ऑनलाइन दोस्त ने मेरी चूत फाड़ दीं- 2 | Audio Sex Story

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नमस्कार दोस्तो,
मैं अंकिता अपनी कहानी के अगले भाग में आप सभी का स्वागत करती हूं।

में आपने पढ़ा कि कभी भी अपने पति से चुदाई का सुख न मिलने की वजह से मेरे कदम डोल गए और मैंने मोबाइल फोन पर चैटिंग करते हुए विक्रम जी से दोस्ती कर ली।
हमारी दोस्ती को करीब पांच महीने हो गए थे लेकिन अभी तक केवल एक बार ही हमारे बीच फोन सेक्स हुआ था।
हम दोनों कई बार बाहर रेस्टोरेंट में मिले थे लेकिन अभी तक असली चुदाई का मौका नहीं मिला था।

अब मौका पाकर हम लोग मेरे घर पर मिलने वाले थे लेकिन अभी भी यह पता नहीं था कि हम दोनों के बीच चुदाई होगी या नहीं।

मेरे अंदर चुदाई करवाने की आग लगी हुई थी और मुझे विक्रम जी से उम्मीद थी कि वे मेरी इस आग को शांत कर देंगे।
वे मुझसे 24 साल बड़े थे और मेरे गदराए बदन के हिसाब से बिल्कुल सही मर्द थे।

अब आगे इस Xxx लेडी फक स्टोरी जानते हैं कि उस रात क्या हुआ क्या हमारे बीच कुछ हुआ या मैं पहले कि तरह ही प्यासी रह गई।

मैं रात 8 बजे ही तैयार होकर विक्रम जी का इंतजार कर रही थी।
पहले ही खाना बना चुकी थी मैं … और अपनी सेक्सी साड़ी पहने हुए बस उनका इंतजार कर रही थी।

साढ़े आठ बजे विक्रम जी मेरे घर पर आए।

उन्होंने मुझे उस सेक्सी लुक में देखा और मेरी तारीफ की।

हम दोनों बाहर टीवी रूम में बैठे हुए काफी देर तक एक दूसरे से बातें कर रहे थे।

पिछली रात हम दोनों के बीच हुए फोन सेक्स के बाद यह हमारी पहली मुलाकात थी।

हम दोनों ही एक दूसरे को देखते हुए मुस्कुरा रहे थे और आज विक्रम जी की आँखों में अलग ही वासना झलक रही थी।
उनके द्वारा मुझे देखने का ठंग बदला हुआ था।

आज उनकी नजर बार बार साड़ी से दिख रही मेरी नाभि और कमर पर जा रही थी।
मैंने उस वक्त अपने बालों को खुला रखा हुआ था और बार बार अपने बालों को सवार रही थी।
मेरे बार बार हाथ उठाने से मेरे अंडरआर्म देख विक्रम जी की आँखों में अलग ही चमक आ रही थी।

काफी देर बातें करने के बाद मैंने उन्हें अपना सारा घर दिखाया और फिर हम दोनों खाना खाने के लिए डायनिंग टेबल पर बैठ गए।

उनकी बातों से मुझे पता चल गया था कि उन्होंने हल्की ड्रिंक की हुई है.
लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मेरे पति भी ड्रिंक करते हैं।

खाना खाते हुए भी विक्रम जी की नजर मेरे बदन पर डोल रही थी और मुझसे बात करते हुए भी वे मेरी कमर नाभि और सीने को देख रहे थे।

हम लोग खाना खाते ही हाथ धोने के बाद वापस टीवी रूम में आकर बैठ गए।

कुछ देर बातचीत करने के बाद विक्रम जी ने मुझसे जाने की इजाजत मांगी।
मैं कुछ नहीं बोली और वे बार बार मुझसे जाने की बात बोल रहे थे।

तब मैं समझ गई थी कि ये मेरे मन को टटोल रहे हैं।
फिर मैंने भी बोल दिया- अच्छा ठीक है आप जाइये टाइम बहुत हो गया है।

ऐसा बोलते ही हम दोनों खड़े हुए और मेरे खड़े होते ही विक्रम जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
आज पहली बार उन्होंने मुझे छुआ था और उनके फौलादी हाथों का स्पर्श पाकर मैं अंदर तक सिहर गई।

उन्होंने मेरी आँखों में देखते हुए पूछा- अंकिता, क्या मैं सच में चला जाऊं?
मैं हल्की मुस्कान के साथ अपना चेहरा घुमाते हुए बोली- जैसी आपकी इक्छा!

