहर के समय केले के खेत में कोई भी नहीं आता है और मैं काम करने के बहाने चला जाऊंगा।
रुचि – ना! बाबा! ना! मुझे खेत में करते हुए बहुत डर लगेगा!!
सुनील – बाबू…. प्यार किया तो डरना क्या, इसके अलावा कोई भी चारा नहीं है हमारे पास।
“रूचि मान गई”
अगले दिन,
सुनील खेत में देख-रेख करने के बहाने चला गया।
और रूचि यह बहाना लगाकर खेत में आ गई कि उन्हें सुनील को खाना देने जाना है।
रुचि केले के खेत में पहुंच गई जहा सुनील चरपाई डालकर उसका इंतजार कर रहा था।
रुचि आकर सुनील के बगल में चारपाई पर बैठ गई।
सुनील रुचि को देखते ही सुनील उसके गालों पर चूमना चालू कर दिया और उसके होंठों को चूसना चालू कर दिया।
रुचि – क्या कर रहे हो….? मुझे डर लगता है कहीं कोई देख ना ले!!
सुनील – दोपहर के समय यहां कोई भी नहीं आता है, और हमारा खेत गांव के बाहर है।
तो अब ज्यादा नखरे मत करो और मेरा लंड अपने मुंह में लो।
रुचि ने सुनील की पेंट खोली और उसका लंड चूसना चालू कर दिया।
सुनील – आ! आ! आम… मजा.. आ.. रहा.. है.. बहनचोद….
रुचि मेरा पूरा लंड अपने मुंह में लो ना बहुत मजा आ रहा है।
रुचि भाभी ने बोला – तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है मैं पूरा नहीं ले सकती।
तभी सुनील ने रुचिका मुंह पकड़ा और जबरदस्ती अपना पूरा लंड रुचि भाभी के मुंह में घुसा दिया।
और रुचि भाभी के प्यारे से चेहरे को वह अपने लंड से चोदने लगा।
रुचि – आ.. आ.. दबी आवाज में बोलते हुए – मुझे सास नहीं आ रही है…
परंतु सुनील ने उसकी नहीं सुनी और वो उसके मुंह को चोदता रहा फिर अचानक।
सुनील ने भाभी को चरपाई पर लिटा दिया उनकी पेटीकोट ऊपर उठाई और अपना लंड उनकी चूत में फट से घुसा दिया।
रुचि भाभी – अरे! जानवर.. क्यों बन रहे हो… इतना पागल क्यों हुए जा रहे हो?!!
“थोड़ा आराम से करो ना”।
सुनील माफ कर देना रुचि तुम्हें पहली बार, मैं स्पर्श कर रहा हूं.. पहली बार तुम्हारे बदन को महसूस कर रहा हूं, तो थोड़ा उतावला सा हो गया था।
फिर सुनील ने अपनी देहाती भाभी की चुदाई करने लगा, वह उसे जबरदस्त तरीके से चोदे जा रहा था।
सुनील की चुदाई से पूरी चारपाई हिल रही थी चर! चर!! चर!!!
रुचि – थोड़ा धीरे करो ना… दर्द हो रहा है…. सुनील….!
परंतु सुनील ने रुचि भाभी की ना सुनी और वह उन्हें चोदता ही रहा फिर उसने रुचि भाभी का ब्लाउज खोल लिया और उनके बड़े-बड़े चूची को दबाने लगा।
भाभी के दूध भी पी रहा था और साथ में उन को चोद भी रहा था।
फिर उसने भाभी को चरपाई पर घोड़ी बनाया और खड़े होकर भाभी की चूत की चुदाई करने लगा।
भाभी – आ.. आ.. आ.. आ.. आ.. आ.. आ.. आह..!!!
सुनील छोटे-छोटे भाभी की गांड पर थप्पड़ भी मार रहा था और उनके चूतड़ों को बहुत जोर जोर से दबा रहा था। जिसे भाभी के स्तन लाल पड़ गए थे।
सुनील अपनी देसी भाभी की अंतर्वासना में और कामुकता में पूरी तरह से बह गया था उसने भाभी के कंधों को पकड़ा।
और भाभी की प्रचंड चुदाई करने लगा। मैं भाभी की चूत में बहुत ही तेजी से अपना लंड अंदर बाहर अंदर बाहर कर रहा था।
भाभी – आ.. आ.. आ.. आ.. आह..! आह..!!
सुनील बहुत ही हरामी था क्योकि वो गन्दी Desi Sex Stories पढ़ता था और भाभी की चुदाई एकदम वैसे ही प्रचंड पागलपंती से कर रहा था।
इतनी ज्यादा प्रचंड चुदाई पाकर भाभी का मूत निकल रहा था।
सुनील ने अपने ही खेत में से कच्चा केला तोड़ा..,
और भाभी की गांड में घुस आने लगा।
रूचि भाभी – अरे!! अरे!!!! सुनील क्या कर रहे हो….?!!!!!!
“तुम तो मेरी गांड ही फाड़ डोंगे”।
सुनील ने रुचि भाभी की बात ना सुनी और उसने उनकी गांड में केला घुसा दिया।
भाभी कामुकता के दर्द से चिल्ला रही थी – आ!! आ!! आह!! आह!! आह!! आह!!!!
बहुत दर्द… हो… रहा… है… बाहर निकालो इसको जल्दी से…. तुम कितने बड़े मादरचोद हो बाहर निकालो इस केले को।
और सुनील ने वह केला बाहर निकाल लिया।
फिर सुनील ने भाभी के दोनों हाथों को पकड़ा और भाभी को खड़े-खड़े ही चोदने लगा। उसने भाभी के दोनों हाथों को पीछे की तरफ कर दिया और भाभी की चूत की चुदाई करने लगा।
इतने प्रचंड चुदाई करने के बाद दोनों का चरम सुख होने वाला था हालांकि भाभी का तो कई बार चरण सुख हो चुका था।
सुनील अपने लंड से मलाई निकालने वाला था तो उसने भाभी को घुटनों पर बैठाया। और उनके मुंह में अपना लंड घुसा कर सारी मलाई भाभी को पिला दी।
भाभी ने उसकी सारी मलाई को पीलिया और दोनों की कामुकता वासना चरम सुख के साथ समाप्त हो गई।
रुचि भाभी ने सुनील से बोला – तुमने तो आज हद कर दी… परंतु इस कामुकता भरी, पागलपन से भरी चुदाई में बहुत ही ज्यादा मजा आया। एक अलग ही स्तर की चरम सुख की प्राप्ति हुई थी मुझे आज।
सुनील – अरे! रुचि.. भाभी… क्यों परेशान हो रही हो?!! अब तो अच्छा बहाना मिल गया है रोज चुदाई करेंगे।