चूतो का समुंदर – 6
जब आँख खोली तो सुबह हो चुकी थी ओर संजीव मुझे हिलाते हुए जगा रहा था…. संजीव-उठ जा भाई …कब तक सोएगा….9 बज गयेमैं-आँखो को खोलते हुए….क्या???संजीव-भाई 9 बज रहे है उठ जामैं(चौक्ते हुए)-क्या 9 बज गयेसंजीव- हां भाई उठ जामैं-(आँख मलते हुए बेड पर बैठ गया)संजीव-क्या हुआ भाई आज 9 बजे तक सोता रहा ….तू तो जल्दी उठ जाता है (मैं डेली जल्दी ही जागता हूँ सुबह…एक्सरसाइज़ करने के लिए…मेरे घर पर पर्सनल जिम है) मैं-हाँ यार ये कैसे हो गया…लगता है तेरे घर नीद ज़्यादा आती है(ऑर मैं हँसने लगा)संजीव-(हँसते हुए)-हाँ शायद यही है…चल फ्रेश हो कर नीचे आजा …नाश्ता करते हैमैं –तू चल …मैं आया इतना बोल …