विक्रम जी- मेरी इक्छा तो कुछ और ही है।
मैं- क्या इक्छा है?

इतना सुनकर उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और अपने सीने से लगाते हुए बोले- वही जो कल रात फोन पर हुआ था।

मैं- फोन की बात अलग है और अगर किसी को पता चल गया तो जानते हैं क्या होगा?
विक्रम जी- किसको क्या पता चलेगा? सब कुछ तो हमारे बीच रहना है।

इसके बाद उन्होंने मेरे चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया.
मेरी नजर नीचे की तरफ थी और मैं उनसे आँख भी नहीं मिला पा रही थी।

मैंने बिना कुछ बोले ही अपने आप को उन्हें सौम्प दिया था।

उन्होंने अपना चेहरा मेरे चेहरे के पास लाना शुरू किया और मेरी आँखें अपने आप ही बंद हो गई।
मेरे होंठ कांप रहे थे और उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये।

वे बारी बारी से मेरे ऊपर और नीचे के होंठों को चूमने लगे।

तब मेरे पूरे बदन में मानो बिजली की लहर दौड़ चुकी थी और मेरा पूरा बदन किसी भट्टी की तरह गर्म हो गया था।

मेरे हाथ अपने आप ही उनके बालों को सहलाने लगे और विक्रम जी मेरी जीभ को अपने मुँह में भरकर चूसने लगे।

काफी देर मेरे होंठों को चूमने के बाद उन्होंने मेरे गालों को चूमना शुरू कर दिया और अपना एक हाथ मेरी कमर पर ले गए।

जैसे ही उन्होंने अपना हाथ मेरी चिकनी कमर पर रखा मेरे मुँह से निकला- सीईई ईई ईईई आ आआ आह!

विक्रम जी लगातार मेरे गालों को, कान को गले को चूम रहे थे।
मैं भी गर्म सांसें भरती हुई ‘आआह आआह ऊऊ ऊऊह ऊ ऊऊफ़’ कर रही थी।

वे कभी मेरे गालों को चूमते कभी कान को तो कभी मेरे होंठों को।

मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी और उनके होंठों को चूम रही थी।

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काफी देर तक हम दोनों वहीं खड़े खड़े एक दूसरे को चूमते रहे और फिर विक्रम जी ने मुझे एक झटके में ही अपनी गोद में उठा लिया जो कि मेरे पति कभी नहीं कर पाए क्योंकि मैं उनसे भारी वजन की थी।

लेकिन विक्रम जी मुझसे भी दुगने वजन के थे और आसानी से मुझे उठा लिया उन्होंने!

वे मुझे उठाकर बेडरूम में ले आये और मुझे खड़ी करके मुझे अपने सीने से लगा लिया।
जबरदस्त तरीके से उन्होंने मेरे होंठ,गाल, कान, गले पर चुम्मन की झड़ी लगा दी।

वे मुझे चूमते जा रहे थे और उनका हाथ मेरी कमर के पास मेरी साड़ी की गठान खोलने लगा।

जल्द ही मेरी साड़ी की गांठ खुल गई और मेरी सिल्की साड़ी मेरे बदन से फिसलती हुई फर्श पर जा गिरी।
मुझे उस वक्त ऐसा अहसास हुआ मानो मैं पहली बार किसी के सामने नंगी हो रही हूं।

अब मैं ब्लाउज पेटिकोट में रह गई थी और विक्रम जी लगातार मुझे चूम रहे थे।

हम दोनों ही बेहद उत्तेजित ढंग से एक दूसरे को चूम और सहला रहे थे।

विक्रम जी ने एक हाथ से मेरी पीठ को थामे हुए थे और मेरे होंठ चूम रहे थे।

उधर दूसरे हाथ से मेरे ब्लाउज के हुक को बारी बारी से खोल रहे थे।
जल्द ही मेरे ब्लाउज के सारे हुक खुल गए और ब्लाउज सामने से फैल गई।

मेरे दोनों दूध ब्रा के अंदर दबे हुए थे और विक्रम जी ने झुककर मेरे ब्रा के ऊपर अपना मुंह लगा दिया।

जैसे ही उनके होंठ मेरे दोनों दूध के बीच की लाइन पर पड़े, मैं जोर से बोली- आआ आआह विक्रम जीई ईईईई … ऊफ्फ ऊऊफ़!

