शीला की लीला – 2 | Hindi Sex Story

“अरे, उसमें कौन सी बड़ी बात है!! मुझे तो इतना दूध आता है की मेरे लल्ला का पेट भर जाता है फिर भी बचता है। कभी कभी तो लल्ला पीते पीते सो जाता है… और छाती पूरी खाली न हो जाए तो इतना दर्द होता है की कपड़ा रखकर दबाकर दूध निकालना पड़ता है… लल्ला का बाप अगर जाग रहा हो तो वो भी थोड़ा बहुत चूस लेता है” इतने कहते ही रूखी शरमा गई ​

“आप चिंता मत करो भाभी, में वैसे भी दिन में कई दफा यहाँ से गुजरती हूँ.. आते जाते एक कटोरी में दूध निकाल दूँगी… बेचारे उन नन्हें पिल्लों को ओर चाहिए भी कितना!!! दो तीन घूंट में तो उनका छोटा सा पेट भर जाएगा.. लाइये कटोरी.. ये तो बड़े पुण्य का काम है… अब छाती में इतना दूध बनता ही है तो फिर इस्तेमाल करने में भला क्या हर्ज??”

इतना कहते ही रूखी ने अपने ब्लाउस के दो हुक खोल दिए… शीला दो घड़ी देखती ही रह गई… बड़े बड़े पके हुए नारियल जैसे बोबलों में से एक स्तन रूखी ने बाहर खींचा… दूसरी तरफ का दूध से भरा हुआ थन भी आधा बाहर लटक गया… देखते ही शीला के भोसड़े में खुजली शुरू हो गई। ​

शीला भागकर किचन से कटोरी लेकर आई और कटोरी को रूखी के स्तन के नीचे रख दिया। रूखी ने निप्पल को दबाया पर दूध नही निकला

“अरे भाभी, पता नही आज क्यों दूध नही निकल रहा? वैसे तो रोज, दबाते ही फव्वारा छूट जाता है…”

“आएगा रूखी… थोड़ा इंतज़ार तो कर!!”

“भाभी, आप दबाकर देखो… शायद दूध निकले”

शीला जबरदस्त उत्तेजित हो गई.. पर उसने थोड़ा सा नाटक किया..

“मुझे तो शर्म आती है रूखी”

“क्या भाभी, इसमे भला कौनसी शर्म? आपने भी तो अपने बच्चों को दूध पिलाया ही होगा ना!!”

“हाँ, वो बात तो सही है तेरी… पर उसे भी बहोत वक्त हो गया न रूखी…”

“जल्दी निकालिए न भाभी” कहते हुए रूखी ने शीला का हाथ पकड़कर अपने दूध से भरे स्तन पर रख दिया।

आहह… पत्थर जैसा सख्त और कडा स्तन!! उसे छूते ही शीला की चुत का दूध टपकने लगा..कुछ देर के लिए तो शीला रूखी के स्तन को बस सहलाती ही रही..

“सहला क्यों रही हो भाभी? दबाओ ना!!” रूखी ने कहा

शीला रूखी की बगल में बैठ गई.. और धीरे धीरे रूखी के स्तन को दबाने लगी.. शीला ने ब्लू फिल्मों में कई बार लेस्बियन द्रश्य देखे थे… और दो साल से, अपनी पति की गैर-मौजूदगी में उसकी हालत खराब हो गई थी… जैसा आपने पहले पढ़ा ही है

बिना रूखी की अनुमति के शीला ने उसका दूसरा स्तन भी चोली से बाहर निकाल दिया… रूखी की निप्पल पर दूध की बूंद उभर आई… ​

“आया आया दूध… अब निकलेगा… और दबाइए भाभी पर जरा धीरे से.. दर्द हो रहा है… और ध्यान से… कहीं इसकी पिचकारी आपकी साड़ी पर ना गिरे..”

रूखी ने अपनी आँखें बंद कर ली। शीला अब स्तनों को दबाने के साथ साथ खेल भी रही थी। रूखी की बंद आँखें देखकर वह समझ गई की वह भी उत्तेजित हो गई थी।

शीला ने पूछा “क्या हुआ रूखी? आँखें क्यों बंद कर दी? बहोत दर्द हो रहा है क्या?”

