टीना ने अपने दोनों हाथों से बेड की चादर पकड़ ली। नेहा मस्ती से किस करते-करते नीचे जा रही थी, और तभी नेहा के मुँह में कुछ बाल आ गये।
नेहा- टीना, तू अपनी चूत के बाल साफ नहीं करती है?
टीना- करती हूँ 15 दिन में।
फिर नेहा ने अपने होंठ टीना की चूत पर टिका दिए।
टीना- यहां नही कर किस्स।
मगर नेहा ने चूत के होंठों को अपने होंठों में दबा लिया, और बड़े ही प्यार से चूसने लगी, जैसे चूत से कोई रस निकल रहा हो, और आज सारा रस नेहा पी जायेगी। टीना का एक हाथ अपने आप नेहा के सिर पर पहुँच गया,
और सिर पर अपने हाथों से अपनी चूत की तरफ दबाने लगी।
टीना की आवाजें बढ़ती जा रही थीं- “अहह… आहह… इसस्स्स उम्म्म्म … पता नहीं कैसी आवाजें निकल रही थीं “नेहा ये क्या कर दिया तूने? बहुत बेचेनी हो गई है कुछ कर अब…”
नेहा ने अपने होंठ हटा लिए और एक उंगली चूत पर छुवा दी, और चूत की फांकों के बीच में रगड़ने लगी। टीना ऐसे तड़प रही थी जैसे बिन पानी के मछली। फिर नेहा अपनी उंगली टीना की चूत की गहराई में डालने लगी। आधी उंगली को अंदर-बाहर कर रही थी। टीना की चूत से रस निकल रहा था।
नेहा- कैसा लग रहा है टीना?
टीना- “मत पूछ, कितना मजा आ रहा है..”
नेहा- मेरे साथ इतना मजा आ रहा है तो सोच बायफ्रेंड के साथ कितना आयेगा?
टीना- तू सही कह रही है वो मजा भी लेकर देखेंगे मगर बायफ्रेंड कहां मिलेगा?
नेहा- एक आईडिया है।
टीना- क्या?
नेहा- “समीर शर्त हार चुका है। उससे कहो की एक रात तुझे टीना के साथ सोना है..”
टीना- क्या तू पागल हो गई है? समीर से ये काम? नहीं ये मैं नहीं करवा सकती।
नेहा- क्यों समीर के पास लण्ड नहीं है क्या?
टीना- वो मेरे भाई जैसा है।
नेहा- भाई जैसा है, भाई तो नहीं।
टीना- वो मानेगा मेरे साथ सोने को?
नेहा- जब शर्त हारा है तो जरूर मानेगा।
टीना- अगर किसी ने देख लिया तो?
नेहा- ये काम तब होगा जब अंकल और आँटी घर पर नहीं होंगे। तब समीर तेरे साथ सोयगा।
टीना- “तब की तब देखेंगे, अब तो कुछ कर..”
टीना की चूत में नेहा अपनी उंगली अंदर-बाहर कर रही थी, और टीना भी नेहा की चूचियां चूस रही थी। रूम में तूफान सा आ गया था, और ये तूफान टीना से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, जिश्म में अकड़ाहट होने लगी, जैसे जिश्म से कुछ निकलना चाह रहा हो, और टीना ने ढेर सारा पानी उड़ेल दिया। टीना शांत हो चुकी थी।
नेहा- क्या हुआ तुझे?
टीना- मजा आ गया यार। नेहा मेरी जान आई लोव यू, तो बहुत अच्छी है।
नेहा- “मेरा भी तो कुछ कर ना…”
फिर टीना ने नेहा की चूत पर अपने होंठ टिका दिए। नेहा की चूत एकदम सफाचट थी। टीना चूत के बाहर-बाहर किस कर रही थी।
नेहा- बाहर-बाहर ही करेगी या अंदर भी करेगी?
और टीना ने अपनी जीभ जितनी हो सकती थी नेहा की चूत में घुसा दी।
नेहा- “हाय… ये हुई ना कुछ बात…” और लगी चाटने। नेहा बहुत गरम हो चुकी थी। ज्यादा देर टिकना मुश्किल था, और नेहा भी झड़ गई। सारा पानी टीना के मुंह पर उड़ेल दिया।
टीना- ये क्या किया तूने? मुझे सारा गंदा कर दिया।
नेहा- तौलिया से साफ कर ले।
दोनों तृप्त हो चुके थे। एक दूजे की बाहों में लिपटकर नंगे ही सो गये।
अजय को सुबह जल्दी उठने की आदत थी। सुबह 5:00 बजे उठकर ऊपर छत पर सरत किया करता था। आज भी अजय 5:00 बजे उठ गया और ऊपर जाने लगा की टीना को देखने का खयाल आ गया, और नेहा के रूम था। मगर दरवाजा अंदर से बंद था। अजय बुझे मन से ऊपर चला गया। करीब 6:00 बजे तक अजय ने कसरत की और नीचे आया तो किचेन में टीना पानी पी रही थी।
अजय भी किचेन में पहुँच गया, और कहा- “अरे… बेटा तुम उठ गये?
