बड़ी दीदी की चूत का मजा मुझे अनचाहे ही मिल गया जब मैं दीदी के बगल में सोया हुआ था. नींद में मैं सपने में अपनी गर्लफ्रेंड के साथ था पर असल में मैंने दीदी को पकड़ लिया.
मित्रो, मेरा नाम निक्कू है मगर नाम बदला हुआ है. असली नाम लिखने का मन नहीं है. इसका कारण मेरा डर है कि कहीं मुझे जानने वालों को इस कहानी का पता ना चल जाए.
मैं एक छोटे से शहर से हूँ. यहां सयुंक्त परिवार होते हैं. मेरे परिवार में मेरे मम्मी-पापा, उनके दो भाई और उनके परिवार हैं.
यह सेक्स कहानी मेरे पापा के बड़े भाई यानि मेरे ताऊजी की बड़ी बेटी की है. मैंने बड़ी दीदी की चूत का मजा कैसे लिया, यही बताया है.
आज से 15 साल पहले जब मेरी दादी का निधन हुआ तो उनके क्रियाकर्म के लिए सब लोग एकत्र हुए और ये तय हुआ कि जब तक सारी विधि खत्म नहीं हो जातीं, सब लोग घर में ही रुकेंगे. उस समय मैं 24 साल का था. मेरी एक नयी गर्लफ्रेंड बनी थी, जिसकी मखमली चूत को मैं हर दो तीन दिन में बड़ी मस्ती से चोदता था.
मैं ये नहीं बोलूँगा कि मेरा लंड 8-9 इंच लंबा है या 4 इंच मोटा है या मैं एक घंटे तक चूत चोद सकता हूँ. बस इतना मान लीजिए कि मालिक ने जो दिया, ऐसा दिया है कि अपने साथी को एक बार भी निराश नहीं किया है.
अब जिसे हर तीसरे दिन चूत चाहिए हो, उसे बारह दिन कुछ ना मिलने वाला हो, तो आप समझ सकते हैं कि उसके दिल पर क्या बीतेगी. फिर भी मैं अपनी किस्मत को रोते, अपना लंड हाथ में पकड़े हुए घर पर रुका रहा.
पहले दिन शाम तक मेरे ताऊ की दोनों बेटियां अपनी अपनी ससुराल से आ चुकी थीं.
बड़ी दीदी से मेरी बहुत अच्छी बनती थी. वो मुझे हमेशा से पसंद रही हैं. हों भी क्यों ना … उनकी 6 फुट की हाइट, तने हुए 34 इंच के चूचे और 38 इंच के भरे भरे चूतड़, किसी को भी पागल बनाने के लिए काफ़ी थे.
हालांकि उस समय तक कभी मैंने उनके साथ सेक्स के बारे में सोचा नहीं था. जो भी हो, मुझे उस वक़्त पता नहीं था कि ये सब कुछ बदलने वाला है और मैं इन 34 इंच के मोटे मोटे मम्मों को तसल्ली से दशहरी आम की तरह चखूँगा.
तो हुआ यूं कि रात में सब लोग अपने सोने का इंतज़ाम देखने लगे.
मैं, मेरी दीदी और बुआ घर के आंगन में सोने लगे. सब दिन भर के थके थे, तो लेटते ही नींद लग गयी.
मेरी दीदी को साड़ी और सलवार कमीज़ दोनों पहनना पसंद हैं. पर वो उस दिन ससुराल से आई थीं, तो साड़ी में थीं.
मैं और दीदी एक तकिए पर सर रख कर लेटे थे क्योंकि हम दोनों को ही इस तरह से चीजें साझा करना पसंद था.
रात में मुझे चादर लेकर सोने की आदत है, चाहे गर्मी हो या सर्दी … और ये सब जून के महीने में हुआ था, तो मौसम ठीक-ठाक था.
थोड़ी देर की नींद के बाद मेरे सपने में मेरी गर्लफ्रेंड आ गयी और मैंने उसके 36 इंच बूब खूब मज़े से दबाने शुरू कर दिए.
मैंने सपने में देखा कि थोड़ी देर के बाद एक बूब उसकी पिंक ब्रा से बाहर निकाला और उसका ब्राउन निप्पल बड़े मज़े से पीने लगा; साथ ही साथ मैं उसकी चूत पर हाथ भी फिराने लगा. उस वक़्त ये महसूस ही नहीं हुआ कि ये सपना है.