“नही नही भाभी… अमम कुछ नही.. “

“नही, पहले तू बता… आँखें क्यों बंद कर दी?” शीला अड़ी रही

“वो तो.. ही ही ही.. जाने भी दीजिए न.. आप समझ रही है फिर भला क्यों पूछ रही हो?”

“सच बता… मजा आ रहा है.. अपने पति की याद आ रही है… है ना..!!”

“वो तो भाभी… काफी महीनों के बाद किसी के हाथ ने छातियों को छुआ.. तो थोड़ा बहोत तो होगा ही ना!”

“क्यों? तेरा मरद दबाता नही है क्या?”

“क्या बताऊँ भाभी!! वो तो पूरा दिन खेत में काम करके ऐसा थक जाता है की रात होते ही घोड़े बेचकर सो जाता है.. कभी कभी जब छाती में ज्यादा दूध भर जाएँ और में उन्हे जगाऊँ तो थोड़ा बहोत चूस लेते है… बस इतना ही”

“पर मरद जब दबाता है तब मजा तो बहोत आता है… है ना!!”

“वो तो है… आप भी कैसा सहला रही हो.. क्या क्या याद आ गया मुझे” रूखी ने शरमाते हुए कहा

“रूखी, मेरा पति दो सालों से देश के बाहर है.. मुझे याद नही आता होगा.. सोच जरा!!”

“याद तो आपको जरूर आता होगा भाभीजी”

“रूखी, में तेरा दूध चखकर देखूँ? मैंने कभी खुद का दूध भी कभी नही चखा था.. पता नही कैसा स्वाद होगा इसका?”

“थोड़ा सा मीठा मीठा लगता है भाभी”

शीला जानबूझकर यह सारी बातें कर रही थी ताकि रूखी को गरम कर सके… और फिर वह अपना दांव खेल पाएं

रूखी की आँखें फिर से लगभग बंद हो गई.. तभी शीला ने रूखी की सख्त निप्पल को अंगूठे और उंगली के बीच दबाकर मसल दिया..

“ओह्ह भाभी… पता नही आज क्या हो रहा है मुझे!!!” रूखी ने शीला की जांघों पर हाथ रखते हुए कहा

शीला के शरीर को किसी ने दो सालों से छुआ नही था… शीला की जिस्म की आग भड़क गई.. उसने रूखी की निप्पल को पकड़कर खींचा

“ऊई माँ… भाभी.. दुखता है मुझे” रूखी ने कहा

शीला की हथेली रूखी के दूध से भर गई.. उस दूध को शीला ने रूखी के गालों पर चुपड़ दिया… जैसे दोनों हाथों से रंग लगा रही हो.. गाल पर नाक पर होंठ पर… पूरे चेहरे पर उसने रूखी के दूध को मल दिया.।

पिछले चार महीनों से दबी हुई रूखी की चुत की खुजली की स्प्रिंग, इसके साथ ही उछल पड़ी

उसने शीला से कहा.. “भाभी, आप दूध चखना चाहती थी तो… चखिए ना..!!”

शीला समझ गई… की रूखी उसे अपने स्तन चूसने का खुला निमंत्रण दे रही थी.. पर शीला एक नंबर की मादरचोद है.. वह ऐसे अपने पत्ते खोलने वालों में से नही थी

शीला ने रूखी के गालों पर लगे दूध को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया… शीला की गरम जीभ का स्पर्श अपने गालों पर होती ही रूखी बेकाबू होने लगी। उसने शीला के सिर को पकड़ लिया और फिर “आहह आहहह ओह्ह ओह्ह” करते सिसकियाँ भरने लगी।

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“रूखी, तू भी मेरे दबा दे” शीला ने फुसफुसाते हुए रूखी के कानों में कहा ​

“ओह भाभी… मन तो मेरा कर रहा था पर आपसे कहने में शर्म आ रही थी” कहते ही रूखी ने शीला के गाउन में हाथ घुसाकर उसके मम्मों को पकड़ लिया

कुछ महीनों पहले ही हुई डिलीवरी के कारण.. रूखी भी काफी महीनों से बिना चुदे तड़प रही थी… उसने शीला के दोनों बबलों को दबाते हुए अपने चूतड़ को.. नीचे सोफ़े पर रगड़ना शुरू कर दिया… इतनी तेज खुजली होने लगी थी उसे… शीला सब समझ गई.. और अब वह दोनों अपनी भूख और आग को शांत करने में मशरूफ़ हो गई।

