घर की मुर्गियाँ 7

अजय सुबह 6:00 बजे उठकर छत पर टहल रहा था। अजय ने लोवर बनियान पहना था। थोड़ी देर बाद अजय को जाल में से टीना दिखाई दो, जो फ्रिज़ से पानी की बोतल निकाल रही थी। ऐसे शार्ट कपड़े पहने थे टीना ने की अजय का लण्ड तन गया। अजय फौरन नीचे हाल में आ गया। लोवर में लण्ड का उभार साफ नजर आ रहा था।

अजय- हेलो टीना गुड मार्निंग।

टीना- गुड मार्निग अंकल।

तभी टीना ने अजय के लोवर में टेंट का उभार देखा तो टीना की आँखें घबराहट में फैल गई। अजय भी समझ चुका था की टीना कहां देख रही है?

अजय- आज फल नहीं खाओगी?

टीना- आज तो केला खाने का मन कर रहा है।

अजय- देखो किचेन में होगा।

टीना- अंकल मैं देख चुकी हूँ आज केले नहीं हैं।

अजय- “एक केला है मेरे पास अगर तुम्हें पसंद आए तो?” और अजय ने अपने लण्ड पर हाथ से रगड़ लिया।

टीना एक स्माइल के साथ- “वो तो खाकर ही पता चलेगा…”

अजय- यहां पर तो मुश्किल है, ये केला तुमको छत पर खिला सकता हूँ।

टीना- “केला खाने के लिए तो मैं टावर पर भी चढ़ जाऊँ..”

अजय और टीना छत पर पहुँच गये।

टीना- लाइए अंकल अब केला खिला दीजिये।

अजय- मेरी पैंट में है, नीचे बैठकर निकाल लो।

टीना ने नीचे बैठकर केला बाहर निकाल लिया और गप्प से मुँह में भर लिया।

“ओहह… माई गोड…” ऐसा तो अजय ने सोचा भी नहीं था की टीना इतनी जल्दी लण्ड चूसेगी। और टीना भी ऐसे
चूस रही थी जैसे इस खेल की खिलाड़ी हो।

अजय- कैसा टेस्ट है टीना?

टीना- वाउ अंकल… बड़ा ही स्वादिष्ट केला है आपका। मेरा तो चाटकर खाने का दिल कर रहा है।

अजय- अब तो ये केला तुम्हारा है, जैसे मर्जी खा सकती हो।

टीना लण्ड को लालीपोप की तरह चूसने लगी। अजय को परम आनंद की अनुभूति मिल रही थी। टीना भी जैसे आज अपनी बरसों की तमन्ना पूरी कर रही थी। दोनों को मजा आ रहा था। अजय टीना के सिर को सहलाने लगा और अपने लण्ड को अंदर-बाहर हिलाने लगा। टीना भी मस्ती में लण्ड अंदर आधे से ज्यादा अंदर ले चुकी थी।

अजय से अब कंट्रोल करना मुश्किल था, और अजय ने टीना से कहा- “मेरा होने वाला है, बाहर निकाल लूँ?”

टीना को शायद अभी वीर्य निकलने का ज्ञान नहीं था। टीना को जैसे कुछ सुनाई नहीं दिया, और अजय की पिचकारी गले में उतरती चली गई। टीना को अजय के वीर्य से नमकीन स्वाद आया जो टीना के गले में सारा उतर चुका था। एक बूंद भी बाहर नहीं निकली थी। अजय को आज तक ऐसा ब्लो-जोब किसी ने नहीं दिया था। टीना जो इस खेल में एकदम नई थी।

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अजय- “टीना तुमने आज ऐसा केला खाया की मुझे भी स्वर्ग में पहुँचा दिया..”