टीना- जी अंकल प्यास लगी थी, पानी पीने आई थी।
अजय- टीना प्यास तो हमें भी लगी है, हमारी भी प्यास बुझा दो।
टीना- “जी अंकल लीजिये…” और टीना ने एक ग्लास पानी भरकर अजय को पकड़ाया।
अजय ने टीना की उंगलियों को पकड़ते हए ग्लास पकड़ा। टीना की टी-शर्ट में चूचियों के निप्पल साफ नजर आ रहे थे। अजय की नजं सिर्फ चूचियों पर ही टिकी थीं। अजय ने हाफ पाजमा पहना हुआ था। टीना का ऐसा नजारा देखकर अजय के छोटे मियां अब बड़े मियां बन चुके थे।
टीना किचेन से बाहर निकलने लगी, तो अजय दरवाजे से लगा हुआ था। टीना को किचेन से निकलते हुए अजय के लण्ड की रगड़ टीना की गाण्ड पे लगती चली गई। उफफ्फ… क्या ह ल हआ इस वक्त अजय और टीना का। टीना ने लण्ड की रगड़ साफ महसूस की थी।
टीना- “अच्छा अंकल, मैं चलती हूँ..” नेहा उठ जाय तो बोल देना मैं चली गई हैं।
अजय- “बेटा चाय पीकर चले जाना…”
टीना- नहीं, फिर कभी पिएंगे आपकी चाय।
अजय की नजर किचेन में बास्केट में रखे फलों पर गई तो कहा- “अच्छा तो कम से कम फल ही खाकर चली जाना…”
टीना- “ओके अंकल। लाओ मैं निकालती हूँ फल…”
अजय- बेटा कौन सा फल पसंद है तुम्हें?
टीना- जी केला, और आपको?
अजय- “मुझे तो आम चूसने में मजा आता है। तुम केलअ कैसे खाती हो?”
टीना- जी काटकर खाती हूँ।
अजय- कभी पूरा खाकर देखना, उसमें ज्यादा टेस्ट आता है।
टीना किचेन की सेल्फ के पास खड़ी होकर फलों को प्लेट में रख रही थी, तो अजय को टीना के चूतड़ की पूरी
शेप नजर आने लगी। लण्ड ने बड़ा जोर से अजय को झटका सा दिया।
अजय टीना के करी या, और कहा- “बेटा और क्या-क्या पसंद है तुम्हें?” अजय ने अपने लण्ड को एक पल के लिए टीना की गाण्ड पर रगड़ते हुए पूछा।
टीना समझ चुकी थी अंकल मुझ पर चान्स मार रहे हैं। टीना भी बहुत चुलबुली थी। मजा लेना उसे भी आता
था। टीना बोली- “अंकल मुझे ना लंबी-लंबी चीजें ज्यादा पसंद हैं, जैसे गन्ना, केला, खीरा, ककड़ी, बैगन लौक्की, तोरी। और आपको अंकल?”
अजय- “बेटा मुझे तो मोटी-मोटी ज्यादा पसंद हैं, जैसे पपीता, आम, खरबूजा। मेरा तो एक में काम नहीं चलता। जब भी खाता हूँ तो जोड़े के साथ ही खाता हूँ..”
अजय हिम्मत करके टीना के पीछे खड़ा हो गया। टीना और अजय ने अंदर कुछ नहीं पहना था। अबकी बार अजय का लण्ड गाण्ड की दरार में टीना को साफ महसूस हुआ। टीना जरा भी नहीं हिली। शायद टीना भी लण्ड को महसूस करना चाहती थी, और अजय का हौसला बढ़ाना चाहती थी शायद। मगर इस वक्त यहां किचेन में बड़ा रिस्क था। अंजली या नेहा किसी भी वक्त उठकर आ सकती थी।
अजय को लगने लगा की ये चिड़िया मेरे जाल में फंस चुकी है। कोई मोका हाथ लग जाय तो टीना की कुंवारी चूत मिल सकती है। मगर ये काम बहुत खतरनाक है।