शीला अब खड़ी हो गई… और उसने अपना गाउन उतार दिया… और मादरजात नंगी हो गई। शीला के गोरे गदराए बदन को रूखी देखती ही रह गई।

“रूखी, में दो साल से भूखी हूँ.. मुझसे अब ओर रहा नही जाता… आहहह” कहते ही शीला ने झुककर रूखी के होंठों को एक गाढ़ चुंबन दे दिया। ​

“भाभी, आहहह… मुझे भी… आहह.. कुछ कुछ हो रहा है.. हाये.. मर गई..”

शीला ने रूखी का हाथ पकड़कर अपनी बिना झांटों वाली बुर पर रख दिया.. “ओह रूखी… इसके अंदर आग लगी हुई है.. ऐसा लग रहा है जैसे ज्वालाएं निकल रही है.. कुछ कर रूखी.. आहहह”

रूखी ने शीला की कामरस से गीली हो चुकी चुत पर हाथ फेरा.. दूसरे हाथ से उसने शीला के कूल्हों को चौड़ा कर उसकी गाँड़ के छेद पर उंगली फेर दी.. और शीला को अपनी ओर खींच लिया.. और बोली

“भाभी… मेरे भी कपड़े उतार दो न!!”

शीला को बस इसी पल का इंतज़ार था.. उसने तुरंत रूखी की चोली के बचे-कूचे हुक निकाल कर उतार दिया… और उसकी चुनरी घाघरा भी उतरवा दिया.. और रूखी को सम्पूर्ण नंगी कर दी..

शीला ने रूखी को अपनी बाहों में कसकर जकड़ लिया.. दोनों औरतें… हवस में इतनी लिप्त हो गई की शीला अपनी चुत पर रूखी की कडक निप्पल को रगड़ने लगी… और रूखी, शीला के स्तनों को चाटते हुए निप्पल को चूसने लगी।

“भाभी, अब और बर्दाश्त नही होगा.. बहोत दिन हो गए है.. अपनी उँगलियाँ डाल दीजिए अंदर.. ओह ओह्ह.. भ.. भाभी.. ऊई माँ… पता नही क्यों आज इतनी चूल मची हुई है अंदर!! रहा ही नही जाता.. हायय…” रूखी तीव्रता से अपनी चुत को शीला के स्तनों पर रगड़ते हुए उल-जुलूल बकवास कर रही थी। ​

शीला भी… रूखी की चुत में दो उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर कर रही थी… साथ ही वह रूखी की मांसल जांघों को अपनी मुठ्ठी से नोच रही थी। रूखी भी अब शीला के स्तनों पर टूट पड़ी.. इस हमले से शीला बेहद उत्तेजित हो गई.. कूदकर अपने दोनों पैर उसने रूखी के कंधों के इर्दगिर्द लगा दिए.. और वहीं लेट गई.. शीला का भोसड़ा रूखी के मुंह के करीब आ गया।

रूखी कुछ समझ सके उससे पहले शीला ने अपना तपता हुआ भोसड़ा रूखी के मुंह पर दबा दिया.. अब रूखी के पास उसे चाटने के अलावा ओर कोई विकल्प नही था। उसकी जीभ काम पर लग गई और शीला के गुलाबी भोसड़े को चाटने लगी। चाटते चाटते रूखी ने अपने चूतड़ों को एक फुट ऊपर कर दिया… शीला समझ गई की रूखी भी उसकी तरह झड़ने की कगार पर थी। शीला ने रूखी की चुत में एक साथ चार उँगलियाँ घोंप दी.. और रूखी का क्लिटोरिस मुंह में लेकर अपनी जीभ से ठेलने लगी.. ​
“ऊई.. भाभी… हाँ बस वहीं पर… वैसे ही करते रहिए.. याईईई… मसल दो मेरे बेर को.. हाँ वहीं पर.. हाय.. बहोत खुजली हो रही है.. आज तो चबा चबा कर मेरे जामुन को चूस लो भाभी… ऐसा मजा तो पहले कभी भी नही आया… हाय भाभी… ऊई माँ.. में गई भाभीईईईईई… !!” कहते हुए रूखी थरथराने लगी और झड़ गई

शीला भी कहाँ पीछे रहने वाली थी!! उसने भी रूखी के मुंह पर चुत रखकर अपनी टंकी खाली कर दी..

