हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम अविनाश है. यह बात उस वक्त की है जब में Ist ईयर में था, मेरे घर के सामने एक फेमिली शिफ्ट हुई थी. अब में अपने घर के बाहर ही खड़ा था, तब अचानक से एक गाड़ी रुकी, उसमें से एक बहुत ही सेक्सी सी आंटी उतरी वाआहह वो क्या माल लग रही थी? फिर उसकी 2 बेटियाँ उतरी, क्या गजब फिगर था उनका? मानो की देखते ही लंड से पानी निकल जाए, अब उस रात में सो नहीं पा रहा था.
फिर दूसरे दिन मैंने अपनी खिड़की से उसके घर में देखा तो मुझे एक बूढ़ा सा आदमी दिखा. फिर मैंने सोचा कि इस खूबसूरत जवानी पर ये बूढ़ा दाग लगा रहा है. अब मेरा तो मानो उस बूढ़े को अपना लंड फेंककर मारने का मन हुआ. फिर 10 दिन के बाद में उस आंटी के घर गया, तो आंटी बोली कि आओ बेटा, क्या नाम है तुम्हारा? तो मैंने बोला कि अविनाश.
फिर वो बोली कि में चाय लाती हूँ, तुम बैठो. तो फिर में टी.वी देखने लगा और तभी उसकी बड़ी बेटी वाशु स्कूल ड्रेस में आई, वाअहह उमाआ क्या माल लग रही थी? उसकी वो नंगी टाँगे मेरी कामुकता को बढ़ा रही थी. फिर उसने मुझे इस नज़र से देखा कि मानो मुझको खा ही जाएगी. अब में समझ गया था कि इस बला का रस अगर मैंने नहीं पिया तो ये इस लड़की का अपमान होगा.
फिर दूसरे दिन में फिर से आंटी के घर गया. अब मेरी आंटी से रोज़ बात होने लगी थी और उसकी प्यारी बेटी से नज़रो में मुलाकात होने लगी थी. अब में हर रोज़ कुछ बहाने से उनके घर में जाने लगा था. फिर इस बात का पता मेरे पापा को लगा तो मेरे पापा ने मुझे बहुत मारा कि उसके घर मत जाना शायद उन्हें भी मेरी काम भावना का एहसास हो गया था, लेकिन अब मेरा उस्ताद कहाँ मानने वाला था? क्योंकि मेरी आँख बंद होते ही मुझे उसकी नंगी टाँगे नज़र आती थी.
अब मैंने मन बना लिया था कि चाहे बाप मारे या कोई भी में उसकी मदमस्त जवानी का रस पीकर ही रहूँगा. फिर एक दिन ऐसा आया कि आंटी ने मुझे अपने घर बुलाया और बैठाकर बातें करने लगी. अब उसकी बातों से लगा था कि वो उस बूढ़े से खुश नहीं है. फिर मैंने सोचा कि माँ और बेटी दोनों को अपना वीर्य पिला दूँगा, लेकिन उसका ध्यान तो मेरे पड़ोसी पर था. अब में समझ गया था कि अगर इसकी बेटी की जवानी का रस पीना है तो इसकी आग को तो बुझाना ही पड़ेगा. फिर मैंने अपने पड़ोसी विजय से बात की तो वो मानो पागल ही हो गया.
फिर एक दिन जब मैंने आंटी की सेटिंग विजय से करवा दी. फिर बूढ़ा कुछ दिनों के लिए बाहर चला गया, तो में अचानक से आंटी के रूम में चला गया. मैंने देखा कि विजय आंटी को अपना लंड चुसा रहा था. फिर आंटी झट से उठ गई और बोली कि बेटा किसी को कुछ मत बताना. फिर मैंने बोला कि में जो भी करूँ आप मुझे मना नहीं करोगी, तो वो बोली कि ठीक है. फिर में तुरंत उसकी सौतेली बेटी वाशु के पास गया. अब उस सौतेली माँ ने अपनी बेटी को चुदवाने का फ़ैसला कर लिया था.