अचानक से मेरी गर्लफ्रेंड ने मेरा वो हाथ पकड़ कर, जिससे मैं बूब दबा रहा था और निप्पल पी रहा था, ज़ोर से हिलाया. मैं एक बार में नहीं माना तो उसने फिर से वही किया.
इस बार मेरी आंख खुल गयी और मैं क्या देखता हूँ कि मेरा एक हाथ मेरी दीदी की चूत रगड़ रहा था और दूसरा उसके मम्मों दबा रहा था. मेरे मुँह में मेरी दीदी का काला निप्पल था.
असल में मैंने अपने दीदी का बूब इतनी ज़ोर से दबा दिया था कि उनकी नींद खुल गयी थी और वो मुझे दूर करने की कोशिश कर रही थीं.
अब जब मेरी नींद खुली और ये सब देखा तो ये सोच कर मेरी गांड फट गयी कि अब तो बहुत मार पड़ेगी और घर से भी निकाला जाऊंगा. रही सही कसर ये होगी कि दीदी से कभी बात नहीं होगी.
ये सब ख्याल इतनी तेज़ी से दिमाग़ में आए कि मेरे हाथ जहां थे, वहीं रह गए. ये सब सोच कर मेरे आंसू आने लगे.
दीदी एक सेकेंड में सब समझ गईं, उन्होंने सबसे पहले मेरे हाथ अपने शरीर से हटाए, अपने बूब को ब्रा के अन्दर किया. फिर चुप कराने के लिए मुझे गले से लगा लिया.
जैसे ही उन्होंने गले लगाया, मेरे आंसू और तेज़ हो गए. उन्होंने मुझे चुप कराया और समझाया कि कोई बात नहीं, इस उम्र में ऐसा हो जाता है.
उन्होंने मुझे जोर से गले से लगा लिया. बस यही वो ग़लती थी, जिसने हमारी चुदाई कहानी की नींव रखी.
जब 30 सेकेंड्स में ये समझ आ गया कि दीदी किसी को कुछ नहीं बताएंगी तो दिमाग़ और लंड फिर से सेक्स मांगने लगा. अब जिसके सामने रसमलाई पड़ी हो, वो कहीं और क्यों जाएगा मिठाई खाने.
अब तक हम दोनों की नींद जा चुकी थी, बस एक दूसरे से चिपके लेटे हुए थे. मेरे हाथों ने दीदी के शरीर पर फिर से घूमना शुरू कर दिया और इस बार दीदी ने एक चांटा लगा दिया.
ना धीरे ना तेज़ … बस इतना कि आवाज़ ना हो … और मुझे वॉर्निंग मिल जाए. पर दोनों टांगों के बीच वाले जनाब को जब एक बार ये समझ आ जाए कि सामने एक चूत है और थोड़ी मेहनत से मिल सकती है, तो वो पूरे जी जान से कोशिश करता है.
उस रात मैंने कुछ और नहीं किया, लेकिन अगले पूरे दिन दीदी से बात नहीं की.
शुरू में दीदी को लगा कि मैं शायद अपराध बोध में हूँ तो छुप रहा हूँ. लेकिन जल्दी ही उनको भी समझ में आ गया कि मेरे मन में कोई ग्लानि नहीं है बल्कि मैं उनको चोदने की फिराक़ में हूँ.
शाम तक बात ना करने के बाद, सब खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगे. सोने के लिए फिर से मैं और दीदी साथ में लेट गए.
बस इस बार लेटते ही दीदी ने कान में बोल दिया कि उनको मेरे हाथ उनके मम्मों या चूत के आस पास ना मिलें वरना मेरे लिए अच्छा नहीं होगा.
आज दीदी सलवार कमीज़ में थीं तो उनकी गांड बड़ी लग रही थी और मम्मों का आकार भी बड़ा मस्त लग रहा था.
हमारे लेटते ही हल्की हल्की बारिश शुरू हो गयी और लाइट चली गयी. बारिश आधा घंटा में रुक गयी लेकिन हल्की सी ठंडक हो गयी और लाइट भी नहीं आई.