दोनों औरतें काफी वक्त तक ऐसे ही पस्त पड़ी रही

“मज़ा या गया भाभी… कितने दिनों से कुछ करने का मन कर रहा था… पर क्या करती!! कीससे कहती!!” रूखी ने कहा

“रूखी, तेरा जोबन तो इतने कमाल का है… तेरा पति तुझे नंगी देखकर जबरदस्त गरम हो जाता होगा!!”

“भाभी, शुरू शुरू में तो वह दिन में तीन बार, मेरी टांगें चौड़ी कर गपागप चोदता था… पर जब में पेट से हो गई.. तब से उसने चोदना बंद कर दिया.. बच्चा हुए इतने महीने हो गए फिर भी अब तक हरामी ने नीचे एक बार ठीक से हाथ तक नही फेरा है”

ऐसे ही बातचीत करते रहने के बाद रूखी चली गई। उसके साथ हुए इस मजेदार संभोग को याद करते करते शीला ने रात का खाना खाया और सो गई। बिस्तर पर लेटकर आँखें बंद करते ही उसे रूखी के मदमस्त गदराए मोटे मोटे स्तन नजर आने लगे… आहह.. कितने बड़े थे उसके स्तन… उसकी नंगी छातियों के उभार को देखकर ही मर्दों के कच्छे गीले हो जाएँ.. नीलगिरी के पेड़ के तने जैसी उसकी जांघें.. बड़े बड़े कूल्हें.. भारी कमर.. आहह.. सबकुछ अद्भुत था… !! हालांकि गंवार रूखी को ठीक से चुंबन करना नही आता था.. और वह चुत चाटने में भी अनाड़ी थी.. यह बात शीला को खटकी जरूर थी.. हो सकता है लंड चूसने में माहिर हो.. पर क्या रूखी ने कभी लेस्बियन अनुभव कीया होगा पहले? वैसे तो शीला के लिए भी यह प्रथम अनुभव था.. पर उसने ब्लू फिल्मों में ऐसे कई द्रश्य पहले देखे हुए थे.. तो उसे प्राथमिक अंदाजा तो था ही.. हो सकता है रूखी ने भी कभी ऐसी फिल्में देखी हो..उसके पति ने उसे इतनी बार ठोका है तो मोबाइल में बी.पी. भी दिखाया ही होगा..

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ऐसे ही बातचीत करते रहने के बाद रूखी चली गई।

उसके साथ हुए इस मजेदार संभोग को याद करते करते शीला ने रात का खाना खाया और सो गई। बिस्तर पर लेटकर आँखें बंद करते ही उसे रूखी के मदमस्त गदराए मोटे मोटे स्तन नजर आने लगे… आहह.. कितने बड़े थे उसके स्तन… उसकी नंगी छातियों के उभार को देखकर ही मर्दों के कच्छे गीले हो जाएँ.. नीलगिरी के पेड़ के तने जैसी उसकी जांघें.. बड़े बड़े कूल्हें.. भारी कमर.. आहह.. सबकुछ अद्भुत था… !! ​

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हालांकि गंवार रूखी को ठीक से चुंबन करना नही आता था.. और वह चुत चाटने में भी अनाड़ी थी.. यह बात शीला को खटकी जरूर थी.. हो सकता है लंड चूसने में माहिर हो.. पर क्या रूखी ने कभी लेस्बियन अनुभव कीया होगा पहले? वैसे तो शीला के लिए भी यह प्रथम अनुभव था.. पर उसने ब्लू फिल्मों में ऐसे कई द्रश्य पहले देखे हुए थे.. तो उसे प्राथमिक अंदाजा तो था ही.. हो सकता है रूखी ने भी कभी ऐसी फिल्में देखी हो..उसके पति ने उसे इतनी बार ठोका है तो मोबाइल में बी.पी. भी दिखाया ही होगा.. ​

शीला के भोसड़े में नए सिरे से आग लग गई.. ऐसे ही विचारों में उसकी आँख लग गई.. और तब खुली जब डोरबेल बजने की आवाज सुनाई दी..