फिर में वाशु के पास जाकर बोला कि आओ जान इतने दिनों की प्यास बुझाने का समय आ गया है, तो वो बोली कि नहीं कोई आ जाएगा. फिर मैंने कहा कि अपनी रंडी माँ से डर रही हो, वो रंडी तो तुमको अपने भाई से चुदवाना चाहती है, तुम एक काम करो मेरा साथ दो हम बदला लेंगे, तो बहुत देर के बाद वो मान गयी.
फिर में झट से उसके करीब आ गया और उसके होंठो पर अपने होंठ चिपकाकर उसके कामुक बदन से लिपट गया. अब उसकी साँसे भारी होने लगी थी, फिर मैंने उसके होंठो को अपने होंठो से कसकर चुंबन देना शुरू किया. अब वो मस्त होती जा रही थी और सिसकियां भर रही थी, उम्म्म म्म्म्मम एम्म एमम आह हहहहह चूस लो एम्मम एम्म.
फिर मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए, वो काली ब्रा और काली पेंटी में क्या लग रही थी? अब मेरा लंड बेकाबू होता जा रहा था. फिर मैंने उसकी ब्रा खोली और उसके दूध का रस पीने लगा. अब वो आहह उम्म्म्ममम अहह कर रही थी. फिर जैसे ही मैंने उसकी पेंटी खोली, तो उसकी चूत एकदम पिंक कलर की थी वाआह.
अब में उसकी चूत को चाटने लगा था, अब वो अहह चोदो ना आह हह जमम्म्म एम्म एम्म्म मुन्म्म एम्म्म प्लीज अहह बोले जा रही थी. अब उसकी ऐसी आवाज़े सुनकर में और जोश में आ गया और अपना 7 इंच लम्बा लंड उसकी चूत में घुसा दिया. अब वो उम्म्म एमम हहहहहह कर रही थी, फिर लगातार आधे घंटे तक उसकी चुदाई करने के बाद में झड़ गया.
अब दूसरा दिन था, फिर उसकी माँ ने उसे अपने एक रिश्तेदार के यहाँ भेज दिया. फिर मुझे पता लगा तो में विजय के पास गया और बोला कि बूढ़े को उसकी सच्चाई पता चल गई है, तो आंटी ने बोला है कि विजय तुरंत यहाँ से भाग जाए, तो विजय चला गया. अब आंटी अपनी प्यासी चूत को लेकर परेशान थी. फिर मैंने अपने मन में बोला कि मेरी माल भगाकर तू कैसे खुश रहेगी?
फिर एक रात को में लेटा हुआ था. अब मेरा चुदाई करने का मन कर रहा था तो मैंने सोचा कि क्या में इस आंटी को चोद दूँ? वैसे भी विजय तो जा चुका था और आंटी को भी लंड की भूख होगी. फिर दूसरे दिन में आंटी के घर गया तो मुझे आंटी बड़ी मायूस लग रही थी. फिर मैंने पूछा कि क्या हुआ? तो आंटी बोली कि विजय मुझे धोखा देकर भाग गया और रोने लगी. फिर मैंने आंटी को गले लगाकर चुप कराया और बोला कि आंटी में हूँ ना, आप परेशान मत हो और आंटी के बूब्स पर अपना एक हाथ फैर दिया. फिर आंटी एकदम से गर्म हो गई और मुझसे लिपट गयी.
अब में आंटी की साड़ी उतारने लगा था और अब आंटी पागल सी होकर मुझे चूमने काटने लगी थी. अब में भी उत्तेजित हो गया और अपना लंड आंटी के हाथ में दिया. अब वो पागलों की तरह मेरे लंड को चूसने लगी थी और जोर-जोर सिसकारियां भर रही थी. फिर आंटी जल्दी से लेट गयी और बोली कि बुझा दे मेरी प्यास, चोद दे मुझे. फिर में देर ना करते हुए आंटी की घमासान चुदाई करने लगा.
अब आंटी पागल हो गई थी और फिर कुछ देर के बाद में आंटी कि चूत में ही झड़ गया, इस बीच आंटी 3 बार झड़ चुकी थी. फिर मैंने आंटी को रातभर चोदा और फिर सो गया. अब जब भी हम दोनों को कोई मौका मिलता था तो हम दोनों बहुत चुदाई करते थे. फिर हमारा ये सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा और फिर वो चली गई.