थोड़ी देर बाद मुझे महसूस हुआ कि दीदी की बड़ी सी गांड मेरे लंड से चिपकी पड़ी थी और ऐसा महसूस होते ही मेरी नींद उड़ गयी. अब तो मुझे हर हाल में दीदी के शरीर से मज़े लेने थे.
मैंने धीरे से अपनी चादर दीदी के ऊपर डाल दी और उसके साथ ही अपना एक हाथ दीदी के सीने पर रख दिया. हाथ रखते ही दीदी थोड़ा हिलीं. लेकिन उनको लगा कि मैं नींद में हूँ तो वो फिर से सो गईं.
थोड़ी देर बाद मैंने धीरे धीरे उनके बूब को दबाना शुरू कर दिया. कुछ देर दबाने के बाद मैंने एक बूब को ही उनकी कमीज़ और ब्रा से आज़ाद कर दिया और बड़े आराम से पीने लगा.
शायद दीदी को नींद में ऐसा लगा कि वो अपने घर में जीजाजी के साथ लेटी हैं तो उन्होंने मुझे दूसरा बूब भी पकड़ा दिया.
कुछ देर पीने के बाद दीदी ने मेरे एक हाथ को पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और मैं उसे सलवार के ऊपर से ही मसलने लगा. आज महसूस हुआ कि दीदी की चूत पर थोड़े बाल भी थे, जो शायद 10-12 दिन पहले शेव हुए थे.
कुछ देर सलवार के ऊपर से चूत का जायजा लेने के बाद मेरा लालच बढ़ा तो मैंने अपना हाथ सलवार के अन्दर करना चाहा.
हाथ पेट से थोड़ा नीचे गया ही था कि दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और पकड़ते ही शायद उनकी नींद खुल गयी. अगले ही पल उनको पता लग गया था कि वो नींद में कुछ ग़लत कर बैठी थीं.
आंख खुलते ही उन्होंने अपने मम्मों को कपड़ों में अन्दर किया और मेरे हाथ को सलवार की इलास्टिक से बाहर निकाल दिया. लेकिन अब तो शेर जाग चुका था और बिना शिकार किए वापसी उसे पसंद नहीं.
दीदी ने दो मिनट मुझे गुस्से से देखा और मेरी तरफ करवट करके लेट गईं. मैंने भी सोच लिया था कि अब जो भी हो, इस चूत के अन्दर दूध की धार बहा कर ही मानूँगा.
जैसे ही कुछ सेकेंड्स बीते, मैंने दीदी का मुँह पकड़ा और किस करना शुरू कर दिया. किस करते करते ही मैंने दीदी की सलवार में हाथ डाला और पैंटी के अन्दर से उनकी चूत सहलाने लगा.
जैसे ही हाथ लगा, समझ आ गया था कि दीदी की चूत अपना प्री-कम छोड़ चुकी थी. मैंने एक उंगली चूत के अन्दर सरका दी और उसी से चोदने लगा.
अब तक दीदी का विरोध थोड़ा कम हो चुका था तो उन्होंने मुझे प्रत्युत्तर में किस करना शुरू कर दिया. ये हरी झंडी सा इशारा मिलने के बाद मैंने फिर से दूध मसलना और उनको पीना शुरू कर दिया.
लेकिन सबके होते हुए चुदाई नहीं हो सकती थी तो बस यही सब पूरी रात चला और अगले 2-3 रात भी.
चौथे दिन ताईजी ने मुझे बुलाया और कहा कि मुझे दीदी को मार्केट लेकर जाना था कुछ शॉपिंग के लिए … और फिर उन्हें अपने दूसरे घर को भी चैक करना था क्योंकि वो कुछ दिनों से बंद था. मैं और दीदी बाइक से चले तो दीदी ने कहा- पहले घर चलेंगे, वहां से कुछ सामान लेना है.
कुछ मिनट में जब हम दोनों घर पहुंचे, तो दीदी ने लॉक खोला और हम अन्दर दाखिल हो गए. मैं बाहर वाले रूम में बैठ गया और दीदी ने कहा- मैं 2 मिनट में वॉशरूम से आ रही हूँ.