वह जाग गई.. “आज रसिक आया हो तो अच्छा.. ” मन में सोचते हुए उसने दरवाजा खोला। सामने रसिक ही खड़ा था..

“कैसे हो रसिक?” पतीली में दूध डाल रहे रसिक को चौड़ी छाती को भूखी नज़रों से घूरते हुए शीला ने कहा। वह सोच रही थी की अभी यहीं रसिक उसे पकड़कर चोद दे तो कितना मज़ा आएगा!!

“आपने फिर फोन नही कीया मुझे, भाभी?” रसिक ने पूछा

“अरे में भूल ही गई मेरे काम में.. अंदर आ रसिक.. बैठ थोड़ी देर.. ” शीला ने न्योता दिया

“नही भाभी.. अभी और बहोत घरों में दूध देने जाना है.. टाइम पर नही पहुंचता तो सब चिल्लाते है.. ” रसिक ने कहा

शीला ने झुककर अपने गोरे गोरे मम्मों का जलवा दिखाकर रसिक को थोड़ी देर वहीं रुकने पर मजबूर कर दिया।

“भाभी अब में जाऊँ?” थोड़ी देर की चुप्पी के बाद रसिक ने कहा

“सुबह जल्दी निकला करो तुम.. तो यहाँ पर थोड़ी देर बैठकर आराम कर सकेगा” शीला ने कहा

“वो तो ठीक है भाभी… पर कहाँ सुबह सुबह आपकी नींद खराब करूँ!! आप भी पूरा दिन काम कर के थक जाती होगी”

शीला सोच रही थी… की मेरी थकान उतारने के लिए ही तो तेरी जरूरत है!! क्या हकीकत में ये रसिक इतना नादान है!! तभी रूखी को चोदता नही है..

शीला के मदमस्त बबले देखकर रसिक का लंड मेंडक की तरह कूदने लगा था जो शीला ने देख लिया। वह सोच रही थी की कल तो ये रसिक जल्दी आए या न आयें.. पर अभी चुत के अंदर जो आग लगी है, उसका में क्या करूँ? कैसे बुझाऊँ??

उसने कहा.. “रसिक, तू जल्दी आ जाया कर.. नींद का क्या है.. वो तो में दोपहर में पूरी कर लूँगी.. और वैसे भी मुझे रात को ठीक से नींद आती नही है”

“क्यों भाभी, भैया की बहुत याद आती है?”

“याद तो आती ही है…” कहते हुए शीला ने मदहोश होकर अंगड़ाई ली.. स्लीवलेस गाउन में से नजर आती उसकी गोरी काँखों को देखकर रसिक के लंड ने बगावत कर दी।

“भाभी, थोड़ा पानी मिलेगा? सुबह सुबह साइकिल चला कर गला सुख गया है”

शीला तुरंत किचन से पानी का ग्लास भरकर ले आई.. और रसिक को देते वक्त उसके हाथ को अच्छे से छु लिया.. रसिक भी शीला के हाथों को छूकर मस्तराम बन गया..

रसिक का लोडा उसके पतलून में तंबू बनाकर फुँकार रहा था.. पानी पीकर ग्लास लौटाते हुए उसने फिर से शीला के हाथ को जानबूझकर छु लिया। ​

शीला की चुत में सुरसुरी होने लगी थी। उसने बाहर दोनों तरफ देखा.. चारों तरफ घनघोर अंधेरा था.. उसने यह मौका हड़प लिया.. और रसिक का हाथ पकड़कर खींचते हुए घर के अंदर ले गई और उससे लिपट पड़ी।

“आहह रसिक.. ऐसे क्यों खड़ा है.. मुझे कुछ कर ना.. कब तक ऐसे अनाड़ी बना रहेगा? कुछ समझता ही नही है तू तो..!!”

