हम दोनो अकेले थे

मैं मुंबई में डाटा एंट्री ऑपरेटर की नौकरी करती हूं मेरे ही ऑफिस में महेश काम करता है महेश को जब मैंने पहली बार अपने ऑफिस में देखा था तो तभी से वह मुझे बहुत पसंद था।

मैंने कभी महेश को अपने दिल की बात नहीं बताई और सबसे बड़ी बात तो यह थी कि महेश शादीशुदा था लेकिन उसके उसकी पत्नी के साथ कोई अच्छे संबंध नहीं थे जिस वजह से वह लोग अलग ही रहते थे।

महेश कई बार अपनी पत्नी के बारे में कहता कि मैं उससे अलग होने के बारे में सोच रहा हूं लेकिन वह उसे तलाक नहीं दे रही थी महेश इस बात से बहुत ज्यादा परेशान था। एक दिन लंच टाइम में हम लोग साथ में बैठे हुए थे

जब उस दिन हम लोग ऑफिस के बाहर कैंटीन में बैठे हुए थे तो महेश मुझे कहने लगा गरिमा मैं इतना ज्यादा परेशान हो चुका हूं कि अब मैं अपनी पत्नी से डिवोर्स लेना चाहता हूं लेकिन अभी तक वह मुझे डिवोर्स देने को तैयार नहीं है।

मैंने महेश को कहा महेश सब ठीक हो जाएगा तुम चिंता मत करो, मैंने उससे पूछा लेकिन तुम्हारे और तुम्हारी पत्नी के बीच में आखिर किस बात को लेकर मतभेद है। वह मुझे कहने लगा जब से मेरी शादी हुई है

तब से उसने घर में मेरे मां बाप की देखभाल नहीं की और ना हीं वह घर का कोई काम करती है इस वजह से मैंने कई बार उसे इस बारे में कहा भी लेकिन वह है कि मेरी बात मानने तक को तैयार नहीं है।

मैंने उसे कहा कि तुम्हें इस बारे में अपनी पत्नी से बात करनी चाहिए तो वह मुझे कहने लगा कि मैंने अपनी पत्नी से ना जाने कितनी ही बार बात की है लेकिन वह मेरी बात बिल्कुल भी नहीं सुनती और हमेशा ही मुझे

अपने पिताजी की धमकी देती रहती है। महेश ने मुझे बताया कि उसकी पत्नी के पिताजी एक बड़े पद पर हैं वह काफी पैसे वाले हैं और उनकी काफी अच्छी पहुंच है जिस वजह से महेश अपनी पत्नी को ज्यादा कुछ कह नहीं पाता

लेकिन कुछ समय से वह लोग अलग रह रहे हैं उसकी पत्नी अपने मायके में ही रहती है। उस दिन महेश ने मुझसे पूछा कि गरिमा क्या तुमने भी अपने लिए कोई लड़का पसंद किया हुआ है तो मैंने महेश को कहा नहीं महेश मैंने तो अपने लिए कोई लड़का पसंद नहीं किया है और ना ही मैंने कभी इस बारे में सोचा है।

महेश मुझे कहने लगा कि लेकिन गरिमा तुम्हें शादी तो करनी ही पड़ेगी मैंने महेश को कहा मेरे पापा और मम्मी मेरे लिए लड़का देख लेंगे मैं फ़िलहाल इस बारे में कुछ नहीं सोचती हूं। महेश और मेरे बीच काफी अच्छी दोस्ती थी इसलिए कभी भी मुझे कोई परेशानी होती तो मैं महेश को बता दिया करती।

कुछ दिनों के लिए मुझे ऑफिस से छुट्टी चाहिए थी मेरी मम्मी मेरे मामा जी से मिलने के लिए जा रही थी उनकी तबीयत कुछ दिनों से ठीक नहीं थी। मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी क्योंकि घर का काम मुझे ही देखना था

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पापा तो अपने ऑफिस चले जाया करते है और मैं ही घर पर अकेली रह जाती थी मेरी बड़ी दीदी की शादी को हुए दो वर्ष हो चुके हैं और अब मेरी ही शादी होना बाकी है। मैं घर पर अकेले ही थी