उनके जाने के बाद मैं धीरे से उठा और वॉशरूम के पास आ गया. दरवाजे की कुण्डी नहीं लगी थी और दीदी आराम से कमोड पर बैठकर सुसु कर रही थीं. उनकी मूतने की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि मेरे कानों तक आ रही थी.
आवाज़ सुन कर मेरा देखने का मन हुआ, तो मैं दरवाजे के ज़्यादा पास चला गया और इतने में उन्होंने दरवाज़ा खोल दिया.
दरवाज़ा खुलते ही उसके बाहर मुझे देखा और वो हंसने लगीं. दीदी बोलीं- अपनी तसल्ली के लिए ही हम यहां आए हैं.
यह सुनते ही मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी.
दीदी आज साड़ी में थीं, तो उन्होंने सबसे पहले टॉयलेट में ही साड़ी उतार दी. उस समय मेरे सामने दीदी ब्लाउज और पेटीकोट में थीं.
पेटीकोट कमर तक चढ़ा हुआ था, पैंटी पैरों में पड़ी थी और उनके गोरे गोरे चूतड़ नज़र आ रहे थे.
दीदी ने मुझसे पूछा कि क्या मैं सब उतार दूँ? मैंने मना कर दिया वरना मैं क्या उतारता.
उन्होंने पैंटी पहनी, पेटीकोट नीचे किया और हम दोनों उनके बेडरूम में आ गए.
बेडरूम में आते ही मुझसे रुका नहीं गया, तो मैंने उनको किस करना शुरू कर दिया. दीदी ने भी पूरा साथ दिया.
क्या रसीले होंठ थे. कुछ देर मैं उनके होंठ पीता ही रहा.
कुछ देर बाद मैंने उनके गले और कान के पीछे किस करना शुरू किया तो उनकी सिसकारी निकलना शुरू हो गयी. धीरे धीरे नीचे आते आते मैंने अपने पसंदीदा फलों यानि उनके मम्मों पर डेरा जमा लिया.
पहले तो उनके बूब को ब्लाउज के ऊपर से ही मुँह में ले लिया, फिर ब्लाउज को दूर किया और सफेद ब्रा में सजे दो बड़े बड़े अनारों का रस चखना शुरू कर दिया. मेरे चूसने से उनकी ब्रा गीली हो गयी और निपल्स तन गए. फिर जैसे ही मैंने उनकी ब्रा का हुक खोला, दो बड़ी बड़ी फुटबॉल मेरे चेहरे से आ लगीं.
आज दूसरी बार मैंने दीदी के ब्लैक निपल्स को देखा था. आज ट्यूबलाइट की रोशनी में उनके दूध इतने चमक रहे थे कि मेरी आंखें चौंधिया गईं. मैंने फिर से एक आज्ञाकारी बच्चा बनते हुए उनके दूध पीने शुरू किए.
पांच मिनट के बाद मैंने धीरे से उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया\. अब उनके शरीर पर सिर्फ़ एक लाल रंग की पैंटी थी जो आगे से गीली हो चुकी थी.
दीदी ने मुझे अपने से दूर किया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
मेरा लंड देख कर दीदी को ऐसी खुशी हुई, जैसे एक बच्चे को कोई खिलौना मिल गया. दीदी ने जल्दी से अपना मुँह खोला और लॉलीपॉप चूसने लगीं.
भगवान कसम … दीदी ने मेरी गर्लफ्रेंड को पीछे छोड़ दिया और सिर्फ़ एक मिनट में मेरे लंड ने अपना रस छोड़ दिया. लेकिन दीदी ने उसे वेस्ट नहीं जाने दिया और सारा का सारा रस पी गईं, जिसका स्वाद उन्हें बड़ा पसंद आया.
ये सब होने के बाद हमने कुछ देर रेस्ट किया और फिर से शुरू हो गए.
इस बार जब तक मैं बड़ी दीदी की चूत पर पहुंचा, दीदी की हालत खराब थी और मेरा लंड 90 डिग्री का कोण बना रहा था. लेकिन जल्दी कुछ खराब ना कर दे, ये सोच कर मैंने पहले आराम से दीदी की चूत को पैंटी के ऊपर से चूसा और फिर वो नज़ारा देखने के लिए धीरे से पैंटी को नीचे किया, जिसका इन्तजार मैं 3 दिन से कर रहा था.