टीना अपने घर जा चुकी थी।

समीर का नौकरी का पहला दिन समीर का आज कंपनी में पहला दिन था। फ्रेश होकर टाइम से कंपनी पहुँच गया, और बड़ी लगन से कंपनी की फाइलें चेक करने बैठ गया। समीर जिस कम में लगता है उसे बड़े दिल से करता है, और यूँ ही फाइल देखते देखते कब लंच हुआ, पता ही नहीं चला।

टेबल पर ही समीर ने लंच किया, और फिर फाइलों में बिजी हो गया। तभी एक फाइल में समीर के गड़बड़ नजर आई। ये तो आर्डर फाइल है, और इसकी आर्डर का माल भी रिसीव नहीं है, जबकी पेमैंट हो चुकी है। समीर को कुछ गड़बड़ नजर आई और समीर फाइल लेकर संजना मेम के आफिस में जा पहुँचा।

समीर- “मेम ये आर्डर फाइल है। इसमें हमारी कंपनी ने जो माल का आर्डर मल्होत्रा कंपनी को दिया था, उसकी रिसीव भी नहीं है और पेमेंट हो चुकी है। आप देखिए मेम…”

संजना- “बिल पास तो अमित शर्मा करता है। अकाउंटस से अमित को बुलाओ…”

अमित आ जाता है।
संजना- हाँ तो मिस्टर अमित ये बिल कैसे पास हुआ मल्होत्रा कंपनी का?

अमित घबरा गया। करीब 40 लाख का घोटाला हआ था। संजना ने अमित को पोलिस में दे दिया, और मल्होत्रा पर केस कर दिया।

संजना- “आई आम प्राउड आफ यू। वेल डन समीर। तुमने मेरा दिल जीत लिया..”

संजना समीर से बहुत प्रभावित हुई। एक ही दिन में समीर संजना को भा गया। समीर की भी शायद किश्मत खुल गई थी। वक्त समीर को कहां से कहां ले जायेगा।

तभी एक बहत ही प्यारी सी लड़की संजना के आफिस में आती है। समीर तो जैसे उस लड़की को देखकर नजरें हटाना ही नहीं चाहता था।

संजना- अरे… दिव्या आओ, कैसे आना हुआ?

दिव्या- दीदी आज आपने कोई प्रोग्राम बनाया था, भूल गई। .

संजना- ओहह… हाँ आज हमें आपको शापिंग करानी थी। यहां कंपनी में कुछ गड़बड़ हो गई थी। इसलिए याद नहीं रहा। अच्छा हुआ तुम आ गई। इनसे मिलो, ये हैं हमारी कंपनी के नये मैनेजर समीर।

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समीर- हेलो मेडम।

दिव्या ने हाथमिलाया। समीर के हाथों में इस वक्त दिव्या के नरम-नरम हाथ थे। दिव्या के चेहरे पर भी बड़ी
सक्सी स्माइल आ रही थी।

संजना- चलो दिव्या चलते हैं।

समीर का दिल उस हसीन लड़की पर आ चुका था, एकदम पहली नजर का प्यार।

समीर का दिल उस हसीन लड़की पर आ चुका था, एकदम पहली नजर का प्यार।

समीर घर पहँच चका था, और अपने रूम में कपड़े चेंज कर रहा था। तभी नेहा ने रूम में एंट्री की। समीर इस वक्त सिर्फ अंडरवेर में था, और हाथ में लोवर पकड़े पहनने वाला था। नेहा की नजर अंडरवेर में लण्ड की शेप को देख रही थी। शायद समीर भी नेहा की नजर का पीछा करते हुए समझ चुका था और जल्दी से लोवर पहन लिया।

नेहा कातिल मुश्कान के साथ- “भइया कैसा रहा आज कंपनी का पहला दिन?”

समीर- बहुत अच्छा रहा और मम्मी कहां है? नजर नहीं आ रही।

नेहा- “वो मौसा जी का फोन आया था। आपके लिए कोई लड़की बता रहे थे। मम्मी भी फौरन तैयार हो गई। उसी लड़की को देखने गई हैं…”

समीर- पहले मुझसे तो पूछ लिया होता? मुझे अभी शादी नहीं करनी।

नेहा- क्यों भइया?

समीर- ऐसे ही… पहले तेरी शादी हो जाय, उसके बाद सोचेंगे।

नेहा- भइया मैं खाना लगा दूं?