रसिक भी आखिर मर्द था.. उसने शीला के न्योते का स्वीकार करते हुए उसे कमर से जकड़ लिया.. आगोश में भरकर दबा दिया.. दो जवान धड़कनें एक हो गई.. शीला के भूखे स्तन रसिक की छाती से दब कर चपटे हो गए.. उन कडक बबलों का गरम स्पर्श अपनी छाती पर महसूस होते ही, रसिक दूध बेचना भूल गया.. वह अपने हाथों से शीला के भूखी जिस्म की भूगोल का मुआयना करने लगा…

रसिक की पतलून के ऊपर से ही शीला ने उसका लंड पकड़ लिया और दबाते हुए बोली

“रसिक.. यह तो खूँटे जैसा मोटा बन चुका है.. इसे इस हालत मे लेकर कहाँ घूमेगा तू!!”

“ओह भाभी… आपको देखकर ही यह ऐसा मोटा बन गया है” रसिक ने कराहते हुए कहा

“फिर देर किस बात की है रसिक… टूट पड़ मुझ पर और रौंद दे मुझे, हाय… “

“भाभी, आपका ये जोबन…कितना जबरदस्त है”

शीला ने रसिक के पतलून में हाथ डाल दिया और उसके नंगे राक्षस जैसे लंड को पकड़ लिया। उसने रसिक के होंठ पर अपने होंठ रख दिए और मस्त कामुक तरीके से चूसने लगी। पतलून के अंदर लंड को आगे पीछे कर हिलाते हुए अपने स्तनों को रसिक की छाती पर रगड़ने लगी। रसिक भी शीला के नितंबों पर हट्ठ फेर रहा था।

शीला अब घुटनों के बल बैठ गई.. और पतलून की चैन खोलकर रसिक के लंड को बाहर निकाला। रसिक के विकराल लंड को देखकर शीला पानी पानी हो गई। सोच रही थी की ये लंड है या ओएनजीसी की पाइपलाइन!!!! इतना बड़ा… !!!! बबुल के तने जितना मोटा.. उसका सुपाड़ा एकदम लाल था.. टमाटर जैसा.. जैसे अभी शेर शिकार कर आया हो और उसका मुंह खून से लथपथ हो ऐसा डरावना लग रहा था.. पर शेर कितना भी खूंखार क्यों न हो.. शेरनी भला उससे थोड़े ही डरती है!! ​

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शीला को अब डर के बदले रसिक के लंड पर बेशुमार प्यार आ रहा था.. उसने बड़े ही प्यार से उसके लंड को चूम लिया..

“आहहह भाभी” अपने लंड को थोड़ा सा धक्का देते हुए रसिक ने शीला के मुंह में डाल दिया.. लगभग ४ इंच जितना!! शीला रसिक का लंड चूसने लगी और उसके बोलबेरिंग जैसे अंडकोशों को अपने हाथ से सहलाने लगी। रसिक के लंड की सख्ती से शीला इतनी उत्तेजित हो गई की अपना मुंह फाड़कर जितना हो सकता था उतना लंड अंदर लेने लगी और आखिर लंड के मूल तक पूरा अंदर लेकर रही। ​

दो साल की प्यास को आज बुझाने के लिए शीला पूर्णतः तैयार थी। पति की गैरमौजूदगी में उसने बीपी में देखे हुए लंड चुसाई के सारे सीन का अनुभव काम पर लगा दिया था.. इसके परिणाम स्वरूप रसिक “आहह ओहह” करते हुए कराह रहा था। रसिक के लिए यह बिल्कुल ही नया अनुभव था। उसकी गंवार पत्नी रूखी ने कभी उसका लंड नही चूसा था। इस प्रथम अनुभव को रसिक और लंबा खींच नही सका.. सिर्फ दो ही मिनट में उसने शीला के मुंह में अपनी सारी मर्दानगी को उंडेल दिया। ​

शीला का पूरा मुंह रसिक के गरम लावारस जैसे वीर्य से भर गया। उसे यह जरा भी अंदाजा नही था की रसिक इतने जल्दी झड जाएगा। शीला की प्यास बुझती इससे पहले तो रसिक ठंडा हो गया!! रसिक ने तुरंत अपना लंड शीला के मुंह से निकाला और पेन्ट में रखकर चैन बंद कर दी और बोला

“आज तो मज़ा आ गया भाभी, कल और जल्दी आऊँगा.. आज देर हो गई है”

“रसिक, तेरा काम तो हो गया पर मेरा क्या? मेरी कश्ती तो किनारे पर आकर डूब गई!!” उदास शीला ने कहा “कुछ भी कर पर आज मुझे चोद कर ही जाने दूँगी.. भाड़ में गया तेरा दूध पर ऐसे मुझे तड़पती हुई छोड़कर मत जा” रोने जैसी शक्ल हो गई शीला की

रसिक दुविधा में आ गया.. अब क्या करें!!