पैंटी नीचे करते ही ख़ज़ाना मेरे सामने था. जैसा मेरा अनुमान था, हल्की हल्की झांटें और हल्का गहरापन लिए दीदी की चूत भी मेरे लंड का इंतज़ार कर रही थी.
दीदी की चूत को उंगली से खोला तो अन्दर से लालिमा नज़र आई और मैं उसे किस करने झुक गया.
चूत को किस करते ही दीदी ने मेरे सर ऊपर नहीं आने दिया और मैंने अपनी जीभ से उसको चाटना शुरू कर दिया. जल्दी ही एक बूँद, दो बूँद करते करते दीदी की चूत से झरना फूट गया, जिसे मैं आराम से पी गया.
बड़ा अच्छा टेस्ट था. अब दीदी तैयार थीं चूतभेदन के लिए … और मैं अपना भाला लिए.
पहले पारंपरिक स्टाइल में करना मुझे ठीक लगा तो मैंने दीदी को बेड पर लेटने को कहा और उनकी टांगें अपने कंधे पर रख लीं. धीरे धीरे मेरा लंड उनकी चूत को किस करने जा रहा था.
जैसे ही पहली बार मैंने लंड चूत पर लगाया, दीदी के शरीर की झनझनाहट महसूस की. कुछ सेकेंड्स के लिए अपने लंड चूत के मुँह पर रगड़ा, तो दीदी के चेहरे पर झुंझलाहट नज़र आई और उन्होंने मेरे चूतड़ पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींचा.
ऐसा करते ही मेरा लंड उनकी प्यारी सी चूत में घुस गया. अब दरवाजे से अन्दर घुस गया तो पूरी सराय देखना ही है, यही सोच कर दो तीन धक्के लगाए और लंड चूत में फिट कर दिया. इधर दीदी ने अपने होंठ काट लिए और बगैर चूत पर ज़्यादा दबाव डाले, मैंने उनकी चूचियों पर किस करना शुरू कर दिया. अब मैं उनके मम्मों को जोर जोर से पीने लगा.
कुछ सेकेंड्स के बाद दीदी ने कमर हिलाई, तो अहसास हुआ कि अब कार्यवाही आगे बढ़ सकती है, तो शुरू शुरू में धीरे धक्के देना शुरू किए. उसका जवाब दीदी ने नीचे से धक्के लगाकर दिया.
फिर मैंने अपनी पैसेंजर ट्रेन को शताब्दी बनाया और स्पीड पकड़ी. कुछ देर सीधा ठोकने के बाद मैंने दीदी को घोड़ी बनाया और पीछे से डाला.
इस पोज़ में उनकी चूत देख कर मेरी आह निकल गयी. क्या मखमली गांड थी मेरे सामने.
गांड के छेद में उंगली घुसाई तो वॉर्निंग मिली कि इस छेद पर सिर्फ़ उनका हक़ है, वो किसी को ना मिला है और ना मिलेगा. मुझे सिर्फ़ आगे वाले छेद पर फोकस करना था.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और कुछ देर में ही मेरे घोड़े ने सांस लेनी शुरू की.
तो मैंने दीदी से पूछा कि मलाई कहां टपका दूँ? उन्होंने कहा- अन्दर ही टपका दे!
बस 10-12 धक्कों में ही दीदी और मैं एक साथ ढेर हो गए और बेड पर पड़कर ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगे. कुछ देर आराम करके हम दोनों का फिर से मूड बन गया तो एक जल्दी वाला राउंड खेल कर हमने सब साफ सफाई की और मार्केट निकल पड़े.
उसके बाद हर दूसरे दिन हमने घर को संभाला. जब तक कि उनके जाने का टाइम नहीं हो गया.
फिर एक बार मैंने उन्हें उनकी ससुराल में भी चोदा. लेकिन उसके बाद वो प्रेगनेन्ट हो गईं और धीरे धीरे बिज़ी भी.
तो ये थी मेरी छोटी सी सेक्स कहानी जिसमें मैंने बड़ी दीदी की चूत मारी. आपको कैसी लगी, कमेंट करके बताना. कुछ ग़लती लगे तो माफ़ कर देना.