विक्रम जी ब्रा के ऊपर से ही मेरे दूध पर टूट पड़े और मेरे दूध पर ताबड़तोड़ चुम्मों की झड़ी लगा दी।
मेरे 36 साइज के दूध बिल्कुल जोश से तन चुके थे और किसी तरह से ब्रा के अंदर दबे हुए थे।

जल्द ही विक्रम जी ने मेरे पेटिकोट का नाड़ा खींच लिया और पेटिकोट ढीली होकर नीचे मेरे पैरों पर जा गिरी।

इस बीच विक्रम जी ने भी अपने कपड़े निकाल दिए और केवल चड्डी में रह गए।

उन्होंने एक हाथ मेरे चूतड़ पर रखा और मुझे अपनी तरफ खींच लिया।

मेरी चूत सीधा उनके खड़े हुए लंड से जा टकराई और पहले स्पर्श में ही मुझे पता चल गया कि उनका लंड बेहद ही दमदार लंड है।

अब मैं ब्रा पेंटी में उसके सीने से लगी हुई थी और वे मेरी पीठ कमर और चूतड़ को जोरदार तरीके से सहलाते जा रहे थे।

मैंने हाफकट पैंटी पहनी हुई थी जिससे मेरा ज्यादातर चूतड़ बाहर ही निकला हुआ था और पैंटी की पतली सी पट्टी मेरे चूतड़ों के बीच में घुसी हुई थी।
वे बार बार मेरे बड़े बड़े चूतड़ों को मसल रहे थे और इधर मेरे दूध को ब्रा के ऊपर से ही चूमे जा रहे थे।

काफी देर तक उन्होंने मुझे ऐसे ही खड़ी करके मेरे बदन को चूमते औऱ मसलते रहे।
और फिर मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरे ऊपर आ गए।
बिस्तर पर आते उन्होंने मेरे ब्रा की हुक खोल दी और ब्रा को निकालकर अलग कर दिया।
ब्रा से आजाद होते ही मेरे दोनों दूध उछलकर सामने तन गए।

मेरे तने हुए बड़े बड़े दोनों दूध को देखकर विक्रम जी अपने आप पर काबू नहीं कर सके और मेरे दूध पर टूट पड़े।
दोनों दूध को दोनों हाथों में भरकर मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूसने लगे और दूध को जोर जोर से मसलने लगे।

मैं बिस्तर पर मचल रही थी और ‘ईई ईआआ हईई ईआ आहऊ ऊऊ ऊहह ऊईई ईईई ऊईई ईईऊ ऊफ़ ऊफ़ आआह ओह ह आई आआ ऊऊईई मम्मीई ऊईई ईई’ बोल रही थी.

विक्रम जी मेरे दूध को बुरी तरह से मसल रहे थे और उनके कठोर हाथों से मेरे स्तनों में बेहद जलन हो रही थी।
लेकिन मुझे उस वक्त इतना मजा आ रहा था कि जैसे मैं स्वर्ग में हूँ।
मैं आँख बंद करके उस पल का मजा ले रही थी।

विक्रम जी बस दोनों दूध को निचोड़ रहे थे और बुरी तरह से चूस रहे थे।

काफी देर तक वे मेरे दोनों दूध को चूसते और मसलते रहे जिसके कारण मेरे दूध बुरी तरह से लाल हो चुके थे।
जब तक मुझसे बर्दाश्त हुआ मैंने बर्दाश्त किया … लेकिन फिर मैं विक्रम जी को अपने दूध से हटाने लगी.
विक्रम जी भी इस बात को समझ गए और मुझे चूमते हुए मेरे पेट की तरफ चले गए।

मेरी नाभि पर पहुँचकर उन्होंने मेरी नाभि पर अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी और मेरी गहरी नाभि के अंदर तक अपनी जीभ डालकर उसे चूमने चाटने लगे।
उनका एक हाथ मेरी मोटी मोटी जांघ को सहला रहा था और वे जीभ से लगातार मेरी नाभि चूस रहे थे।

कुछ देर नाभि को चूमने के बाद वे और नीचे गए और मेरी चूत तक जा पहुँचे।
मेरी चूत पैंटी के अंदर से ही फूली हुई थी जिसे देखकर उन्होंने पैंटी के ऊपर से ही चूत की पप्पी ली और फिर मेरी जांघ को चूमने लगे।

मेरी एक टांग को उठाकर वे मेरे पैरों से लेकर पूरी जांघ को चूम रहे थे।
बारी बारी से वे मेरी दोनों जांघों को चूमते जा रहे थे।