“एक काम करता हूँ भाभी.. में दूध देकर सिर्फ १० मिनिट में आता हूँ, ठीक है ना!!” रसिक ने अपना कनस्तर उठाते हुए कहा

“मुझसे अब एक सेकंड भी बर्दाश्त नही होगा.. अभी के अभी चोद मुझे” कहते हुए शीला ने रसिक का हाथ खींचा और उसे बिस्तर तक ले गई और धक्का देकर लेटा दिया। तुरंत उसने अपना गाउन उतारा और नंगी हो गई… फिर रसिक पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी..

रसिक के शरीर के ऊपर सवार होकर उसने पागलों की तरह उसके शर्ट को नोच कर फाड़ दिया.. और उसकी खुली छाती पर यहाँ वहाँ चूमने लगी। उसने रसिक के दोनों हाथों को पकड़कर अपने स्तनों पर रख दिया और उससे मसलवाने लगी। रसिक के मुरझाए लंड पर अपनी गरम चुत को घिसने लगी। चुत का स्पर्श होते ही रसिक का लंड थोड़ी थोड़ी हरकत करने लगा पर पूरी तरह से टाइट नही हुआ। फिर भी शीला ने उस आधे मुरझाए लंड को अपने गरम सुराख पर रख दिया और पागलों की तरह कूदने लगी। ​

शीला का यह रौद्र स्वरूप देखकर रसिक के होश उड़ गए.. क्या करना उसे पता ही नही चल रहा था.. शीला के नंगे मम्मे उसकी उछलकूद से ऊपर नीचे हो रहे थे.. स्तनों की उछलकूद से अंदाजा लग रहा था की शीला कितनी रफ्तार से उसे चोद रही थी। को स्त्री इतनी उत्तेजित भी हो सकती है यह रसिक ने कभी सोचा नही था। ​

शीला के ताजमहल जैसे सुंदर नंगे जिस्म को देखकर रसिक भी उत्तेजित होने लगा.. उसका लंड सख्त हो गया.. शीला के भोसड़े में लंड की साइज़ बढ़ते ही.. उसे भी दोगुना मज़ा आने लगा और वह और उत्तेजित होकर कूदने लगी..

आखिर शीला की नाव किनारे पर पहुँच ही गई.. उसके भोसड़े से कामरस का झरना बहने लगा.. ऑर्गजम होते ही उसने रसिक के लंड को अजगर की तरह चारों तरफ से गिरफ्त में ले लिया… अपनी चुत की मांसपेशियों से उसने लंड को ऐसा दबोचा जैसे उसे फांसी देने जा रही हो।

शीला अब रसिक की बालों वाली छाती पर ढल गई.. रसिक का लँड़, शीला की चुत की गर्मी को और बर्दाश्त नही कर सका और सिर्फ १५ मिनिट के अंतराल में दूसरी बार झड़ गया..

शीला की माहवारी कब की रुक चुकी थी इसलिए गर्भ ठहरने का कोई प्रश्न ही नही था। दो साल से प्यासी उसकी चुत की धरती पर अमृततुल्य वीर्य की बूंदें पड़ते ही उसका रोम रोम पुलकित हो गया। रसिक के लंड से चुदकर वह धन्य हो गई।

सांसें नियंत्रित होते ही शीला ने चूमकर रसिक को कहा “क्या करती रसिक? मुझसे बर्दाश्त ही नही हो रहा था इसलिए… “

“वो तो ठीक है भाभी पर आपने मेरा शर्ट फाड़ दिया.. अब में कैसे दूध देने जाऊँ??” रसिक ने कहा

रसिक की फटी हुई कमीज देखकर शीला शर्म से लाल हो गई.. “रुको में तुम्हारे भैया को कोई शर्ट लाकर देती हूँ.. ” अलमारी से तुरंत एक शर्ट निकालकर उसने रसिक को दीया।

“बहोत देर हो गई आज” कहते हुए रसिक ने शर्ट पहन लिया और भागा

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