समीर- हाँ लगा दे।

फिर दोनों ने मिलकर खाना खाया। और यू ही बातें करते हुए रात के 10:00 बज गये।

समीर- जाओ तुम अब अपने रूम में जाकर सो जाओ।

नेहा उठकर अपने रूम में चली गई, और नाइट ड्रेस पहनकर बेड पर लेट गई। मगर आज नेहा को नींद नहीं आने वाली थी। पापा मम्मी के घर में ना होने से भी एक डर सा लग रहा था। सोने की बहुत कोशिश कर रही थी, मगर आज तो नींद आने का नाम ही नहीं ले रही थी।

नेहा करीब 11:30 बजे अपने बेड से उठी और समीर के रूम में पहँच गई। समीर बेड पर लेटा मोबाइल में कैंडी गेम खेल रहा था। नेहा पर नजर गई, अफफ्फ… क्या नाइटी पहनकर आई थी नेहा।

नेहा- भइया मुझे आज अपने रूम में डर लग रहा है। क्या मैं आपके पास सो जाऊँ?

समीर- हाँ लेट जाओ।

नेहा समीर के साथ बेड पर लेट गई, और कहा- “भइया आपको अकेले नींद आ जाती है?”

समीर- हाँ आ जाती है।

नेहा- भइया आपने अभी तक मेरी शर्त वाली बात पूरी नहीं की।

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समीर- हाँ मुझे याद है। चल बता क्या करना है मुझे?

नेहा- भइया एक बात कहूँ?

समीर- बोल नेहा।

नेहा- आपका मन कभी सेक्स की तरफ नहीं जाता?

समीर- नेहा हम भाई बहन हैं, और हम इस तरह की बातें आपस में नहीं कर सकते।

नेहा- अच्छा भइया, तो तुम मुझे ये बताओ की मैं बाहर जाकर ये बातें किससे करूं?

समीर- तू पागल हो गई है? घर की इज्जत मिट्टी में मिलायेगी।

नेहा- वाह भइया… कभी कहते हो घर में ये बातें नहीं होती, और अब कह रहे हो बाहर करोगी तो घर की इज्जत मिट्टी में मिल जायेगी।

समीर- अच्छा बाबा बोल तू क्या चाहती है?

नेहा- “भइया मैं आपसे खलना चाहती हूँ। मुझे आपका वो देखना है…” और ये सब नेहा ने एकदम से बोल दिया।

समीर को नेहा से इतनी उम्मीद नहीं थी, कहा- “तू जरूर पागल हो गई है। तू जो कह रही है वो मैं नहीं कर सकता। क्या तू मुझे अपनी नजरों में गिराना चाहती है? मैं कैसे ये सब करके तुझसे नजर मिला पाऊँगा?”

नेहा- “भइया ये सब इसीलिए तो आपसे कह रही हैं। अगर मैं ये सब बाहर करूँगी तो जरूर इज्जत चली जायेगी।
आपके साथ तो किसी को शक भी नहीं होगा…”

समीर- “देख नेहा, अगर तू कहती है तो मैं तुझे अपना वो दिखा सकता हूँ। लेकिन ये बात सिर्फ तुझ तक ही रहनी चाहिए। टीना से भी इस बात का जिकर नहीं करेगी…” और समीर ने अपने ऊपर से चादर हटा दी।

नेहा को जैसे खजाना मिलने वाला था। बेसबर सी खुद ही समीर के लोवर में देखने लगी।

समीर- नेहा सिर्फ देखने की बात की है, तुम टच नहीं करोगी।

नेहा- ओके भइया चलो आप ही दिखा दो।

समीर नेहा से थोड़ा फासले पर चला गया, और अपना लोवर नीचे कर दिया, सिर्फ अंडरवेर पहने हए था। समीर को नेहा बड़ी ललचाई नजरों से देखने लगी।

समीर- अब तो खुश है तू?

नेहा- बाहर निकालकर दिखाओ इसे?

समीर- आज ऐसे ही देख लो।

नेहा- ऐसे क्या पता चलेगा आपका साइज कितना है?

समीर- तू साइज जानकार क्या करेगी?

नेहा- ये मेरी फैंटेसी है।

समीर- देख ज्यादा आगे बढ़ने की कोशिश ना कर।

नेहा- मैं आगे नहीं

आप वहीं से दिखा दो।

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