उस दौरान मुझे महेश का फोन आया और महेश मुझे कहने लगा कि गरिमा तुम ऑफिस कब से आओगी तो मैंने महेश को कहा महेश मैंने एक हफ्ते की छुट्टी ली है और अभी तो सिर्फ दो ही दिन हुए हैं मैं तो घर पर ही हूं और घर का काम संभाल रही हूं। मैंने उसे बताया कि मेरे मामा जी की तबीयत ठीक नहीं है

और इसी वजह से मेरी मम्मी उन्हें देखने गयी है और मैं घर का काम संभाल रही हूँ  कुछ दिन बाद मैं ऑफिस आ जाऊंगी महेश कहने लगा ठीक है। अगले दिन मैं घर की साफ सफाई कर रही थी और पापा मुझे कहने लगे कि बेटा आज मुझे अपने ऑफिस से आने में देर हो जाएगी मैंने पापा से कहा पापा

लेकिन आप फिर भी कितने बजे तक अपने ऑफिस से लौट आएंगे। वह मुझे कहने लगे कि मुझे आज आने में देर हो जाएगी मैं तुम्हें फोन कर कर बता दूंगा मैं तुम्हें यह तो नहीं बता सकता कि मैं कितने बजे तक आऊंगा लेकिन मैं तुम्हें फोन जरूर कर दूंगा। मैने पापा को कहा ठीक है पापा आप मुझे फोन कर दीजिएगा पापा ने मुझे कहा बेटा

यदि कोई परेशानी हो तो मुझे फोन कर देना और तुम अपना ध्यान रखना मैंने पापा को कहा ठीक है पापा मैं अपना ध्यान रख लुंगी और पापा अपने ऑफिस के लिए चले गए। मैं घर की साफ सफाई कर रही थी और फिर मैं नहाने के लिए बाथरूम में चली गई मैं नहाकर जब बाहर आई तो मेरे फोन पर महेश का फोन आ रहा था

महेश को मैंने जब कॉल बैक किया तो महेश से मैंने काफी देर तक बात की और वह मुझे कहने लगा कि गरिमा मुझे तुम्हें यह बताना था कि मेरी पत्नी अब मुझे डिवोर्स देने के लिए तैयार हो चुकी है।

मैंने महेश को कहा यह तो बड़ी खुशी की बात है कि तुम्हारी पत्नी ने अब तुम्हें डिवोर्स देने के बारे में सोच लिया है तो महेश कहने लगा कि मैंने तुम्हें इसीलिए फोन किया था मैं अपनी पत्नी से जल्द ही डिवोर्स ले लूंगा।

मैंने महेश से बहुत देर तक बात की महेश मुझे कहने लगा कि गरिमा मैं तुम्हें मिलना चाहता हूं मैंने महेश को कहा लेकिन मैं तो घर पर ही हूं महेश कहने लगा ठीक है मैं तुम्हें ऑफिस से फ्री होने के बाद फोन करूंगा।

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मैंने महेश को कहा ठीक है तुम जब ऑफिस से फ्री हो जाओ तो मुझे फोन करना और अब महेश ने फोन रख दिया था मैं भी अपने घर के बैठक में बैठकर टीवी देख रही थी। दोपहर के 1:00 बज रहे थे और मुझे काफी तेज भूख लग रही थी तो मैंने सोचा अपने लिए कुछ बना लेती हूं मैं अपने लिए खाना बनाने लगी

मैं घर पर अकेली थी इसलिए मैंने अपने लिए थोड़ा सा ही खाना बनाया। मैं अब खाना खा कर कुछ देर आराम करने के लिए अपने रूम में चली गई मैं अपने रूम में सोने की कोशिश कर रही थी लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी।

मुझे इस बात की खुशी थी कि महेश और उसकी पत्नी के बीच में डिवोर्स होने वाला है। शाम के 5:00 बज चुके थे मैंने देखा कि शाम के 5:00 बज चुके हैं तो मैंने अपने लिए चाय बना ली मैं अपने लिए चाय बना कर चाय पी रही थी तभी मेरी मम्मी का मुझे फोन आया और वह कहने लगी कि बेटा तुम ठीक तो हो ना।

मैंने अपनी मम्मी से कहा हां मम्मी मैं ठीक हूं लेकिन आपने तो फोन ही नहीं किया वह मुझे कहने लगी तुम्हारे मामा जी की तबीयत काफी खराब थी इस वजह से मैं तुम्हें फोन नहीं कर पाई। मैंने मम्मी से काफी देर तक बात की उन्होंने मुझे बताया कि मामा जी की तबीयत अब पहले से बेहतर है। उस दिन मुझे महेश ने शाम के वक्त फोन किया।