मेरे जाँघों का मजा लेने के बाद उन्होंने मेरी पैंटी को नीचे करना शुरू कर दिया.
मैं शर्म के मारे अपनी पैंटी को उतरने से रोकने लगी।

कुछ देर तक मैंने पैंटी की इलास्टिक पकड़े रखी लेकिन मेरे ढील देते ही उन्होंने मेरी पैंटी निकालकर अलग कर दी।

अब मैं विक्रम जी के सामने पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी और शर्म के मारे मेरा बुरा हाल था.
मैंने अपना चेहरा दोनों हाथों से छुपा लिया और अपने दोनों पैरों को सटाकर अपनी चूत को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।

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विक्रम जी ने मेरे दोनों घुटनों को पकड़कर फैलाया और मेरी चूत खुलकर उनके सामने आ गई।

उन्होंने अपना एक हाथ मेरी फड़कती हुई चूत पर रखा और अपनी उंगलियों से चूत को फैलाकर देखने लगे।

कुछ देर उन्होंने चूत को उंगलियों से सहलाया और फिर अपना मुंह मेरी चूत पर लगा दिया।

विक्रम जी अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत को चाटने लगे और उनके इस तरह से चूत चाटने से मेरे पूरे बदन में करंट सा दौड़ गया।

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पहले तो मैं उनके सर को हटाने की कोशिश करती रही लेकिन फिर उनके सर को अपनी चूत में दबा ली और मजा लेने लगी।

‘आआह आआह’ की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था और विक्रम जी बड़े प्यार से मेरी चूत चाटने में लगे हुए थे।
मेरी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और विक्रम जी उस पानी को चाटते जा रहे थे।

काफी देर तक उन्होंने मेरी चूत को ऐसे ही चाटा जिससे मैं पूरी तरह से उत्तेजित हो गई।
अब मेरा मन कर रहा था कि कब विक्रम जी अपना लंड मेरी चूत में डाल दें।

विक्रम जी उम्र के हिसाब से काफी अनुभवी थे.
उन्हें पता चल गया था कि अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है और मैं चुदाई के लिए बिल्कुल तैयार हो गई हूं।

जितना उत्तेजित विक्रम जी ने मुझे किया था, ऐसा मेरे पति कभी भी नहीं करते हैं, वे बस थोड़ा बहुत चाटने चूमने के बाद चुदाई शुरू कर देते हैं।
वही विक्रम जी पहले मुझे पूरी तरह से गर्म किया।

अब विक्रम जी ने अपनी चड्डी निकाली और मेरी पहली नजर उसके विशाल लंड पर पड़ी।
उनका लंड सात इंच का या उससे भी बड़ा था और काले नाग की तरह दिखाई दे रहा था।

उनके लंड के सामने मेरे पति का लंड आधा ही था।

विक्रम जी का लंड अपने पूरे आकार में था और पूरी तरह से टाइट था।
देखते ही मैं समझ गई थी कि आज मेरी असली चुदाई होने वाली है।

उन्होंने मेरे पैरों को फैलाया और मेरे पैरों के बीच से होते हुए मेरे ऊपर लेट गए।
एक हाथ से उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया।

कुछ आनाकानी के बाद मैंने उनका लंड अपने हाथों में थाम लिया और उनका लंड पकड़ते ही मुझे ऐसा लगा कि आज पहली बार किसी असली मर्द का लंड पकड़ रही हूं।

कुछ देर उनके लंड को आगे पीछे हिलाने के बाद मैंने खुद ही अपनी चूत में उनका लंड सेट किया और उनके सुपारे को अपनी चूत के छेद में लगा लिया।

अब बारी विक्रम जी की थी.
उन्होंने पहले तो मुझे अपने सीने से लगा लिया और अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ को जकड़ लिया।
अब उन्होंने लंड पर जोर देना शुरू किया और उनका लंड मेरी चूत को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा।

जैसे ही लंड का सुपारा अंदर गया मेरे मुँह से निकला- सीईई ईई ईईईई आआ आआआह!

उनका लंड काफी मोटा था और मेरी चूत में तो पहले मेरे पति का पतला सा ही लंड गया था।
चूत को कसावट से ही विक्रम जी समझ चुके थे कि मेरी चुदाई अच्छे से नहीं हुई थी।

उन्होंने बड़े आराम से जोर देते हुए धीरे धीरे पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया था।

इसके बाद उन्होंने मेरी आँखों में देखते हुए कहा- शादी को कितने साल हुए हैं?
मैं मुस्कुराती हुई बोली- क्यों?