जब महेश ने मुझे फोन किया तो वह मुझे कहने लगा गरिमा मुझे तुमसे मिलना है? मैने महेश को कहा तुम घर पर ही आ जाओ महेश कहने लगा ठीक है मैं तुम्हारे घर पर आ जाता हूं। मैंने महेश को अपने घर का एड्रेस मैसेज मे भेज दिया और महेश ऑफिस से फ्री होने के बाद मुझसे मिलने के लिए घर पर आ गया।

जब वह घर पर पहुंचा तो मैंने उससे कहा क्या तुम्हारे लिए मैं चाय बना दूं? महेश कहने लगा नहीं गरिमा रहने दो मैं महेश के साथ मे बैठे हुई थी और हम दोनों बात कर रहे थे। वह मुझे कहने लगा क्या घर पर कोई भी नहीं है? मैंने महेश को कहा पापा आज देर से आएंगे और मम्मी मामा जी के घर गई हुई है यह बात तो तुम्हें पता ही है।

महेश और मै एक दूसरे से बात कर रहे थे लेकिन मैं और महेश घर पर अकेले थे इसलिए मेरे दिल मे महेश को लेकर ना जाने क्यों चल रहा था। मैं चाहती थी कि मैं उसे किस कर लूं मै महेश की बाहों में

जाने के लिए बेताब थी मैंने उसको अपने गले लगा लिया। वह मेरी आंखों में देखने लगा उसे पता चल चुका था कि मैं उसकी बाहों में आने के लिए तड़प रही थी।

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वह मेरे होठों को चूमने लगा जब वह मेरे होठों को चूम रहा था तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैंने उसके होठों को बहुत देर तक चूमा उसके बाद उसने मेरे अंदर की गर्मी को बढ़ा दिया।

उसने मेरे शरीर की गर्माहट को इस कदर बढा दिया था कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी ना रोक सकी। महेश ने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो मैंने उसके मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर तक ले लिया उसे बड़े ही अच्छे से मैं सकिंग करने लगी। मुझे महेश के लंड को सकिंग करने में मजा आ रहा था और उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था।

मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही मजा आ रहा है महेश और मै मेरे बेडरूम में चले आए। जब हम लोग मेरे बेडरूम में आए तो मैंने उसे कहा तुम मेरी चूत को चाटो। महेश ने मेरे कपड़े उतार दिए थे उसने जब मेरी चूत को चाटना शुरू किया तो मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी।

मेरे अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ने लगी थी कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मेरे अंदर की गर्मी में बढ़ती जा रही थी मेरी चूत से पानी लगातार बाहर की तरफ निकल रहा था। महेश ने अपने मोटे लंड को मेरी चूत पर लगा दिया जब उसने अपने लंड को मेरी चूत पर लगाया।

मैंने महेश को कहा तुम अपने लंड को मेरी चूत मे डाल दो महेश ने अपने मोटे लंड को मेरी चूत के अंदर घुसा दिया। उसका लंड जब अंदर गया तो मैं जोर से चिल्लाने लगी मुझे बहुत ही मजा आ गया और बहुत अच्छा लग रहा था।

वह बड़ी तेजी से धक्के दे रहा था उसने मुझे इतनी तेज गति से धक्के दिए की मेरे अंदर की गर्मी लगातार बढ़ती जा रही थी और मेरी चूत से कुछ ज्यादा ही खून बाहर की तरफ को निकलने लगा था। मैंने महेश को कहा

मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। महेश ने मुझे और भी तेज गति से चोदने शुरू किया क्योंकि महेश अपनी पत्नी को तलाक देने वाला था और उसकी खुशी उसके अंदर साफ दिखाई दे रही थी। जिस तरह से हम लोग चुदाई कर रहे थे

उस से मेरे अंदर की सिसकियां बढ़ने लगी थी। महेश के अंदर गर्मी पैदा हो रही थी उसका वीर्य गिर चुका था

और उसके बाद महेश और मेरे बीच मे एक रिश्ता स्थापित हो गया। मैं महेश से शादी करने के लिए बड़ी बेताब थी लेकिन अभी तक हम लोगों की शादी नहीं हो पाई है।

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