“ऐसे ही पूछ रहा हूँ. ऐसा लगता है कि तुम्हारे पति ने बिल्कुल भी मेहनत नहीं की है तुम्हारे ऊपर!”
“तो आप ही मेहनत कर दीजिए।”

मेरी बातों को सुनकर उन्होंने मेरे दोनों पैरों को अपने हाथ में फंसाया और बोले- अब तैयार हो जाओ!

इसके बाद उन्होंने पहले तो धीरे धीरे धक्के देना शुरु किया और उनके बाद अपनी रफ्तार तेज करते चले गए।

वे लगातार मेरे गालों को चूम रहे थे और मैं जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी- ऊईई माँ आआह ओओह आह आआ ऊफ़ आआह ईईई ऊऊ ऊऊईई आआह!

आज पहली बार मुझे अपनी चूत में लंड जाने का पता चल रहा था क्योंकि उनका लंड लंबाई के साथ साथ मोटा भी था।
लंड मेरी चूत में बिल्कुल रगड़ कर जा रहा था।

जल्द ही उनके तेज धक्के पट पट पट की आवाज करने लगे और उसके धक्के मेरे पेट पर लग रहे थे।
जल्द ही विक्रम जी अपनी पूरी रफ्तार पर थे और मुझे इतनी जोर जोर से चोद रहे थे कि पूरा पलंग बुरी तरह से हिल रहा था।

चुदाई को अभी 5 से 7 मिनट ही हुए थे कि मैं विक्रम जी को जकड़कर उनके सीने में चिपक गई और झड़ गई।
ये पहली बार था कि जब मैं चुदाई के दौरान झड़ी थी।
वरना हमेशा तो उंगली करते हुए ही झड़ी थी।

मेरे चूत से निकलता हुआ पानी चुदाई के साथ ही बाहर आ रहा था और बिस्तर पर गिर रहा था।
जल्द ही मेरी गांड के आसपास का बिस्तर बिल्कुल गीला हो गया और विक्रम जी की तेज चुदाई से मेरी चूत से फच्च फच्च फच्च की आवाज आने लगी।

मैं झड़ चुकी थी लेकिन विक्रम जी लगातार चुदाई किये जा रहे थे।

मेरे दोनों पैर हवा में उठे हुए थे और पैरों की पायल बुरी तरह से हिल रही थी और उसकी आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी।
विक्रम जी लगातार मेरे गालों, होंठों,कान,और गले को चूम रहे थे।

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बीच बीच में झुककर मेरे निप्पलों को चूस लेते औऱ लगातार धक्के पे धक्के लगा रहे थे।

जल्द ही मैं दुबारा से गर्म हो गई थी और मेरी सिसकारियां फिर से तेजी से कमरे में गूंजने लगी।

करीब 20 मिनट बाद विक्रम जी रुके और अपना लंड बाहर निकाला।
मैंने देखा तो उनके लंड और मेरी चूत में झाग ही झाग लगा हुआ था।

विक्रम जी ने अपनी चड्डी से चूत और लंड को अच्छे से साफ किया और फिर मुझे पलटा दिया।
अब मैं पेट के बल लेटी हुई थी और विक्रम जी मेरी पीठ को चूमते हुए मेरी गांड तक गए।

फिर उन्होंने मेरी गांड को दोनों हाथों से फैलाया और मेरे ऊपर लेट गए।
उन्होंने अपना लंड चूत में लगाया और एक बार में ही अंदर डाल दिया।

मैंने भी अपने दोनों पैरों को फैला दिया जिससे उनका लंड आसानी से मेरी चूत में जा सके।

अब विक्रम जी ने अपने दोनों हाथों को बिस्तर पर रखा और जोर जोर से मेरे ऊपर कूदने लगे।
उनका लंड तेजी से मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था।

मैं जोर जोर से चिल्ला रही थी- आह आआह ऊऊईई माँ आआह ऊऊईई ईईई ऊ ऊ ऊ ऊऊ आआह!

मुझे इस पोजीशन में थोड़ी तकलीफ जरूर हो रही थी लेकिन मजा उससे कई गुणा ज्यादा आ रहा था।

करीब पांच मिनट ऐसे ही चोदने के बाद विक्रम जी ने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरी कमर को पकड़कर अपनी पूरी ताकत से मुझे चोदने लगे।

मेरे दोनों बड़े बड़े दूध नीचे की तरफ झूल रहे थे और बुरी तरह से हिल रहे थे।
वहीं विक्रम जी के जोरदार धक्के लगातार मेरी चूतड़ पर पड़ रहे थे।

अभी हमारी चुदाई को आधा घण्टा ही हुआ था कि मैं दूसरी बार भी झड़ गई।
इस बार भी मेरी चूत का पानी बिस्तर को गीला कर दिया था।

अभी तक विक्रम जी मुझे तीन पोजीशन में चोद चुके थे और तीनों ही पोजीशन में मुझे बेइंतहा मजा मिला था।

जल्द ही विक्रम जी ने मेरी चूतड़ को बहुत ही जोर से जकड़ लिया और किसी मशीन की रफ्तार से मुझे चोदने लगे।
उनका लंड बुरी तरह से अंदर बाहर हो रहा था और जल्द ही विक्रम जी भी मेरे अंदर ही झड़ गए।

हम दोनों ही बिस्तर पर लेट गए और विक्रम जी लंड डाले हुए ही मेरे ऊपर लेटे हुए थे।
Xxx लेडी फक के बाद हम दोनों बुरी तरह से हाम्फ रहे थे और दोनों का बदन पसीने से तरबतर था।

विक्रम जी मेरी पीठ को हल्के हल्के चूम रहे थे और मुझे उस वक्त ऐसा लग रहा था मानो मैं 10 किलोमीटर की दौड़ करके आई हूं।

पहली बार मुझे चुदाई में इतना मजा मिला था और वास्तव में मेरी असली चुदाई उस दिन ही हुई थी।

चुदाई का असली मजा क्या होता है उस दिन मुझे पता चला।

वास्तव में एक औरत को एक तगड़ा मर्द ही संतुष्ट कर सकता है … यह सबके बस की बात नहीं है।

इसके बाद आधे घंटे आराम करने के बाद हम दोनों चुदाई के लिए फिर से तैयार थे।

इस बार भी विक्रम जी ने अलग अलग पोजीशन में मुझे चोदा।
कभी लेटा कर, कभी घोड़ी बनाकर, कभी खड़ी करके तो कभी अपनी गोद में उठाकर!

हर पोजीशन में मुझे बेहद मजा आया और दूसरी चुदाई में भी मैं 2 बार झड़ी।

यह चुदाई करीब 40 मिनट तक चली और हर चुदाई में विक्रम जी का समय बढ़ता जा रहा था।
उस रात हम दोनों ने 4 बार चुदाई की थी।

4 बार चुदाई के बाद हम दोनों बुरी तरह से थक गए थे और सुबह 9 बजे तक सोते रहे।
जब मेरी नींद खुली तो हम दोनों पूरे नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए थे।

फ्रेश होने के बाद विक्रम जी ने अपने ऑफिस में फोन किया और 2 दिन की छुट्टी लगा दी।

उसके बाद दोपहर में हम दोनों नहाते हुए चुदाई का मजा लिया और अगले दो दिन तक बस चुदाई ही चुदाई चलती रही।

एक बार तो ऐसा हुआ कि विक्रम जी मुझे चोद रहे थे और उसी समय मेरे पति का फोन आ गया।
इधर मैं अपने पति से बात कर रही थी और नीचे मेरी चूत में विक्रम जी का लंड धंसा हुआ था।
वो मंजर याद करके मुझे हमेशा हँसी आ जाती है।

इसके बाद मेरे पति के आने के पहले ही विक्रम जी चले गए।

अब हम दोनों का अक्सर ही मिलना होने लगा।

सुबह जैसे ही मेरे पति ऑफिस के लिए जाते हैं विक्रम जी पीछे के दरवाजे से अंदर आ जाते हैं।
और दिन भर हम दोनों में कम से कम 2 या 3 बार चुदाई होती है।

हफ्ते में 4 दिन तो जरूर विक्रम जी मेरे पास आते ही हैं.

विक्रम जी 2 सालों से मुझे चोद रहे हैं और अब मेरी चूत की हालत ऐसी हो गई है कि कोई भी देखकर बता सकता है कि मेरी चूत कितनी बुरी तरह से चुदती है।

उनको अब मेरी गांड ज्यादा पसंद आती है और वे मेरी गांड चोदे बिना वापस नहीं जाते।

पहले तो मुझे गांड चुदवाने में मजा नहीं आता था लेकिन अब मैं मजे लेकर गांड चुदवाती हूं।

दोस्तो, मेरी यह Xxx लेडी फक स्टोरी आप लोगों को कैसी लगी?
कमेंट करके जरूर बताएं।

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